प्रोफेसर तथा
प्रमुख (रिटायर्ड), त्रिभुवन विश्वविद्यालय नेपाल
प्रज्ञा-प्रतिष्ठान, कीर्तिपुर,
काठमांडु, नेपाल, कमलादी, काठमांडु संग मुन्नाजीक साक्षात्कार
प्रश्न:
१.
अपनेकेँ मैथिलीक
अनुराग सँ आह्लादित होइछी हमसब केहेन अनुभव करैछी तत्सम्बन्धी काजसबक केँ ?
हमर विशेषता भाषाविज्ञानक सैद्धान्तिक, प्रकारात्मक,व्यावहारिक क्षेत्रमे अछि जाहि अनुसार हम मैथिलीपर बिशेष जोड़ दैत नेपाललगायत दक्षिण-एशियाक विभिन्न भाषासभक अध्ययन-अनुसन्धानमे अभिरूचि रखैत आएल छी । हमरा एहि तरहक कार्यसँ प्रसन्नता अछि किन्तु अखनो बहुतरास करनाइ बाँकी अछि । हमर मैथिलीक अनुरागसँ अपने आह्लादित भेलौंह ताहिसँ हमरा प्रसन्नता भेल; धन्यवाद !
२.
अपने प्राज्ञी छी
ओहि स्तरसँ मैथिली लेल की सब केलहुँ ? कोनो अग्रिम योजना अछि एहि प्रतिष्ठान सँ
अहाँ माध्ये मैथिलीक लेल ?
भाषाविज्ञानक
दृष्टिकोणसँ हमर मैथिली भाषापर अध्ययन-अनुसन्धान १९७९ ई.सँ प्रारंभ भेल अछि । सर्वप्रथम अंग्रेजी आर मैथिली भाषाक fricative
consonants क व्यतिरेकी विश्लेषण सम्पन्न भेल (Fricatives in Maithili and English: a contrastive analysis,
Hyderabad: Central Institute of English and Foreign Languages, 1979)।
तत्पश्चात् मैथिली भाषाक काल-पक्षक अध्ययन पूरा भेल (Tense-Aspect system in Maithili and English: a
comparative study, Hyderabad: Central Institute of English and Foreign Languages, 1979)।
हमरा विचारसँ सबसँ महत्वपूर्ण कार्य भेल हमर पि.एच.डी.क विषय । एहिमे विश्वप्रसिद्ध
अमेरीकी भाषावैज्ञानिक नोम चौम्सकीद्वारा
१९८१ ई.मे प्रतिपादित रूपान्तर व्याकरण सिद्धान्तक
नवीनत्तम संस्करण Government-Binding (GB) Theory क आधारपर
मैथिली वाक्य-संरचनाक विभिन्न पक्षक विश्लेषण करबाक प्रयास कएल गेल अछि जे Lincom Europa (Germany) सँ प्रकाशित भेल (Issues in
Maithili Syntax:A GB Approach, Munchen (Germany): Lincom Europa, 1998.)। एहि कार्यमे मैथिली वाक्य-संरचनाका तथ्यक आधारपर
भाषाविज्ञानक सैद्धान्तिक नियम कतेक यथार्थ अछि से देखबाक प्रयास भेल अछि । यदि
यथार्थ नहि अछि तँ कोन तरहक सैद्दान्तिक परिमार्जनक आवश्यकता अछि तकर निरूपण सेहो
कएल गेल अछि । दक्षिण एशियाक कोनो भाषाक आधारपर एहि भाषिक सिद्धान्तक मूल्यांकण
करब ई सर्वप्रथम कार्य भेल छल आर तत्पश्चात् दक्षिण एशियाक अन्य भाषाक विश्लेषणमे
सहायक सिद्ध भेल ।
एहि भाषावैज्ञानिक सिद्धान्तक परिपेक्ष्यमे मैथिली
वाक्य-विन्यासक विभिन्न पक्षक अनुसन्धान कएल गेल तथा Contemporary issues in Nepalese linguistics (“Sequential
converb in Indo-Aryan”, Kathmandu: Linguistic Society of Nepal), Indian Linguistics ("Question Movement in
Maithili and binding Conditions" 42.1:1-9, 1982a ; "Maithili
Sentences: a Transformational Analysis" 43.3 7-28, 1982b; "
Constituent Structure and Discourse Strategies
in Maithili", 58. 1-4,
89-99, 1997), Contributions
to Nepalese Studies ("The Word Order Phenomenon in Maithili Simple
Sentences a TG Approach" , 12.1: 1-14, 1984), The Yearbook of South Asian Languages and Linguistics ("The Complexity of Maithili
Verb Agreement". In R. Singh, ed., 1999,
Delhi: Sage Publishers), Tribhuvan University Journal ("Resumptive
Pronoun Strategy and Island Constraints". xiii.2:77-86, 1987), Annual Review of
South Asian Language and Linguistics, Nonnominative subjects (
“Nonnominative case in Maithili”. In Bhaskararao and Subbarao, eds, Amsterdam:
John Benjamins, 2005), Linguistic theory and South Asian languages ( “Anaphoric
relations in Maithili and linguistic theory", Amsterdam: John Benjamins, 2007) आदि राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय Journals एवं पुस्तकमे प्रकाशित कएल गेल ।
विश्व
भाषासभक सन्दर्भमे मैथिली क्रिया संगति (Verb Agreement) अत्यन्त जटिल मानल जाइत अछि । एकर सूक्ष्म विश्लेषण Levinson आर Kuno क Face vs. Empathy क pragmatic
theory क आधारपर कए Linguistics
Journal ("Face
vs. Empathy: the Social Foundation of Maithili Verb Agreement" (
co-authored with Balthasar Bickel and Walter Bisang), 1999) मे
प्रकाशित कएल गेल ।
मैथिली
व्याकरणमे उपलब्ध उदेश्य, कर्म आदि व्याकरणिक प्रकार्य (Grammatical
relations/functions) क निरूपण विभिन्न भारतीय-आर्य भाषासंगे
तुलननात्मक अध्ययन (comparative/typological studies) कए Lingua ("A fresh look at grammatical
relations in Indo-Aryan", (with B. Bickel), 2000) मे
प्रकाशित कएल गेल ।
हालेमे
Encyclopedia
of World's Languages ("The Maithili
Language". Also in Paul van der
Velde, ed., New Aspects of Asian Studies,
Leiden: International Institute of Asian Studies. ) एवं Languages
of the World (Moscow) मे मैथिली भाषापर प्रविष्टि प्रकाशित भेल अछि ।
नेपालमे सञ्चालित वहुभाषिक शिक्षा कार्यक्रम अंतरगत मैथिली
भाषाकेँ प्राथमिक शिक्षामे कार्यन्वयन करबाक हेतु मैथिली भाषी समुदायमे सचेतना
वृद्धि करबाक हेतु मैथिलीमे सामग्री निर्माण कए गोष्ठीमे छलफलक लेल प्रस्तुति कएल
गेल । तहिना, मैथिली भाषाक माध्यमसँ प्राथमिक शिक्षा प्रदान करबाक हेतु एहि भाषामे
स्थानीय परिवेश आर संस्कृतिक अनुकूल पाठ्यसामग्री निर्माण कएल गेल ।
भाषिक विविधता रहल नव नेपालक निर्माणमे मैथिली लगायत अन्य
भाषासभक समुचित स्थान प्रदान कए समावेशी भाषा नीतिक प्रस्तावनाक लेल विभिन्न
अध्ययन-अनुसन्धान कएल गेल । फलस्वरूप, नया संविधानमे मैथिली एकगोट वैकल्पिक सरकारी
कामकाजक भाषाक रूपमे स्थापित होएबाक संभावनादिस सेहो हम प्रयासरत छी ।
ओना त आब मैथिली भाषामे प्राय: सम्पूर्णरूपेण देवनागरी
लिपिक प्रयोग प्रचलनमे आबि गेल अछि, परञ्च मिथलाक्षर अथवा तिरहुता लिपिक ऐतिहासिक
आ सास्कृतिक महत्वकेँ नहि बिसरल जा सकैत अछि । ताहि हेतु आजुक सूचना प्रविधिक
युगमे कम्प्युटरमे देवनागरी संगसंगे
मिथिलाक्षर लिपि सेहो उपलब्ध होबाक चाहि । एहि आवश्यकताकेँ ध्यानमे राखि हम नेपाली
(देवनागरी) युनिकोडपर आधारित मिथिलाक्षर 'जानकी' फन्टक निर्माणक व्यवस्था कएलौंह
।
नेपालक परिवर्तित संदर्भमे United Nations
Mission to Nepal (UNMIN) द्वारा २००८-९ मे विभिन्न भाषामे सञ्चालित
सचेतनामूलक रेडियो कार्यक्रमक मैथिली भाषाक सल्लाहकार भ' कतिपय रेडियो सामग्री
निर्माण कारबामे हमर सक्रिय योगदान रहल ।
वहुभाषिक राष्ट्र नेपालमे भाषिक विविधताक सम्बन्धमे विभिन्न
अनुसन्धान कार्यसभ सम्पन्न भेल अछि । ताहिमे निश्चित रूपसँ नेपालमे दोसर सबसँ बेसी
वक्तासभ रहल भाषा मैथिलीक विशेष महत्व देल गेल अछि । ईसभ अध्ययन-अनुसन्धानमे हमर
महत्वपूर्ण योगदान रहल अछि ।
कतिपय राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय भाषावैज्ञानिक सम्मेलनसभमे
हम मैथिली वाक्य-विन्यासपर निबन्धसभ प्रस्तुत क' Journals मे प्रकाशित कएलौंह।
नेपाल
प्रज्ञा-प्रतिष्ठानमे प्राज्ञक रूपमे हम अनेक पुस्तकसभक प्रकाशन आर सम्पादन कएलौंह
। वहुभाषिक पत्रिका सयपत्री क
संस्थापक प्रधान सम्पादकक हैसियतमे अपन कार्यकालमे एकर विशेषांक प्रकाशित कएलौंह ।
एहि अतिरिक्त, मैथिली भाषा, साहित्य आर संस्कृतिसम्बन्धी निबन्धक संकलन क' नेपाल
प्रज्ञा-प्रतिष्ठानद्वारा हमर सम्पादकत्वमे Readings
in Maithili language, literature and culture (1998) नामक
पुस्तकक प्रकाशन भेल ।
मैथिली
भाषाक क्षेत्रमे समकालीन भाषावैज्ञानिक दृष्टिकोणसँ बहुतरास कार्य करबाक बाँकी रहल
अछि । ताहि हेतु एहि कमीसभक किछु पूर्ति करबाक लेल भविष्यमे ईसभ कार्य करबाक हमर
योजना रहल अछि:
१ मैथिली व्याकरण (आधुनिक भाषावैज्ञानिक सिद्धान्तपर आधारित)
२ मैथिली-नेपाली-अंग्रेजी
शब्दकोष (शिक्षा आर अनुवादमे सहयोगी; ई शब्दकोषक करीब आधा तैयारी भ' चुकल अछि । )
३ प्राथमिक शिक्षाक लेल प्रत्येक विषयक
पाठ्यपुस्तकक निर्माण (निर्माणाधीन)
४ मैथिली भाषामे भाषाविज्ञानक पाठ्यपुस्तकक
निर्माण
३.
मैथिली-नेपाली
मध्य स्तरक माहे ककर केहन वर्तमान भविष्यक आकलन करs चाहब ?
नेपालक संघीय राज्यमे परिणत भेलापश्चात मैथिली
निश्चित रूपसँ सरकारी कामकाज, शिक्षा आर सञ्चारक माध्यम हएत आर फलत: मैथिलीक
भविष्यमे प्रगति हएत । दोसर दिस, नेपालीक अत्यधिक विकास भ' चुकल अछि आर केन्द्रीय
सरकारक सरकारी कामकाजक भाषा रहत । किन्तु, ई स्पष्ट अछि जे नेपालीक एकाधिपत्य नहि
रहत ।
४.
मैथिली भाषा आ
मिथिलाक संस्कृतिक माहेँ अपने विदेशी भाषा मे लिखलौं एहि सँ मैथिली भाषा संस्कृतिक
कतेक प्रसार /उपकार भ' सकल ?
हमर अधिकांश कृति अंग्रेजी
भाषाक माध्यममे लिखल गेल अछि । एकर प्रमुख कारण अछि जे हम सैद्धान्तिक
भाषाविज्ञानक ढाँचामे मैथिली भाषाक विश्लेषण कएने छी आर विज्ञान-प्रविधिजकाँ
सैद्धान्तिक भाषाविज्ञानमे प्राविधिक शब्दावली (technical
vocabulary) क प्रयोग होइत अछि जे मैथिलीमे एखनधरि उपलब्ध नहि अछि ।
मैथिलीमे लिखनाइ असमर्थता छल । अन्य लोकनिसभकेँ सेहो अंग्रेजी भाषाक सहारा लिअ
पडलन्हि । एकर अतिरिक्त, हम त्रिभुवन विश्वविद्यालयमे २००८ ई.धरि सर्वप्रथम अंग्रेजी आर तत्पश्चात् भाषाविज्ञान विभागमे प्राध्यापन
करैत रहलौंह, जाहि विभागक शिक्षण अंग्रेजी भाषाक माध्यमसँ होइत अछि ।
एहिसँ मैथिली भाषाक प्रसार
प्रचुर भेल । उदाहरणक लेल, मैथिली क्रिया मेल (Maithili
verb agreement) पर लिखल हमर निबन्ध एहि विषयपर अनुसन्धान करैबला विश्वमे
प्रत्येक शोधार्थी अध्ययन करैत अछि । एकर अतिरिक्त, अंग्रेजी भाषामे प्रकाशित हमर
आर अन्य व्यक्तिलोकनिक कृतिसभ मैथिली भाषा-संस्कृतिक प्रसारमे बहुत योगदान कएने
अछि । एहिसँ
५.
मिथिलाक प्रति
मैथिली मे लिखब अपना के केहेन अनुभव करै छी ?
हमर किछु रचनासभ मैथिलीमे सेहो
प्रकाशित भेल अछि किन्तु तुलनात्मक रूपसँ अंग्रेजीसँ कम ।मैथिली भाषामे लिखब
स्वाभवत: हमरा गौरव लगैत अछि । सवानिवृत
(retired)
भेलापर आब हम यथाशक्य मैथिलीमे लिखबाक प्रयास करैत रहब; तइयो
प्राविधिक रूपेँ किछु एहन विषयवस्तु अछि जे अंग्रेजीमे मात्रे प्रस्तुत कएल जा
सकैत अछि ।
६.
वर्तमान मैथिली
सहित्यक विदेशी भाषाक समक्ष कत' ठाढ क' सकैत छी ? अपन अनुभव कही ।
वर्तमान मैथिली साहित्यक समृद्ध परम्परा रहल अछि
दुनू देशमे । किन्तु किछु विदेशी भाषाक समक्षमे पछाड़ि
पड़ल अछि । साहित्यिक विविधताक अभाव देखल गेल अछि ;
जेना मैथिलीमे वैज्ञानिक आख्यान (science
fiction) नहि पाओल जाइत अछि ।
७.
मिथिला
मैथिलीसम्बन्धी विचार दोसर भाषा माध्यमे प्रेषित करैत रहलौं । विदेशी भाषा साहित्य
वा संस्कृतिक मैथिलीभाषी मध्य रखबाक कोनो योजना अछि ?
विदेशी भाषा साहित्य वा संस्कृतिक
किछु कृतिसभ दुर्लभ आ महत्वपूर्ण अछि; एहेन कृतिसभक मैथिलीमे अनुवादक विचार हम
कएने छी ।
८.
मैथिली मे वर्तमान
भाषिक (वा शाब्दिक) मानकता के कतेक शुद्ध मानै छी ? की एहि भाषा मे भाषिक स्तर पर
कोनो सुधारक संभावना देखाइत अछि ?
मैथिलीमे स्तरीय साहित्यिक
कृतिसभ पर्याप्त अछि आ ईसभक लेखन शैली शुद्ध आ मानक अछि । विदेह
online
magazine मे प्रकाशित मैथिलीक मानक शैली आ मैथिलीमे भाषा सम्पादन पाठ्यक्रम
अत्यन्त सराहनीय अछि; हम स्वयं मैथिली लिखैत काल एकर मदद लएत छी । हम एकरा अत्यन्त
वैज्ञानिक आर प्राज्ञिक मानैत छी; किन्तु एहि वर्णविन्यासकेँ कतेकगोटे प्रयोगमे
लबैत अछि । ई विचार करनाइ युक्तिसंगत हएत जे की ई अंग्रेजीक Received
Pronunciation (RP) जकाँ 'political anachronism त नहि ? अत:, हमरा विचारमे मैथिली लेखनक स्तरीय शैलीक निर्धारण आर सुधार
करबाक लेल सम्बन्धित व्यक्तिलोकनि आर संस्थासभक सहभागितामे एहि प्रस्तावपर
विचार-विमर्श होमय आर एकगोट समावेशी शैलीक निर्माण कएल जाय ।
९.
ठाम-ठीम मैथिली
रचनाकारक अगडी-पिछडी दुनू समूह वा पाँतिक शब्द विषमता के बहस क' दुनूके मानक हेबाक
वात राखल जाइए । अहाँ एहि सँ कतेक सहमति असहमति
छी ?
एहि विषयमे हमर दूगोट मत अछि: १ साहित्यिक
लेखनमे दुनू समूहक अपन-अपन भिन्नता राखल जा सकैत अछि, किएक त कथा, उपन्यास, कविता
आदि साहित्यिक विधामे सामाजिक परिवेश आर पात्रक अनुसार भाषिक भिन्नता हएब
स्वाभाविक अछि । २ औपचारिक लेखन (जेना कानून, सरकारी दस्तावेज, नियम, साहित्यिक
समालोचना आदि)मे भाषिक एकरूपता अपरिहार्य अछि । एहेन एकरूपता मानक शब्दकोष,
व्याकरण, शिक्षामे मैथिली भाषाक प्रयोग आदिसँ प्राप्त कएल जा सकैत अछि । विश्वक कतिपय
भाषामे एहेन स्थिति देखल गेल अछि ।
१०वर्तमान
मे मैथिली मध्य पिछडी जातिक वहुसंख्यक सक्रिय रचनाकारक रूपे प्रवेश के मैथिली
सहित्यक भविष्य के कत' देखै छी ?
एकरा हम सकारात्मक रूपमे लैत
छी । एहिसँ विभिन्न तरहक सामजिक परिवेशक अनुभव आर भावनाकेँ समेटि क' मैथिली समृद्ध
आर समावेशी साहित्यिक दिशादिस अग्रसर हएत से हमरा विश्वास अछि । दोसर वात जे एहि
तरहक प्रयाससँ मैथिली भाषाकेँ सव समूहसभ अंगीकार (own)
करत । एहि ठाम हम नेपालक एकगोट घटना उद्धरण कर' चाहैत छी । सम्प्रति
नेपालक मैथिली भाषी क्षेत्रमे किछु समुदायसभद्वारा मैथिलीकेँ अस्वीकार (disown) क' अन्य भाषाकेँ अपन मातृभाषाकेँ रूपमे स्वीकार करबाक स्थिति श्रृजित भ'
रहल अछि । हरेक भाषाजकाँ मैथिली भाषामे सेहो भिन्नता रहब स्वाभाविक अछि; ताहि
हेतु सब तरहक भिन्नताकेँ स्वीकार क' एक
समग्र मैथिलीक अस्तित्वक स्थापना करी ।
(साभार विदेह www.videha.co.in )
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