Sunday, August 26, 2012

मैथिलीक तेसर विकीलिक्स- मोहन भारद्वाजक विद्यानाथ झा विदित/ रामदेव झा आदिसँ भेल समझौताक विवरणी



विद्यानाथ झा विदितक चमचागिरीमे लागल ब्राह्मणवादी समीक्षक मोहन भारद्वाज: मैथिली समालोचनाक कारी अध्याय: चमचागिरी समीक्षाक मोहन भारद्वाज द्वारा स्थापना

विद्यानाथ झा विदितक चमचागिरीमे लागल ब्राह्मणवादी समीक्षक मोहन भारद्वाज: मैथिली समालोचनाक कारी अध्याय: चमचागिरी समीक्षाक मोहन भारद्वाज द्वारा स्थापना

विद्यानाथ झा विदितक चमचागिरीमे लागल ब्राह्मणवादी समीक्षक मोहन भारद्वाज: मैथिली समालोचनाक कारी अध्याय: चमचागिरी समीक्षाक मोहन भारद्वाज द्वारा स्थापना

विद्यानाथ झा विदितक चमचागिरीमे लागल ब्राह्मणवादी समीक्षक मोहन भारद्वाज: मैथिली समालोचनाक कारी अध्याय: चमचागिरी समीक्षाक मोहन भारद्वाज द्वारा स्थापना

ब्राह्मणवादी समीक्षक मोहन भारद्वाज: रामदेव झासँ मिलि कऽ भोंकलनि सुभाष चन्द्र यादवक पीठमे जातिवादी छुरा

ब्राह्मणवादी समीक्षक मोहन भारद्वाज द्वारा पी.सी.रायचौधुरीक रचनाक कॉपीराइट हनन: अपन सम्पादकत्वमे रायचौधुरीक रचना रमानाथ झाक नामसँ छप्लनि: सहयोगी रहल सी.आइ.आइ.एल. 

पूर्वपीठिका:

-साहित्य अकादेमीक मैथिली बाल साहित्य पुरस्कार प्रौढ कथा संग्रह(रामदेव झाक भातिज मुरलीधर झाक पिलपिलहा गाछ) केँ देबा लेल जिम्मेवार जूरीक खुलासा- ब्लैकमेलर ब्राह्मणवादी समालोचक मोहन भारद्वाज एण्ड कम्पनीक कुकृत्य सोझाँ आएल

-मोहन भारद्वाज विद्यानाथ झा विदितक चमचागिरीमे बहुत दिनसँ लागल छथि।

-विद्यानाथ झा "विदित"क निम्न कोटिक उपन्यास "विप्लवी बेसरा"क कएक पन्नाक गदगदी समीक्षा "पक्षधर" नाम्ना पत्रिकामे मोहन भारद्वाज केने रहथि, मैथिली समालोचनाक क्षेत्रमे ई एकटा कारी अध्याय अछि।

-मोहन भारद्वाज रमानाथ झा ग्रन्थावलीमे पी.सी. रायचौधुरीक रचना रमानाथ झाक नामसँ अपन सम्पादकत्वमे छपबा देलन्हि।

-हालेमे विद्यानाथ झा विदितक समधि रामदेव झाक अहिठाम माँछ-भात खा कऽ मोहन भारद्वाज भरतमिलानी केने रहथि।

-टैगोर साहित्य सम्मानमे हिनको पोथी फाइनल धरि पहुँचल रहए, मुदा एकटा गएर ब्राह्मण, गएर कर्ण कायस्थ  जूरी हिनकर लिलसापर पानि फेरि देने रहथि आ पुरस्कार जगदीश प्रसाद मण्डल जीकेँ भेटि गेल छल। तकरा बाद मोहन भारद्वाज विक्षिप्त भऽ गेल रहथि।

-हालेमे चेतना समितिक मुख -पत्र घर-बाहर श्रीमान मोहन भारद्वाजकेँ साहित्य अकादेमी पुरस्कार देबा लेल फतवा जारी केने अछि। ऐ फतवा अन्तर्गत अशोक आ महेन्द्र मलंगियाकेँ सेहो साहित्य अकादेमी पुरस्कार देल जएबाक गप अछि।

-प्रबोध सम्मान लेल महेन्द्र मलंगियाक संग मिलि कऽ जे ई दुष्कर्म केने रहथि आ दुनू गोटेकेँ ओ प्राइज भेटल रहन्हि से जगत ख्यात अछि।

-मोहन भारद्वाजक जातिवादी चेहरा जगत ख्यात अछि, हिनकर असल नाम आनन्द मोहन मिश्र अछि। "विद्यापति टाइम्स" मे योगानन्द झा आ विद्यानाथ झा विदितक जमाए शंकरदेव झा (रामदेव झाक बेटा) संग मिलि कऽ जे ई सुभाष चन्द्र यादवक "बनैत बिगड़ैत" क खिलाफ अभियान शुरू केने रहथि से जगत ख्यात अछि।

-आब एतेक केलाक बादो जँ ऐ बेरुका साहित्य अकादेमी पुरस्कार मोहन भारद्वाज विद्यानाथ झा विदितक राजमे नै लऽ सकथि वा महेन्द्र मलंगिया/ अशोककेँ नै दिअबा सकथि तँ से आश्चर्ये हएत।

-साहित्य अकादेमीक मैथिली बाल साहित्य पुरस्कार प्रौढ कथा संग्रह(विद्यानाथ झा विदितक समधि रामदेव झाक भातिज मुरलीधर झाक पिलपिलहा गाछ) केँ दिएबामे ब्राह्मणवादी मोहन भारद्वाजक संग देलनि एकटा आर मैथिल ब्राह्मण भाग्यनारायण झा आ चेतना समितिक कोषाध्यक्ष रहल कर्ण कायस्थ महेन्द्र नारायण कर्ण।

पूर्वपीठिकासँ पहिने:

-रामदेव झाक भातिज मुरलीधर झा केँ प्रौढ़ साहित्य (!!) लेल मैथिलीक साहित्य अकादेमी बाल साहित्य पुरस्कार २०१२
-मुरलीधर झा केँ ई पुरस्कार अ-बाल कथा संग्रह "पिलपिलहा गाछ" लेल देल जा रहल अछि।
-मुरलीधर झाक पोथीक आमुखमे सेहो "पिलपिलहा गाछ" मे सेहो ऐ पोथीक किछु कथाक पैघ लोकक लेल हेबाक संकेत अछि, आ  मुरलीधर झा लिखलन्हि जे ओ अपन कक्का (रामदेव झा) क कहलापर ऐ पोथीकेँ बाल साहित्यक रूपमे छपबा रहल छथि। हालेमे मिथिला दर्शन मे ऐ पोथीक प्रकाशित समीक्षामे सेहो ई गप कहल गेल छै जे एकर किछु कथा पैघ लोकक लेल छै।  विदेह बाल साहित्य पुरस्कार २०१२ (वैकल्पिक साहित्य अकादेमी पुरस्कार रूपमे प्रसिद्ध) लेल भऽ रहल वोटिंग (www.videha.co.in )सँ "पिलपिलहा गाछ" पोथी केँ एकर अ-बाल साहित्य भेलाक कारणसँ हटा लेल गेल छल।
-रामदेव झाक भातिज मुरलीधर झा केँ प्रौढ़ साहित्य (!!) लेल मैथिलीक साहित्य अकादेमी बाल साहित्य पुरस्कार २०१२ भेटबाक सूचना श्री शंकर झा १७ अगस्त २०१२ केँ बेरमा गाम जा कऽ श्री जगदीश प्रसाद मण्डल जी केँ देलन्हि। ओ कहलन्हि जे "पिलपिलहा गाछ" पोथी केँ साहित्य अकादेमी बाल साहित्य पुरस्कार २०१२ देल जएबाक निर्णय भऽ गेल छै आ शीघ्र साहित्य अकादेमी, दिल्ली एकर घोषणा करत। ओना श्री शंकर झा पहिने एक बेर विवादमे आबि चुकल छथि जखन "साहेब राम दास" विनिबन्ध पोथी "भारतीय साहित्यक निर्माता शृंखला"मे हुनकासँ साहित्य अकादेमी द्वारा लिखबाओल गेल छल!!  "साहेब राम दास"पर डॉ. पालन झा पी.एच.डी. केने छथि आ ई शोध श्री दुर्गानाथ झा श्रीश (आब स्वर्गीय) केर अन्तर्गत भेल छल। "साहेब राम दास"पर डॉ. पालन झाक निबन्ध विदेह ई-पत्रिका (www.videha.co.in ) मे सेहो आएल छल आ ल.ना.मिथिला वि.वि.क मैथिली विभागमे ऐ शोधक एक प्रति राखल सेहो अछि, तकर बादो  "साहेब राम दास" विनिबन्ध श्री शंकर झाक नामसँ छपल डॉ. पालन झा क नामसँ नै!!! ऐ गपसँ साहित्यिक क्षेत्रमे आक्रोश व्याप्त भऽ गेल छल।

7 comments:

  1. विजयदेव झा, शंकरदेव झा अपन बाप रामदेव झाकेँ साहित्यकार बनबै लेल अपस्याँ अछि आ ललित कुमार झा आ ऋषि कुमार झा अपन बाप मलंगियाकेँ। विजयदेव झा, शंकरदेव झाक ब्लैकमेलिंग केर धन्धा आब नै चलतै। एकर फैमिलीपर पूरा मिथिलामे लोक हँसि रहल छै। मोहन भारद्वाजक चरित्रक विषयमे सभकेँ बुझल छै।

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  2. 2 hours agoVijay Deo Jha
    हे रे अशीषवा, गजेन्द्र के पोसुवा, पतचटवा औकात देख क बात कर बालगोविन्द जनामि क ठाड़ भेलौं ने की कहै जे छै नबका जोगी के गांडी में जट्टा...vijay deo jha ker message hamar facebook account par, kehan palan poshan ekar bhel chhai takar preteek

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  3. एखने हमर फेसबुक मैसेजमे रामदेव झाक मूर्ख बेटा विजयदेव झाक मैसेज आएल अछि जे हम बिना काँट-छाँटकेँ दए रहल छी। ऐ मैसेजसँ अहाँकेँ ई पता लागि जाएत जे कोना रामदेव झा आ हुनक दूनू बेटा मने विजय देव झा आ शंकर देव झा गारि बलेँ मैथिलीकेँ बहुत दिन धरि ब्लैकमेलिंग केलकै। संगे-संग हम ईहो कहए चाहब जे ऐ ब्लैकमेलिंगमे रामदेव झा आ हुनक बेटा संगे मोहन भारद्वाज, महेन्द्र मलंगिया, चेतना समीति आ आर किछु साहित्यकार सभ अनवरत सहयोगी रहल छथि। मुदा आब जे विदेह आंन्दोलन भए रहल अछि ताहिसँ घबड़ा कए ई सभ अभद्रता कए रहल अछि। मुदा आब से चलए बला नै छै। तँ पढ़ू हुनक मूल मैसेज----

    हे रे अशीषवा, गजेन्द्र के पोसुवा, पतचटवा औकात देख क बात कर बालगोविन्द जनामि क ठाड़ भेलौं ने की कहै जे छै नबका जोगी के गांडी में जट्टा

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  4. VINIT UTPAL http://www.blogger.com/profile/10187277796958778493 LIKHAI CHHATHI

    क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पर गरल हो, वह क्या जो दन्तहीन, विषहीन और अत्यंत सरल हो. गाली देब परम्परा अछि. जिनकर जेहन संस्कार, हुनकर मुंह से तहिने बोली. रचनात्मकता में जीवन अनुभव के बड़ रास योगदान होयत अछि. फेर संस्कार ते घर से भेटैत अछि. अशीषवा,पोसुवा, गांडी, जट्टा एहन शब्द अलंकारक प्रयोग करहिक अर्थ अछि जे अखनो लोक में आदिम संस्कार से जुडल अछि. ई सब शब्द साहित्य से दूर भ रहल अछि. ताहि सं विजयदेव झा सहित तमाम मैथिली से जुडल अहिने प्रबुद्ध लोक सें आग्रह जे अहां सब शब्दक संगे आओर एहिने शब्दक प्रयोग क मिथिलाक शब्दकोष के समृद्ध करल जाय. कियाकि तथाकथित ब्राहमणवादी साहित्यकार घर में ते एहन शब्दक प्रयोग करैत छथिन आ अप्पन नेना सभ के सिखाबैत अछि मुदा अप्पन लेखनी में प्रयोग नहि करैत अछि.

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  5. SATISH VERMA LIKHAI CHHATHI...Satish Verma Isi Bhagwa Shankardev jha ko maine bahut pahle apne lekh me khub lapeta tha. Darsal Agnipushp sampadit samvad patrika me Gujrat danga aur Narendra modi ke role par meri ek kahani chapi thi,jis par usne badi hi behuda tippani ki thi,jiska jawab maine rachna,darbhanga,vishwanathjee ke patrika ke jariye diya tha.shunt ho gaye the shankardev babu,aukat nap gayi thi unki.

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  6. SATISH VERMA LIKHAI CHHATHI...Satish Verma Isi Bhagwa Shankardev jha ko maine bahut pahle apne lekh me khub lapeta tha. Darsal Agnipushp sampadit samvad patrika me Gujrat danga aur Narendra modi ke role par meri ek kahani chapi thi,jis par usne badi hi behuda tippani ki thi,jiska jawab maine rachna,darbhanga,vishwanathjee ke patrika ke jariye diya tha.shunt ho gaye the shankardev babu,aukat nap gayi thi unki.

    ATULESHWAR JHA LIKHAI CHHATHI...
    Atuleshwar Jha आखिरमे हमरा लोकनि कोन बाट पर चलि रहल छी , यदि एहि तरहक शब्दक प्रयोग
    साहित्यिक लड़ाई मे भए रहल अछि , तखनइ एहन साहित्य सं समाजके कि भेटतैक ।

    VINIT UTPAL..LIKHAI CHHATHI ..
    Vinit Utpal क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पर गरल हो, वह क्या जो दन्तहीन, विषहीन और
    अत्यंत सरल हो.
    गाली देब परम्परा अछि. जिनकर जेहन संस्कार, हुनकर मुंह से तहिने बोली.
    रचनात्मकता में जीवन अनुभव के बड़ रास योगदान होयत अछि. फेर संस्कार ते घर से
    भेटैत अछि. अशीषवा,पोसुवा, गांडी, जट्टा एहन शब्द अलंकारक प्रयोग करहिक अर्थ
    अछि जे अखनो लोक में आदिम संस्कार से जुडल अछि. ई सब शब्द साहित्य से दूर भ
    रहल अछि. ताहि सं विजयदेव झा सहित तमाम मैथिली से जुडल अहिने प्रबुद्ध लोक सें
    आग्रह जे अहां सब शब्दक संगे आओर एहिने शब्दक प्रयोग क मिथिलाक शब्दकोष के
    समृद्ध करल जाय. कियाकि तथाकथित ब्राहमणवादी साहित्यकार घर में ते एहन शब्दक
    प्रयोग करैत छथिन आ अप्पन नेना सभ के सिखाबैत अछि मुदा अप्पन लेखनी में प्रयोग
    नहि करैत अछि.

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  7. SATISH VERMA LIKHAI CHHATHI...Satish Verma Isi Bhagwa Shankardev jha ko maine bahut pahle apne lekh me khub lapeta tha. Darsal Agnipushp sampadit samvad patrika me Gujrat danga aur Narendra modi ke role par meri ek kahani chapi thi,jis par usne badi hi behuda tippani ki thi,jiska jawab maine rachna,darbhanga,vishwanathjee ke patrika ke jariye diya tha.shunt ho gaye the shankardev babu,aukat nap gayi thi unki.

    ATULESHWAR JHA LIKHAI CHHATHI...
    Atuleshwar Jha आखिरमे हमरा लोकनि कोन बाट पर चलि रहल छी , यदि एहि तरहक शब्दक प्रयोग
    साहित्यिक लड़ाई मे भए रहल अछि , तखनइ एहन साहित्य सं समाजके कि भेटतैक ।

    VINIT UTPAL..LIKHAI CHHATHI ..
    Vinit Utpal क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पर गरल हो, वह क्या जो दन्तहीन, विषहीन और
    अत्यंत सरल हो.
    गाली देब परम्परा अछि. जिनकर जेहन संस्कार, हुनकर मुंह से तहिने बोली.
    रचनात्मकता में जीवन अनुभव के बड़ रास योगदान होयत अछि. फेर संस्कार ते घर से
    भेटैत अछि. अशीषवा,पोसुवा, गांडी, जट्टा एहन शब्द अलंकारक प्रयोग करहिक अर्थ
    अछि जे अखनो लोक में आदिम संस्कार से जुडल अछि. ई सब शब्द साहित्य से दूर भ
    रहल अछि. ताहि सं विजयदेव झा सहित तमाम मैथिली से जुडल अहिने प्रबुद्ध लोक सें
    आग्रह जे अहां सब शब्दक संगे आओर एहिने शब्दक प्रयोग क मिथिलाक शब्दकोष के
    समृद्ध करल जाय. कियाकि तथाकथित ब्राहमणवादी साहित्यकार घर में ते एहन शब्दक
    प्रयोग करैत छथिन आ अप्पन नेना सभ के सिखाबैत अछि मुदा अप्पन लेखनी में प्रयोग
    नहि करैत अछि.

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