जनकपुरधाम:
एकीकृत नेकपा माओवादीक अध्यक्ष प्रचण्ड प्रधानमन्त्रीक लेल मधेसी मोर्चा नीक रहत, बतौलन्हि अछि। राष्ट्रपति डा. रामवरण यादव प्रधानमन्त्रीक लेल सहमति करए देने दोसरका अल्टीमेटम सेहो अहिना समाप्त भेलाक बाद तथा कांग्रेस दिस सँ प्रधानमन्त्रीक लेल अपन उम्मेदवार श’सील कोइरालाकेँ खड़ा करौलाक बाद प्रचण्डक एहन अभिव्यक्ति आएल अछि। ओना तँ माओवादी सँ हरेक काम पुछिकऽ करएबला मधेसी मोर्चा दिससँ प्रधानमन्त्रीक प्रस्ताव माओवादी अहिसँ पहिनहु आएल छल मुदा प्रधानमन्त्रीक लेल प्रस्तावित भेल गच्छदारक भूमिका मधेसी मोर्चामे नीक नै रहलासँ हुनकर नाम बादमे बिसराओल गेल छलै। माओवादीकेँ नाया हथियारक रुपमे प्रयोग होबएबला मोर्चा दिससँ नाया प्रस्ताव तमलोपाक अध्यक्ष महन्थ ठाकुरक नाम आएल अछि। ओना तँ चुनावेमे हार पौने ठाकुर एखन धरि नै मधेसक लेल किछु कएने छथि नै तँ किछु बजने छथि। एहन अवस्थामे प्रधानमन्त्रीक लड्डू पौनाइ कोनो छोट बात नइ अछि। यदि गप्प कएल जाए राष्ट्रपतिकेँ अल्टिमटमकेँ तँ ओहन अल्टीमेटम कतेक बितल, अइके गणना नइ कएल जा सकैए। बेर-बेर संविधान बनाबएकेँ समए बढ़ैत-बढ़ैत संविधान सभे विघटन भऽ गेल मुदा एखनो धरि नइ दल सभमे कोनो किसीमके कनीको लाज लागल नै बुझि पड़ैत अछि। एम्हर प्रधानमन्त्रीक लेल राष्ट्रपति समक्ष निवेदन देने किसोरी महतो मौकामे चौका मारए लेल एकदम तैयार बैसल छथि। राष्ट्रपतिक दोसरो देल गेल सहमतिक समए बितलाक बाद अदालत निवेदक महतोकेँ प्रधानमन्त्री किए नइ बनाओल गेल, ओही केँ लेल स्पष्टीकरण मंगलक अछि। एक दिससँ देखल जाए तँ राष्ट्रपति रामवरण यादव सेहो कम मजबूर नइ छथि। संविधान सभाक देहावसान भेलाक बाद संसदीय पद्धति द्वारा बनाओल गेल राष्ट्रपतिकेँ सेहो कोनो अधिकार नै रहत, से धमकी प्रमुख दलक प्रमुख नेता सभसँ अएलाक बाद चुलबुल पाण्डे जी चुलबुल करनाइए बन्द कए देने छथि। आब जेना लगैए, देशक एहन अवस्थामे निकास निकालयके लेल किनको दबंग बनहिटा पड़त। नइ तँ नेपाल विश्वक भ्रष्ट मुलुकमे ३७ अम स्थान मात्रे नइ, नम्बर एक बनैत देर नइ लागत। बिना संविधानक चलि रहल देशकेँ अफगानिस्तान बनैत देर नइ लागत। मधेसक मुक्तिक लेल सशस्त्र भूमिगत रुपमे युद्ध कऽ रहल मोर्चा सभकेँ नेपाल सरकार किछे महिना पहिले वार्तामे आबए, आवहन कएने छलथि। मुदा जखन ई मोर्चा सभ वार्तामे अएलथि तखन सरकारकेँ कोनो मतलब नइ देखल जा रहल अछि। मधेसीक नेता सभ ई सभ देखिओ कऽ चुप्पी किए सधने छै? कहीं फेरसँ देश द्वन्द्वमे नइ फँसि जाइक। यदि एहन भेल तँ अहिके जिम्मेवार यएह दल सभ रहत। दोसर दिस प्रचण्ड सँ अलग भेल माओवादी दल वैध पक्षधर नेकपा– माओवादी देशकेँ जल्दीए निकास नइ निकालत तँ हम सभ फेर सशस्त्र युद्ध करए जंगल ढुकब, जेहन चेतावनी बेर-बेर दऽ चुकल अछि। एहन अवस्थामे नेता सभकेँ इमानदार बननाइ जरुरी रहल अछि। पड़ोसी देश भारतक राज्य बिहारक उदाहरण देखाबएबला नेपाली नेता सभ एखन बिहारक तरक्कीक उदाहरण सेहो देखौक आ सिखाबौक। किएक तँ नेता सभक नौटंकी करए स्थल नेपालकेँ बनाओत तँ जनता किन्नहु नै स्वीकार करत। ध्यान दिअ।
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