Tuesday, December 11, 2012

लालदासक १५६म जयंती समारोह :: संजीव कुमार शमा

दि‍नांक २० नभम्‍वर २०१२केँ महाकवि‍ पं. लालदासक १५६म जयंती स्‍थानीय लालदास जमा दू उच्‍च वि‍द्यालयक प्रांगणमे महाकवि‍ पं. लालदास जयंती समारोह समि‍ति‍ खड़ौआ द्वारा समारोहपूर्वक मनाओल गेल। समारोहक मुख्‍य अति‍थि‍ जि‍ला उपवि‍कास आयुक्‍त श्री ओम प्रकाश राय आ समारोह समि‍ति‍क अध्‍यक्ष झारखण्‍ड वद्युत बोर्डक पूर्व चेयरमैन डाॅ. हरि‍वंश लाल संयुक्‍त रूपे वि‍द्यालय प्रांगणमे स्‍थापि‍त महाकवि‍क प्रति‍मा आ मंचपर स्‍थि‍त महाकवि‍क तैल चि‍त्रपर माल्‍यार्पण आ संगहि‍ दीप प्रजज्‍वलन कऽ समारोहक वि‍धिवत उद्घाटन केलन्‍हि‍। गामवासी कन्‍हैया कृष्‍ण कायस्‍थ स्‍वागत भाषण दैत सभ आगत अति‍थि‍गणक स्‍वागत आ सबहक प्रति‍ अपन आभार व्‍यक्‍त केलन्‍हि‍। वरि‍ष्‍ठ समाजसेवी वयोवृद्ध स्‍वतंत्रा सेनानी भरत नारायण कर्ण वि‍शि‍ष्‍ट अति‍थि‍य भाषण दैत बजलाह जे महाकवि‍ महाराज रामेश्वर सि‍ंहक दरबारमे दरबारी पंडि‍तक रूपे वि‍द्यमान छलाह। महाराज हुनक विद्वतासँ आहुत भऽ हुनका पंडि‍तक उपाधि‍सँ वि‍भूषि‍त कएने छलखि‍न्‍ह। अध्‍यक्षीय वक्‍तव्‍यमे डॉ. एच.बी.लाल मात्र दू पाँति‍ कहलन्‍हि‍ जे महाकवि‍क जयंती समारोहक जगह स्‍मृति‍ समारोह हम सभ मनाबी से नीक। आ दोसर महत्वपूर्ण इशारा केलन्‍हि‍‍ जे वास्‍तवमे हम सभ मि‍थि‍लांचलक साहि‍त्‍यि‍क मंचक गरि‍माकेँ पागक चलनि‍सँ कमजोर करै छी। पाग सम्‍पूर्ण मि‍थि‍लाक नै छी। जखने जागी तखने प्रात कहि‍ अध्‍यक्षीय भाषणमे बि‍नु पूर्ण वि‍राम लगौनहि‍ हाथ इशारासँ हि‍न्‍दीक वि‍द्वान, प्रखर वक्ता कुमार रामेश्वर लाल दासकेँ करबाक आग्रह कएल जेकरा कुमार साहेब सहर्षतापूर्वक स्‍वीकार केलन्‍हि‍। जखन कि‍ स्‍वस्‍थि‍ वाचन पं. शि‍व कुमार मि‍श्र द्वारा प्रस्‍तुत कएल गेल। मुख्‍य अति‍थि‍ डीडीसी श्री ओ.पी.राय अपन वक्तव्‍य दैत कहलन्‍हि‍ जे महाकवि‍ लालदास द्वारा मैथि‍ली भाषामे रचि‍त रचना रमेश्वर चरि‍त मि‍थि‍ला रामायणक प्रासंगि‍कता अखनो बनल अछि‍। ओ आवश्‍यकता जतौलन्‍हि‍ जे मैथि‍ली साहि‍त्‍यक धरोहरक रूपमे महाकवि‍क रचनाकेँ यथाशीघ्र प्रकाशि‍त करा पाठकगणक बीच पहुँचक चाही। अपन उद्गार व्‍यक्‍त करैत ओ ईहो कहलन्‍हि‍ जे कलाक उपयोग आत्‍मचि‍ंतनक लेल हेबाक चाही, छलबाक लेल नै। ओ वसुधैव कुटुम्‍बकमक उक्‍ति‍केँ चरि‍तार्थ करबा लेल सुधि‍ श्रोतागणसँ आग्रह केलन्‍हि‍।
महाकवि‍क व्‍यक्‍ति‍व एवं कृति‍त्‍व वि‍षयपर आयोजि‍त परि‍चर्चामे साहि‍त्‍य अकादेमीक अनुवाद पुरस्‍कारसँ सम्‍मानि‍त प्रो. खुशीलाल झा जतौलनि‍ जे महाकवि‍ द्वारा रचि‍त रमेश्वर चरि‍त मि‍थि‍ला रामायणपर वाल्‍मीकि‍ रामायणक प्रभाव अछि‍।
संगोष्‍ठीमे साहि‍त्‍य अकादेमी द्वारा टैगोर साहि‍त्‍य पुरस्‍कारसँ सम्‍मानि‍त मैथि‍लीक समन्‍वयवादी साहि‍त्‍यकार श्री जगदीश प्रसाद मण्‍डल अपन उद्गार व्‍यक्‍त करैत कहलन्‍हि‍ जे पं. लालदास बहुमुखी प्रति‍भाक धनी छलाह। जि‍नकर लेखनी मैथि‍ली भाषा साहि‍त्‍यकेँ अमरत्‍व प्रदान केलक अछि‍, जे आइयो डेढ़ सए बर्ख बि‍तलाक बादो एना बुझा रहल अछि‍ जे ओ अपन लेखनीक माध्‍यमे अखनो माँ-मैथि‍लीक सेवा कऽ रहला अछि‍। मण्‍डलजी ईहो इच्‍छा जतौलन्‍हि‍ जे महाकविक साहि‍त्‍यमे आध्‍यात्‍मि‍क चि‍ंतन वि‍षयक संगोष्‍ठी आवश्‍यक अछि‍। संग-संग धर्म, सप्रदाय एवं आध्‍यात्‍म ऐ तीनूकेँ अपना ऐठाम सानि‍-बाटि‍ कऽ देखबापर चि‍ंता व्‍यक्‍त केलनि‍। आजुक समैमे नवतुरि‍या आ बूढ़ साहि‍त्‍य प्रेमी लोकनि‍ अपन मातृभाषामे रचना कऽ अपना साहि‍त्‍यकेँ संपन्नता प्रदान कऽ रहल छथि‍। जे मैथि‍ली साहि‍त्‍य आन्‍दोलनमे मीलक पत्‍थर साबि‍त भऽ रहल अछि‍।
परि‍चर्चाक क्रममे मैथि‍ली पत्रि‍का झारखण्‍डक सनेसक सम्‍पादक डाॅ. अशोक अवि‍चल महाकवि‍क व्‍यक्‍ति‍त्‍वपर प्रकाश दैत कहलन्‍हि‍ जे पं. लालदास दर्शनक साक्षात् प्रति‍मूर्त्ति छलाह। हि‍न्‍दी, संस्‍कृत, ऊर्दू आ फारसीक उद्भट वि‍द्वान रहि‍तो महाकवि‍ मातृभाषा मैथि‍लीमे उच्‍चकोटि‍क ग्रंथक रचना कऽ जननीक हद तक अपन करजा उतारबामे सफल भेलाह। डॉ. अवि‍चल वि‍द्यानुरागी लोकनि‍सँ आग्रह केलन्‍हि‍ जे गाम खड़ौआमे महाकवि‍क नामे एकटा प्रकोष्‍ठ बनाओल जाए जइमे यथासंभव हुनक पाण्‍डुलि‍पि‍क संग्रह होइ आ संगे हुनक प्रकाशि‍त अप्रकाशि‍त रचनाक संग्रह कएल जाए। जइसँ अबैबला पीढ़ी आ गवेषक लोकनि‍केँ ऐसँ हुनका वि‍षयमे वि‍स्‍तृत जानकारी भेट सकतन्‍हि‍। शि‍क्षावि‍द अवकाश प्राप्‍त शि‍क्षक हरि‍नारयण झा वि‍द्वातपूर्ण शैलीमे अपन वि‍चार प्रस्‍तुत करैत कहलन्‍हि‍ जे महाकवि‍ द्वारा रचि‍त रामायणमे माँ सीताक वर्णन पुष्‍कर काण्‍डमे वि‍लक्षणतापूर्वक कएल गेल अछि‍। माँ सीता शक्‍ति‍क अधि‍ष्‍ठात्री छथि‍, एकरा ओ अपना पद्यमे वर्णित कए मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामोकेँ मानबा लेल मजबूर कएल। श्री झा एे अवसरपर सभ गोटेसँ आग्रह केलन्‍हि‍ जे जइ धरणीपर माँ सीता अवतरि‍त भेलीह ओइ धरापर महाकवि‍क अवतरण भेल हम सभ कि‍यो बि‍ना कोनो भेदभावक माँ मैथि‍लीक धरणी धराकेँ पुष्‍पि‍त-पल्‍लवि‍त करी। यएह हमरा सबहक महाकवि‍क प्रति‍ श्रद्धांजलि‍ होएत। वि‍द्यालय समि‍ति‍क अध्‍यक्ष अनूप कश्‍यप माननीय डीडीसी साहेबकेँ वि‍द्यालयक उत्‍थान व वि‍कासक दि‍स धि‍यान आकृष्‍ट करबैत बजलाह जे वि‍द्यालयक सर्वांगीण वि‍कास भेला उत्तर ऐ क्षेत्रक धि‍या-पुतामे शि‍क्षाक संपूर्ण वि‍कास भऽ सकत जे सही अर्थमे महाकवि‍क प्रति‍ श्रद्धांजलि‍ हएत।
समारोहक दोसर सत्रमे काव्‍य गोष्‍ठीक आयोजन भेल जकर अध्‍यक्षता शब्‍द-साधक श्री जगदीश प्रसाद मण्‍डल आ संचालन चर्चित उद्घोषक श्री संजीव कुमार शमा द्वारा कएल गेल। काव्‍य-गोष्‍ठीक आरम्‍भ वि‍द्यापति‍ सम्‍मानसँ सम्‍मानि‍त कवि‍ शंभु सौरभक काव्‍यसँ भेल।‍ तहि‍ना दोसर काव्‍यक पाठ मैथि‍ली प्रखर समालोचक श्री दुर्गानंद मण्‍डल केलन्‍हि‍। तकरा पछाति कवि‍गणमे श्री बेचन ठाकुर, श्री राम वि‍लास साहु, श्री लक्ष्‍मी दास, श्री उमेश नारायण कर्ण, श्री नन्‍द वि‍लास राय, श्री रामसेवक ठाकुर, श्री शशि‍कान्‍त झा, श्री हेमनारायण साहु, श्री कपि‍लेश्वर राउत, श्री शि‍वकुमार मि‍श्र अपन-अपन काव्‍य पाठसँ श्रोतावृंदकेँ काव्‍य रसमे सराबोर करैत रहलाह। जखन कि‍ डॉ. अवि‍चल अपन कवि‍ता ‘संस्‍कृति‍क साड़ापर’ सुना सामाजि‍क अपसंस्‍कृति‍सँ सजग हेबाक दि‍स इशारा केलन्‍हि‍। दोसर दि‍स युवा कवि‍ लोकनि‍मे श्री उमेश पासवान, श्री नारायण झा, श्री अखि‍लेश कुमार मण्‍डल, संतोष कुमार महतो, वि‍कास कुमार झा, ओमजी अपन-अपन नूतन काव्‍यसँ दस्‍तक देलन्‍हि‍। युवा संघर्षशील कवि‍ उमेश मण्‍डल अपन गजल सुना श्रोतागणसँ वाहवाही लुटलन्‍हि‍। काव्‍य गोष्‍ठीक समापन अध्‍यक्ष श्री जगदीश प्रसाद मण्‍डलक काव्‍यसँ भेल। काव्‍यक शीर्षक छल ‘चल रे जीवन चलि‍ते चल’ काव्‍यक माध्‍यमसँ श्री मण्‍डल श्रोतावृंदकेँ काव्‍यमे दर्शनक दरसन करा काव्‍यक गंभीरतासँ परि‍चय करौलन्‍हि‍। संपूर्ण काव्‍य गोष्‍ठीमे काव्‍य-समीक्षकक नाते मैथि‍ली साहि‍त्‍यक स्‍तंभकार डाॅ. अशोक अवि‍चल अपन प्रखर वुद्धि‍मताक प्रतापें कवि‍ लोकनि‍क काव्‍यक समीक्षा कऽ कवि‍ आ श्रोतागणकेँ काव्‍यक मर्मसँ परि‍चए करोओल आ शुभकामनाक संग जोश बढ़बैत रहला। कवि‍ गोष्‍ठीमे काव्‍य-समीक्षा एकटा नव प्रयोग भेल। जकर श्रेय श्री संजीव कुमार शमाकेँ जाइ छन्‍हि‍। संपूर्ण कार्यक्रमकेँ उद्घोषक संजीव शमा द्वारा सजाओल गेल छल। अपन वि‍द्वतापूर्ण शैली आ वाक्-चातुर्यसँ उपस्‍थि‍त श्रोतावृंदकेँ आह-एवं-वाहक लेल मजबूर कएल। माधुर्य ग्राह्य भाषा शैलीक कारणें सुधि‍ श्रोताक मानस पटलपर छाएल रहला।
मंचस्‍थ अति‍थि‍, कवि‍, समीक्षक, वक्‍ता इत्‍यादि‍ जेतेक साहि‍त्‍यानुरागी छलाह सभकेँ समारोह समि‍ति‍ पूष्‍पमाल एवं चादरि अर्पित कए सम्‍मानि‍त कऽ अपनाकेँ गौरव महशूस केलक।
मि‍थि‍ला मैथि‍ली मंचक स्‍थापि‍त कलाकार रामसेवक ठाकुर पंकज झा आ चंदन द्वारा सांस्‍कृति‍क कार्यक्रमक प्रस्‍तुति‍ सराहनीय छल। समारोहकेँ सफल बनेबामे आयोजन समि‍ति‍क सदस्‍य सुनील कुमार दास, डॉ. अरवि‍न्‍द लाल, ि‍नर्मल कुमार दास, वि‍नय कुमार दास, योगानंद लाल दास, प्रभात कुमार दास, राजेन्‍द्र कुमार दास, आ अजय कुमार दासक भूमि‍का महत्तपूर्ण छल। अंतमे जयंती समारोह समि‍ति‍क सचि‍व श्री भागीरथ लाल दास धन्‍यवाद ज्ञापन करैत जंतव्‍य देलन्‍हि‍ जे आगू साल वि‍द्यालयक स्‍वर्ण जयंतीक अवसरपर कार्यक्रम दू-दि‍ना हएत, जकर हकार उपस्‍थि‍त सभ सुधि‍ श्रोतागणकेँ मंचसँ देल गेल। ऐ अवसर पर पछि‍ले बर्ख जकाँ अहू साल वि‍देह मैथि‍ली पोथी प्रदर्शनीक भव्‍य प्रदर्शन सेहो छल।

-संजीव कुमार शमा






























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