Thursday, January 1, 2009

शहीद दुर्गानन्द झा- जितेन्द्र झा

जितेन्द्र झा
के राखत रुमालक इज्जति

एकटा मैल, पुरान रुमाल आ गीताक किताब चीरकालधरि सुरक्षित राखऽ चाहैत छथि अरविन्द ठाकुर । कियाकी बलिदानक चिन्हासी आ मित्रताक याद सहजने अछि ई रुमाल । जर्जर रुमाल याद दिअबैत छन्हि हिनका जेल जीवन आ दुर्गानन्दस“गे बिताओल समय ।

शहिद दुर्गानन्द झाके फांसी देलाक बाद काठमाण्डूक केन्द्रिय कारागारमे हिनका रुमाल आ गीताक पोथी सोंपल गेलनि । गीताक किताब त नहि मुदा रुमाल एखनधरि सहजने छथि अरविन्द । ओहि गीता किताबक प्रतीकके रुपमे ई एकटा ओहने गीता रखने छथि । प्रजातन्त्रक योद्धा ठाकुर ई रुमालक संरक्षण के करत से खोजि रहल छथि । एहि वास्ते ओ बहुतो नेताके आग्रह कऽ चुकल छथि, मुदा केओ हिनक आग्रह के औचित्य नहि बुझि सकल । नेपालक संग्रहालयसभ संस्कृति मन्त्रालय अन्तर्गत पडैत अछि । संस्कृतिमन्त्री नेपाली कांग्रेसक मिनेन्द्र रिजाल छथि । ठाकुर कहैत छथि जे मिनेन्द्र रिजालसहित कतेकोस“ अनुरोध कऽ चुकल छी एकर संरक्षणक लेल मुदा केओ नहि सुनलक । जत्तऽ दुर्गानन्द झाक नामे उपेक्षित अछि, ओत्तऽ हुनक रुमालके के पुछए ? ठाकुरक माग छन्हि जे रुमालके राष्ट्रिय संग्रहालयमे राखल जएबाक चाही ।
दुर्गानन्दके एकटा शहिदक रुपमे नेपाल सरकार सम्मान नहि कऽ सकल अछि एहनमे गीता आ रुमालक खोजी आ संरक्षण के करत ?
वि.स. २०२० माघ १५ गते दुर्गानन्द झाके फांसी देल गेल रहनि । ओहिके तीन दिनबाद जेलर ठाकुरके दुनू वस्तु देने रहथि । आब ४ दशक होबऽ लागल अछि ओहि दिनके, जहिया तत्कालीन राजापर बम फेकबाक आरोपमे दुर्गानन्द झाके फांसी चढाओल गेल रहनि । २०१८ सालमे जनकपुरक जानकी मन्दिरमे तत्कालीन राजा महेन्द्रपर बम प्रहार भेल छल । जाहिमे महेन्द्र सकुशल बांचि गेल छल । दुर्गानन्द आ अरविन्द बमप्रहारक आरोपमे जेल सजाय काटैत रहथि । नावालिग भेलाक कारणे अरविन्दके फांसी नहि देल गेलनि । जेल जीवनक चरम यातनाके याद करैत अरविन्दक आंखि नोरा जाइत छन्हि ।
अरविन्दक अनुसार दुर्गानन्द झाके तडपा तडपाकऽ मारने रहए तत्कालीन क्रुर शाही शासक । ठाकुर अनुसार एकबेर रस्सीपर लटकाओल गेल फेर कनी काल सांस फेरऽलेल छोडल गेल । तहन फंसरी पर लटकाकऽ यातना देल गेल । आ अन्तमे गोली दागल गेल दुर्गानन्द झापर । एतेक केलाक बादो क्रुुरता जारीए रहलै । दुर्गानन्दके शवधरि हुनक परिवार जनके नहि देल गेल छलैक ।


राज्य शहिदक जीवनीके सेहो उन्टा पुन्टाकऽ राखि देने अछि । कक्षा १० के पाठयपुस्तकमे दुर्गानन्द जीवनी अछि जाहिमे हुनक बलिदानी तिथिए गलत लिखल छैक ।

दूर्गानन्द झाक बलिदानके सम्मान करबाक राज्यके दायित्व छैक । मुदा साम्प्रदायिक मानसिकतासं जकडल नेता, मन्त्रीसभ एकरा अनदेखी करैत रहल । लगैछ जे दुर्गानन्द झाके शहिदक रुपमे चिन्हाबहोमे राज्यके लज्जाबोध छैक ।

हुनका प्रतिक विभेदसं दुखित छथि अरविन्द । नेपालमे प्रजातन्त्र एलाक बाद वएह सभ कुर्सी पओलक जे दुर्गानन्दसंगे आन्दोलनमे छल । मुदा ओ सभ कहियो दुर्गानन्द आ हुनक माय आ पत्नीके याद नहि कएलक । घरक एक्कहिटा सहारा दुर्गानन्दके फांसीक बाद घर सभदिनक लेल अन्हार अन्हार भऽ गेलै ।

प्रजातन्त्र एलाक बाद सत्तामे सभसं बेशी समय रहल नेपाली कांग्रेस दूर्गानन्द झाके अपन कार्यकर्ता कहैत गर्व करैत अछि मुदा ओकर व्यवहारमे मात्र घृणेटा देखाइ दैत छैक । शहिद झाक माय सुकुमारी देवी आ पत्नी काशी देवीके गुजर बसर करब मुश्किल छलैक । तहिया कोनो कांग्रेसी नेताके याद नहि एलै दुर्गानन्दक शोणित । काशी देवी सिकीमौनी बुनिकऽ संघर्षक पथपर आगु बढैत रहली । वएह काशी देवी आइ संविधान सभाक सदस्य छथि । तराई मधेश लोकतान्त्रिक पार्टी हुनका समानुपातिक सभासद् बनौने छन्हि ।
नेपाल एखन शहिद सप्ताह मनाबि रहल अछि । शहिदक नामपर नेता लम्बा चौडा भाषण दैत अछि । तालीक गडगडाहटि सेहो सुनाइत छै । मुदा दुर्गानन्द सनके शहिदके पुछनिहार कियो नहि । शहिद परिवारके घरमे चुल्हि जरलै की नहि से के देखत ? नेपालमे बलिदानी देनिहार सभके इएह गति छैक । शहिद परिवारक व्यथा कतबो बखानी कम्मे हएत । वंशवाद र परिवारवादसं रंगल कांग्रेस दुर्गानन्दक उपेक्षासं खिन्न छथि अरविन्द । ओ कहैत छथि हमसभ इएह दिन देखबालेल बलिदान नहि कएने रहौं ।

नेपालमे शहिदक नामसं कतेको प्रतिष्ठान, अस्पताल, ट्रष्ट संचालित अछि । मुदा दुर्गानन्दक नामसं किछु नहि । हुनक नामक पाछा कोइराला या एहने किछु थर लागल रहैत त बहुत किछु सम्भव छलै ।
दुर्गानन्दके उचित सम्मान करबास“ वि.पी. कोइराला, गिरिजाप्रसाद कोइरालासभके के रोकलकै से बुझऽ चाहैत अछि जनता । जकर शोणित पर प्रजातन्त्रक जग निर्माण भेलै तकरे सं सौतिनिञा व्यवहार किया ? कांग्रेस पार्टीए जहन कोनो मतलब नहि रखलक शहिदसं तहन दलीय राजनीतिमें आन पार्टी आ सरकारके देखबाक बाते कोन ?


गिरिजाप्रसादक मगरमच्छक नोर
संविधान सभामे जहन पहिल बेर सभासद् आ तत्कालीन कांग्रेस सभापति गिरिजाप्रसाद कोइराला काशी देवीके देखलनि त कोइरालाके आंखि नोरा गेल रहनि । घटनाक प्रत्यक्षदर्शी सभासद् वसन्तीदेवी झा कहैत जे हमही गिरिजाके याद दिऔलियनि जे ई दुर्गानन्द झाक पत्नी छथि । तहन भावविह्वल होइत गिरिजा काशीदेवीके हाथ पकरिक कहनेरहथि हम किछु नहि कऽ सकलौं । जनकपुरक सभा, सम्मेलनमे गिरिजाप्रसादसं काशीदेवीक भेट होइत छलन्हि ।
दुर्गानन्दके चिन्हाबऽ लेल एउटा शालिक बनाओल गेल अछि धनुषा जिलाक जटहीमे । देशके लेल ओहन बलिदानी देनिहारक लेल सरकारके कोनो आन महत्वपुर्ण जगह नहि भेटलै । की दुर्गानन्दक प्रतिमा लेल राजधानी काठमाण्डू छोट पडि गेल रहै ? जनकपुरक कोनो चौक खाली नहि रहै ? जानकी मन्दिरमे बम काण्ड भेल छलै, मन्दिर परिसरमे शालिक रखलासं मन्दिर अपवित्र भऽ जइतै ?
काठमाण्डूके केन्द्रमे शहिद गेट छैक, की ओत्त दुर्गानन्दके शालिक रखबाक हैसियत नहि रहै ? संघीय गणतन्त्र नेपालक राजधानी काठमाण्डूमे एखनो शाहवंशीय राजासभक शालिक आ राणा क्रुर शासक सभहक चिन्हासी शोभाक वस्तु बनल अछि ।
व्यवहारमे दुर्गानन्दसं एत्तेक भेदभाव केनिहार कांग्रेस पार्टी दुर्गानन्दके भजाबऽसं पाछु नहि अछि । दूर्गानन्द झाक नाम बेचिकऽ भोट बटोरबाक काज सेहो चुनावमे होइते अछि । ततबे नहि दूर्गानन्द झाक नाममे संघसंस्थारुपी दोकान सेहो खोलल गेल अछि । जकर काज छैक मात्र दुर्गानन्दक नामपर लोकके सहानुभूति आ पाइ बटोरब । (साभार विदेह www.videha.co.in)

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