Tuesday, January 17, 2012

श्री योगेन्द्र प्रसाद यादवजीक संग मुन्नाजीक साक्षात्कार


 श्री योगेन्द्र प्रसाद यादव, पिएचडी (भाषाविज्ञान), तथा        आजीवन सदस्य
प्रोफेसर तथा प्रमुख (रिटायर्ड), त्रिभुवन विश्वविद्यालय नेपाल प्रज्ञा-प्रतिष्ठान, कीर्तिपुर, काठमांडु, नेपाल, कमलादी, काठमांडु संग मुन्नाजीक साक्षात्कार


प्रश्न:
१.    अपनेकेँ मैथिलीक अनुराग सँ आह्लादित होइछी हमसब केहेन अनुभव करैछी तत्सम्बन्धी काजसबक केँ ?
हमर विशेषता भाषाविज्ञानक सैद्धान्तिक, प्रकारात्मक,व्यावहारिक क्षेत्रमे अछि जाहि अनुसार हम मैथिलीपर बिशेष जोड़ दैत नेपाललगायत दक्षिण-एशियाक विभिन्न भाषासभक अध्ययन-अनुसन्धानमे अभिरूचि रखैत आएल छी । हमरा एहि तरहक कार्यसँ प्रसन्नता अछि किन्तु अखनो बहुतरास करनाइ बाँकी अछि । हमर मैथिलीक अनुरागसँ अपने आह्लादित भेलौंह ताहिसँ हमरा प्रसन्नता भेल; धन्यवाद !       
 
 
२.    अपने प्राज्ञी छी ओहि स्तरसँ मैथिली लेल की सब केलहुँ ? कोनो अग्रिम योजना अछि एहि प्रतिष्ठान सँ अहाँ माध्ये मैथिलीक लेल ?
भाषाविज्ञानक दृष्टिकोणसँ हमर मैथिली भाषापर अध्ययन-अनुसन्धान १९७९ ई.सँ प्रारंभ भेल अछि । सर्वप्रथम अंग्रेजी आर मैथिली भाषाक fricative consonants क व्यतिरेकी विश्लेषण सम्पन्न भेल (Fricatives in Maithili and English: a contrastive analysis, Hyderabad: Central Institute of English and Foreign Languages, 1979)। तत्पश्चात् मैथिली भाषाक काल-पक्षक अध्ययन पूरा भेल (Tense-Aspect system in Maithili and English: a comparative study, Hyderabad: Central Institute of English and Foreign Languages, 1979)। हमरा विचारसँ सबसँ महत्वपूर्ण कार्य भेल हमर पि.एच.डी.क विषय । एहिमे विश्वप्रसिद्ध अमेरीकी भाषावैज्ञानिक नोम चौम्सकीद्वारा  १९८१ ई.मे प्रतिपादित रूपान्तर व्याकरण सिद्धान्तक नवीनत्तम संस्करण Government-Binding (GB) Theory क आधारपर मैथिली वाक्य-संरचनाक विभिन्न पक्षक विश्लेषण करबाक प्रयास कएल गेल अछि जे  Lincom Europa (Germany) सँ प्रकाशित भेल (Issues in Maithili Syntax:A  GB Approach, Munchen (Germany): Lincom Europa, 1998.)। एहि कार्यमे मैथिली वाक्य-संरचनाका तथ्यक आधारपर भाषाविज्ञानक सैद्धान्तिक नियम कतेक यथार्थ अछि से देखबाक प्रयास भेल अछि । यदि यथार्थ नहि अछि तँ कोन तरहक सैद्दान्तिक परिमार्जनक आवश्यकता अछि तकर निरूपण सेहो कएल गेल अछि । दक्षिण एशियाक कोनो भाषाक आधारपर एहि भाषिक सिद्धान्तक मूल्यांकण करब ई सर्वप्रथम कार्य भेल छल आर तत्पश्चात् दक्षिण एशियाक अन्य भाषाक विश्लेषणमे सहायक सिद्ध भेल ।
एहि भाषावैज्ञानिक सिद्धान्तक परिपेक्ष्यमे मैथिली वाक्य-विन्यासक विभिन्न पक्षक अनुसन्धान कएल गेल तथा Contemporary issues in Nepalese linguistics (“Sequential converb in Indo-Aryan”, Kathmandu: Linguistic Society of Nepal), Indian Linguistics ("Question Movement in Maithili and binding Conditions" 42.1:1-9, 1982a ; "Maithili Sentences: a Transformational Analysis" 43.3 7-28, 1982b; " Constituent Structure and Discourse Strategies  in Maithili", ­ 58. 1-4, 89-99, 1997), Contributions to Nepalese Studies ("The Word Order Phenomenon in Maithili Simple Sentences a TG Approach"  , 12.1: 1-14, 1984),  The Yearbook of South          Asian Languages and Linguistics ("The Complexity of Maithili Verb Agreement". In R. Singh, ed., 1999, Delhi: Sage Publishers), Tribhuvan University Journal ("Resumptive Pronoun Strategy and Island Constraints". xiii.2:77-86, 1987),  Annual Review of South Asian Language and Linguistics, Nonnominative subjects ( “Nonnominative case in Maithili”. In Bhaskararao and Subbarao, eds, Amsterdam: John Benjamins, 2005), Linguistic theory and South Asian languages ( “Anaphoric relations in Maithili and linguistic theory",  Amsterdam: John Benjamins, 2007) आदि राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय Journals एवं पुस्तकमे प्रकाशित कएल गेल ।
विश्व भाषासभक सन्दर्भमे मैथिली क्रिया संगति (Verb Agreement) अत्यन्त जटिल मानल जाइत अछि । एकर सूक्ष्म विश्लेषण Levinson आर KunoFace vs. Empathypragmatic theory क आधारपर कए  Linguistics Journal ("Face vs. Empathy: the Social Foundation of Maithili Verb Agreement" ( co-authored with Balthasar Bickel and Walter Bisang), 1999) मे प्रकाशित कएल गेल ।
मैथिली व्याकरणमे उपलब्ध उदेश्य, कर्म आदि व्याकरणिक प्रकार्य (Grammatical relations/functions) क निरूपण विभिन्न भारतीय-आर्य भाषासंगे तुलननात्मक अध्ययन (comparative/typological studies) कए Lingua ("A fresh look at grammatical relations in Indo-Aryan", (with B. Bickel), 2000) मे प्रकाशित कएल गेल ।
हालेमे Encyclopedia of World's Languages ("The Maithili Language". Also in  Paul van der Velde, ed., New Aspects of Asian Studies, Leiden:   International Institute of  Asian Studies. ) एवं Languages of the World (Moscow) मे मैथिली भाषापर प्रविष्टि प्रकाशित भेल अछि
नेपालमे सञ्चालित वहुभाषिक शिक्षा कार्यक्रम अंतरगत मैथिली भाषाकेँ प्राथमिक शिक्षामे कार्यन्वयन करबाक हेतु मैथिली भाषी समुदायमे सचेतना वृद्धि करबाक हेतु मैथिलीमे सामग्री निर्माण कए गोष्ठीमे छलफलक लेल प्रस्तुति कएल गेल । तहिना, मैथिली भाषाक माध्यमसँ प्राथमिक शिक्षा प्रदान करबाक हेतु एहि भाषामे स्थानीय परिवेश आर संस्कृतिक अनुकूल पाठ्यसामग्री निर्माण कएल गेल ।
भाषिक विविधता रहल नव नेपालक निर्माणमे मैथिली लगायत अन्य भाषासभक समुचित स्थान प्रदान कए समावेशी भाषा नीतिक प्रस्तावनाक लेल विभिन्न अध्ययन-अनुसन्धान कएल गेल । फलस्वरूप, नया संविधानमे मैथिली एकगोट वैकल्पिक सरकारी कामकाजक भाषाक रूपमे स्थापित होएबाक संभावनादिस सेहो हम प्रयासरत छी ।   
ओना त आब मैथिली भाषामे प्राय: सम्पूर्णरूपेण देवनागरी लिपिक प्रयोग प्रचलनमे आबि गेल अछि, परञ्च मिथलाक्षर अथवा तिरहुता लिपिक ऐतिहासिक आ सास्कृतिक महत्वकेँ नहि बिसरल जा सकैत अछि । ताहि हेतु आजुक सूचना प्रविधिक युगमे कम्प्युटरमे  देवनागरी संगसंगे मिथिलाक्षर लिपि सेहो उपलब्ध होबाक चाहि । एहि आवश्यकताकेँ ध्यानमे राखि हम नेपाली (देवनागरी) युनिकोडपर आधारित मिथिलाक्षर 'जानकी' फन्टक निर्माणक व्यवस्था कएलौंह ।    
नेपालक परिवर्तित संदर्भमे  United Nations Mission to Nepal (UNMIN) द्वारा २००८-९ मे विभिन्न भाषामे सञ्चालित सचेतनामूलक रेडियो कार्यक्रमक मैथिली भाषाक सल्लाहकार भ' कतिपय रेडियो सामग्री निर्माण कारबामे हमर सक्रिय योगदान रहल ।
वहुभाषिक राष्ट्र नेपालमे भाषिक विविधताक सम्बन्धमे विभिन्न अनुसन्धान कार्यसभ सम्पन्न भेल अछि । ताहिमे निश्चित रूपसँ नेपालमे दोसर सबसँ बेसी वक्तासभ रहल भाषा मैथिलीक विशेष महत्व देल गेल अछि । ईसभ अध्ययन-अनुसन्धानमे हमर महत्वपूर्ण योगदान रहल अछि ।
कतिपय राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय भाषावैज्ञानिक सम्मेलनसभमे हम मैथिली वाक्य-विन्यासपर निबन्धसभ प्रस्तुत क' Journals मे प्रकाशित कएलौंह।
नेपाल प्रज्ञा-प्रतिष्ठानमे प्राज्ञक रूपमे हम अनेक पुस्तकसभक प्रकाशन आर सम्पादन कएलौंह । वहुभाषिक पत्रिका सयपत्री  क संस्थापक प्रधान सम्पादकक हैसियतमे अपन कार्यकालमे एकर विशेषांक प्रकाशित कएलौंह । एहि अतिरिक्त, मैथिली भाषा, साहित्य आर संस्कृतिसम्बन्धी निबन्धक संकलन क' नेपाल प्रज्ञा-प्रतिष्ठानद्वारा हमर सम्पादकत्वमे Readings in Maithili language, literature and culture (1998) नामक पुस्तकक प्रकाशन भेल ।
मैथिली भाषाक क्षेत्रमे समकालीन भाषावैज्ञानिक दृष्टिकोणसँ बहुतरास कार्य करबाक बाँकी रहल अछि । ताहि हेतु एहि कमीसभक किछु पूर्ति करबाक लेल भविष्यमे ईसभ कार्य करबाक हमर योजना रहल अछि:
१    मैथिली व्याकरण            (आधुनिक भाषावैज्ञानिक सिद्धान्तपर आधारित)
२    मैथिली-नेपाली-अंग्रेजी शब्दकोष (शिक्षा आर अनुवादमे सहयोगी; ई शब्दकोषक करीब आधा तैयारी भ' चुकल अछि । )
३    प्राथमिक शिक्षाक लेल प्रत्येक विषयक पाठ्यपुस्तकक निर्माण (निर्माणाधीन)
४    मैथिली भाषामे भाषाविज्ञानक पाठ्यपुस्तकक निर्माण           
३.    मैथिली-नेपाली मध्य स्तरक माहे ककर केहन वर्तमान भविष्यक आकलन करs चाहब ?
नेपालक संघीय राज्यमे परिणत भेलापश्चात मैथिली निश्चित रूपसँ सरकारी कामकाज, शिक्षा आर सञ्चारक माध्यम हएत आर फलत: मैथिलीक भविष्यमे प्रगति हएत । दोसर दिस, नेपालीक अत्यधिक विकास भ' चुकल अछि आर केन्द्रीय सरकारक सरकारी कामकाजक भाषा रहत । किन्तु, ई स्पष्ट अछि जे नेपालीक एकाधिपत्य नहि रहत ।
४.    मैथिली भाषा आ मिथिलाक संस्कृतिक माहेँ अपने विदेशी भाषा मे लिखलौं एहि सँ मैथिली भाषा संस्कृतिक कतेक प्रसार /उपकार भ' सकल ?
हमर अधिकांश कृति अंग्रेजी भाषाक माध्यममे लिखल गेल अछि । एकर प्रमुख कारण अछि जे हम सैद्धान्तिक भाषाविज्ञानक ढाँचामे मैथिली भाषाक विश्लेषण कएने छी आर विज्ञान-प्रविधिजकाँ सैद्धान्तिक भाषाविज्ञानमे प्राविधिक शब्दावली (technical vocabulary) क प्रयोग होइत अछि जे मैथिलीमे एखनधरि उपलब्ध नहि अछि । मैथिलीमे लिखनाइ असमर्थता छल । अन्य लोकनिसभकेँ सेहो अंग्रेजी भाषाक सहारा लिअ पडलन्हि । एकर अतिरिक्त, हम त्रिभुवन विश्वविद्यालयमे २००८ ई.धरि सर्वप्रथम अंग्रेजी आर तत्पश्चात् भाषाविज्ञान विभागमे प्राध्यापन करैत रहलौंह, जाहि विभागक शिक्षण अंग्रेजी भाषाक माध्यमसँ होइत अछि ।
एहिसँ मैथिली भाषाक प्रसार प्रचुर भेल । उदाहरणक लेल, मैथिली क्रिया मेल (Maithili verb agreement) पर लिखल हमर निबन्ध एहि विषयपर अनुसन्धान करैबला विश्वमे प्रत्येक शोधार्थी अध्ययन करैत अछि । एकर अतिरिक्त, अंग्रेजी भाषामे प्रकाशित हमर आर अन्य व्यक्तिलोकनिक कृतिसभ मैथिली भाषा-संस्कृतिक प्रसारमे बहुत योगदान कएने अछि । एहिसँ   
५.    मिथिलाक प्रति मैथिली मे लिखब अपना के केहेन अनुभव करै छी ?
हमर किछु रचनासभ मैथिलीमे सेहो प्रकाशित भेल अछि किन्तु तुलनात्मक रूपसँ अंग्रेजीसँ कम ।मैथिली भाषामे लिखब स्वाभवत: हमरा गौरव लगैत अछि ।   सवानिवृत (retired) भेलापर आब हम यथाशक्य मैथिलीमे लिखबाक प्रयास करैत रहब; तइयो प्राविधिक रूपेँ किछु एहन विषयवस्तु अछि जे अंग्रेजीमे मात्रे प्रस्तुत कएल जा सकैत अछि । 
६.    वर्तमान मैथिली सहित्यक विदेशी भाषाक समक्ष कत' ठाढ क' सकैत छी ? अपन अनुभव कही ।
वर्तमान मैथिली साहित्यक समृद्ध परम्परा रहल अछि दुनू देशमे । किन्तु किछु विदेशी भाषाक समक्षमे पछािल अछि । साहित्यिक विविधताक अभाव देखल गेल अछि ; जेना मैथिलीमे वैज्ञानिक आख्यान (science fiction) नहि पाओल जाइत अछि ।
७.    मिथिला मैथिलीसम्बन्धी विचार दोसर भाषा माध्यमे प्रेषित करैत रहलौं । विदेशी भाषा साहित्य वा संस्कृतिक मैथिलीभाषी मध्य रखबाक कोनो योजना अछि ?
विदेशी भाषा साहित्य वा संस्कृतिक किछु कृतिसभ दुर्लभ आ महत्वपूर्ण अछि; एहेन कृतिसभक मैथिलीमे अनुवादक विचार हम कएने छी ।
८.    मैथिली मे वर्तमान भाषिक (वा शाब्दिक) मानकता के कतेक शुद्ध मानै छी ? की एहि भाषा मे भाषिक स्तर पर कोनो सुधारक संभावना देखाइत अछि ?
मैथिलीमे स्तरीय साहित्यिक कृतिसभ पर्याप्त अछि आ ईसभक लेखन शैली शुद्ध आ मानक अछि । विदेह online magazine मे प्रकाशित मैथिलीक मानक शैली मैथिलीमे भाषा सम्पादन पाठ्यक्रम अत्यन्त सराहनीय अछि; हम स्वयं मैथिली लिखैत काल एकर मदद लएत छी । हम एकरा अत्यन्त वैज्ञानिक आर प्राज्ञिक मानैत छी; किन्तु एहि वर्णविन्यासकेँ कतेकगोटे प्रयोगमे लबैत अछि । ई विचार करनाइ युक्तिसंगत हएत जे की ई अंग्रेजीक Received Pronunciation (RP) जकाँ 'political anachronism त नहि ? अत:, हमरा विचारमे मैथिली लेखनक स्तरीय शैलीक निर्धारण आर सुधार करबाक लेल सम्बन्धित व्यक्तिलोकनि आर संस्थासभक सहभागितामे एहि प्रस्तावपर विचार-विमर्श होमय आर एकगोट समावेशी शैलीक निर्माण कएल जाय ।    
९.    ठाम-ठीम मैथिली रचनाकारक अगडी-पिछडी दुनू समूह वा पाँतिक शब्द विषमता के बहस क' दुनूके मानक हेबाक वात राखल जाइए । अहाँ एहि सँ कतेक सहमति असहमति  छी ?
एहि विषयमे हमर दूगोट मत अछि: १ साहित्यिक लेखनमे दुनू समूहक अपन-अपन भिन्नता राखल जा सकैत अछि, किएक त कथा, उपन्यास, कविता आदि साहित्यिक विधामे सामाजिक परिवेश आर पात्रक अनुसार भाषिक भिन्नता हएब स्वाभाविक अछि । २ औपचारिक लेखन (जेना कानून, सरकारी दस्तावेज, नियम, साहित्यिक समालोचना आदि)मे भाषिक एकरूपता अपरिहार्य अछि । एहेन एकरूपता मानक शब्दकोष, व्याकरण, शिक्षामे मैथिली भाषाक प्रयोग आदिसँ प्राप्त कएल जा सकैत अछि । विश्वक कतिपय भाषामे एहेन स्थिति देखल गेल अछि ।
१०वर्तमान मे मैथिली मध्य पिछडी जातिक वहुसंख्यक सक्रिय रचनाकारक रूपे प्रवेश के मैथिली सहित्यक भविष्य के कत' देखै छी ?
एकरा हम सकारात्मक रूपमे लैत छी । एहिसँ विभिन्न तरहक सामजिक परिवेशक अनुभव आर भावनाकेँ समेटि क' मैथिली समृद्ध आर समावेशी साहित्यिक दिशादिस अग्रसर हएत से हमरा विश्वास अछि । दोसर वात जे एहि तरहक प्रयाससँ मैथिली भाषाकेँ सव समूहसभ अंगीकार (own) करत । एहि ठाम हम नेपालक एकगोट घटना उद्धरण कर' चाहैत छी । सम्प्रति नेपालक मैथिली भाषी क्षेत्रमे किछु समुदायसभद्वारा मैथिलीकेँ अस्वीकार (disown) क' अन्य भाषाकेँ अपन मातृभाषाकेँ रूपमे स्वीकार करबाक स्थिति श्रृजित भ' रहल अछि । हरेक भाषाजकाँ मैथिली भाषामे सेहो भिन्नता रहब स्वाभाविक अछि; ताहि हेतु  सब तरहक भिन्नताकेँ स्वीकार क' एक समग्र मैथिलीक अस्तित्वक स्थापना करी ।     

(साभार विदेह www.videha.co.in )

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