मैथिलक वर्तमान समस्या- गजेन्द्र ठाकुर (साभार पूर्वोत्तर मैथिल अप्रैल-जून २०१०)
सर्वहारा मैथिल संस्कृति एकटा विप्लवक दौरसँ चलि रहल अछि। माइग्रेशन एकटा नीक गप होइत अछि मुदा जाहि संस्कृतिमे एक पीढ़ीमे गामक गाम सुन्न भऽ गेल ओहिमे माइग्रेशन एकटा अभिशाप बनि आएल अछि। मैथिल संस्कृतिक बीस प्रतिशत भाग नेपालमे आ अस्सी प्रतिशत भाग भारतमे पड़ैत अछि। आ एहि माइग्रेसनसँ एतए आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक आ सांस्कृतिक संकट उत्पन्न भऽ गेल अछि।
कारण: १९६७ ई. क अकाल आ तकर बादक कएक सालक शिथिल प्रशासन आ फेर १९८७ ई.क बाढ़ि आ तकर बादक कएक सालक शिथिल प्रशासन ई सभ मिलि कऽ एकटा आर्थिक संकट उत्पन्न कएल जाहिसँ माइग्रेशन अपन विकट रूपमे सोझाँ आएल आ एकटा सांस्कृतिक संकट उत्पन्न भेल। आर्थिक स्थिति खराप भेने जातिगत कट्टरता बढ़िते अछि।आ एहि संकट लेल आ एकरासँ निकलबाक लेल मिथिलाक संस्कृतिमे बहुत रास सहायक आ विरोधी तत्व सेहो उपलब्ध अछि। एतुक्का भाषाक कोमल आरोह-अवरोह, एतुक्का सर्वहारा वर्गक सर्वगुणसंपन्नता, संगहि एतुक्का रहन-सहन आ संस्कृतिक कट्टरता, ई सभटा मिथिलाक इतिहासक अंग अछि। एहिमे राजनीति, दिनचर्या, सामाजिक मान्यता, आर्थिक स्थिति, नैतिकता, धर्म, दर्शन आ साहित्य सेहो सम्मिलित अछि । एतए विद्यापति सन लोक भेलाह जे समाजक विभिन्न वर्गकेँ समेटि कऽ राखलन्हि तँ संगहि एतए कट्टर तत्व सेहो रहल।
शिक्षा, जाति-पाति आ स्त्रीक दशा: जातिक भीतरक स्तरीकरण, दू जातिक बीचमे मतभेद, बहु-विवाह, बाल-विवाह, बिकौआ विवाह। बाल-विवाहक विरोध आ विधवा विवाहक पक्षमे कोनो सांकेतिक आन्दोलन धरि नहि भेल। शूद्र कवि ऐलूष वैदिक ऋचा लिखलन्हि तँ ओ समाज एतेक सुदृढ़ छल जे शुद्दक गण द्वारा एलेक्जेन्डरकेँ कड़गर विरोध सहए पड़लैक। मिथिलाक सन्दर्भमे सेहो जखन अपन शिल्पी लोकनि आ सभटा तथाकथित समाजक निम्न स्तरक लोक जखन सुदृढ़ छल तखन जनकक नामकरण जन सँ भेल आ फेर सिमरौनागढ़, पजेबागढ़, बलिराजपुर किला, असुरगढ़ किला, जयनगर किला, नन्दनगढ़, कटरागढ़, नौलागढ़, मंगलगढ़, कीचकगढ़, बेनूगढ़, वरिजनगढ़, आदिक एकटा शृंखला मिथिलाक स्थापत्य कलाक रूपमे उद्घाटित भेल। आ ई किला सभ शत्रुकेँ मथए बला मिथिलाक नामकरणक अनुरूप रहल। बौद्ध खोह, ताराक मूर्ति आदि शिल्पी कलाक अन्य रूपक चर्चक रूपमे सेहो उपस्थित अछि। मुदा जे ई कट्टरता बढ़ैत गेल तँ आइ मिथिलामे स्थापत्यक नामपर उपलब्धि सेहो शून्य भऽ गेल। आर्थिक स्थिति एहन भऽ गेल जे एक साँझ उपास रहए लागल। माइग्रेशन भुखमरी रोकलक मुदा किछु मूल्यपर। तहिना मैत्रेयीसन विदुषी सहस्राब्दी भरि विलुप्त रहलीह से जातिगत कट्टरता (जाति मध्य आन्तरिक अतरीकरण आ दू जाति मध्य- दुनु प्रकारक) कारणसँ। शिक्षाक ह्रास तँ तेहेन भेल जे षड दर्शनमे चारि टा दर्शन मिथिलासँ निकलल मुदा आइ गामक गाम मैट्रिक परीक्षामे पास नहि केनिहारसँ भरल अछि।
बाढ़ि आ अर्थव्यवस्था: मिथिलाक धरती बाढ़िक विभीषिकासँ सेहो जुझैत रहल अछि। कुशेश्वरस्थान दिसुका क्षेत्र तँ बिन बाढ़िक, बरखाक समयमये डूमल रहैत अछि। मुदा ई स्थिति १९७८-७९ क बादक छी। पहिने ओ क्षेत्र पूर्ण रूपसँ उपजाऊ छल, मुदा भारतमे तटबन्धक अनियन्त्रित निर्माणक संग पानिक जमाव ओतए शुरू भऽ गेल। मुदा ओहि क्षेत्रक बाढ़िक कोनो समाचार कहियो नहि अबैत अछि, कहियो अबितो रहए तँ मात्र ई दुष्प्रचार जे ई सभटा पानि नेपालसँ छोड़ल गेल पानिक जमाव अछि। कुशेश्वरस्थान दिसुका लोक एहि नव संकटसँ लड़बाक कला सीखि गेलाह। हमरा मोन अछि ओ दृश्य जखन कुशेश्वरस्थानसँ महिषी उग्रतारास्थान जएबाक लेल हमरा बाढ़िक समयमे अएबाक लेल कहल गेल छल कारण ओहि समयमे नाओसँ गेनाइ सरल अछि, ई कहल गेल। रुख समयमे खत्ता-चभच्चामे नाओ नहि चलि पबैत अछि आ सड़कक हाल तँ पुछू जुनि। फसिलक स्वरूपमे परिवर्तन भेल, मत्स्य-पालन जेना तेना कऽ कए ई क्षेत्र जबरदस्तीक एकटा जीवन-कला सिखलक। कौशिकी महारानीक २००८ ई.क प्रकोप सोझाँ आएल। कोशी आ गंडकपर जे दू टा बैराज नेपालमे अछि ओकर नियन्त्रण बिहार सरकारक जल संसाधन विभागक लग अछि आ एतए बिहार सरकारक अभियन्तागणक नियन्त्रण छन्हि। पानि छोड़बाक निर्णय बिहार सरकारक जल संसाधन विभागक हाथमे अछि। नेपालक हाथमे पानि छोड़बाक अधिकार तखन अएत जखन ओतुक्का आन धार पर बान्ह/ छहर बनत, मुदा से ५० सालसँ ऊपर भेलाक बादो दुनू देशक बीचमे कोनो सहमतिक अछैत सम्भव नहि भए सकल। कोशीपर भीमनगर बैरेज कुशहा, नेपालमे अछि। १९५८ मे बनल एहि छहरक जीवन ३० बरख निर्धारित छल, जे १९८८ मे बीति गेल। दुनू देशक बीचमे कोनो सहमति किएक नहि बनि पाओल ? छहरक बीचमे जे रेत जमा भऽ जाइत अछि, तकरा सभ साल हटाओल जाइत अछि। कारण ई नहि कएलासँ ओकर बीचमे ऊंचाई बढ़ैत जाएत, तखन सभ साल बान्हक ऊँचाई बढ़ाबए पड़त। कोशी अपन मुख्य धारसँ हटि कए एकटा नव धार पकड़ैत अछि आ नेपालक मिथिलांचलक संग बिहारक मिथिलांचलकेँ तहस नहस करैत अछि।
मैथिली भाषा: मैथिल ब्राह्मण आ कर्ण कायस्थक आधारपर मैथिली सेवी संस्था सभ जे विद्यापति पर्व आ संस्थाक निर्माण, पुरस्कार वितरण कए रहल छथि ओहिमे गएर मैथिल ब्राह्मण आ कर्ण कायस्थक प्रवेश सीमित अछि मुदा एम्हर ओ बढ़ि रहल अछि। आ ई मैथिलीक लेल एकटा शुभ लक्षण अछि। साहित्यमे सेहो गएर मैथिल ब्राह्मण आ कर्ण कायस्थ लेखक आ पाठक बढ़ल छथि। मीडिया आ शिक्षा व्यवस्था एहि आधुनिक इन्फॉरमेशन सोसाइटीमे अपन हस्तक्षेपसँ मैथिली भाषा आ मैथिल संस्कृति लेल एकटा प्रहार सन अछि मुदा सौभाग्य मिथिला सन टी.वी. चैनल आ नेपालक कान्तिपुर एफ.एम., जानकी एफ.एम. आ रेडियो मिथिला सन रेडियो स्टेशन एहि प्रहारकेँ सीमित रूपमे रोकलक अछि। बाल साहित्यक निर्माण सेहो बढ़ल अछि। अन्तर्जाल सेहो एकभगाह मैथिली साहित्यमे हस्तक्षेप कएलक अछि।
उपाय की होअए ? स्थानिक विशेषताक आधारपर स्त्री-शिक्षा, संगणक शिक्षा आ व्यवसाय आधारित शिक्षा देल जाए। प्राथमिक शिक्षाक माध्यम मिथिला भरिमे मैथिली भाषा द्वारा देल जाए। बाढिक समस्याक समाधान होअए। दामोदर घाटीक आ मयूरक्षी परियोजना जेकाँ कार्य कोशी, कमला, भुतही बलान, गंडक, बूढ़ी गंडक आ बागमतीपर किएक सम्भव नहि भेल ? विश्वेश्वरैय्याक वृन्दावन डैम किएक सफल अछि ? नेपाल सरकारपर दोषारोपण कए हमरा सभ कहिया धरि जनताकेँ ठकैत रहब ? एकर एकमात्र उपाए अछि बड़का यंत्रसँ कमला-बलान आदिक ऊपर जे माटिक बान्ह बान्हल गेल अछि तकरा तोड़ि कए हटाएब आ कच्चा नहरिक बदला पक्का नहरिक निर्माण। नेपाल सरकारसँ वार्ता आ त्वरित समाधन। आ जा धरि ई नहि होइत अछि तावत जे अल्पकालिक उपाय अछि से करब, जेना बरखा आबएसँ पहिने बान्हक बीचक रेतकेँ हटाएब, बरखाक अएबाक बाट तकबाक बदला किछु पहिनहि बान्हक मरम्मतिक कार्य करब, आ एहि सभमे राजनीतिक महत्वाकांक्षाकेँ दूर राखब। कमला नदीपर १९६० ई. मे जयनगरसँ झंझारपुर धरि छहरक निर्माण भेल आ एहिसँ सम्पूर्ण क्षेत्रक विनाशलीलाक प्रारम्भ सेहो भए गेल। झंझारपुरसँ आगाँक क्षेत्रक की हाल भेल से तँ हम कुशेश्वरक वर्णन कए दए चुकल छी। मधेपुर, घनश्यामपुर, सिंघिया एहि सभक खिस्सा कुशेश्वरसँ भिन्न नहि अछि। कमला-बलानक दुनू छहरक बीच जेना-जेना रेत भरैत गेल, ताहि कारणेँ एहि तटबन्धक निर्माणक बीस सालक भीतर सभ किछु तहस-नहस भऽ गेल। कमला धारक हाल ई अछि जे दस घण्टामे पानिक जलस्तर एहि धारमे २ मीटरसँ बेशी धरि बढ़ि जाइत अछि। १९६५ ई.सँ बान्ह/ छहरक बीचमे रेत एतेक भरि गेल जे एकर ऊँचाइ बढ़ेबाक आवश्यकता भए गेल आ ई माँग शुरू भए गेल जे बान्ह/ छहरकेँ तोड़ि देल जाए ! एतए विश्वेश्वरैय्या मोन पड़ैत छथि। हैदराबादसँ ८२ माइल दूर मूसी आ ईसी धारपर बान्ह बनाओल गेल आ नगरसँ ६.५ माइलक दूरीपर मूसी धारक उपधारा बनाओल गेल। संगहि धारक दुनू दिस नगरमे तटबन्ध बनाओल गेल। कृष्णराज सागर बान्ह, हुनकर प्रस्तावित १३० फुट ऊँच बनेबाक योजना मैसूर राज्य द्वारा अंग्रेजकेँ पठाओल गेल तँ वायसराय हार्डिंज ओकरा घटा कए ८० फीट कए देलन्हि। विश्वेश्वरैय्या निचुलका भागक चौड़ाई बढ़ा कए ई कमी पूरा कए लेलन्हि। बीचेमे बाढ़ि आबि गेल तँ अतिरिक्त मजदूर लगा कए आ मलेरियाग्रस्त आ आन रोगग्रस्त मजदूरक इलाज लए डॉक्टर बहाली कए, रातिमे वाशिंगटन लैम्प लगा कए आ व्यक्तिगत निगरानी द्वारा समयक क्षतिपूर्ति केलन्हि। देशभक्त तेहन छलाह जे सीमेन्ट आयात नहि केलन्हि वरन् बालु, कैल्सियम, पाथर आ पाकल ईटाक बुकनी मिला कए निर्मित सुरखीसँ , एहि बान्हक निर्माण कएलन्हि। बान्ह निर्माणसँ पहिनहि द्विस्तरीय नहरिक निर्माण कए लेल गेल।
दिल्ली अछि दूर एखनो ! निम्न बिन्दुपर दिल्लीमे केन्द्र सरकारपर दवाब बनाएब। स्कूल कॉलेजमे गर्मी तातिलक बदलामे बाढ़िक समए छुट्टी देबामे कोन हर्ज अछि, ई निर्णय कोन तरहेँ कठिन अछि? सी.बी एस.ई आ आइ.सी.एस.ई. तँ छोड़ू बिहार बोर्ड धरि ई नहि कए सकल अछि। स्थानिक विशेषताक आधारपर स्त्री-शिक्षा, संगणक शिक्षा आ व्यवसाय आधारित शिक्षा आ प्राथमिक शिक्षाक माध्यम मिथिला भरिमे मैथिली भाषा द्वारा देल जाए। बैरेज बनबाक कालवधियेमे पक्की नहरि धरातलक स्लोपक अनुसारे बनाओल जाए। कच्ची बान्ह सभकेँ तोड़ि कए हटा देल जाए आ पक्की बान्हकेँ मोटोरेबल बनाओल जाए, बान्हक दुनू कात पर्याप्त गाछ-वृक्ष लगाओल जाए। बिहारमे सड़क परियोजना जेना स्वप्नक सत्य होअए जेना देखा पड़ि रहल अछि, तहिना सभ विघ्न-बाधा हटा कए, युद्ध-स्तरपर एहि सभपर काज शुरू कएल जाए।
(साभार पूर्वोत्तर मैथिल अप्रैल-जून २०१०)http://www.purvottarmaithil.org/
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