Friday, August 19, 2011

इसवी सन 2010 : मैथि‍लीक गति‍वि‍धि‍याेगानन्‍द झा

इसवी सन 2010 : मैथि‍लीक गति‍वि‍धि‍

वर्ष 2003क अन्‍ति‍म मासमे जखन मैथि‍ली भाषाकेँ संवि‍धानक अष्‍टम अनुसूचि‍मे स्‍थान प्राप्‍त भेलैक तँ आवासी-प्रवासी मैथि‍ल जनसमुदाय तत्‍कालीन प्रधानमंत्री मान्‍यवार श्री अटल बि‍हारी बाजपेयी ओ गृहमंत्री मान्‍यवर श्री लालकृष्‍ण आडवाणीक प्रति‍ अभि‍भूत भेल अपन चि‍र आकांक्षाक प्रति‍पूर्तिसँ हर्षोल्‍लासमे नि‍मग्‍न प्रतीत भेल। ज्‍योति‍रीश्‍वर ओ वि‍द्यापति‍ ठाकुरक देसि‍ल वयना, ब्रजकि‍शोर ठाकुर आ कर्पूरी ठाकुरक सत्‍यप्रयाससँ आ अन्‍तत: मान्‍यवर डा. श्री सी.पी. ठाकुरक प्रयत्‍ने राष्‍ट्रीय क्षि‍ति‍जपर अपन उचि‍त स्‍थान पओलक। सुमन, मधुप, कि‍रण, मणि‍पद्म, प्रबोध, देवनारायण, यात्री आदि‍क आत्‍मा जुड़ा उठल हेतनि‍। सर्वश्री अमर, प्रदीप, वैद्यनाथ चौधरी आदि‍ गोटाक एकटा यज्ञ पूर्णाहुति‍ दि‍स अग्रसर भेलनि‍। हि‍नकालोकनि‍क संघर्ष सफलता प्राप्‍त कएलक आ एकबेर फेर नव स्‍पन्‍दन मैथि‍ली जगतमे अएलैक।
मैथि‍ली पत्रकारि‍ता जगतमे ई स्‍पन्‍दन मि‍थि‍ला दर्शन, पूर्वोत्त मैथि‍ल, वि‍द्यापति‍ टाइम्‍स, समय-साल, आँकुर, पक्षधर, पूर्वोत्तर मैथि‍ल समाज, कर्णामृत, जखन-तखन, मि‍थि‍ला-दर्पण, सांध्‍य गोष्‍ठी, मि‍थि‍लायतन, गामधर, आङन ओ ई-पत्रि‍का वि‍देह आदि‍क माध्‍यमे वि‍गत वर्षमे मैथि‍ली गति‍वि‍धि‍केँ समंजि‍त-संयोजि‍ करैत रहल अछि‍। कलकत्तासँ प्रकाशि‍त मैथि‍लीक एकमात्र दैनि‍क मि‍थि‍ला समाद, स्‍वदेशक सरणि‍पर मैथली दैनि‍कक अवधारणाकेँ सम्‍पुष्‍ट करबामे लागल रहल अछि‍। पक्षधर (स. श्रीसीतांशु कश्‍यप, राँची) आ मि‍थि‍ला सृजन (स. श्रीऋृषि‍वशि‍ष्‍ठ, मधुबनी) एही वर्षक देन थि‍क।
पोथी प्रणयन ओ प्रकाशनक दि‍शामे सेहो क्षि‍प्र गति‍त्‍व वि‍गत 2010क उपलब्‍धि‍ मानल जा सकैछ। प्रकाशक ओ वि‍तरकक सर्वथा अभाव रहतौं मैथि‍ली लेखकलोकनि‍ ग्राहकक परवाहि‍ बि‍नु केने स्‍वयं अपन-अपन रचनावलीक प्रकाशनसँ मैथि‍लीक समृद्धि‍ हेतु प्रति‍बद्ध देख पड़लाह। दि‍ल्‍लीक श्रुति‍ प्रकाशन, सरि‍सबक साहि‍त्‍यि‍की, दरभंगाक जखन-तखन, पटनाक चेतना समि‍ति‍ ओ शेखर प्रकाशन, एत' धरि‍ जे वि‍द्यापति‍ टाइम‍सो प्रकाशन आ मि‍थि‍ला रि‍सर्च सोसाइटी आदि‍ ऐ यज्ञमे लेखकलोकनि‍क सहायता-संवर्द्धनामे जुटल देख पड़ल। प्रकाशनक दृष्‍टि‍ये ऐ‍ वर्षक महत्वपूर्ण प्रकाशन अछि‍ पाँच खण्‍डमे प्रकाशि‍त रमानाथझा समग्र जकर सम्‍पादन कएलनि‍ अछि‍ श्रीमोहन भारद्वाज। पाँच हजार मूल्‍य ई बेछप रचना संचयन मैथि‍लीक गौरव ग्रन्‍थ थि‍क। पूर्वमे श्री गजेन्‍द्र ठाकुर पाँच हजार टाका मूल्‍यक जीनोम मैपि‍ंग एक्के खण्‍डमे प्रकाशि‍त कएने छथि‍।
एकरे सबहक परि‍णामस्‍वरूप मैथि‍ली कथा आन्‍दोलनकेँ समर्पित सगर राति‍ दीप जरय आन्‍दोलन वर्ष 2010क चारू कि‍स्‍त, जकर आयोजन क्रमश: श्रीरमाकान्‍त राय रमा'क संयोजकत्‍वमे नरहन, समस्‍तीपुरमे, डा. योगानन्‍दझाक संयोजकत्‍वमे कबि‍लपुर, लहेरि‍यासराय, दरभंगामे, श्री जगदीश प्रसाद मण्‍डल'क संयोजकत्‍वमे बेरमा झंझारपुर, मधुबनीमे आ श्रीअरवि‍न्‍द ठाकुर'क संयोजकत्‍वमे सुपौल (कोशी क्षेत्र)मे सफलतापूर्वक सम्‍पन्न भेल आ ऐ‍‍ अवसरपर पोथीक लोकार्पण-प्रक्रि‍यामे नि‍रन्‍तरता बनौने रहल जइमे कबि‍लपुरक मि‍थि‍ला रि‍सर्च सोसाइटीक तत्‍वावधानमे सत्रह गोट पोथी आ एकटा सी.डी.क लोकार्पण कीर्तिमान स्‍थापि‍त करबा योग्‍य ऐति‍हासि‍क प्रकृति‍क रहल। ऐ अवसरपर लोकार्पित पोथीमे श्रीमती प्रीति‍ ठाकुरक- दू गोट चि‍त्रकथा संग्रह, श्री जगदीश प्रसाद मण्‍डल'क दूटा उपन्‍यास (जि‍नगीक जीत आ उत्‍थान-पतन) आ एकटा कथा संग्रह गामक जि‍नगी, श्री गजेन्‍द्र ठाकुर कृत मि‍थि‍लाक पंजी प्रबंध (तारपत्र आदि‍क डि‍जि‍टल इमेजि‍ंग, डी.भी.डी), डॉ. प्रेमशंकर सि‍ंह'क मैथि‍ली भाषा साहि‍त्‍य: बीसम शताब्‍दी (अलोचनात्‍मक नि‍बंध संग्रह) डा. वीणा ठाकुरक भारती उपन्‍यास, डॉ. मुरलीधर झाक पि‍लपि‍लहा गाछ बालकथा संग्रह, डॉ. धीरेन्‍द्रनाथ मि‍श्रक समाचार कथा कथा संग्रह, डॉ. अमरनाथ चौधरीक हमरो लेने चलू, कथा संग्रह, डॉ. योगानन्‍दझाक कथा-लोककथा कथा संग्रह आदि‍ उल्‍लेखनीय अछि‍। तहि‍ना बेरमाक 71म सगर राति‍ दीप जरय'क आयोजनक अवसरपर छह गोट पोथी आ दू गोट सी.डी-डी.भी.डी.क लोकार्पण भेल। जइमे श्री जगदीश प्रसाद मंडलक तीन गोट पोथी- जीवन-मरण आ जीवन संघर्ष उपन्‍यास, बाल-कि‍शोर प्रेरक कथा संग्रह तरेगन, कमलकान्‍त झा अलका, डाॅ. तारानन्‍द वि‍योगीक, प्रलय रहस्‍य (कवि‍ता संग्रह), श्रीपति‍ सि‍ंह नि‍बंध-तरंग (नि‍बंध संग्रह)क लोकार्पण भेल।
स्‍वतंत्रो रूपेँ पोथीक लोकार्पण बरसात होइत रहल जइमे पं. श्रीचन्‍द्रनाथमि‍श्र अमर'क अतीत मन्‍थन ओ पं. श्रीगोवि‍न्‍द्रझाक जनम अवधि‍ हम आत्‍मसंस्‍मरण, डॉ. नीता झाक देश-काल कथा संग्रह, डॉ. महेन्‍द्र नारायण रामक लोकदर्शन आलोचना, स्‍व. गोवि‍न्‍द चौधरीक गोवि‍न्‍द रचनावली (रचना-संचय), प्रो. उमानाथझाक मैथि‍ली नवीन साहि‍त्‍य संग्रह, श्रीप्रदीप मैथि‍लीपुत्रक श्रीसीतावतरण महाकाव्‍य प्रबन्‍धक द्वि‍तीय संस्‍करण, श्रीमकलाकान्‍त झाक फोँका कवि‍ता संग्रह, डाॅ. सुरेन्‍द्र कुमार सुमनक राधाकृष्‍ण चौधरीक व्‍यक्‍ति‍त्‍व ओ कृति‍त्‍व शोध-ग्रंथ, प्रो. राजाराम प्रसादक मैथि‍ली लोकनाट्य शोधग्रंथ, डॉ. देवकान्‍त मि‍श्रक बेनीपुर अनुमंडलमे मैथि‍ली शोधग्रंथ आिदक संगहि‍ अनेकानेक लेखकलोकनि‍क पोथि‍क आयोजनपरक लोकार्पण होइत रहल। हरि‍मोहन झाक सरणि‍पर गप्‍प श्रेणीक वस्‍तुि‍नर्माण कऽ डाॅ. राम कि‍शोर झा 'वि‍भाकर' एही वर्ष मनीषा मामाक मीमांसा नामक ग्रन्‍थ प्रकाशि‍त करौलनि‍।
नेपालमे श्रीराम भरेस कापड़ि‍ 'भ्रमर' द्वारा सम्‍पादि‍त मैथि‍ली नाटक संग्रह ओ स्‍वरचि‍त नओ गोट एकांकीक संग्रह भैया अएलै अपन सोराज मैथि‍ली नाट्यवि‍धाकेँ युगानुकूल प्रस्‍तुति‍क दृष्‍टि‍ऍं महत्‍वपूर्ण सावि‍त भेल।
सामान्‍य अनुवाद प्रणालीसँ हटि‍ कऽ बि‍ना कोनो अनुबन्‍धक अनुवादकारि‍ताक दृष्‍टि‍ऍं ऐ वर्षक उपलब्‍धि‍मे रेमि‍का थापा कृत कवि‍ता संग्रह देश र अन्‍य कवि‍ताहरूक मैथि‍ली अनुवाद देश आ अन्‍य कवि‍ता सभ दृष्‍टि‍पथपर आबि‍ सकल अछि‍ जे श्रीमती मेनका मल्‍लि‍कक कृति‍ थि‍क आ स्‍वतंत्र रूपेँ अनुवादकारि‍ताक महत्‍वपूर्ण दि‍शाबोधक अछि‍।
मैथि‍ली लेखन-प्रकाशनकेँ सम्‍वर्द्धित करबामे श्री गजेन्‍द्र ठाकुर प्रयोजि‍त ई-प्रत्रि‍का वि‍देह अन्‍यतम मानल जाए लागल अछि‍, जकर सदेह (हार्ड काँपी) अंक दू, तीन आ चारि‍ पत्रि‍काक चयनि‍त रचना सभसँ कथा, कवि‍ता आ प्रबन्‍ध-समालोचनाकेँ पुस्‍तकाकार प्रकाशि‍त कऽ ऐ वर्षक प्रारंभमे अपन सामार्थ्‍यक परि‍चय दऽ देने छल। महि‍ला सशक्‍ति‍करणक प्रतीक पत्रि‍का जानकी अपन अस्‍ति‍त्‍व अहू वर्ष बनौने रहल। मि‍थि‍ला दर्पण, बम्‍बइ, समय-साल ओ घर-बाहर, पटना तथा पक्षधर, राँची अपन अवधि‍ सोपेक्षाताक ि‍नर्वाह कएने रहल। मि‍थि‍ला दर्पणकेँ श्री हीरेन्‍द्र कुमार झाक ऊर्जाक लाभ भेटलैक।
ऐ‍‍ वर्ष जे सर्वाधि‍क प्रशस्‍त सम्‍मान मैथि‍लीकेँ भेटलैक अछि‍ से थि‍क मैथि‍लीक वरेण्‍य कवि‍ ओ महारथी पं. श्रीचन्‍द्रनाथ मि‍श्र 'अमर'केँ साहि‍त्‍य अकादेमी, नई दि‍ल्‍ली द्वारा फेलोशि‍प प्रदान करब। मैथि‍लीक पालामे ई सम्‍मान पहि‍ले बेर आएल बूझल जएबाक चाही, जइसँ मि‍थि‍ला-मैथि‍ली गौवान्‍वि‍त अनुभव कएलक। श्री अमरकेँ भेटल ई सम्‍मान हुनका हि‍न्‍दीक केदारनाथ सि‍ंह आ अंग्रेजीक खुशवंत सि‍ंहक संगे प्रदान कएल गेलनि‍ अि‍छ जइसँ मैथि‍लीकेँ राष्‍ट्रीय क्षि‍ति‍जपर आत्‍मतोषात्‍मक अनुभूति‍ भेलैक। ओना ऐसँ पूर्व हि‍न्‍दी-मैथि‍लीक जनकवि‍ नागार्जुन-यात्रीकेँ 1955मे ई सम्‍मान भेटल छलनि‍ मुदा सुच्‍चा मैथि‍ली लेखक ओ सेवककेँ प्राप्‍त ऐ बेरूक उपलब्‍धि‍ मैथि‍ली प्रेमीलोकनि‍ द्वारा मानल गेल।
ऐ वर्ष मैथि‍ली-संस्‍कृति‍क वि‍द्वान ओ हि‍न्‍दी-मैथि‍लीक बहुआयामी लेखक डाॅ. तारानन्‍द वि‍योगीकेँ साहि‍त्‍य अकादेमी द्वारा बाल साहि‍त्‍य 'ई भेटल तँ की भेटल' पर पुरस्‍कृत कएल गेलनि‍। जइसँ अभि‍नव प्रकृति‍ ओ अनुसन्‍धानात्‍मक बाल साहि‍त्‍य लेखन दि‍स मैथि‍ली साहि‍त्‍यकारलोकनि‍ प्रेरि‍त भेलाह अछि‍ आ युवा लेखन नव उत्‍साहक संचारसँ उत्‍फुलल अछि‍। हि‍नक प्रलय-रहस्‍य कवि‍ता संग्रह एही वर्ष प्रकाशि‍त भेलनि‍। साहि‍त्‍य अकादेमी द्वारा फूलचन्‍द्र मि‍श्र 'रमण' कृत मैथि‍ली वि‍नि‍बन्‍ध बुद्धि‍धारी सि‍ंह 'रमाकर' एही वर्ष प्रकाशमे आबि‍ सहल। डाॅ. रमानन्‍द झा रमण खोजी पत्रकार जकाँ जर्मन पत्रि‍कासँ ग्रि‍यसर्न संकलि‍त गीत दीनाभद्रीक ओ गीत नेवारककेँ ताकि‍-हेरि‍ उद्धार कऽ पं. गोवि‍न्‍दझाक सानुवाद प्रकाशि‍त करौलनि‍।
उक्‍त अकादेमी द्वारा तंत्रनाथ झा ओ सुभद्रझाक जन्‍मशताब्‍दी सरि‍सवमे इशनाथ झा, लक्ष्‍मीपति‍ सि‍ंह ओ भुवनेश्‍वर सि‍ंह भुवनक जन्‍म शताब्‍दी मधुबनीमे तथा यात्री ओ आरसी प्रसाद सि‍ंहक जन्‍म शताब्‍दीक अवसरपर राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठीक आयोजन क्रमश: पटनाक चेतना समि‍ति‍ ओ मुजफ्फरपुरक स्‍नातकोत्तर मैथि‍ली वि‍भागक तत्‍वाधानमे सम्‍पन्न भेल। एही क्रममे प्रगति‍शी लेखक संघ द्वारा नागार्जुन-यात्रीक जन्‍मशती समारोह उल्‍लेखनीय अछि‍। अकादेमीक वर्तमान मैथि‍ली प्रति‍नि‍धि‍ डॉ. वि‍द्यानाथ झा 'वि‍दि‍त' एही अवधि‍मे अपन औपन्‍यासि‍क कृति‍ सभ करपुरि‍या, अनामि‍काक चि‍ट्ठी, मात्र तीन घंटाक समय आदि‍क नि‍रन्‍तरता ओ वि‍पुलता-बहुसंख्‍यकताक कारणे प्रति‍ष्‍ठापि‍त भेलाह अछि‍। पूर्वमे पं. श्री गोवि‍न्‍दझा, पं. श्रीचन्‍द्रनाथ मि‍श्र 'अमर' श्री मायानन्‍द मि‍श्र, डॉ. रामदेव झा एवं मार्कण्‍डेय प्रवासीकेँ प्रदत्त 'ऑथर ऐट रेसि‍डेन्‍स' सुनबामे आएल जे एही वर्ष डॉ. सुरेश्वर झाकेँ भेटलनि‍ अछि‍। तुषारपात ई जे मार्कण्‍डेय प्रवासी सदृश मनीषी कवि‍, राष्‍ट्रीयता ओ गीतकाव्‍यक प्रति‍ समर्पित व्‍यक्‍ति‍त्‍व एही वर्षकेँ अपन महाप्रयाणक हेतु चुनि‍ मैथि‍लीसँ एक गोट सशक्‍त रचनाकारकेँ छीन‍ लेलखि‍न। डॉ. जयकान्‍त मि‍श्र ओ पं. जयमन्‍त मि‍श्रक नि‍धन सेहो असह्य अशनि‍पात रहल।
ऐ‍‍ वर्षक अन्‍यतम उपलब्‍धि‍ अछि‍ गति‍वि‍धि‍येँ मृतप्राय मैथि‍ली अकादमी, पटनाक पुनर्जागरण। बि‍हार सरकार ऐ संस्‍थाक पुनर्गठन कऽ एकर बहुत दि‍नसँ रि‍क्‍त अध्‍यक्ष पद एक गोट वि‍शि‍ष्‍ट सेवी श्री कमलाकान्‍त झाक सशक्‍त हाथमे प्रदान कएलनि‍ जइसँ मैथि‍ली जगत प्रफुल्‍लि‍त अनुभव कएलक। श्री झाक अबि‍ते मैथि‍ली अकादमी कायाकल्‍पक अनुभव कएलक आ अनेको वर्षसँ दबल-पड़ल आधा दर्जन व्‍याख्‍यानमालाकेँ ओ पटना आ दरभंगामे आयोजि‍त कए, पुस्‍तक प्रदर्शनी लगाए लोककेँ एकबेर फेर अकादमीक सुगबुगाहटि‍सँ परि‍चय करा देलखि‍न। अकादमीक खर्चपर चेतना परि‍सरमे 'पारि‍जातहरण' नाटकक मंचन एकटा अलगे संदेश दऽ सकल। मैथि‍ली साहि‍त्‍यक उत्‍कृष्‍ट सेवाक हेतु वि‍द्वानलोकनि‍केँ सम्‍मानि‍त करबाक परम्‍पराकेँ जगजि‍यार करैत अकादेमी एम.एल.एस.एम. काओलेजक मैथि‍ली, ल.ना.मि‍थि‍ला.वि‍श्ववि‍द्यालयक श्री वि‍भूति‍ आनन्‍दक हाथेँ सम्‍मानि‍त कऽ नूतन अध्‍याय जोड़लक अछि‍। कीर्तिनारायण मि‍श्र पुरस्‍कार ऐबेर महाप्रकाशकेँ प्रदान कएल गेलनि‍ अछि‍।
भारतीय भाषा संस्‍थान, मैसूर सेहो ऐ वर्ष मैथि‍लीक कार्यशालाक आयोजन कऽ मैथि‍ली अनुवादक माध्‍यमे ऐ भाषाकेँ राष्‍ट्रीय-अन्‍तर्राष्‍ट्रीय क्षि‍ति‍जपर प्रक्षेपि‍त करबाक प्रयास कएलक अछि‍। एकरा द्वारा वि‍भि‍न्न पत्रि‍काक पोषण ओ अनेक पोथीक क्रय सेहो मैि‍थली क्षेत्रमे उत्‍साहक कारण बनल रहल अछि‍।
ऐ वर्ष स्‍व. हरि‍वंश 'तरूण', समस्‍तीपुर संस्‍थापि‍त ओ अखि‍ल भारतीय साहि‍त्य-सेवाकेँ समर्पित साहि‍त्‍यक संस्‍था भारतीय साहि‍त्‍यकार संसद जै मैथि‍ली रचनाकार-पत्रकारकेँ सम्‍मानि‍त करबाक ि‍नर्णय लेलक अछि‍ तइमे श्रीवि‍जयनाथ झा, डाॅ. सुरेन्‍द्र कुमार 'सुमन' ओ ि‍वद्यापति‍ टाइम्‍सक सम्‍पादक आ अधि‍ष्‍ठाता श्री वि‍नोद कुमारक नाम उल्‍लेखनीय अछि‍। ज्ञातव्‍य जे श्री वि‍जयनाथ झाकेँ ऐ वर्ष वि‍हार राष्‍ट्रभाषा परि‍षद, पटना सात हजारक लोकभाषा पुरस्‍कारसँ सम्‍मानि‍त कए मैथि‍लीक प्रति‍ अपन आत्‍मीयताक परि‍चय अनेक वर्षोपरान्‍त सम्‍मानि‍त कए मैथि‍लीक प्रति‍ अपन आत्‍मीयताक परि‍चय अनेक वर्षोपरान्‍त प्रस्‍तुत कऽ सकल। वि‍द्यापति‍ सेवा संस्‍थान, दरभंगा ओ चेतना समि‍ति‍, पटना अहू वर्ष परम्‍परि‍ते रूपमे विद्यापति‍ स्‍मृति‍-पर्वक आयोजन कऽ संतुष्‍ट देखल गेल।
ऐ वर्ष श्री सोमदेवक रचनावलीपर डाॅ. सुधाकर चौधरीक 'बहुआयामी जनकवि‍ सोमदेव' समालोचनात्‍मक ग्रन्‍थ प्रकाशि‍त भेल जे जीवि‍त रचनाकारर लि‍खल जाइत वि‍रल पोथीक परम्‍परामे समादृत भेल आ सोमदेवजीकेँ स्‍वस्‍ति‍ फाउण्‍डेशन, सहरसा लाइफ टाइम एचि‍भमेन्‍टक आधारपर प्रबोध साहि‍त्‍य सम्‍मानक रूपमे एक लाख टाकाक पुरस्‍कारसँ सम्‍मानि‍त करबाक हेतु चयनि‍त केलकनि‍ जकर मैथि‍ली साहि‍त्‍य जगतमे स्‍वागत भेल अछि‍। साहि‍त्‍य अकादेमी, नई दि‍ल्‍ली ऐ वर्ष मैथि‍लीक हेतु मौलि‍क पुरस्‍कारक उद्घोषणा तकनीकी व्‍यवधानक कारणे नै कऽ सकल छल जे आब डॉ. श्रीमती उषा कि‍रण खानकेँ हुनक पोथी भामती नामक उपन्‍यासपर प्राप्‍त होएबाक सूचना अछि‍।
मैथि‍लीक गति‍वि‍धि‍क दृष्‍टि‍ऍं ऐ वर्ष दि‍सम्‍बर बाइस-तेइसकेँ श्री रामभरोस कापड़ि‍ 'भ्रमर'क संयोजकत्‍वमे काठमांडूमे आयोजि‍त अन्‍तर्राष्‍ट्रीय मैथि‍ली सम्‍मेलन सेहो ऐति‍हासि‍क प्रकृति‍क कहल जा रहल अछि‍ जइमे नेपालक सम्‍पूर्ण सत्ता एतए धरि‍ जे राष्‍ट्रपति‍, उपराष्‍ट्रपति‍ सेहो समुपस्‍थि‍त भऽ मैथि‍लीक उत्‍थान-मार्गकेँ प्रशस्‍त करबाक आश्‍वासन देलनि‍। ऐ सम्‍मेलनमे भारतीय साहि‍त्‍यकार-कलाकारलोकनि‍क सेहो पर्याप्‍त सहभागि‍ता रहल जइमे सर्वश्री वैद्यनाथ चौधरी 'बैजू' चन्‍द्रेश, कमलकान्‍त, फुलचन्‍द्र झा 'प्रवीण' नलि‍नी चौधरी, कुंजबि‍हारी ि‍मश्र, रंजना झा, जय प्रकाश चौधरी 'जनक' उषा पासवान आदि‍क नाओं उल्‍लेखनीय अछि‍। नेपाल मैथि‍लीक ति‍रहुता लि‍पि‍केँ यूनीकोडमे समाहि‍त करेबाक हेतु दत्तचि‍त अछि‍, से अलगे प्रसन्नताक वि‍षय थि‍क।
तथापि‍, भारतीय संवि‍धान, बि‍हार लोक सेवा आयोग, भारतीय संघ लोकसेवा आयोग सदृश संस्‍थामे मान्‍यताप्राप्‍त मैथि‍ली आइयो प्राथमि‍क शि‍क्षामे उपेक्षि‍त अपन आयामक मौलि‍कता ओ व्‍यापकताक बाट ताकि‍ये रहल छथि‍। तँए ने मैथि‍ली-मनीषी पं. श्री अमरजीकेँ लि‍खए पड़ि‍ रहलनि‍ अछि‍-

फुनगीये दि‍स ताकि‍ रहल छथि‍
मैथि‍लीक सभ प्रेमी।
घरमे डि‍बि‍या मि‍झा रहल अछि‍
के उकसाओत टेमी?।(साभार विदेह www.videha.co.in)

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