Thursday, July 9, 2009

अधखड़ुआ - जगदीश प्रसाद मण्डल



दूटा चेलाक संग गुरु घूमैले विदा भेलाह। गामसँ निकलि पाँतरमे प्रवेश करिते बाध दिस नजरि पड़लनि‍। सगरे बाध खेत सभमे माटिक ढि‍मका देखलखिन। तीनू गोटे रस्ते परसँ हियासि-हियासि देखए लगलथि जे एना किएक छै। कनीकाल गुनधुन कऽ दुनू चेला गुरुकेँ कहलकनि- “अपने एतै छाहरिमे बैसयौ, हम दुनू भाँइ देखने अबै छी।”
‘बड़बढ़िया’ कहि गुरु बैस रहलथि। दुनू चेला विदा भेल। कातेक खेतसँ ढि‍मका देखैत दुनू गोटे सौंसे बाधक ढि‍मका देखि‍, घुमि‍ गेल। सभ ढि‍मकाक बगलमे कूप खूनल छलै। मुदा कोनो कूपमे पानि नै छलै। सिर्फ एक्केटा कूपमे पानियो छलै आ ढेकुलो गारल छलै। ओना तँ सौंसे बाधे खीराक खेती भेल छल मुदा सभ खेतक लत्ती पानिक दुआरे जरि गेल रहए। सिर्फ एक्केटा खेतमे झमटगर लत्तियो छल आ सोहरी लागल फड़लो रहए।
गुरु लग आबि चेला बाजल- “सभ ढि‍मकाक बगलमे कूप खुनल छै मुदा पानि नै छै सिर्फ एक्केटा कूपमे पानियो छै, ढेकुलो गारल छै आ खेतमे सोहरी लागल खीरो फड़ल छै।”
चेलाक बात धि‍यान सँ सुनि गुरु पुछलखिन- “एना किएक छै?”
दुनू चेला चुप्पे रहल। चेलाकेँ चुप देखि‍ गुरु कहए लगलखिन- “एहेन लोक गामो सभमे ढेरियाएल अछि जे चट मंगनी पट बि‍आह करए चाहैत अछि। जते उथ्थर कूप छै जइमे पानि नै छै, ओ खुननिहारो सभ ओहने उथ्थर अछि। कोनो काज- चाहे आर्थिक होय आकि‍ वौद्धिक आकि‍ सामाजिक- अगर ढंगसँ नै कएल जेतै तँ ओहने हेतै। बीचमे जे एकटा कूप देखलिऐ, ओ खुननिहार किसान मेहनती अछि। अपन धैर्य आ श्रमसँ माटिक तरक पानि निकालि खीरा उपजौने अछि। तँए ओकरा मेहनति‍क फल भेटलै। बाकी सभ कामचोर अछि आशपर पानि फेरा गेलै।”

जितेन्द्र झा मैथिली भाषासं सेहो कम्प्युटर

जितेन्द्र झा
मैथिली भाषासं सेहो कम्प्युटर अपरेट कएल जाए ताहिलेल प्रयास शुरु भेल अछि । परिष्कृत आ समृद्ध भाषा मैथिली एखनो आन भाषाक अपेक्षा कम्प्युटर प्रविधिमे पाछुए अछि ।
पटनामे फ़्युल प्रोजेक्ट अन्तर्गत मैथिली कम्प्युटरीकरण शब्दावलीक मानकीकरणलेल दु दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न भेल अछि । फ़्युल (फ़्रिक्वेन्टनली युज्ड एन्ट्रीज फ़र लोकलाईजेशन) एक ओपन सोर्स प्रोजेक्ट अछि । ई विभिन्न प्लेटफ़र्मके लेल प्रयोग कएल जाएबला कम्युटर शब्दावलीके मानकीकरणके काज विभिन्न भाषाक लेल कएल करैत अछि ।
एहि अवसरपर मैथिलीक विद्वान पण्डित गोविन्द झा कम्प्युटरलेल विशेष रुपे शब्द गढल जएबाक चाही मुदा एखन सामान्य शब्दसं काज चलि जाए त नीक । मैथिली एकेडमीक निर्देशक रघुवीर मोची जमीनी शब्द प्रयोग करबापर जोड दैत कहलनि जे मैथिलीके अपन क्षेत्र विस्तार करबाक चाही । कम्प्युटरमे मैथिलीक लेल कएल जारहल काजके दूरगामी प्रभाव रहल ओ कहलनि ।
प्रोजेक्ट संयोजक राजेश रंजन फ़्युलक कम्प्युटर मानकीकरणके कार्यविधिके विषयमा जनतब दैत कहलनि जे इ समुदाय आधारित प्रोजेक्ट अछि । कार्यक्रममे कम्प्युटरमे बेशी प्रयोग होब' बला 5 सय 78 शब्दपर गहन विचार क" मानक पर आम सहमति बनाओल गेल । मैथिली कम्प्युटक लेल शब्द गढबालेल ई पहिल प्रयास छल ।
कार्यक्रम एएन सिन्हा इन्स्टिच्युट अफ़ इन्स्टीच्युट अफ़ सोसल स्टडिजमे भेल छल जाहिमे रामानन्द झा रमण, मोहन भारद्वाज, सुधीर कुमार, जयप्रकाश, राकेश रोशन, संगीता सहितक विद्वान, अनुवादक आ कम्प्युटर उपभोक्ता सहभागी छल । (साभार विदेह www.videha.co.in )