विदेशी पूँजी निवेशक भाषापर (मैथिली सहित) प्रभाव- गजेन्द्र ठाकुर
मैथिलीक लेल विदेशी पूँजी निवेश- गजेन्द्र ठाकुर (साभार- घर-बाहर, जुलाइ-सितम्बर २०११)
विदेशी पूँजीक भारतमे सोझ निवेश दोसर देशक फर्मसँ मिलि कऽ वा ओकर सम्पत्ति वा ओकर स्टॉक कीनि कऽ होइत अछि। ओ ऐ लेल स्वॉट अनेलिसिस करै छथि आ अपन प्रवेशक लेल अपन कम दाममे उत्पादन आ सेहो तीव्र गतिसँ कएक तरहक उपाय द्वारा करबाक क्षमताकेँ देखैत करै छथि। कोन देशमे विदेशी पूँजी निवेश होएत से किछु गपपर निर्भर करैत अछि। चीनमे भारतक बनिस्पत बेशी विदेशी पूँजी आओत कारण भारतमे कार्य करबा लेल ढेर रास लोकतंत्रीय प्रक्रिया सभ छै जे उत्पाद केर दाम बढ़बैत छै। ई एना बूझि सकै छी जापान आ स्विटजरलैण्ड आदि देशमे विदेशी पूँजी कम आएल बनिस्पत स्पेनक। आ ऐ तरहेँ तुलना करी तँ नेपालमे भारतक अपेक्षा तुलनात्मक पूँजी निवेश बेशी आओत। मैथिली आ आन भाषामे विदेशी पूँजी निवेशक आगमनक सम्भावना देखी तँ तुलनात्मक रूपमे मैथिलीमे बेशी पूँजी आओत, नेपाली वा हिन्दीक तुलनामे। आ मैथिलीक सन्दर्भमे नेपालक मैथिलीक भविष्य भारतक मैथिलीक भविष्यक तुलनामे बेशी नीक बूझि पड़त जँ विदेशी पूँजीक गप आओत।
मुदा विदेशी पूँजी मात्र प्रबन्धन वा अर्थशास्त्रक उपरोक्त सैद्धांतिक प्रतिफल टा नै अछि। एतए हम राजनैतिक स्थिरता आ सामाजिक संकट दुनूकेँ सोझाँ पबै छी। भारतक भयंकर लाइसेंस फीस जेना सूचना आ प्रौद्योगिकीक क्षेत्रमे मैथिलीक दुर्दशाक लेल जिम्मेद्दारी लेलक से नेपालमे नै अछि। से ओतए रेडियो आ टी.वी.पर मैथिली नीक दशामे अछि। मुदा राजनैतिक अस्थिरता कखनो काल नेपालमे पूँजी निवेशमे बाधक भऽ जाइए। तहिना नेपालक मैथिलीक सामाजिक आधार विस्तृत अछि मुदा भारतक तेहन नै अछि। से भारतमे मैथिलीक लेल पूँजी निवेशक ई ऋणात्मक गुणक अछि।
जेना ऊपर कहने छी जे कोनो विदेशी पूँजी निवेश होएत तँ पाइ लगेनहार पहिने स्वॉट एनेलिसिस करत।
मैथिलीक सन्दर्भमे स्वॉट एनेलिसिस:-
मैथिलीक स्वॉट Strenghth- Weakness- Opportunity- Threat (SWOT) एनेलेसिस (हमर गुरुजी चमू कृष्ण शास्त्री जीक ऐमे बड़ पैघ योगदान छन्हि।)
मैनेजमेन्टमे एकटा विषए छैक स्वॉट अनेलिसिस। मैथिलीकेँ ऐ कसौटीपर कसै छी।
S- Strenghth- शक्ति, सामर्थ्य, बल –
मैथिली लेल हृदएमे अग्नि छन्हि, से सभक हृदएमे, परस्पर एक दोसराक विरोधी किएक ने होथु। जनक बीचमे ऐ भाषाक आरोह, अवरोह आ भाषिक वैशिट्यकेँ लऽ कऽ आदर अछि आ ऐ मे मैथिली नै बजनिहार भाषाविद् सम्मिलित छथि। आध्यात्मिक आ सांस्कृतिक महत्वक कारण सेहो मैथिली महत्वपूर्ण अछि। ऐ भाषामे एकटा आन्तरिक शक्ति छै। बहुत रास संस्था, जइमे किछु जातिवादी आ सांप्रदायिक संस्था सेहो सम्मिलित अछि, एकर विकास लेल तत्पर अछि। ऐ भाषाक जननिहार भारत आ नेपाल दू देशमे तँ रहिते छथि आब आन-आन देश-प्रदेशमे सेहो पसरल छथि।
W- Weakness- न्यूनता, दुर्बलता, मूर्खता –
प्रशंसा परम्परा जइमे दोसराक निन्दा सेहो ऐमे सम्मिलित अछि, एकरे अन्तर्गत अबैत अछि- माने आत्मप्रशंसाक।
परस्पर प्रशंसा सेहो ऐमे शामिल अछि। सरकारपर आलम्बन, प्राथमिकताक अज्ञान- जकर कारणसँ महाकवि बनबा/ बनेबा लेल कवि समीक्षक जान अरोपने छथि- जखन भाषा मरि रहल अछि। कार्ययोजनाक स्पष्ट अभाव अछि आ जेना-तेना किछु मैथिली लेल कऽ देबा लेल सभ व्यग्र छथि, कऽ रहल छथि। स्वयं मैथिली नै बाजि बाल-बच्चाकेँ मैथिलीसँ दूर रखबाक जेना अभियान चलल अछि आ ऐमे मीडिया, कार्टून आ शिक्षा-प्रणालीक संग एक्के खाढ़ीमे भेल अत्यधिक प्रवास अपन योगदान देलक अछि। मैथिलीक कार्यकर्ता लोकनिक कएक ध्रुवमे बँटल रहबाक कारण समर्थनपरक लॉबिइंग कर्ताक अभाव अछि। मैथिलीकेँ ऐमे की लाभक बदला अपन/ अप्पन लोकक की लाभ ऐ लेल लोक बेशी चिन्तित छथि। मैथिली छात्रक संख्याक अभाव। उत्पाद उत्तम रहला उत्तर सेहो विक्रयकौशलक आवश्यकता होइत छै। मैथिलीमे उत्तम उत्पादक अभाव तँ अछिए, विक्रयकौशलक सेहो अभाव अछि।
O- Opportunity- अवसर, योग, अवकाश –
विशिष्ट विषयक लेखनक अभाव, मात्र कथा-कविताक सम्बल। मैथिलीमे चित्र-शृंखला, चित्रकथा, विज्ञान, समाज विज्ञान, आध्यात्म, भौतिक, रसायन, जीव, स्वास्थ्य आदिक पोथीक अभाव अछि। ताड़ग्रन्थक संगणकक उपयोग कऽ प्रकाशन नै भऽ रहल अछि। छात्र शक्तिक प्रयोग न्यून अछि। संध्या विद्यालय आ चित्रकला-संगीतक माध्यमसँ शिक्षा नै देल जा रहल अछि। दूरस्थ शिक्षाक माध्यमसँ/ अन्तर्जालक माध्यमसँ मैथिलीक पढ़ाइक अत्यधिक आवश्यकता अछि। मैथिलीमे अनुवाद आ वर्तमान विषय सभपर पुस्तक लेखन आ अप्रकाशित ताड़ ग्रन्थ सभक प्रकाशनक आवश्यकता अछि। मैथिलीक माध्यमसँ प्रारम्भिक शिक्षाक आवश्यकता अछि। प्रवासी मैथिल लेल भाषा पाठन-लेखन-सम्पादन पाठ्यक्रमक आवश्यकता अछि।
T- Threat- भीषिका, समभाव्यविपद् –
हताशा, आत्महीनता, शिक्षासँ निष्कासन, पारम्परिक पाठशालामे शिक्षाक माध्यमक रूपमे मैथिलीक अभाव, विरल शास्त्रज्ञ, ताड़पत्रक उपेक्षा आ विदेशमे बिक्री, भाषा शैथिल्य, सांस्कृतिक प्रदूषण आ परिणामस्वरूप भाषा प्रदूषण, मुख्यधारासँ दूर भेनाइ आ मात्र दू जातिक भाषा भेनाइ, शिक्षक मध्य ज्ञान स्तरक ह्रास, राजनैतिक स्वार्थवश मैथिलीक विरोध ई सभ विपदा हमरा सभक सोझाँ अछि।
ई सभटा ऊपरवर्णित बिन्दु प्रबन्धन-विज्ञानक कार्ययोजनाक विषय अछि आ भाषणक नै कार्यक आवश्यकता अछि। सम्भाषण, मैथिली माध्यमसँ पाठन, नव सर्वांगीन साहित्यक निर्माण लेल सभकेँ एकमुखी, एक स्तरीय आ एक यत्नसँ प्रयास करए पड़त। धनक अभाव तखने होइत अछि जखन सरकारी सहायतापर आस लगेने रहब। सार्वजनिक सहायताक अवलम्ब धरू, दाताक अभाव नै स्वीकारकर्ताक अभाव अछि।
यूनेस्को कहैत अछि जे भारत विश्वक ६ठम सभसँ पैघ पुस्तक प्रकाशक अछि जतए अंग्रेजी लगा कऽ २५ मान्यताप्राप्त भाषामे पोथी प्रकाशन होइ छै। अंग्रेजीक पोथी प्रकाशनमे भारत संयुक्त राज्य अमेरिका आ ग्रेट ब्रिटेनक बाद तेसर स्थानपर अछि। मुदा चौबीस मुख्य भाषामे सँ यूनेस्कोक अनुसार पुस्तक प्रकाशन लेल मात्र १८ भाषा महत्वपूर्ण अछि आ ऐ १८ भाषामे मैथिली नै अछि। मैथिली ऐ १८ मे नै अछि। फेडरेशन ऑफ इण्डियन पब्लिशर्सक अनुसार मोटामोटी भारतमे १६००० प्रकाशक छथि जे सालमे ७०००० पोथी प्रकाशित करै छथि। ऐमे २१,००० पोथी अंग्रेजीमे छपैए आ तहूसँ बेशी पोथी हिन्दीमे छपैए। भारतमे साक्षरताक स्थिति जेना-जेना नीक हेतै, तेना-तेना पोथी पढ़ैबलाक संख्यामे सेहो वृद्धि हेतैक। नेपालमे मुख्यतः नेपालीक पोथी छापल जाइत अछि। भारत आ नेपाल दुनू ठाम मैथिली पोथीक प्रकाशन गुण आ संख्या दुनूमे पछुआएल अछि।
सरकारी संस्थाक संग विदेशी निवेशकक सहयोग: आब प्रकाशन उद्योगसँ आगाँ बढ़ी आ सूचना-प्रसार माध्यमक आन क्षेत्र जेना टी.वी., रेडियो आ ऑनलाइन भाषाइ उपकरणपर आउ। एतऽ विदेशी निवेशक हमरा सभ लेल डॉक्यूमेन्टरी, मनोरंजन आ भाषाइ उपकरणक निर्माणमे सहयोग दऽ सकै छथि। सरकार मान्यताप्राप्त भाषा लेल बिना बजारकेँ ध्यानमे रखने खास कऽ मैथिली सहित ओइ छह भाषाकेँ ध्यानमे राखैत काज करए तँ बजारक दृष्टिसँ जे सांस्कृतिक ह्रास सूचना-प्रौद्योगिकी मध्य देखबामे आबि रहल अछि से मैथिलीमे नै आओत। अरबी भाषाकेँ फंडक कोनो कमी नै छै मुदा ओ भाष किए मरि रहल अछि, जखन ओकरा पक्षमे सरकारी कामकाज छै, मस्जिद छै, शिक्षा पद्धति छै। लेबनान, जोर्डन आ इजिप्टक अतिरिक्त सउदी अरब आ आन गल्फ देशक एकरा संरक्षण छै। मुदा पाइ एकरा लेल आफत बनल छै। सभ शेख विदेशसँ पढ़ि कऽ अबैत छथि आ मिश्रित अरबी बजै छथि आ तकरा फैशन मानल जा रहल छै। जै अरबीमे कुराण लिखल गेल आ आइ काल्हिक शैक्षिक “आधुनिक मानकीकृत अरबी- मॉडर्न स्टैण्डर्ड अरेबिक- (एम.एस.ए.)” मे बड्ड पैघ भेद आबि गेल छै। ई “आधुनिक मानकीकृत अरबी” बाजै जाए बला अरबीसँ फराक भऽ गेल अछि आ एकर काज मात्र सभ अरब देशक बीच सूत्रबद्ध करबा धरि सीमित भऽ गेल छै, जइसँ सभ एक दोसराकेँ बुझि पाबए। मुदा यएह “आधुनिक मानकीकृत अरबी” दृश्य-श्रव्य-प्रिंटमे अछि जे ककरो मातृभाष नै छिऐ वरन व्याकरण पढ़ि कऽ सीखल जाइ छै। विदेशी निवेशककेँ जे सरकार मैथिली लेल मनोरंजक कार्यक्रमकेँ मैथिलीमे डब करबाक लेल सहायता करए तँ कार्टून चैनल सभक कार्यक्रम आ धारावाहिक सभ मैथिलीमे प्रसारित भऽ सकत भने ओकरा विज्ञापन भेटौ वा नै। आ एक बेर जे ई पहिया घुमत तँ मैथिली जीबि उठत। आ ई पहिया तखने घुमत जखन मधुबनी-दरभंगा-सहरसा-सुपौलक ब्राह्मण-कायस्थ-सवर्ण मैथिलीकेँ जीबि उठऽ देताह, अपन ऋणात्मक ऊर्जाकेँ विराम देताह, समाजक सभ वर्ग जे मैथिलीसँ जुड़ि रहल अछि ओइमे बाधा देबाक बदला सहयोग करताह। समाजक राक्षसी प्रतिभायुक्त ई सर्वहारा वर्ग मैथिलीक रक्षा लेल समर्पित हसेरी बनत तखने ई भाषा आब बचत।
मुख्य विदेशी निवेशक: अखन धरि हार्पर कॉलिन्स, पेंगुइन, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, मैकमिलन, रैंडम हाउस, पिकाडोर, हैचेट आ रुटलेज हावर्ड बिजनेस पब्लिशिंग अपन शाखा वा भारतीय सहयोगीक माध्यमसँ भाषायी क्षेत्रमे निवेश केने अछि। मुदा से निवेश अंग्रेजी धरि सीमित भऽ गेल अछि। भारतमे प्रकाशन उद्योगमे विदेशी खिलाड़ी अएलाक बाद एकटा पेंगुइन हिन्दीकेँ छोड़ि देल जाए तँ विदेशी निवेश भारतीय भाषामे लगभग नगण्य अछि। एकर कारण सेहो स्पष्ट अछि। भारतीय भाषाक प्रकाशक सरकारी खरीदपर निर्भर छथि आ गएर सरकारी खरीदमे ओ टेक्स्टबुक छपाइपर जोर दै छथि। विदेशी निवेशक सरकारी खरीद आ टेक्स्टबुक छपाइक आधारपर अपन नीति निर्धारित नै करै छथि। मैथिलीक लेल ई वरदान होइतए मुदा जे भविष्यक साक्षरता वृद्धिक अनुमान लैयो कऽ चली तँ नव साक्षर मैथिली पढ़ताह तकर आशा वर्तमान शिक्षा प्रणालीमे मैथिलीक कतिआएल स्थितिकेँ देखैत असम्भवे बुझा पड़ैत अछि, आ मैथिलीमे ने सरकारी लाइब्रेरीक खरीदक आशा छै आ ने टेक्स्ट बुक छपाइक। पाठकक संख्या तखन इन्टरनेटपर बढ़ाबए पड़त, आ जे पाठक कहियो सरकारी शिक्षा प्रणालीमे मैथिली नै पढ़ि सकल छथि तिनका प्रारम्भमे मंगनीमे डाउनलोडक सुविधा देबऽ पड़त। मैथिलीसँ अंग्रेजी आ संस्कृत आ तकर माध्यमसँ आन भाषामे अनुवाद द्वारा सरकारी आ संस्थागत पुरस्कार पद्धति द्वारा कतिआएल पोथी सभकेँ सोझाँ आनए पड़त जइसँ मैथिली साहित्यक उत्कृष्टता विदेशी निवेशकक सोझाँ आबए। आ ओम्हर सरकारी स्कूलक अतिरिक्त पब्लिक स्कूल सभमे सेहो मैथिलीक पढाइ हुअए तइ लेल समर्पित हसेरी तैयार करए पड़त। एक दोसरापर प्रत्यारोप लगेलाक बदला (कायस्थ आ ब्राह्मण द्वारा एक दोसरापर, मधुबनी-सहरसा-मधेपुरा-समस्तीपुर-बेगुसराय, पूर्णियांक लोक द्वारा एक दोसरापर आरोप-प्रत्यारोप जे मैथिलीक दुर्दशा लेल हम नै ओ जिम्मेवार छथि- तइसँ हटि कऽ) एकमुखी, एक स्तरीय आ एक यत्नसँ प्रयास करए पड़त। आ जनताकेँ जोड़ए पड़त। हा पुरस्कार केलाक बदला जन साहित्यकारकेँ चिन्हबापर, जन नेताकेँ चिन्हबापर, जन विक्रेताकेँ चिन्हबापर अपन जान-जी लगाबऽ पड़त।
विदेशी निवेशसँ छोड़ू भारतीय प्रकाशक जे कहियो ऐ क्षेत्रमे आबऽ चाहलक वा सरकारी खरीदक मशीनरी जे कोनो मैथिलीक पोथी कीनऽ चाहलक वा अनुवाद लेल कोनो स्वयंसेवी संस्था मैथिली पोथी सभक चयन करऽ चाहलक तखनो मैथिली साहित्यक पुरोधा लोकनि द्वारा, जे सलाहकार बनलाह, द्वारा भ्रमित सूची देल गेल, कतेक रास मिथिलाक्षरक पाण्डुलिपि देशक बाहर टपा देल गेल आ मारते रास लोक द्वारा ढेर रास बखेरा ठाढ़ कएल गेल। से सभ कियो भागि गेलाह, बाहरियो आ मैथिली सेवी सेहो। सरकारी खरीद गुणक आधारपर नै भेल, पैरवी-पैगाम आ ढेर रास आन गुणकक आधारपर भेल। विदेशी निवेशकक लग ई सभ ऋणात्मक पक्ष लऽ कऽ हमरा सभ कोना जा सकब।
विदेशी निवेशसँ मैथिलीपर अप्रत्यक्ष प्रभाव: मैथिलीपर विदेशी निवेशक अप्रत्यक्ष प्रभावक रूपमे मैथिली बाजैबलाक संख्याक घटोत्तरी आ मैथिलीक शब्दावलीक ह्रासकेँ राखल जाइत अछि। ओना ई सभ भारत आ नेपालमे पैघ नग्रक अनियन्त्रित विकास आ छोट नग्रक बिना अपन आर्थिक आधारक मात्र जमीनक खरीद-बिक्रीक कारणसँ विस्तारक कारण बेसी भेल अछि। मैथिली भाषीक एके खाढ़ीमे जतेक पड़ाइन भेल अछि से आन वर्गमे तीन-चारि खाढ़ीमे भेल (जेना तमिल वा बांग्लाभाषीकेँ लऽ सकै छी।)। मुदा आनो भाषा-भाषीमे विदेश पड़ाइनसँ भाषाक लोप भेल अछि मुदा संस्कृतिक लोप नै तँ आन वर्गमे भेल अछि आ ने मैथिलीभाषी वर्गमे। मैथिली भाषीकेँ लऽ कऽ दिल्लीमे ई कहबी भऽ गेल अछि जे आन वर्ग पाँच साल दिल्लीमे रहलापर पंजाबी बाजऽ लगै छथि आ हुनकर घरक स्त्रीगण करवा-चौथ करऽ लगै छथि मुदा मैथिलीभाषी नै तँ पंजाबी सिखै छथि आ ने हुनकर घरक स्त्रीगण करवा-चौथ करै छथि। हँ जखन अहाँ पत्नीसँ मैथिलीमे नै बजबै आ बच्चाकेँ गामक दर्शनो नै करऽ देबै तँ ओ मैथिली बाजब छोड़बे करत। विदेशी निवेश जाइ तरहेँ हिन्दी आ अंग्रेजी कार्टून चैनलमे भेल अछि, ओइसँ मैथिलीटा नै पंजाबीपर सेहो संकट आबि गेल अछि। मुदा ई एकटा फेज छिऐ, आ ई फेज बीस बर्खमे खतम भऽ जाएत। जे परिवार ऐ बीस बर्खमे मैथिली बाजब छोड़ि देताह हुनका हम मैथिली दिस सोझ रूपमे नै घुरा सकब। मुदा सांस्कृतिक सन्निकटताक कारणसँ मैथिलीक परियोजना, अनुवाद, ऒडियो-वीडियो आ संचार परियोजनाकेँ ओ समर्थन करबे करताह, तकरा सम्मान देबे करताह। आ ई अप्रत्यक्ष रूपमे मैथिली लेल वरदान सिद्ध हएत। आ एकटा पुनर्जागरणक काल अखन चलि रहल अछि तकर पुनरावृत्ति बीस बर्ख बाद हएत। मैथिली युद्धसँ बहार भऽ जीवित निकलत आ सुदृढ़ हएत।
विदेशी निवेशककेँ मैथिलीमे निवेश केलासँ लाभ: विदेशी निवेशक कल्याणकारी कार्य सेहो करै छथि। हुनका मैथिलीक विशेषता बुझाबए पड़त। विश्व प्रसिद्ध वायोलिन वादक स्व. येहुदी मेनुहिन मैथिलीकेँ संसारक सभसँ लयात्मक आ मधुर भाषा कहने छलाह। विदेशी निवेशकक किछु निवेश यूनेस्कोक भाषा सम्बन्धी नीतिक आधारपर सेहो करैत अछि। आ ई कल्याणकारी निवेश लाभपर आधारित नै होइत अछि, सरकारी खरीदपर आधारित नै होइत अछि, विज्ञापनपर आधारित नै होइत अछि। अन्तर्राष्ट्रीय सर्टिफिकेशनपर आधारित गएर सरकारी संस्था सभक माध्यमसँ मैथिलीमे शैक्षिक पोथी आ मनोरंजन आ स्वास्थ्य आधारित फिल्म डोक्यूमेन्टरीक मैथिली भाषी क्षेत्रमे ग्राम पंचायतक स्कूल सभक माध्यमसँ कएल जाए तँ मैथिली भाषी लोकक हीन भावनामे कमी आओत आ भाषायी क्रान्तिक संगे आर्थिक क्रान्ति सेहो आएत।
मैथिलीक लेल विदेशी पूँजी निवेश- गजेन्द्र ठाकुर (साभार- घर-बाहर, जुलाइ-सितम्बर २०११)
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