गजेन्द्र ठाकुर- नूतन अंक [विदेह ४०२ म अंक १५ सितम्बर २०२४ (वर्ष १७ मास २०१ अंक ४०२)] सम्पादकीय
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११८ म सगर राति दीप जरय २१ सितम्बर २०२४, फुलपरास अनुमण्डलक रतनसारा गामक उत्क्रमित मध्यविद्यालय परिसर, (बलान-तिलयुगा-बिहुल कथागोष्ठी)मे २२ सितम्बरक भोरमे सम्पन्न भेल। संयोजक आयोजक रहथि राजीव कुमार, दुर्गानन्द मण्डल आ शिव कुमार राय। ११९म सगर राति दीप जरय दिसम्बर २०२४ मासमे श्री गोसाँइ मण्डलक संयोजकत्वमे सहरसामे हएत।
हँ ८-१० गोटे साहित्य अकादेमी द्वारा घोषित लिटेरेरी एसोसियेशन, चेतना समितिमे ११९म कथा गोष्ठी कऽ लेलनि, एकटा बेसिये संख्या आ से उचिते, अस्सी-अस्सी हाथक साहित्यकार सभ छथि, ऐ बीच मे मारिते रास कथा गोष्ठी केने छथि, से १२९ म नम्बर सेहो राखि सकै छला। आ अगिला गोष्ठी दिल्ली नै लऽ जा कऽ गौहाटी लऽ गेला कारण रहल विदेहक अंक ३९७ क सम्पादकीय। आब गौहाटीसँ दिल्ली जायत हुनकर सभक गोष्ठी, २-४ गोटे गौहाटी आ दिल्ली मे सेहो जुटिये जाइ जेता। साहित्य अकादेमी आ ओकर कथित लिटेरेरी एसोसियेशन सभ अपनाकेँ हँसीक पात्र बनबिते रहै छथि, खएर। रचनाकार अशोक भिन-भिनाउजक गप केलन्हि जे आब सगर राति दीप जरय केँ ओपन कऽ देल जाय, जेना विद्यापति पर्व ओपेन अछि सभक लेल। साहित्य अकादेमी द्वारा घोषित लिटेरेरी एसोसियेशन, चेतना समितिक ओना मुख्य काज विद्यापति पर्वे छै से ओकर मंचपर ई घोषणा उचिते छल। मुदा संयुक्त परिवारसँ फराक भऽ असगर कथा गोष्ठी करेबाक कारण कनी अनछज्जल लागल। ओ कहलन्हि जे कथा गोष्ठी रैलीक बौस्तु नै अछि, ऐ मे क्वालिटी तखने आओत जखन नीक समीक्षा हएत आ स्तर बढ़त, मुदा रमानन्द झा रमण अपन आलेख सभमे सुखायल मुख्य धारा द्वारा आयोजित पुरनका सगर राति दीप जरय मे कथित मुख्य धाराक कथाकार द्वारा समालोचना नै सहबाक गप चिकरि-चिकरि कऽ केने छथि, आ जँ क्वालिटी बढ़ल रहितै तँ कथित मुख्यधाराक कथा सभ पीअर कपीश आ सुखायल नै रहितै। खएर.. भिन-भिनाउजक बाद ओपेन युगक पहिल कथा गोष्ठी साहित्य अकादेमीक लिटेरेरी एसोसियेशनक दफ्तरमे ओ सभ शुरु कइये देलन्हि तँ शुभकामना, आ भिन-भिनाउजक बादक दोसर आ तेसर गोष्ठी जे गौहाटी आ दिल्लीमे होइबला अछि तइ लेल सेहो अग्रिम शुभकामना भने ओकर नम्बर १२० आ १२१ ओ सभ राखथु बा नै। क्वालटी बढ़न्हि आ साहित्य अकादेमीक मैथिली प्रभागक प्रकाशन सभमे आगाँ क्वालिटी आबय आ ओकर अनुवाद सभ आगाँ हँसीक पात्र नै बनय तहू लेल शुभकामना कारण ऐ साहित्य अकादेमीक असाइनमेण्टजीवी कथाकार/ कवि/ शोधकर्ता सभ अपनाकेँ मैथिलीक प्रतिनिधि साहित्यकार कहै छथि आ तकर स्तर ततेक निम्न होइ छै जे हमरा सभकेँ की-की नै सुनऽ पड़ैए। ओना अन्तर्जालसँ आब ई तँ भेलैए जे आन भाषा-भाषी ई धरि बूझ गेलैए जे मैथिलीक सुखायल मुख्यधाराक साहित्य आब मिशेल फोको परिभाषित "अनुशासन संस्था" जेना साहित्य अकादेमी आदिपर मात्र निर्भर अछि, मुदा से प्रतिनिधि मैथिली साहित्य नै छिऐ।
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साहित्य अकादेमीक मैथिली प्रभागक एकटा आर काण्ड
१९२३ आ १९२४ मे मात्र तीनटा नीक साहित्यकारक जन्म भेल रहन्हि, रामकृष्ण झा किसुन, अणिमा सिंह आ प्रबोध नारायण सिंह। साहित्य अकादेमी नीक आयोजन कऽ रहल अछि, वएह दस टा लोक जे भिन भिनाउजक बादक कथा गोष्ठीक समर्थक छथि, अहूमे शोधपूर्ण पेपर सभ पढ़ता। तँ की चारू दिस अन्हार अछि? नै, ऐ लिस्टमे ओही इलाकाक अरविन्द ठाकुर छथि जे बारल छथि, से रीढ़क हड्डी बला साहित्यकारक बनब बन्न नै भेल छै।
गोविन्द झा १९२३, योगानन्द झा १९२३, उमानाथ झा १९२३, जटाशंकर दास १९२३, राजेश्वर झा १९२३, पोद्दार रामावतार अरुण १९२३, मदनेश्वर मिश्र १९२४, अमोघ नारायण झा "अमोघ" १९२४, मतिनाथ मिश्र मतंग १९२४, आनन्द मिश्र १९२४, ई लोकनि सेहो १९२३ आ १९२४ मे जन्म लेने छलाह। डॉ. सर आशुतोष मुखर्जी १९२४ मे आ म. म. परमेश्वर झा सेहो १९२४ मे मृत भेला, जहिया हिनकर सभक बच्चा साहित्य अकादेमीक मैथिली प्रभागक अध्यक्ष नचिकेता जी सन बनतन्हि बा केदार कानन जी सन रामदेव झा, चन्द्रनाथ मिश्र अमर आ नचिकेता सन सभक प्रिय हेतन्हि तँ हिनको सभक शतवार्षिकी जयन्ती/ पुण्यतिथि मनाओल जेतन्हि आ फेर सम्मेलन/ सेमीनार साहित्य अकादेमी आयोजित करबे करत, ऐ मे अतेक हरबड़ेबाक कोन गप।
नीचाँ उपरका दुनू विषय पर विदेहक दूटा पुरान सम्पादकीय सेहो देल जा रहल अछि।
विदेह अंक ३६८ क सम्पादकीय
दिल्ली साहित्य अकादमीक प्रख्यात मैथिली विभाग परामर्शदात्री समिति (२०२३-२०२८)
१० मे ६ ब्राह्मण + १ नव-ब्राह्मणवादी आ समानान्तर धाराक एक्कोटा गएर-सवर्ण लेखक नहि छथि, जे गत १५ बर्ख सऽ सीमित आर्थिक संसाधनक अछैत मैथिली लेल जान-प्राण अरोपने छथि। नचिकेता जीक ई परामर्शदात्री समिति एलिट अछि, आ ई अगड़ा-पिछड़ा दुनूक एलिट लेल काज करत, साहित्यमे जे एलिट छथि से कतिआयले रहता, राजदेव मण्डल जीक रचना जूरी बाड़ने छथि से बाड़ले रहत। समानान्तर धाराक साहित्तकार लोकनि लेल ई खतराक अलार्म अछि आ से हुनका दुन्ना काज करय पड़तनि।
लिस्टः
उषाकिरण खान (मृत भेलाक बाद आब नीता झा*), सुभाषचन्द्र यादव, प्रमोद कुमार झा, देवशंकर नवीन, तारानन्द वियोगी, विद्यानन्द झा, रमण कुमार सिंह, अजय झा, वीणा ठाकुर, नचिकेता।
*कोष्ठकक विवरण अद्यतन अवस्था अछि।
विदेह अंक ३९७ क सम्पादकीय
११७ म सगर राति दीप जरय, दरभंगा (आयोजक हीरेन्द्र झा आ अशोक कुमार मेहता)
साहित्य अकादेमीक मैथिली परामर्शदातृ समितिक अध्यक्ष (आब भूतपूर्व) अशोक अविचलक दृष्टि सगर राति दीप जरय पर पड़ल आ ओकरा गिड़बाक प्रयासमे हीरेन्द्र झा केर ब्लैकमेलिंग केर शिकार ओ सहर्ष भेला आ टैगोरक १५० म जयन्ती वर्षक साहित्य अकादेमीक कार्यक्रम जे दिल्लीक एकटा संस्था करबेने रहय केर गिनती सेहो करैत नम्बरमे हेरफेर करबाक अपराध केलन्हि, जकरा ओ चलाकी बुझैत छथि। मैथिली परामर्शदातृ समितिक अध्यक्ष बनलाक बाद लोकमे ऐ तरहक प्रवृत्ति देखल गेल छै, जकर शिकार रामदेव झा भेला, जे शोधक लेल ख्यात रहथि; चन्द्रनाथ मिश्र अमर भेला, जिनकर पहिल फेजक आन्दोलनी योगदान झँपा गेलन्हि, आब नचिकेतापर ई ग्रहण लागल छन्हि। हीरेन्द्र झा ऐ लगा तेसर बेर ई कुकृत्य केलन्हि अछि, जइमे ऐ बेर कमल मोहन झा आकि मिश्र चुन्नू सेहो हुनकर संग देलखिन्ह। हँ सह-सहयोजक अशोक कुमार मेहता मुदा ऐ कुकृत्यमे हुनकर संग नै देलखिन्ह।
भेलै की?
पूर्व नियोजित षडयंत्र जइमे अशोक अविचलक योगदान ऊपर कहल गेल अछि, मे हीरेन्द्र झा केँ सगर राति दीप जरय केर सह-आयोजक बनाओल गेल (स्पष्ट रूपसँ कहि देल गेलन्हि जे नम्बरमे हेरफेर नै करता), फेर कमल मोहन झा आकि मिश्र चुन्नूकेँ तैयार राखल गेल। मुदा सभ चोरिमे एकटा निशान छुटिते छै। अध्यक्ष महोदय बिना कोनो प्रस्ताव एने धड़फड़ीमे बाजि देलखिन्ह जे अगिला गोष्ठी पटना आ तकर अगिला दिल्ली (जतऽ साहित्य अकादेमीक मुख्यालय अछि) मे हएत, आ फेर गप सम्हारलखिन्ह जे से तकर निर्णय (दिल्लीक) पटनामे कएल जायत। कमल मोहन झा आकि मिश्र चुन्नू तैयारे-तैयार रहथि, फटाकसँ चोरिक रजिस्टर आ दीप लेलन्हि हीरेन्द्र झा सँ आ निर्ललज्जापूर्वक हँसबाक प्रयास करैत (मुदा हँसी तँ छोड़ू हास्यक पात्र लगै छथि) फोटो घिचबेलन्हि।
प्रतिकार की हुअय?
ई ऐ लगा हीरेन्द्र झा केर तेसर गलती अछि से हुनका तीन सगर राति लेल बैन कएल जाय, कमल मोहन झा आकि मिश्र चुन्नूक ई पहिल गलती अछि से हुनका एक सगर राति लेल बैन कएल जाय। उपस्थित लोकक बहु-संख्या ११८ म सगर रातिक आयोजक ताकथि। अगिला सगर रातिक नम्बर ११८ रहय आ तकर प्रचार हुअय, जइसँ साहित्य अकादेमीक मैथिली परामर्शदातृ समितिक अध्यक्ष ई कुकर्म करबाक विषयमे सोचितो डराथि।
नव साहित्य अकादेमीक मैथिली परामर्शदातृ समितिक अध्यक्ष आ सदस्य लोकनिक कुकृत्य
नव साहित्य अकादेमीक मैथिली परामर्शदातृ समिति अपन प्रचारमे पुरना समितिक लेल ई श्लोक पढ़लन्हि:
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभुत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥४.७
(श्रीमदभागवदगीता)
जखन-जखन धर्मक नाश आ अधर्मक उत्थान प्रारम्भ हएत हे भरत, तखन-तखन हम आयब (शरीर धारण करब)। आ से ततेक अधर्म भेलै जे नचिकेता आ हुनकर टीम अवतार लेलक।
आ केलक की?
मासो नै बितलै पहिल बैसकीमे मोनोग्राफ, अनुवाद आदिक बँटवारा भेलै आ टीमक सदस्य सभ अपनेमे सभटा असाइनमेण्ट बाँटि लइ गेल, अपना-अपनी आ लगुआ-भगुआमे, नचिकेताजी देखैत रहि गेला, वरन सहयोगे केलखिन्ह। समानान्तर धाराकेँ स्कोर पहिनहियो शून्य रहै, अवतारी पुरुष सभ तकरा शून्ये रखलन्हि।
पुरस्कारक राजनीति
नारायणजी दाड़िमक बदला अनार लिखलन्हि आ बाल साहित्यकार ओ छथि नै, पुरस्कार लेल बाल साहित्य लिखलन्हि। मुन्नी कामतक चुक्का विदेह पेटारमे उपलब्ध अछि, नारायणजी ओइ पोथीकेँ पढ़थु आ निर्णय लेथु जे की ओइ पोथीक सोझाँमे हुनकर पोथी ठठै छन्हि। आ जँ अन्तरात्मामा नै छन्हि तँ हीरेन्द्र झा/ कमल मोहन झा आकि मिश्र चुन्नू सन निर्लज्जतासँ पुरस्कार लेथु, हमर अग्रिम शुभकामना। आ जँ अन्तरात्मा नै मानै छन्हि तँ दलदलसँ बाहर आबथु। [विदेह अंक ३९७ सम्पादकीय]
[मिशेल फोको (Foucault)क "अनुशासन संस्था" बा मनोवैज्ञानिक बार्टन आ ह्वाइटहेडक "गैसलाइटिंग" दुनूक लक्ष्य एक्के छै। मिशेल फोकोक "अनुशासन संस्था" अछि, सोझाँबलाकेँ अनुशासनमे आनू आ तइ लेल सभकेँ आपसेमे लड़ाउ, किछुकेँ पुरस्कृत करू आ जे अनुशासनमे नै अबैए तकरा आस्ते-आस्ते माहुर दियौ। गैसलाइटिंगमे सोझाँबला केँ विश्वास दिआओल जाइत अछि जे अहाँ जे यथास्थितिक विरोध कऽ रहल छी से कोनो विरोध नै, ई तँ सभ कऽ रहल अछि, अहाँ तँ विरोधक नामपर विरोध कऽ रहल छी आ से अपन कमी नुकेबा लेल। ऐमे समाजमे वर्तमान आधारभूत कमीक सहायता सेहो लेल जाइत अछि, आ आस्ते-आस्ते टारगेट बताह भऽ जाइत अछि बा पलायन कऽ जाइत अछि।
मिशेल फोकोक सभटा डिसीप्लिनरी इंस्टीट्यूशन "अनुशासन संस्था" जेना साहित्य अकादेमी, मैथिली अकादमी, मैथिली भोजपुरी अकादमी, आ साहित्य अकादेमी द्वारा मान्यता प्राप्त कथित लिटेरेरी असोसियेशन सभ मूल धारा लग छै। सगर राति दीप जरय केँ मिशेल फोकोक परिभाषित डिसीप्लिनरी इंस्टीट्यूशनमे अनबाक प्रयास बहुत दिनसँ कएल जा रहल छै।