Sunday, July 22, 2012

मैथिली लोक संस्कृति संगोष्ठी अन्तरगत लोकनायक सलहेसःचर्चा–परिचर्चा कार्यक्रम सम्पन्न (रिपोर्ट राम भरोस कापडि भ्रमर )



मंत्री यादव

राजा सलहेस महिसौथा


मिथिलाञ्चल नेपालक होइक वा भारतीय क्षेत्रक जं एक गोट लोकगाथाक महानायक ककरोे जीवन चरित्र बेसी लोकमुखी, जनजनबीच चर्चित, लोकप्रिय छैक त ओ थिके लोकनायक सलहेसक । सिराहा जिल्ला अन्तर्गत महिसौथामे जन्मल सलहेसक जीवन काफी आरोह–अवरोहसं भरल छैक । विभिन्न लोकगाथा गायकसभ कथानकक विभिन्न भेदके जनसमक्ष लाओल करैत अछि । तन्त्र मन्त्र आ सिद्धिक कथासभ एहिमो भरपूर देखल जाइछ । सुगा सलहेसक गुप्तचर होइछ जे मन्त्रीक रूपमे सेहो प्रतिष्ठित छैक । हाथीक नाउँ भौरानन्द राखल गेल छैक त स्वयं सलहेसके मानिक दहसं भँमरा बनाकए मालिनीसभ चोरा क ल जाइछ । सम्भवतः एहन प्रसङ्गसभ गाथा गायकसभक मुहसं थपैत आएल भ सकैछ । मुदा एकटा बातमे सब एकमत होइछ जे सलहेसक जन्म महिसौथा, राजा कुलेश्वरक दरबारमे पहरेदारी, चोरीक आरोप, जेलचलान आ अन्तमे मालिनीद्वारा मुक्ति ... ।
ओ देवताक रूपमे दुसाध जातिमे पूजित छथि । दलित उत्थानक निमित्त सयौं वर्षपूर्व सामन्तसँ (चुहड सामन्त !) लडि क अपने छुट्टे राज्यक स्थापना आ न्यायक लेल लोकप्रियताक चरममे पहुंचैत ‘देवता’क आस्पद प्राप्त क पूजित हएब स्वयं जयबद्र्धन सलहेसक जीवन गाथाक अत्यन्त रोचक पक्ष थिक । सलहेसगाथामे एक दिश प्रेम छैक त दोसर दिश तत्कालीन मिथिलाक्षेत्रमे उत्तरी आक्रमणकारीसभसं एकर रक्षाक चुनौती सेहो छैक । सामन्तसभसं समाजके जोगएबाक गहन जिम्मेबारी थिक त परनिर्भरतासं मुक्त भ अपन सैन्यशक्तिक विकास क अपन सत्ताक स्थापनाक गहन लक्ष्य सेहो । अदभूत पराक्रमी छलाह सलहेस । सब चुनौतीसभके सामना करैत अन्ततः अपन अभियानमे सफल भर महिसौथाके राजधानी बनौलनि ।
नेपाली भूमिक यी वीर लोकनायक, मुदा आइधरि शिष्ट साहित्यक संरक्षकसभद्वारा उपेक्षित रहैत आएल अछ् ि। किए एना भेल त , तकर एक्केटा कारण देखि पडैछ ,दुसाधसभक कुलदेवता प्रति किए अनावश्यक उत्सुकता ! अन्य जाति वा वर्गमे अस्तित्वे नहि रहल कविलोकनि, साहित्यकारसभक जथाभावी रचनासभ उत्खनन क क नयाँ–नयाँ इतिहास रचनिहारसभ सिराहा जिल्लाक चौहद्दीमे अजन सौर्यपूर्ण जीवन बितौनिहार महानायक सलहेस जानाजानी उपेक्षित कएल गेलाह आ परिणमतः आइ हुनका बारेमे लोककण्ठमे बाचल अबैत गाथासभ आ तकरा मञ्चमे प्रदर्शित करबला नाचसभ विलुप्त भ रहलैक अछि ।
इएह कठिन अवस्थाके ध्यानमे राखि सलहेसक जीवनवृत्तमे केन्द्रित भए एकटा बृहत् गोष्ठी करबाक विचार आइसं तेरह्र महिना पहिने आएल आ नेपाल प्रज्ञा–प्रतिष्ठानक संस्कृति विभाग अन्तर्गत एकरा सामेल कएल गेल ।
हम एकर कार्ययोजना बनबैत काल भारतीय मर्मज्ञ विद्वान्सभके एउटा पैनल बनौलहँुँ, जे सभ सलहेसक सन्दर्भमे निरन्तर लिखैत आबि रहल छथि । नेपालक किछु विद्वानसभकें सेहो आग्रह कएल । अन्ततः नेपाल आ भारतसं चारि चारि गोट कार्यपत्र तय भेल आ पत्राचार÷सम्पर्क कएल गेल । एकर कार्यक्रम स्थल लहान (सिराहा) राखल गेल, जत्तसं सलहेसक क्रिडाभूमिसभ लगेमे अवस्थित छैक । समय २०६९ साल बैशाख २० आ २१ गते राखल गेल । सब तैयारीपूर्ण भ गेलाक बाद बैशाख १८ गते जनकपुरमे दुखद घटना भेल, बम बिस्फोटमे तत्काल चारगोटेक आ बादमे एक गोटेक मिला पाँच गोटेक मृत्यु भ गेल । सबदिश शोकक लहरि, आक्रोश देखल गेल । बन्द, हडताल सुरू भेल । परिणामतः कार्यक्रम अन्तिम क्षणमे स्थगित कर पडलैक ।
फेर दोसर तिथि २०६९ साल असार ४, ५ गते राखल गेल । देहकें डाहैत गर्मीमे भारतीय एक दर्जन विद्वत् वर्ग आ नेपालक तर्पmसं सेहो एक दर्जन विद्वत् वर्गसभक समुपस्थितिमे उक्त गोष्ठी लहानमे दश बुँदे लहान घोषणापत्र जारी करैत सम्पन्न भेल अछि । एहिगोष्ठीमे अपन आर्थिक सहयोग द्वारा वी.पी. कोइराला भारत–नेपाल प्रतिष्ठान पैघ काज कएलक जकर प्रशंशा समस्त उपस्थित सहभागी लोकनि कएलनि ।
अखाढ ४ गते सूचना तथा सञ्चार मन्त्री राजकिशोर यादव उद्घाटन कएलनि । हुनक हाथसं नेपाल प्रज्ञा–प्रतिष्ठान द्वारा प्रकाशित “आँगन” पत्रिकाक चारिम अंक सलहेस विशेषक आ रामभरोस कापडि ‘भ्रमर’क नवीनतम कृति ‘समय–सन्दर्भ’क विमोचन कएलनि । तहिना सलहेस लोकनाचकें मञ्चीय रूपमे जिवन्त राखमे सिराहाक शैनी पासवास आ सलहेस गायनकें अपन कण्ठमे बचा क रखनिहार मधुरी दासकें दोसल्ला आ प्रशंसा–पत्र पदान क सम्मान कएल गेल छल । कार्यक्रममे सभापतित्व करैत संयोजक ‘भ्रमर’ विषय–प्रवेशक क्रममे लोकनायक सलहेसक चित्र अंकित टिकट प्रकाशन करबाक आ चोहरबा चौकमे चूहड मलक प्रतिमा स्थापनाक माग कएलनि, जकरा मन्त्री यादव सहर्ष स्वीकार करैत नेपाल सरकारसं होबबला सम्पूर्ण सहयोग उपलब्ध करएबाक विश्वास सेहो दिऔलनि ।
कार्यक्रममे कार्यपत्र आ टिप्पणीसब अतिरिक्त संयोजक ‘भ्रमर’द्वारा विद्वत्सभक बीच चारिबुँदे अवधारणापत्र प्रस्तुत कएल गेल छल, जाहिमे व्यापक छलफल आ निष्कर्षक लेल चारिगोट समूह बनाओल गेल । जे ५ गते स्थलगत स्थलसभक भ्रमण क समापन बैठकमे विभिन्न सुझावसभकसंग प्रस्तुत कएने छल । स्थलगत भ्रमणमे सलहेस पूmलबारीक विचित्र रचना प्रक्रियासं अवगत भेलाह त सलहेस गाथामे निके महत्वक साथ आएल कमल दहमे कमल लोप भ क सेहो पर्यटकीय आकर्षण यथावत रहेल बात सब विद्वान्सभ महसुस कएने छलाह ।
गोष्ठी कम कार्यशाला गोष्ठीमे अन्तमे दश बुँदे लहान घोषणा–पत्र जारी कएल गेल छल । घोषणापत्रमे जिल्ला अथवा अन्य भागमे रहल सलहेस मन्दिर (गहबर) सलहेस फुलबारी, मानिक दह, पकडिया गढ, कमल दह, उत्तरवाहिनी, कमला आ नन्द महिरी सन स्थलसभक संरक्षण, सम्बद्र्धन करब जरुरी अछि । सलहेस गाथामे वर्णित स्थलसभ नेपालेमे अवस्थित भेल हएबाक कारणे एकर संरक्षण–सम्बद्र्धनक दायित्व सरकारक अछि । एहना स्थलसभक विकासक पहल हएबाक चाही ! स्थलसभक उत्खनन हएबाक चाही । सलहेस पूmलबारीके विश्वसम्पदा सूचीमे सूचीकृत कएल जाए्, एकरा सिमसार क्षेत्रक रूपमे मान्यता देल जाए सन सन् मांग कएअ गेल अछि ।
अन्य मागमे सलहेस प्रतिष्ठानक गठन हाए, सलहेस अंकित डाक टिकटक प्रकाशन होए्, सलहेस गाथासँग जोडल ठामसभकें सम्पर्क मार्ग बनाओल जाए्, सलहेस पूmलबारी निकट राजमार्गमे सलहेसक मूर्ति आ भव्यद्वारक निर्माण होए्, सलहेसकें राष्ट्रिय विभूति घोषित कएल जाए आ संग्रहालयक स्थापना हाए ।
सलहेस सम्बन्धी एना कय वैज्ञानिक ढंगसं गोष्ठीक आयोजन प्रथम सुरुवात भेल हएबाक बात बथबैत उपस्थित नेपाल–भारतक विद्वतजनसभ अनुसन्धानक अभाव रहलाक कारणें एकरा निरन्तरता देल जएबाक चाहीे ।
दूदिना गोष्ठीमे भारतसं डा. रमानन्द झा ‘रमण’, डा. वुचरु पासवान, डा. कमलकान्त झा, डा. भुवनेश्वर गुरमैता, चन्द्रेश, डा. मोहित ठाकुर, पंचानन मिश्र आदि छलाह त नेपालक दिशसं डा. रामदयाल राकेश, पुरातत्वविद् तारानन्द मिश्र, प्राज्ञ रमेशरञ्जन झा, पूर्व सांसद नथुनी सिंह दनुवार, डा. पशुपतिनाथ झा, प्रा. परमेश्वर कापडि, डा. रेवतीरमण लाल,गोपाल झा आदि विद्वानसभक सहभागिता छल ।

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