"A SURVEY OF MAITHILI LITERATURE "-RADHAKRISHNA CHAUDHARY क लोकार्पण १० सितम्बर २०११ केँ हजारीबागमे हएत।
दिनांक १० सितम्बर २०११ क साँझमे "सगर राति दीप जरए" गृह रक्षा वाहिनी ट्रेनिंग सेन्टर कैम्पसमे (पटना दिससँ हजारीबागमे प्रवेशसँ पहिने नेशनल हाइवेपर विनोबा भावी विश्वविद्यालय गेट छै, विश्वविद्यालय गेटसँ एक मिनट बाद दहिनामे एकटा बड़का मैदान छै, वएह छै होमगार्ड्स ट्रेनिंग सेन्टर। ओही गेटपर सिपाहीसँ पुछारी करू तँ ओ हॉल धरि पहुँचा देत।) श्याम दरिहरे जीक संयोजकत्वमे हएत। ओतहि ऐ पोथीक लोकार्पण हएत। अहाँ सभ सादर आमन्त्रित छी।
राधाकृष्ण चौधरीजीक पोथी साहित्य अकादेमी लेल लिखल गेल रहै। राधाकृष्ण चौधरीजी लिखै छथि- "The survey was initially prepared for a particular occasion under the heading “History of Maithili Literature”, sponsored by the Sahitya Akademi, New Delhi. The man-made destiny willed
otherwise and the mechanism, crowned with utter selfishness and sectarianism, did not allow the original scheme to materialise."
मुदा साहित्य अकादेमीक मैथिली परामर्शदातृसमितिक अध्यक्ष श्री रमानाथ झा आ श्री जयकान्त मिश्र जी लग ई प्रस्ताव एक दशकसँ बेशी विचाराधीन रहल, नै "हँ" आ नहिये "न"। नै "हँ" आ नहिये "न" बला प्रवृत्ति तखनो देखल गेल जखन राधाकृष्ण चौधरीजीक मैथिली पोथी "मिथिलाक इतिहास" मैथिली अकादेमी, पटना द्वारा कएक सालसँ विचाराधीन रहल, लेखकक मृत्युक ३० बर्ख बाद सेहो जातिवादी मानसिकता मैथिलीक छद्म पुरोधा लोकनिकेँ गसिया कऽ धेने छन्हि।
अस्तु फेर राधाकृष्ण चौधरीजी अपन पाण्डुलिपि मँगबा लेलखिन्ह। राधाकृष्ण चौधरीजी अपन पाण्डुलिपि मँगबा लेने रहथिन्ह, आ ओइ पोथीक पुनः ई-प्रकाशन विदेह द्वारा भेल आ फेर ओ श्रुति प्रकाशनसँ नव साज-सज्जामे आएल अछि, किछु प्रूफक गल्ती हटा देल गेल अछि। मैथिली साहित्यक इतिहासक अंग्रेजीमे ई अभिलेखन एकटा पैघ कमीक पूर्ति करैत अछि।
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