Sunday, December 11, 2011

७५म सगर राति दीप जरए/ १६म विदेह मैथिली पोथी प्रदर्शनी आ मुन्नाजीक "मैथिली विहनि कथा पोस्टर प्रदर्शनी" पटनामे सम्पन्न- ७६म सगर राति दीप जरए श्री देवशंकर नवीनक संयोजकत्वमे दिल्लीमे हएत

-७५म सगर राति दीप जरए श्री अशोक आ श्री कमल मोहन चुन्नू जीक संयोजकत्वमे पटनामे सम्पन्न भेल।
-१६म विदेह मैथिली पोथी प्रदर्शनी आ मुन्नाजीक "मैथिली विहनि कथा पोस्टर प्रदर्शनी" सेहो सम्पन्न भेल।
-स्थान छल- कॉपेरेटिव हॉल, पटना म्यूजियमक लग, पटना,
-कार्यक्रम आइ ११ दिसम्बर २०११क भोर आठ बजे धरि चलल।
-कार्यक्रमक उद्घाटन काल्हि १० दिसम्बर २०११क साँझ ६ बजे भाइ साहेब श्री राजमोहन झा द्वारा भेल छल।
-ऐ बेरुका कार्यक्रमक विशेषता रहल जे सभकेँ कथा पाठक अवसर भेटल, पहिने किछु गोटे भोर ६ बजे धरि छुटि जाइ छलाह। ऐ बेर कार्यक्रम ८ बजे धरि चलल आ सभक कथा-पाठ सम्पन्न भेल।
-कार्यक्रममे एकटा झुझुआन गप रहल गोट दसेक लघुकथाक एके बेर वाचन आ ओइपर एकट्ठे गोलमोल समीक्षा।
-सगर राति दीप जरए केर ऐ प्लैटिनम जयन्तीक अवसरपर श्री बेचन ठाकुरक दूटा नाटक "बेटीक अपमान आ छीनरदेवी", श्री अनमोल झाक विहनि कथा-संग्रह "समय साक्षी थिक" आ श्री आशीष अनचिन्हारक गजल/कता/ रुबाइ संग्रह "अनचिन्हार आखर" समेत करीब एक दर्जन मैथिली पोथीक लोकार्पण सेहो भेल।
-७६म सगर राति दीप जरए कार्यक्रम बोकारोमे करेबा लेल अर्द्धनारीश्वर पुनः पटनामे डाला पसारलन्हि, ७५म सगर राति दीप जरए कार्यक्रम बोकारोमे करेबा लेल अर्द्धनारीश्वर पहिनहियो हजारीबागमे डाला पसारने रहथि। मुदा हुनका तखनो निराशा हाथ लागल रहन्हि आ अखनो निराशा हाथ लगलन्हि। ओ कहैत सुनल गेलाह- "अर्जी ककरो, मर्जी ककरो"। हजारीबागमे हुनका कहल गेल छलन्हि जे राजमोहन झा, गोविन्द झा वृद्ध भऽ गेल छथि से प्लैटिनम आयोजन पटनामे हेबासँ हुनका सभकेँ सुविधा हेतन्हि, मुदा ऐ प्लैटिनम आयोजनक पं. गोविन्द झाकेँ कोनो तरहक मौखिक वा लिखित सूचना नै देल गेलन्हि, बजेनाइ तँ दूरक गप अछि।।
-७६म सगर राति दीप जरए श्री देवशंकर नवीनक संयोजकत्वमे दिल्लीमे तीन मास बाद हएत। श्री देवशंकर नवीन हर्षोल्लासक संग कहलन्हि जे ओ एतएसँ प्राप्त सूचीपर सभकेँ लिखित रूपमे आमंत्रण पठेताह आ आशा करताह जे आमंत्रित कथाकार/ समीक्षक/ श्रोता लिखित रूपमे आमंत्रण स्वीकृति पठाबथि जइसँ हुनका आयोजन करबामे सुविधा होइन्ह। अखनसँ पहिने सगर राति दीप जरएमे आमंत्रण मात्र द्वारा प्रवेशक परम्परा नै छलै, जे आब करबाक प्रयास कएल जा रहल अछि आ तकर विरोध हेबाक चाही। हजारीबागमे ७४म सगर राति दीप जरएमे हिन्दीक पोथीक लोकार्पण भेल रहए, ओहो एकटा गलत परम्पराक प्रारम्भ छल आ तकरो विरोध हेबाक चाही।

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