Saturday, December 1, 2012

मिथिला आ मैथिली बॅटबाक भऽ रहल साजिश- (रिपोर्ट नवेंदु कुमार झा)

 मिथिलांचलक मातृभाषा मैथिलीक प्रति मैथिलीभाषी सभक उदास रवैयाक कारण आब ऐ भाषा पर संकटक मेघ उभरि रहल अछि। संविधानक अष्टम् अनुसूची मे सम्मिलित प्रदेशक एकमात्र ऐ भाषा केँ कमजोर करबाक साजिश राजनेता आ किछु साहित्यिक विद्वान कऽ रहल छथि। एक दिस बज्जिका तऽ दोसर दिस अंगिकाक नाम पर ऐ भाषा भाषी केँ तोड़बाक साजिश भऽ रहल अछि तँ दोसर दिस सीमांचल आ सुरजापुरी आदिक नारा दऽ मिथिलांचल केँ तोड़बाक प्रयास भऽ रहल अछि। बज्जिका आ अंगिका केँ मैथिलीभाषी स्वीकार कएने छथि मुदा किछु लोक अपन राजनीति आ विद्यता केँ स्थापित करबाक लेल अपन मातृभाषा मैथिलीक विरोध मे ठाढ़ भऽ मिथिला आ मैथिली विरोधक काज आसान कऽ रहल छथि। किछु दिन पहिने मुजफ्फरपुर आ वैशालीक क्षेत्र मे बज्जिकांचल आ बज्जिका भाषाक लऽ कऽ आंदोलन चलल छल जे एखन शांत पड़ल अछि तऽ एखन भागलपुरक क्षेत्रमे अंगिकाक नाम पर आंदोलन चलि रहल अछि। अंगिकाकँे संवैधानिक मान्यताक लऽ कऽ पटनामे सेहो आंदोलनक योजना अछि।

दरअसल जहिना भारत केँ अपन देशक लोकसॅ खतरा अछि तहिना मिथिला आ मैथिलीकेँ अपन लोकसॅ खतरा अछि। वर्तमानमे अंगिकाक नाम पर चलि रहल आंदोलनकेँ सेहो मैथिली समर्थक होयबाक दाबा करएबला राज्य सरकारक एक मंत्रीक परोक्ष समर्थन भेटि रहल अछि। मैथिली आ अंगिकाक नामपर मैथिलीभाषीकेँ लड़ा अपन राजनीतिक रोटी सेकऽमे मंत्री लागल छथि। ताज्जूब तऽ ई अछि जे मंत्री जीक ऐ साजिशक बादो हुनकर मिथिला आ मैथिली विरोधी बात केँ लोक ग्रहण करैत छथि। कहल जाइत अछि जे दू कोस पर भाषा बदलि जाइत अछि। ई भाषाक बदली नै होइत अछि अपितु स्थानीय बोलीक रूप भाषाक परिवर्तन होइत अछि। मधुबनीसॅ किशनगंज धरि शिवहरसॅ वैशाली धरि आ बरौनी सॅ मधेपुरा धरि सभ ठामक लोक मैथिली भाषी छथि। अंतर मात्र एतबा अछि जे ऐ भाषाक बोली मे अंतर होइत अछि। ई अंतर तऽ दरभंगा जिलाक समस्तीपुर आ मुजफ्फरपुर जिलाक सटल सीमाक गाम मे सेहो अछि। एकर मतलब ई नै अछि जे ई मैथिली भाषासॅ फराक भाषा अछि।

कहल जाइत अछि जे कमजोरहाक कतेको मालिक होइत अछि आ सभ अपना-अपना हिसाब सॅ मलिकौत करैत अछि। ई मिथिला आ मैथिली पर लागू भऽ रहल अछि। अपन विद्वता मे फूलल मैथिलीक विद्वानकेँ भाषाक विखंडनक भऽ रहल साजिशसँ बचैबाक फुर्सत नै छनि। मात्र साहित्य अकादमी आ आन पुरस्कारक लेल वर्ष भरि चिरौरी मे लागल रहल ई विद्वान सभ अपन हित मे मातृभाषाक हित बिसरि रहल छथि। जइ कारण क्षुद्र राजनेता आ तथाकथित विद्वान मिथिला आ मैथिली केँ कमजोर करबाक गहींर साजिश कऽ रहल छथि आ हमरा सभ कानमे तुर धऽ सूतल छी। एक दिस मातृभाषापर हमला तऽ दोसर मातृभाषाक अस्तित्व मिटैबाक साजिश भऽ रहल अछि। मिथिलांचलक कोसी क्षेत्र मे सीमांचल आ सुरजापुरी कऽ नाम वोटक राजनीतिक लेल मिथ्लिांचलक सामाजिक, सांस्कृतिक पहचान केँ मेटैबाक साजिश भऽ रहल अछि। आब समय सचेत होयबाक अछि। मातृभाषा आ मातृभूमिक पीठ मे छुरा घोपऽ बला असली चेहरा सोझा आनऽ पड़त नै तऽ मिथिलाक माछ जकां मातृभूमि आ मातृभाषाक अस्तित्व मेटा देल जाएत। अंगिका, बज्जिका, सीमांचल सूरजापुरी आदिक नामपर मिथिलांचल आ मैथिलीक विरूद्ध साजिश हएत तँ रहत ऐतिहासिक मिथिला आ मृदुभाषा मैथिली?

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