Thursday, November 10, 2011

वि‍द्यापति‍क पुण्य ति‍थि‍क अवसरपर परि‍चर्चा सम्पन्न भेल-


मि‍थि‍लांचल वि‍कास परि‍षद, लहेरि‍यासराय आ मि‍थि‍ला संघर्ष समि‍ति‍ दरभंगाक संयुक्‍त तत्‍वावधानमे दि‍नांक 8 नभम्‍बर 2011 तदनुसार मंगल दि‍न बेरूपहर दू बजेसँ परि‍चर्चाक आयोजन कएल गेल छल। परि‍चर्चाक वि‍षए रहए- मैथि‍ली भाषाक दशा ओ दि‍शा
सीतायन, दरभंगामे आयोजि‍त परि‍चर्चामे वक्‍ता लोकनि‍ महत्‍वपूर्ण वि‍चार रखलनि‍।
मुख्‍य वक्‍ता डॉ. भीमनाथ झा कहलनि‍, कवि‍ कोकि‍ल वि‍द्यापति‍ अपन मातृभाषाक वि‍षएमे काव्‍यभि‍व्‍यक्‍ति‍क क्रममे कहने छथि‍- बालचंद वि‍ज्‍जावई भाषा दुई नऽ लग्‍गई, दुज्‍ज्‍न हासा..। इत्‍यादि‍ कहैत वि‍द्यापति‍क भाषानुरागक वि‍स्‍तृत व्‍याख्‍या  केलनि‍।
परि‍चर्चाक अध्‍यक्ष श्री जगदीश प्रसाद मण्‍डल कहलनि‍- मि‍थि‍ला आ मैथि‍ली भाषाकेँ हमसभ कुचलल आ कमजोर कि‍अए बुझै छी। यूरोपक दर्जनो प्रमुख देश आ ओकर भाषा एहेन अछि‍ जे दुनि‍याँक बीच अपन पहि‍चान बनौने अछि, जहन की‍ ओकर जनसंख्‍या आ क्षेत्रफल हमरा सभसँ माने मि‍थि‍लांचलसँ बहुत कम अछि‍?  
अपना ऐठाम तँ क्षेत्रे आ जनसंख्‍येक पाछू तेहन वैचारि‍क ओझरी लागल अछि‍ जे सभ रस्‍ते-पेरे बौआइ छी। जमीनी भाषा मैथि‍ली छी, जते दूरमे मैथि‍ली बाजल जाइए ओ मि‍थि‍ला भेल। जहि‍ना आनो-आनो क्षेत्रमे मातृभाषाक अति‍रि‍क्‍तो भाषा बजलो जाइए आ पढ़ौलो-लि‍खौल जाइए, तहि‍ना अहूठाम अछि‍। तहूमे हि‍न्‍दी तँ राष्‍ट्रभाषे छी।
जहाँ धरि‍ साहि‍त्‍यि‍क मानक भाषाक प्रश्न अछि‍ ओ तँ कतौ ने अछि‍। दुनि‍याँक बीचमे अंग्रेजी साहि‍त्‍य सभसँ समृद्ध बुझल जाइत अछि‍, जखन कि‍ दू देशक कोन बात जे एको देशक भाषा साहि‍त्‍यमे एकरूपता नहि‍ अछि‍।
मि‍थि‍लाराज हेतु जे दशा-दि‍शा अछि‍ तै संबंधमे एकटा कथा कहै छी- द्वापर युगक संध्‍याबेला। अर्जुनक मनमे त्रेता युगक समुद्रमे पुल बनबैक वि‍चार उठलनि‍। लंका जेबाकाल समुद्रमे एक-एक पाथर जोड़ि‍ पुल कि‍अए बनौल गेल? ओ तँ एक तीरोमे बनि‍ सकैत छल? पम्‍पापुरमे हनुमान तपस्‍या कऽ रहल छथि‍ हुनके मुँहेँ सुनब बेसी नीक हएत। पम्‍पापुर पहुँच अर्जुन प्रश्न केलखि‍न। मुस्‍कुराइत हनुमानजी उत्तर देलखि‍न जे पुल बनि‍ सकैए, मुदा जते मजगूत एक-एक पाथर जोड़लासँ बनत ओते तीरसँ नै बनि‍ सकैए।
जइठाम बाहरसँ आन-आन भाषाक तेजीसँ आयात भऽ रहल अछि‍, गाम-गाममे अंग्रेजी माध्‍यमक स्‍कूल चलि‍ रहल अछि‍, अपन शि‍क्षा पद्धति‍केँ ि‍नर्मूल उखाड़ैक योजना बनि‍ रहल अछि‍, तइठाम मि‍थि‍लाराज आ मि‍थि‍ला दर्शनक सपना कते सार्थक अछि‍?” इत्‍यादि,‍ अपन वि‍चार व्‍यक्‍त केलनि‍।
मि‍. वि‍. प.क अध्‍यक्ष डॉ. वि‍द्यानाथ झा, श्री बुद्धिनाथ झा, श्री फूलेन्‍द्र झा, श्री कि‍शोरी कांत मि‍श्र, डॉ. श्रवण कुमार चौधरी, श्री प्रभाष सहनी, श्री शि‍लानाथ मि‍श्र आदि‍ वक्‍ता, मैथि‍ली भाषाक उत्तरोत्तर वि‍कास यात्रापर प्रकाश देलनि‍।
परि‍चर्चाक संचालन मि‍थि‍ला संघर्ष समि‍ति‍क अध्‍यक्ष- श्री कमलेश झा केलनि‍।

No comments:

Post a Comment