Saturday, November 10, 2012

मैथिलीकेँ संस्थागत विकासपर जोड़ देबहे पड़त (रिपोर्ट सुजीत कुमार झा)



मैथिली साहित्यकार सभाद्वारा आयोजित एक कार्यक्रममे विद्वान वक्तासभ मैथिलीक संस्थागत विकासपर जोड़ देलन्हि अछि ।
ई बात कतेको गोष्ठीसभमे उठैत रहैत अछि । मुदा उठए बाहेक खासे आगा नहि बढि रहल अछि । संस्थागत विकास कहएकेँ पाछु मैथिलीक लेल ठोस काज करब रहल अछि । नेपालेकेँ प्रसंगमे राखल जाए तऽ कोनो ठोस काज नहि भऽ रहल अछि । सरकार प्राथमिक विद्यालयमे मातृ भाषामे शिक्षा देबएकेँ निर्णय कएने अछि । मुदा मिथिलाञ्चलक एको दर्जन विद्यालयमे मातृ भाषा मैथिलीमे पढाई नहि भऽ रहल अछि । 
मैथिली बाजए बलाकेँ संख्याक कमी नहि अछि, मुदा मैथिलीमे एक्कोटा व्रोडसीड अखवार नहि अछि । मैथिली भाषामे टेलिभिजन नहि अछि । सौभाग्य मिथिला कहए लेल मैथिलीक टेलिभिजन अछि, मुदा अधिकांश समय इम्हरे उम्हरकेँ कार्यक्रममे लागल रहैत अछि ।
कोनो बडका पुस्तक प्रकाशन संस्था नहि अछि । लेखक अपने छपबैत अछि आ अपने बेचैत अछि । नियमित कतहुँ नाटक नहि होइत अछि । मैथिलीक विकासक लेल स्थापना कएल गेल संघ संस्थासभकेँ स्थिति देखला सँ टिमटिमाइत दीप जेकाँ अछि । अर्थात आत्म निर्भर होबएकेँ लेल कोनो योजना नहि अछि । जे किछु भऽ रहल अछि ओ भगवाने भरोषे । मैथिलीक स्वर्णिम इतिहासकेँ चर्चा कऽ कऽ कतेक दिन लोककेँ ठगब । संस्थागत विकासक लेल एक बेर सोचहे पड़त । एहि सँ मैथिलीकेँ समग्र विकास हएत । एहि समग्र विकासक लेल सभकेँ सह देबहे पड़त ।
मैथिलसभ लग सभ चीज अछि, मुदा मिलि कऽ कोना आगा बढाओल जाए से कला नहि भेलाक कारण मैथिल सेहो पछुँआएल अछि आ मिथिला आ मैथिली सेहो । एकर अभियान कतहुँ नहि कतहुँ शुरु करहे पड़त ।

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