Saturday, August 11, 2012

आखिर मैथिली विभागक ताला टुटल (रिपोर्ट सुजीत कुमार झा )


शुक्र दिन एक बजेके लगपास जनकपुरक रामस्वरुप रामसागर बहुमूखी क्याम्पसमे पहुँचल छलहुँ । परमेश्वर सर (परमेश्वर कापडि) मैथिली विभागाध्यक्ष्ामे नियुत्तm भेलाक अवसर पर कार्यत्रmम छल । कार्यत्रmम हिसाबसँ जे चहलपहल होएबाक चाही कतहुँ सँ नहि देखा रहल छल । भितर प्रवेश करैत छी त˜ क्याम्पसक एकटा कर्मचारी कहैत अछि( 'परमेश्वर सरकेँ स्वागत करय एलहुँ अछि । मैथिली विभागमे त˜ कोनो कर्मचारीए नहि छैक, कोना कार्यत्रmम हएत ।' एक मोन भेल घुरि जार्इ मुदा फेर परमेश्वर सर के देखलिन्हि लटपटताइते आबि रहल । ओ स्वयं नहि विश्वस्त छलथि कार्यत्रmम हएत ताहि पर । मुदा किछुए देरमे राराब क्याम्पसक कर्मचारी सभ आएल । विभागक ताला तोडिदेल गेल आ जहिना सोचने छलहुँ परमेश्वर सरके थपरी मारिक˜ स्वागत करब तहिना भेल । शुरुमे एक दू गोटे छलथि मुदा आश्चर्य बात ओहि ठाम मैथिली आन्दोलन सँ जुडल दर्जनौं व्यत्तmि पहुँच गेल । हुनका अनौपचारिक रुपसँ प्रवेश करय नहि देबयकेँ प्रयास छल वा की से त˜ नहि बुभmलहुँ मुदा नहि पूर्व विभागाध्यक्ष्ा छलथि, नहि लेखाप्रमुख, नहि पियुन सभके सभ गायब । परमेश्वर कापडि हाजिर भ˜ रहल छथि ओ बुभmलाक बादो विभागक ताला नहि खुजल छल । अन्तत: ओ ताला रुपी अवरोधककेँ तोडि देलगेल । जीवनमे परमेश्वर कापडि एहन कतेको फाटक तोडने छथि । हुनका लेल र्इ एकटा छोटछिन ताला अछि । ओ स्वयं स्वागत समारोहमे कहलन्हि जाहि बिष्फोटक रुपमे प्रवेश कएलहुँ अछि ओही रुपमे काज करब अर्थात्‍ मैथिली विकासक लेल आगा बढैत रहब एहन ताला सभ एहिना टुटैत रहत । कार्यत्रmम सँ अबिते रेडियो मिथिलामे अन्तरवार्ता दैत कहलन्हि दस दिन भितर मैथिली विभागमे आमूल परिवर्तन करब । पढार्इके वातावरण्ा बनाएब, मैथिलीक अनुसन्धानस्थल बनाएब, मिथि निकालब, पाठ्‍य पुस्तक सुधारक लेल काज आगा बढाएब बचन बद्धता व्यत्तm कएलन्हि । बहुतोके लगैत हएत परमेश्वर कापडि घोष्ाण्ाा बहादुर जेकाँ काज करैत छथि मुदा हुनका जे चिन्हैत छैन्हि ओ त˜ विश्वासे क˜ लेने हएता । मिथिला राज्य संघर्ष्ा समितिक आन्दोलन शुरु दिनमे ओ एक हप्तामे अन्हर विहारि आनिदेब कहने रहैथि ककरो सँ छिपल नहि अछि केहन अन्हर बिहारि आएल छल । एक दिन प्रसंगवस मैथिली साहित्यकार डा. सुरेन्द्र लाभ कहने रहथि जे परमेश्वर कापडिकेँ कारण्ा भरि राति जागल छी । तेना नहि कथा लिखबाक सपथ द˜ देलन्हि जे लिखहे पडल । परमेश्वर कापडि जे ठानि लैत छथि ओ करबे करैत छथि । ओ अपने करैत छथि वा दोसर सँ करबैत छथि । भलेहि एहिके लेल डा. पशुपतिनाथ भmाåारा लगाओल गेल ताला किए नहि तोडय पडैन्हि । मुदा र्इ ताला सभ दिन खुलल रहैक एकर चुनौती अवश्य छन्हि । एहि चुनौतीके ओ कोन रुपसँ निर्वाह करैत छथि र्इ एखन प्रतिक्ष्ााक विष्ाय अछि ।

No comments:

Post a Comment