Tuesday, November 4, 2008

जितेन्द्र झा कोशी सन बेदर्दी कोइ ने

जितेन्द्र झा
कोशी सन बेदर्दी कोइ ने
मिथिलाक लाखो जनताके विपत्तिक बाढि देब बला कोशी नियन्त्रणलेल एखन धरि कएल प्रयास अपर्याप्त रहल बताओल गेल अछि । ५० बर्ष पहिनेसं कोशीक नामपर खर्च कएल करोडो रुपैयाक बास्तविकताक पोल खुलि गेल अछि । कोशी बाढिपर दिल्लीमे आयोजित कार्यक्रममे वक्ता सभ कोशी बांन्ह टुटलाक बाद आब दोषारोपण क क बचबाक प्रयास कएल जा रहल कहलनि । मैथिली लोकरंग मन्च सेप्टेम्बर १२ तारिखक' कोशी सन बेदर्दी कोइ नई नामक कार्यक्रम आयोजन कएलक अछि । कार्यक्रममे कोशीक बाढिपर बजनिहार वक्तासभ कोशी नदी नियन्त्रण लेल सरकारक प्रयासके आलोचना कएल गेल । नाटककार मदहेन्द्र मलंगिया कोशीक रस्तासं खेलबाड कएल गेलाक कारण एहन भयावह स्थिति उत्पन्न भेल कहलनि । 'मात्र कोशीके बदनाम कएल जारहल अछि' मलंगिया आगु कहलनि 'कोशीके बुझब आबश्यक अछि । तहिना मैथिली इ पत्रिका विदेहके सम्पादक गजेन्द्र ठाकुर कोशी बाढिके सरकारी लाचारीके संज्ञा देलन्हि ।कोशीक तटबन्ध टूटत से बुझितो सरकार मुकदर्शक बनल रहल हुनक आरोप रहनि ।मधेपुराक शान्ति यादव अपन आंखिक आगु कोशीक विकराल रुप देखने बतबैत पर्यावरण विद सेहो एकरा कत्तेक बुझि सकल अछि से प्रतिप्रश्न कएलनि ।
कोशीप्रति ओतुक्का जनताके सुसुचित करबाक आवश्यकता पर भारती जोड दैत कहलनि 'बाढिप्रति संवेदनशील बनाएब आबश्यक अछि ।
बिछियाक आर्तनाद
पेटमे अन्न नईं, राहतलेल आकाशमे टकटकी लगौने आंखि, आङमे लत्ताकपडाक अभाव आ भोक्कासी ...। सभ अपन अपन पीडा सुना रहल अछि । पेटके राक्षस शान्त नई भेलाक बाद ओ त सौंसे आदमीएके खा लेलक । नवजात शिशु कत्तेक काल भुक्खे रहैत, ओकरा कोशीक कोरमे छोडिदेल गेल ।
कोशी सन बेदर्दी जगमे कोइ नइ लघुनाटकमे किछु एहने देखल गेल । मैलोरंगक आयोजनमे दिल्लीमे सेप्टेम्बर १२ क' मन्चित लघुनाटकमे कोशीक बिभीषिका देखएबाक प्रयास कएल गेल । नाटकमे राहतलेल मारामारी कएनिहार जनता भुखसं मृत्युवरण करबाक बाध्यताके जीवन्त रुपमे प्रस्तुत कएल गेल। पीडितके रोदनसं दर्शक भावविह्वल बनल छल । मैलोरंग सेप्टेम्बर १२ सं १४ तारिखधरि मैथिली लोकरंग महोत्सव स्थगित कएलक अछि । कोशी क्षेत्रमे घुरैत मुस्कानकसंग महोत्सव आयोजन हएत मैलोरंग जनौलक अछि ।
संघर्षक कठिन बाट
मैथिली साहित्यकार व्रजकिशोर बर्मा मणिपद्मक स्मृतिमे नयां दिल्लीमे सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन कएल गेल । एहि कार्यक्रममे मैथिली नाटक मन्चन हएबाक संगहि मिथिलांगन संस्थाक स्मारिका सेहो विमोचन कएल गेल । मिथिलांगन साहित्यकार मणिपद्मक स्मृतिमे 'उगना हल्ट' नामक मैथिली नाट्क मन्चन कएने छल ।

ब्रज किशोर बर्मा मणिपद्म मैथिली साहित्यक चर्चित नाम अछि । लोक साहित्यक संरक्षणमे हुनक योगदान उल्लेखनीय मानल जाईत अछि । इएह योगदानक सम्मान करैत हुनका मैथिलीको वाल्टर स्काट सेहो कहल जाईत छन्हि । लोरिक, राजा सल्हेश, नैका बन्जारा जेहन लोकगाथाक संरक्षण करबामे हुनक योगदान सराहनीय रहल कार्यक्रममे कहल गेल । मिथिलांगन एहिसं पहिने सेहो मणिपद्मक स्मृतिमे विभिन्न कार्यक्रम आयोजन करैत आएल अछि । तहिना त्रैमासिक मिथिलांगन पत्रिका सेहो प्रकाशनके निरन्तरता देल गेल संस्था जनौलक अछि । उगना हल्टक लेखक कुमार शैलेन्द्र आ निर्देशक संजय चौधरी छैथ । नाटकमे दिल्लीमे संघर्षरत मैथिली रंगकर्मीक जीवनक कटु सत्य देखएबाक प्रयास कएल गेल अछि । उगना हल्ट बिहारक मधुवनी जिलाक एक रेल्वे स्टेशनको नाम अछि , यद्यपि नाटकके परिवेश नयां दिल्लीक रंगकर्मीक अडडा मण्डी हाउसपर केन्द्रित अछि । स्थानीय पण्डौल आ सकरी बीचक स्टशन अछि उगना हल्ट । नाटकमे मैथिली भाषा संस्कृतिक संरक्षणलेल अपस्यांत नवतुरियाक कथा ब्यथा समेटल गेल अछि । वएह युवाक संघर्षक इतिबृत मे नाटक घुमैया । कियो संगीतकार बन' चाहैत अछि त कियो गीतकार, ककरो फ़िल्ममे हिरो बनबाक धुन सबार छइ त ककरो हिरोइन । अन्ततः कडा संघर्षक बाद सभ अपन लक्ष्य प्राप्त करबामे सफ़ल होइत अछि । नाटकमे संगठने शक्ति अछि आ एहिसं सफ़लता पाबि सकैत छी से पाठ सिखएबाक प्रयास कएने छैथ नाटककार । छिरिआएल आ दिग्भ्रमित जंका बुझाईत पात्रक अभियान अन्तमे सफ़ल होइत अछि । अन्ततः नाटक सुखान्त अछि ।
साहित्य केन्द्रित पुस्तक मेला
नया दिल्ली । विद्यापतिक गीत, हरिमोहन झाक कथा, लोकोक्ति संग्रह, पत्रपत्रिकाक इतिहास, गोरा(अनुवाद), इत्यादि । ई कोनो मैथिली पुस्तकालयके सूची नईं, १४ म्‌ दिल्ली पुस्तक मेलामे लागल किताबक नाम अछि ।

महिला लेखनके केन्द्र बनाक' मेला आयोजन कएल गेल छल । जाहिमे लगभग तीन सय प्रकाशक स्टल लगौने रहए । मुदा मेलामे मैथिली भाषामे मात्र दु तीनटा किताब मैथिली साहित्यमे महिला लेखनके सबुत बनल छल । मेलामा पाकिस्तान, अमेरिका, चिन, स्पेन , दुबई आ इरानक प्रकाशक सहभागी छल। मेलामे मैथिली भाषाक पुस्तक सेहो राखल रहए । साहित्य विद्यापति आ हरिमोहन झाक किताव बेश बिकाएल छल । ओना साहित्य एकेडमीक स्टलपर मैथिलीक दर्जनसं बेशी किताब नई छल । तें पाठकलग किताब चुनके अबस्था नई रहए । महिला लेखनके केन्द्र बनाओल गेल मेलामे साहित्य एकेडमीसं प्रकाशित महिला लेख संग्रहित एकटा किताब मेलाक उद्देश्य पुरा करैत छल । मेला मैथिलीक संकीर्ण प्रकाशन अबस्थाके प्रतिबिम्बित क रहल छल । प्रवासमे रहनिहार मैथिली भाषीके साहित्य एकेडमीक स्टल मैथिली किताबके दर्शन धरि करादेने रहए । मैथिली साहित्यिक खोराक चाहनिहारके पुस्तक मेला थोर बहुत सहायक छल । संख्यात्मक हिसाबसं मैथिली भाषाक पोथी थोरबे छ्ल । मेलामा साहित्यसंगहि कला-संस्कॄतिक अदभुत संगम सेहो प्रस्तुत कएल गेल छल । प्रख्यात महिला साहित्यकारक गैर साहित्यिक किताब सेहो राखल गेल छ्ल । महिला स्रष्टाक रचनासंगहि हुनकर सभहक आत्म बृतान्त सेहि उपलब्ध कराओल गेल छल । एहि मेलामे लगभग १५ करोड भारतीय रूपैयाको कारोबार हुएबाक अनुमान कएल गेल अछि । मेला सेप्टेम्बर 1 तारिखसं ७ तारिखधरि चलल छल।

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