Saturday, March 31, 2012

१. यूनीकोड पर साहित्य अकादेमीक कथागोष्ठीमे पर्चा वितरण२ विहनि कथा ३ विदेह गोष्ठी: (परिचर्चा आ प्रैक्टिकल लैबोरेटरीक प्रदर्शन। किछु विचार डाक आ ई-पत्रसँ सेहो आएल।) ४ साहित्य अकादेमीक कथा गोष्ठीकेँ सगर राति दीप जरए कहल जाए? (गजेन्द्र ठाकुर)

१.

यूनीकोड पर साहित्य अकादेमीक कथागोष्ठीमे पर्चा वितरण


 डॉ. रमानन्द झा रमण जी द्वारा यूनीकोड पर साहित्य अकादेमीक कथागोष्ठीमे पर्चा वितरण कएल गेल। ऐसँ मात्र ई स्पष्ट भेल जे पर्चा लिखिनिहारकेँ नहिये यूनीकोडक विषयमे कोनो जानकारी छन्हि आ नहिये वेस्टर्न वा यूनीकोड दुनू फॉन्टक निर्माण कोनो प्रारम्भिक ज्ञान छन्हि। हँ ऐ परचाक ओइ सभ लोक लेल महत्व छै जे सीखय चाहै छथि जे पूर्वाग्रहपूर्ण आ पक्षपातपूर्ण मैथिली साहित्यक इतिहास कोना लिखल जाए। ऐसँ पहिने चेतना समिति अपन स्मारिकामे यूनीकोड लेल चेतना समितिक योगदानक चर्चा देखैत छी! तिरहुता यूनीकोड आवेदनकर्ता अंशुमन पाण्डेय जखन पटना गेल रहथि तँ हम हुनका कहने रहियन्हि जे विद्यापति भवनमे शिव कुमार ठाकुरक दोकान छन्हि, ओतऽ सँ अहाँ मैथिलीक किताब कीनि सकै छी, मुदा दू तीन दिन ओ दोकान आ समिति बन्द रहलाक कारण ओतऽ सँ घुरि गेला, बादमे ओतए एक गोटे कहलकन्हि जे सभ दिन अहाँ अबै छी, से ई समिति अखन कमसँ कम १४-१५ दिन आर बन्द रहत कारण दू ग्रुपमे झगड़ा-झाँटी भऽ गेल छै। ई अनुभव लऽ कऽ ओ घुरल रहथि आ से समिति अपन स्मारिकामे यूनीकोड लेल ओ जे योगदान देलक तकर चर्चा करैत अछि! गोविन्द झा जीक पता मँगलापर एक गोट विद्वान् (!) हुनका कहलखिन्ह जे धुर ओ की बतेता, आ गोविन्द झा जीक पता नै देलखिन्ह आ तखन दोसर ठामसँ हुनका पता उपलब्ध करबाओल गेल।



विहनि कथा 

०६ फरबरी १९९५ मे सहयात्री मंच, लोहना, मधुबनीक बैसारमे मुन्नाजी द्वारा विहनि कथाक शब्दावलीक अवधारणा प्रस्तुत कएल गेल जकर समर्थन श्री राज केलन्हि। एकर समर्थन सर्वश्री शैलेन्द्र आनन्द, भवनाथ भवन, प्रेमचन्द्र पंकज, ललन प्रसाद, प्रभु कुमार मण्डल, मलयनाथ मंडन, अतुलेश्वर, अखिलेश्वर, कुमार राहुल आ सच्चिदानन्द सच्चू केलन्हि। पहिल विहनि कथा गोष्ठी २० फरबरी १९९५ केँ हटाढ़ रुपौलीमे भेल, जइमे विहनि कथाक स्वरूपपर चर्चा आ विहनि कथाक पाठ भेल। ऐ मे शैलेन्द्र आनन्द, श्रीराज, उमाशंकर पाठक, मुन्नाजी, यंत्रनाथ मिश्र, मतिनाथ मिश्र, श्यामानन्द ठाकुर, ललन प्रसाद, भवनाथ भवन, प्रेमचन्द्र पंकज, प्रभु कुमार मण्डल, मलयनाथ मंडन, कुमार राहुल, सच्चिदानन्द सच्चू, विजयानन्द हीरा, सुनील कर्ण, सुश्री मीरा कर्ण, करनजी, विजय शंकर मिश्र, कमलेश झा आदि भाग लेलनि।

विदेहक विहनि कथा विशेषांकमे विहनि कथाक स्वरूप आ ओकर समीक्षाशास्त्रपर ढेर रास चर्चा भेल आ कथाक लम्बाइ आ विहनि कथापर विस्तृत चर्च भेल।

किछु गोटेकेँ “विहनि कथा” शब्दावलीपर आपति अछि। ओ आध पन्नाक कथाक लेल लघुकथा शब्दक प्रयोग करबापर बिर्त छथि। मुदा तखन ३-४ पन्नाक कथा लेल कोन शब्द प्रयोग करब? लघुकथा तँ तइ लेल प्रयुक्त होइ छै। तँ की “अति लघु कथा” शब्दावली विहनि कथा लेल प्रयोग कएल जाए? ऐपर जे तर्क साहित्य अकादेमीक दिल्ली कथा गोष्ठीमे देल गेल से हास्यास्पद अछि। ओ लोकनि ३-४ पन्नाक कथा लेल “कथा”; आ “विहनि कथा” लेल “लघुकथा”; शब्दावलीक प्रयोग करबाक इच्छुक रहथि। मुदा कथा, खिस्सा, पिहानी तँ विहनि कथा, लघु कथा, दीर्घ कथा, उपन्यास सभ लेल प्रयुक्त एकटा शब्दावली अछि, महाकाव्यमे सेहो कथा होइ छै। ऐपर हमरा अपन स्कूल दिनक एकटा खिस्सा (ई विहनि कथा भऽ सकैए) मोन पड़ैत अछि- हिसाबक कक्षामे साइन थीटा बट्टा कौस थीटा बराबड़ की, ई कहलापर एकटा विद्यार्था उत्तर देलक; साइन बट्टा कॉस, कारण थीटा-थीटा कटि जेतै; से ओइ विद्यार्थीक कहब रहै। मास्टर साहैब तमसेलखिन्ह नै, कहलखिन्ह जे बारह बटा सत्रह बराबड़ दू बटा सात हेतै? विद्यार्थी कहलक नै। किए? एक-एक कटि गेलै तँ दू बटा सात भेलै ने।– मास्टर साहैब कहलखिन्ह। विद्यार्थी कहलकै- नै। बारह आ सत्रह तँ स्वतंत्र अस्तित्व बला अछि। तखन मास्टर साहैब कहलखिन्ह- तहिना साइन थीटा आ कौस थीटा स्वतंत्र अस्तित्व बला अछि।

ऐ डिसकसनक बाद “विहनि कथा” शब्दावलीपर आपति करैबला लोकनि बात बुझि जेता से आशा अछि।

विहनि कथाक अतिरिक्त आर सभ विधापर जे डिसकसन जरिआएल छल से विदेह गोष्ठी सभ द्वारा अन्तिम रूप देल जा चुकल अछि।




विदेह गोष्ठी: (परिचर्चा आ प्रैक्टिकल लैबोरेटरीक प्रदर्शन। किछु विचार डाक आ ई-पत्रसँ सेहो आएल।) http://esamaad.blogspot.in/p/blog-page_05.html

मैथिली नाटक रंगमंच फिल्मपर: २८-२९ जनवरी २०१२ स्थान चनौरागंज,झंझारपुर। निर्मली, जिला सुपौलमे अन्तिम परिचर्चा आधुनिक मैथिली नाटक आ रंगमंचपर: १७-१८ सितम्बर २०११ आ २४-२५ सितम्बर २०११केँ।

 मैथिली गजल, कता, रुबाइपर निर्मली, जिला सुपौलमे अन्तिम परिचर्चा: २६-२७ नवम्बर २०११ आ ०३ आ ०४ दिसम्बर २०११

 मैथिली हाइकू, टनका,शेर्न्यू, हैगा, हैबून पर निर्मली, जिला सुपौलमे अन्तिम परिचर्चा; १२-१३ नवम्बर २०११ आ १९-२० नवम्बर २०११

 मैथिली बाल साहित्यपर निर्मली, जिला सुपौलमे अन्तिम परिचर्चा; १५-१६ अक्टूबर २०११ आ २२-२३ अक्टूबर २०११

 मैथिली विहनि, लघु, दीर्घ कथा आ उपन्यास पर निर्मली, जिला सुपौलमे अन्तिम परिचर्चा; २९-३० अक्टूबर २०११ आ ०५-०६ नवम्बर २०११

 मैथिली प्रबन्ध, निबन्ध, समालोचना, अनुवाद, मानक मैथिली आ शब्दावली पर निर्मली, जिला सुपौलमे अन्तिम परिचर्चा; ०१-०२ अक्टूबर २०११ आ ०८-०९ अक्टूबर २०११

 मैथिली महिला आ फेमिनिस्ट लेखन पर निर्मली, जिला सुपौलमे अन्तिम परिचर्चा; ०३-०४ सितम्बर २०११ आ १०-११ सितम्बर २०११

 मैथिली कला-शिल्प-संगीत पर निर्मली, जिला सुपौलमे अन्तिम परिचर्चा; २०-२१ अगस्त २०११ आ २७-२८ अगस्त २०११

 मैथिली हास्य-व्यंग्य पर निर्मली, जिला सुपौलमे अन्तिम परिचर्चा; ०६-०७ अगस्त २०११ आ १३-१४ अगस्त २०११

 मैथिली गूगल ट्रान्सलेटर टूलकिट, गूगल ट्रान्सलेट, गूगल लैंगुएज टूल, मैथिली विकीपीडिया, कैथी आ तिरहुता यूनीकोडक एनकोडिंग पर निर्मली, जिला सुपौलमे अन्तिम परिचर्चा; ०६-०७ दिसम्बर २००८, १३-१४ दिसम्बर २००८, ०५-०६ दिसम्बर २००९, १२-१३ दिसम्बर २००९, ०४-०५ दिसम्बर २०१०, ११-१२ दिसम्बर २०१०, १७-१८ दिसम्बर २०११, २४-२५ दिसम्बर २०११


 मैथिली मे प्राथमिक आ मध्य विद्यालयी शिक्षा मैथिली माध्यमसँ मिथिलामे करेबा लेल निर्मली, जिला सुपौलमे परिचर्चा; ०३ फरबरी २०१२

 ४

साहित्य अकादेमीक कथा गोष्ठीकेँ सगर राति दीप जरए कहल जाए? 

अजित आजाद- प्रभास कुमार चौधरी द्वारा बनारसमे आयोजित सगर राति दीप जरय मे हिन्दी कहानीक पाठ भेल छल। पटनामे आयोजित सगर राति दीप जरयमे सेहो हिन्दीमे कहानी पाठ भेल छल। कथाकार रहथि हृषकेश सुलभ आ संतोष दीक्षित, उर्दू भोजपुरी आ मगहीमे सेहो कथा पाठ भऽ चुकल अछि। महिषी कथा गोष्ठी (१३ अप्रैल १९९७) एक संस्था द्वारा प्रायोजित छल। पूर्णियाँ गोष्ठीकेँ सेहो एक प्रायोजक भेटल छल। पटनामे हम स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया, लाइफ इन्स्योरेन्स कॉरपोरेशन आ सुधा द्वारा प्रायोजित करेने छी। एहिमे हर्ज की छैक? सगर राति दीप जरयक मंच सभ लेल खुजल छैक मुदा मैथिलीक शर्तपर नै।

रूपेश कुमार झा त्योंथ: आइ जे ज्ञात भेल अछि मैथिली हेतु शर्मनाक छैक। मैथिली कथा गोष्ठीक नामपर ई सभ की भऽ रहल अछि? छी..। सभ बइमनमा सभ बैसल अछि मैथिली केर ठिकेदार बनि कऽ एकरा सभसँ यएह आशा कएल जा सकैत अछि।

विनीत उत्पल: रमानंद झा रमण जी जे परचा वितरण करबैने रहथिन हम ओकरा तखने देखने रही, परचासँ लागल जे हुनकर ज्ञान इंटनेटकेँ लऽ कऽ नहि करे बराबर अछि। अप्पन बड़ाइ सभ कियो कऽ सकैत अछि, दोसराक करी तखन कोनो गप होएत। परचा छपायब कोनो पैघ वा छोट गप नहि अछि मुदा ओइमे जे छपल अछि ओकरा लऽ कऽ गंभीर हेबाक चाही। इंटरनेट/ तिरहुता यूनीकोड केँ लऽ कऽ के कत्ते काज कऽ रहल अछि तकरा लेल ठीक तथ्यक कोनो परचा छपबैक चाही। तखन विश्व्वनीयता बनल रहत। रमणजी एहन विद्वान आ आदरणीय लोकसँ ई उम्मीद नहि छल। मैथिलीक विस्तारसँ मिथिला बढ़त। 

अजित आजाद जी केँ स्पष्टीकरण देबाक चाही। मामला गंभीर अछि. हम सभ मैथिली भाषाक लेल काज कऽ रहल छी नहि कि कोर्टमे। एक गलती केँ पुख्ता करैक लेल पहिलुका गलतीक उदहारण नहि देल जा सकैत अछि। ई कहय मे कोनो संकोच नहि जे अजित आजादजी बड़ स्टेमिनाबला आ कर्मठ लोक अछि। बारह घंटा धरि मंच संचालन सामान्य लोक नहि कऽ सकैत अछि, जे हम दिल्ली गोष्ठीमे देखलहुं। हुनकामे किछु दिव्य शक्ति तँ अछि ताहि सँ ओ बड़ गंभीर भऽ कऽ मंच संचालन कऽ सकलखिन। मुदा कनी-कनी गपक वा अनर्गल गपक कारण हुनकर स्तर नीचाँ आबि जाइत अछि। हुनका अहि पर ध्यान देबाक चाही। 

जौं टी.ए/ डी.ए क गप अछि तँ प्रकाश जी/ नवीन जी/ अजित आजाद जी सँ अनुरोध जे अहि गप केँ स्पष्ट कएल जाय जे टी.ए/ डी.ए देल गेल अछि वा नै। दिल्लीमे रहैबला लोक तँ ओहिना पहुँचबे कएल, मुदा जे बाहर सँ आयल छल ओकर की हिसाब-किताब छल। जौं ई तीनू गोटेमे कियो अहि मामलाकेँ स्पष्ट करय तँ ठीक नहि तँ अहि मामले मे तीनू गोटेक मौन सहमति बुझल जाय। 

उमेश मण्डल:‎ ''मिथिला विश्वविद्यालयक “मैथिली” पत्रिकामे वीणा ठाकुर जगदीश प्रसाद मण्डल आ शिव कुमार झा जीक आलेख मंगबेलन्हि मुदा डिपार्टमेन्टक एकटा प्राध्यापक दुनू गोटेक आलेख हटा देलन्हि।'' हमरे सँ मंगबेने रहथि।  


गजेन्द्र ठाकुर: अजित आजाद जी अही तरहक लूज टाक करैत रहै छथि/ हमरा लग सगर रातिक रजिस्टर क कोपी अछि, की अहाँ ओइ कथा सभक पन्ना बता सकै छी ? अरविन्द ठाकुर जीक सुपौल गोष्ठीमे सेहो हिन्दी कथाक पाठक सूचना अछि। तँ की सगर राति केँ हिन्दीक गोष्ठी बना देल जाए? बैजू कबिलपुर मे मिथिला राज्य लेल बाजल रहथि तँ की सगर राति केँ मिथिला राज्यक मंच बना देल जाए ? अजित आजाद केँ बुझल छनि जे एल.आइ. सी. आ स्टेट बैंकक एडवर्टीजमेन्टक की पालिसी छै? की साहित्य अकादेमीक लोगो मात्र एडवर्टीजमेन्ट छल? नै, ओ स्वामित्व छल जे दिल्लीक कथा गोष्ठीकें सागर राति नै हेबऽ देलकै/अजित आजाद जी अही तरहक लूज टाक करैत रहै छथि/ ओ कबिलपुरेमे यंत्रनाथ जीक सुतबाक चर्चा करैत कहने रहथि -"कहि देल गेलन्हि गेट आउट" तँ की ई सगर रातिक अंग भऽ गेल? सुपौलमे ओ की केने रहथि? उमेश मंडल जी केँ ओ कहलनि जे ऐ बेरुका टैगोर साहित्य सम्मान जगदीश प्रसाद मंडल केँ भेटतनि, मुदा फेर शंकरदेव झाक फोन एलनि उमेशजीकेँ जे अजित आजाद टैगोर साहित्य सम्मानक ग्राउंड लिस्ट बनेलनि आ जगदीश प्रसाद मंडलक पोथीक नाम ग्राउण्डे लिस्टमे ओ नै देलनि ? ई कथनी करनीमे फर्क किए? “कथा पारस” मे शिव कुमार झा जीक कथा सम्पादक अशोक अविचल देलनि मुदा सहायक सम्पादक अजित आजाद जातिवादी मानसिकताक चलते काटि देलनि (जेना अशोक अविचल कहै छथि)? तहिना मिथिला विश्वविद्यालयक “मैथिली” पत्रिकामे वीणा ठाकुर जगदीश प्रसाद मण्डल आ शिव कुमार झा जीक आलेख मंगबेलन्हि मुदा डिपार्टमेन्टक एकटा प्राध्यापक दुनू गोटेक आलेख हटा देलन्हि। शिव कुमार झा आ जगदीश प्रसाद मण्डलक क समीक्षाक दलित विमर्शसँ सभ घबड़ा गेल छथि? सीरियस डिस्कसन मे अजित आजाद जी ऐ तरहक लूज टाक की साहित्य अकादेमीक इशारा पर कऽ रहल छथि, जे अपन गोष्ठी मे मैथिली पोथीक प्रदर्शनक अनुमति नै देलक?

जगदीश प्रसाद मण्डल, बेचन ठाकुर, कपिलेश्वर राउत, राजदेव मण्डल, उमेश पासवान, अच्छेलालशास्त्री, दुर्गानन्द मण्डल, झाड़ूदारजी आदि श्रेष्ठ कथाकार लोकनिकेँ एकटा पोस्टकार्डो नै देबाक आयोजन मण्डलक निर्णय अद्भुत अछि, ओना तै सँ ऐ लेखक सभक स्टेचरपर कोनो फर्क नै पड़तन्हि। भऽ सकैए ७५म गोष्ठीक आयोजक अशोक आ कमलमोहन चुन्नू वर्तमान आयोजककेँ हुनकर सभक पता सायास वा अनायास नै देने हेथिन्ह आ वर्तमान आयोजक केँ से सुविधाजनक लागल हेतन्हि। जगदीश प्रसाद मण्डलजीक आयोजनमे सभ धोआधोतीधारी आ चन्दन टीका पाग धारी भोज खा आएल छथि, मुदा बजेबा कालमे अपन आयोजनकेँ बभनभोज बनेबापर बिर्त छथि।ओना ई आयोजन साहित्य अकादेमीक फण्डसँ आयोजित भेल आ एकरा साहित्य अकादेमीक कथा गोष्ठी मात्र मानल जाए। मैथिली साहित्यक इतिहासमे ७६ म सगर राति दीप जरयक रूपमे ऐ जातिवादी गोष्ठीकेँ मान्यता नै देल जा सकत। साहित्य अकादेमीक मैथिली विभागक जातिवादी चेहरा एक बेर फेर सोझाँ आएल अछि जखन ओ मैथिलीक एकमात्र स्वायत्त गोष्ठीकेँ तोड़ि देलक।

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