"सगर राति दीप जरय"केर अन्त आ साहित्य अकादेमी कथा गोष्ठीक उदय (रिपोर्ट आशीष अनचिन्हार)
२१ जुलाइ २००७केँ सहरसा "सगर राति दीप जरय"मे जीवकांत जी मैथिलीकेँ राजरोगसँ ग्रसित हेबाक संकेत देने छलाह। आ तकरा बाद लेखक सभकेँ मैथिलीकेँ ऐ राजरोगसँ बचेबाक आग्रह रमानंद झा रमण केने छलाह। मुदा हमरा जनैत- ई मात्र सुग्गा-रटन्त भेल। कारण ई राजरोग आस्ते-आस्ते जीवकांत जी आ रमण जीक आँखिक सामने मैथिलीकेँ गछाड़ि लेलकै। मैथिलीक ई रोगक बेमरिआह स्वरूप आर बेसी फरिच्छ भऽ कऽ दिल्लीक धरतीपर "मैलोरंग" द्वारा संचालित आ साहित्य अकादेमीक पाइक बलें कुदैत "सगर राति दीप जरय" मैथिली भाषाकेँ मारि देलक।
२४ मार्च २०१२केँ साँझ धरिलोक भ्रममे छल जे दिल्लीमे "सगर राति दीप जरए" केर आयोजन भऽ रहल छै। संयोजक देवशंकर नवीन माला उठेने रहथि, मुदा आगाँ प्रकाश आ फेर मैलोरंग नै जानि कतऽ सँ आबि गेलै, आ अतत्तः तखन भेलै जे बादमे पता चललै जे ओ सगर राति नै छल ओ तँ "मैलोरंग" द्वारा संचालित आ साहित्य अकादेमीक पाइसँ आयोजित मात्र कथा गोष्ठी छल। मैलोरंग एकरा ७६म "सगर राति दीप जरय"क रूपमे आयोजित करबाक नियार केने छल मुदा "सगर राति दीप जरय" मे आइ धरि सरकारी साहित्यिक संस्थासँ फण्ड लेबाक कोनो प्रावधान नै रहै, से ई ७६म "सगर राति दीप जरय"क क्रम टूटि गेलै आ तँए ई ७६ कथा गोष्ठीक रूपमे मान्यता नै प्राप्त कऽ सकल। पाइ साहित्य अकादेमीक लागल छलै एकर प्रमाण फोटो सभमे सहयोगक रूपे " साहित्य अकादेमी"क नाम देखाइ स्पष्ट रूपे पड़त। आ अकादेमीक पर्यवेक्षकक रूपमे देवेन्द्र कुमार देवेश आएल छलाह। साहित्य अकादेमी द्वारा मैथिलीक ऐ एकमात्र स्वायत्त गोष्ठीकेँ तोड़बाक प्रयासक साहित्य जगतमे भर्त्सना कएल जा रहल अछि। ओना हम स्पष्ट कही जे राजरोगकेँ हटेबाक बात करए बला रमानंद झा रमण सेहो ऐ कूकृत्यकेँ आँखिसँ देखलन्हि आ मौन सम्मति देलनि। आब चूँकि ई "सगर राति दीप जरए" नै छल तँए आगूक एकर विवेचन हम मात्र कथा गोष्ठीक रूपमे करब।
चूँकि लोकमे भ्रम पैदा कएल गेल छलै जे ई "सगर राति दीप जरए" अछि तँए विदेह दिससँ पोथीक स्टाल लगाएल जा रहल छल कथा स्थलपर, मुदा ओही समय "मैलोरंग"केर कर्ता-धर्ता प्रकाश झा द्वारा ऐपर रोक लगा देल गेलै। प्रकाश जी कहलखिन्ह जे जँ फ्रीमे बँटबै तखने स्टाल संभव हएत। मुदा हुनक विचारकेँ स्टाल व्यवस्थापक आशीष चौधरी द्वारा नकारि देल गेल। आ एकर विरोधमे विदेहक संपादक गजेन्द्र ठाकुर कथास्थलसँ निकलि गेलाह। ऐकथा गोष्ठीक शुरूआतमे ओना हम अपने फेसबूकपर घोषणा केने रही जे गजल आ हाइकूक पोस्टर प्रदर्शनी करब सगर रातिमे, मुदा जखन ओ सगर रात छलैहे नै तखन हम सभ कतए करब आ ताहिपर विदेह पोथी स्टालक विरोधक बाद! हमरा लोकनि एकर विरोध करैत ऐ पोस्टर प्रदर्शनीकेँ स्थगित कऽ देलौं। ऐ कथा गोष्ठीक आरंभ बारह गोट पोथीक विमोचनसँ भेल। जइमे कुल पाँच हिन्दी-उर्दूक पोथी छल आ सातटा मैथिलीक।
- रहुआ संग्रामसँ जे मैथिली साहित्यमे गैर ब्राम्हण मुदा टेलेन्टेड प्रतिभा एनाइ शुरू भेल छल से एहिठाम टुटि गेल।
-कथा गोष्ठीक निअम छलै जे कथाकार-साहित्यकार वा श्रोता अपन खर्चापर एताह-जेताह मुदा बात जखन दिल्लीकेर होइ तँ संयोजक अपन इष्ट सभहँक लेल नीक जकाँ पाइ खरचा केलाह। एकर परिणाम कतेक भयंकर हेतै से सहजहि सोचल जा सकैए।
-दिल्लीसँ पहिने हरेक कथा गोष्ठीक निअम छलै जे " जे कथाकार पहुँचता से कथा पढ़ताह"। मुदा एहि बेर संयोजक घोषणा केलाह जे जिनका हम निमंत्रण पढ़ेबन्हि सएह एताह वा जिनका एबाक छन्हि से अपन स्वीकार पत्र पठाबथि। भविष्यपर एहि निअम सेहो प्रभाव पड़तै से लागि रहल अछि। अस्तु एहि एतेक कीर्तिमान स्थापित केलाक बाद जे इ गोष्ठी भेल आब ताहिकेँ देखी---
ई कथा गोष्ठी आठ सत्रमे बाँटल छल। अध्यक्ष छलाह गंगेश गुंजन आ संचालक छलाह अजित कुमार अजाद।
साहित्य अकादेमीक कथा गोष्ठीक पहिल सत्रमे विभूति आनन्द (छाहरि), मेनका मल्लिक(मलहम) आ प्रवीण भारद्वाजक (पुरुखारख) कथाक पाठ भेल।
कथापर समीक्षा अशोक मेहता आ रमानन्द झा रमण केलन्हि। अशोक मेहता कहलन्हि जे विभूति आनन्दक कथामे किछु शब्दक प्रयोग खटकल। मेनका मल्लिकक भाषाक सन्दर्भमे ओ कहलन्हि जे एतेक दिनसँ बेगूसरायमे रहलाक बादो हुनकर भाषा अखनो दरभंगा, मधुबनीयेक अछि। प्रवीण भारद्वाजक कथाक सन्दर्भमे ओ कहलन्हि जे कथाकार नव छथि से तै हिसाबे हुनकर कथा नीक छन्हि।
रमानन्द झा रमण विभूति आनन्दक कथामे हिन्दी शब्दक बाहुल्यपर चिन्ता व्यक्त केलन्हि। मेनका मल्लिकक कथाक सन्दर्भमे ओ कहलन्हि जे महिला लेखन आगाँ बढ़ल अछि। प्रवीण भारद्वाजक कथाक भाषाकेँ ओ नैबन्धिक कहलन्हि आ आशा केलन्हि जे आगाँ जा कऽ हुनकर भाषा ठीक भऽ जेतन्हि।
तकर बाद श्रोताक बेर आएल, सौम्या झा विभूति आनन्दक कथाकेँ अपूर्ण, ओइ इलाकासँ कटल लगलन्ह् मुदा ओ कहलन्हि जे हुनका ई कथा नीक लगलन्हि मुदा ऐमे कमी छै, देवशंकर नवीन विभूति आनन्दक पक्षमे बीच बचावमे (!!!) एलाह मुदा सौम्या झा अपन बातपर अडिग रहलीह। आशीष अनचिन्हार विभूति आनन्दसँ हुनकर कथाक एकटा टेक्निकल शब्द "अभद्र मिस कॉल"क अर्थ पुछलन्हि तँ देवशंकर नवीन राजकमलक कोनो कथाक असन्दर्भित तथ्यपर २० मिनट धरि विभूति आनन्दक पक्षमे बीच बचाव करैत रहला (!!!), अनन्तः विभूति आनन्द श्रोताक प्रश्नक उत्तर नै देलन्हि।
दोसर सत्रमे विभा रानीक कथा सपनकेँ नै भरमाउ, विनीत उत्पलक कथा निमंत्रण, आ दुखमोचन झाक छुटैत संस्कारक पाठ भेल। विभा रानीक कथा पर समीक्षा करैत मलंगिया एकरा बोल्ड कथा कहलन्हि, सारंग कुमार कथोपकथनकेँ छोट करबा लेल कहलन्हि, कमल कान्त झा एकरा अस्वभाविक कथा कहलन्हि आ कहलन्हि जे माए बेटाक अवहेलना नै कऽ सकैए, मुदा श्रीधरम कहलन्हि जे जँ बेटाक चरित्र बदलतै तँ मायोक चरित्र बदलतै। कमल मोहन चुन्नू कहलन्हि जे ई कथा घरबाहर मे प्रकाशित अछि। आयोजक कहलन्हि जे विभा रानीक कथा सपनकेँ नै भरमाउ केँ ऐ गोष्ठीसँ बाहर कएल जा रहल अछि।
विनीत उत्पलक कथा निमंत्रण पर मलंगिया जीक विचार छल जे ई उमेरक हिसाबे प्रेमकथा अछि। सारंग कुमार एकरा महानगरीय कथा कहलन्हि मुदा एकर गढ़निकेँ मजगूत करबाक आवश्यकता अछि, कहलन्हि। श्रीधरम ऐ कथामे लेखकीय ईमानदारी देखलन्हि मुदा एकर पुनर्लेखनक आवश्यकतापर जोर देलन्हि। हीरेन्द्रकेँ ई कथा गुलशन नन्दाक कथा मोन पाड़लकन्हि मुदा प्रदीप बिहारी हीरेन्द्रक गपसँ सहमत नै रहथि। ओ एकरा आइ काल्हिक खाढ़ीक कथा कहलन्हि।दुखमोचन झाक छुटैत संस्कारपर मलंगिया जी किछु नै बजला, ओ कहलन्हि जे ओ ई कथा नै सुनलन्हि। सारंग कुमार एकरा रेखाचित्र कहलन्हि। कमलकान्त झाकेँ ई संस्कारी कथा लगलन्हि। श्रीधरमकेँ आरम्भ नीक आ अन्त खराप लगलन्हि। शुभेन्दु शेखरकेँ जेनेरेशन गैप सन लगलन्हि आ कमल मोहन चुन्नूकेँ ई यात्रा वृत्तान्त लगलन्हि। दोसर सत्रमे श्रोताक सहभागिया शून्य जकाँ रहल।
दोसर सत्रक बाद भोजन भेल। भोजनमे भात-दालि तरकारी, भुजिया-पापड़, दही आ चिन्नी बेसी बला रसगुल्ला छल। आ भोजनक बाद शून्यकाल। शून्यकाल केर माने जे भोजन करू आ कथा स्थलकेँ शून्य करू। मुदा अधिकाशं छलाहे आ किछु जेनाकी विभूति आनंद शून्यमे विलीन भऽ गेल छला। शून्य कालक दौरान हीरेन्द्र कुमार झा द्वारा मैथिलीमे बाल साहित्यकेर विकासक बात राखल गेल। ओ जोर देलन्हि जे बाल साहित्य मुफ्तमे बाँटल जेबाक चाही। किछु गोटेँ ऐ बातपर जोर देलन्हि जे भविष्यमे जे सगर राति हएत ओइमे सँ कोनो एकटा आयोजन पूरा-पूरी बालकथा पर हेबाक चाही। मुदा आशचर्यक विखय ई रहल जे देवशंकर नवीन" इंटरनेट पर विदेहक माध्यमे आबैत बाल साहित्यकेँ बिसरि गेलह जखन की ओ इंटरनेटक गतिविधिसँ परिचित छथि। ओही क्रममे आशीष अनचिन्हार द्वारा हीरेन्द्र जीकेँ मुफ्त डाउनलोड प्रक्रिया बताएल गेल। मुदा नतीजा वएह- जनैत-बुझैत इंटरनेटपर सुलभ बाल साहित्यकेँ एकटा सुनियोजित तरीकासँ कात कएल गेल। बात जखन हरेक विधामे बाल साहित्य लिखबा पर आएल तखन पहिल बेर आशीष अनचिन्हार द्वारा मैथिलीमे "बाल गजल" केर परिकल्पना देल गेल। मुदा एकटा बात रोचक जे बाल साहित्यकेर चर्चा पुरस्कारक बात पर अटकि गेलै। किनको ई दुख छलन्हि जे आब हमर सबहक उम्र बीति गेल तखन ई शुरू भेल। तँ किनको ई दुख छलन्हि जे अमुक अपन कनियाँ केर नामसँ व्योंतमे लागल छथि। ऐ बहसक दौरान अविनाश जी ऐ बातपर जोर देलन्हि जे "बाल कथा"क तर्ज पर "व्यस्क कथा" सेहो हेबाक चाही। ओना जे पटना सगर रातिमे सहभागी हेताह से अविनाश जीसँ नीक जकाँ परिचित हेताह से उम्मेद अछि।
धनाकर जीक रंगीन जलपर रिपोर्ट कएक ठाम आएल अछि(विदेह फेसबुक आ घर बाहरमे सेहो)।
शून्यकालक बाद तेसर स्तर शुरू भेल- ई विशुद्भ रूपे विहनि कथापर आधारित छल। ऐमे मुन्ना जी चश्मा, सेवक आ कट्टरपंथी नामक तीन टा विहनि कथा पढलन्हि। अरविन्द ठाकुर दूगोट विहनि कथा-दाम आ अगम-अगोचर पढलन्हि। प्रदीप बिहारी बूड़ि नामक विहनि कथा पढ़लन्हि। ऐ सत्रक मुख्य बात ई रहल जे मुन्ना जी लघुकथा नै बल्कि विहनि कथा कहबा पर जोर देलन्हि मुदा हुनकर उन्टा अशोक मेहता कहलन्हि जे लघुकथा नाम ठीक छै। ऐ सत्रमे मुन्ना जी सगर रातिकेर कोनो एकटा आयोजन विहनि कथापर करबा पर जोर देलन्हि।
श्रोतामेसँ आशीष अनचिन्हार मुन्ना जीक विहनिकथा "चश्मा"केँ आधुनिक जीवनमे पनपैत नकली संवेदनाकेँ देखार करैत कथा कहलन्हि। ऐसँ पहिने देवशंकर नवीन जी समाजमे पसरैत असंवेदनाकेँ रेखांकित केने छलाह अपन वक्त्व्यमे। अनचिन्हार संवेदनाक एहू पक्षपर नवीन जीकेँ धेआन देओलखिन्ह। ऐ विहनि कथा सभपर अनेक टिप्पणी सभ आएल। मुदा वएह जे नीक लागल, बड्ड नीक आदि फर्मेटमे।
चारिम सत्रमे हीरेन्द्र कुमार झाक दीर्घकथा " एकटा छल गाम" आ पंकज सत्यम केर कथा " एकटा विक्षिप्तक चिट्ठी" आएल। एकटा छल गाम पर चुन्नू जी कहलखिन्ह जे कथा बेसी नमरल अछि मुदा कथ्य नीक अछि। श्री धरम जी चुन्नू जीक आलोचनासँ सहमत छलाह। संगे संग चुन्नू जी कहलखिन्ह जे ऐमे गामक चिंता नीक जकाँ आएल अछि। आ श्रीधरम कहलखिन्ह जे दलित उभार जँ ऐकथामे अबितै तँ आर नीक रहितै। श्रोता वर्गसँ आशीष अनचिन्हार द्वारा कमल मोहन चुन्नू जीकेँ कहल गेलन्हि जे या तँ ओ जगदीश प्रसाद मंडलक कथा नै पढने छथि वा बिसरि गेल छथि। जँ चुन्नू जी जगदीश मंडल जीक कथामे अबैत गामक चिंताक बाटे हीरेन्द्र जीक गामक चिन्ता देखथि तँ ओ आरो नीक जकाँ आलोचना कऽ सकै छलाह। हमर ऐ बात पर आयोजकक एकटा परम ब्राम्हणवादी सदस्य कहलाह जे अहाँ जगदीश मंडल जीक कथाक उदाहरण दिअ हम देबए लेल तैयार छलहुँ मुदा संचालक ओइ ब्राम्हणवादी सदस्यकेँ बतकुट्टौलि करबासँ रोकि देलन्हि। ऐ सत्रक आन आलोचक सभ प्रदीप बिहारी, अविनाश, रमण कुमार सिंह आदि छलाह।
पाँचम सत्रमे दीनबंधु जीक कथा "अपराधी", विनयमोहन जगदीश जी "संकल्पक बल" आ आशीष अनचिन्हारक "काटल कथा" पढ़ल गेल।आशीष अनचिन्हारक कथा पर चुन्नू जी कहलाह जे शिल्प क तौर पर ई असफल कथा अछि संगे संग कोन बात कतए छै से स्पष्ट नै छै। पाठक कन्फ्यूज्ड भऽ जाइत छथि। ऐबातकेँ आर बिस्तार दैत कमलेश किशोर झा कहलखिन्ह जे ऐ कथामे सेन्ट्रल प्वांइट केर अभाव छै। मुकेश झा कहलखिन्ह जे अनचिन्हार जीकेँ कोनो डाक्टर नै कहने छथिन्ह जे अहाँ कथा लीखू। तेनाहिते आशीष झा( पति कुमुद सिंह) कहलखिन्ह जे हमरा आधा बुझाएल आधा नै बुझाएल ई कथा छल की रिपोर्ट से नै पता। विनयमोहन जगदीश जी पर चुन्नु जी कहलखिन्ह जे कथामे नमार बेसी छै। ई लोकनि दीनबंधु जीक कथाक सेहो आलोचना केलन्हि मुदा चलंत स्टाइलमे।
छठम सत्रमे काश्यप कमल जीक दीर्घकथा- भोट, कमलेश किशोर झाक -गुदरिया पढल गेल। लिस्टमे तँ कौशल झाक न्याय नामक कथा सेहो छल मुदा पढ़बा काल धरि ओ स्थल पर नै छलाह। भोट कथा पर मुन्ना जीक कहब छलन्हि जे हँसीसँ सूतल लोककेँ जगा देलक ई कथा। कमलेश जीक कथा सेहो नीक छल मुदा वएह चलंत आलोचना।
सातम सत्रमे अशोक कुमार मेहता-"बाइट", कमलकांत झा -"विद्दति" आ महेन्द्र मलंगिया जीक कथा- लंच (वाचन प्रकाश झा) आएल। हीरेन्द्र झा मेहता जीक कथाकेँ कमजोर गढ़निक मानलन्हि। कमलकांत जीक कथाकेँ सुन्दर वर्णनात्मक खास कऽ बस बला प्रसंग केँ नीक कहलखिन्ह। मलंगिया जीक कथाकेँ नीक तँ कहलखिन्ह मुदा इहो कहलखिन्ह जे अंत एकर कमजोर छै। चुन्नू जी बाइट कथाक गढ़निकेँ कमजोर मानलन्हि आ कमलकांत आ मलंगिया जीक कथाकेँ अपराधिक पृष्ठभूमि बला मानलन्हि।
आठम सत्र अध्यक्षीय भाषण आ हुनक शीर्षक हीन मौखिक कथासँ समाप्त भेल।
एतेक भेलाकेँ बाद अगिला सगर राति ( के जानए जे फेर कथा गोष्ठी)क संयोजक केर खोज शुरू भेल। पहिल प्रस्ताव अरविन्द ठाकुर सुपौल लेल देलखिन्ह आ दोसर विभारानी चेन्नै लेल। आ तेसर प्रस्ताव दिल्लीसँ भवेश नंदन जीक छलन्हि। सभसँ राय पूछल गलै। बहुत गोटेँ चेन्नैक पक्षमे एलाह। अंततः ७६म "सगर राति दीप जरय"क विभारानीकेँ रूपमे एकटा महिला संयोजक सगर रातिके भेटल|
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