Friday, November 21, 2008

नवेन्दु कुमार झा- अस्तित्वक लेल संघर्ष करैत पटनाक विद्यापति स्मृति पर्व

अस्तित्वक लेल संघर्ष करैत पटनाक विद्यापति स्मृति पर्व
-
मिथिलांचलक सांस्कृतिक धरोहर महाकवि विद्यापतिक जयन्तीक प्रतीक्षा मिथिलावासी वर्ष भरि करैत छथि। कार्तिक धवल त्रयोदशीकेँ प्रति वर्ष मनाओल जाएवला एहि वार्षिक उत्सवमे पूरा मनोयोगक संग मिथिलावासी शामिल होइत छथि। एहि क्रममे राजधानी पटनामे आयोजित होमएवाला विद्यापति स्मृति पर्वक प्रतीक्षा सेहो राजधानीक मिथिलावासीकेँ रहैत अछि। मुदा एहि वर्ष एहि आयोजनपर जेना ग्रहण लागि गेल अछि। बढ़ैत संसाधनक बावजूद आयोजक एहि सांस्कृतिक उत्सवक स्वरूप वर्ष-दर-वर्ष छोट कएने जा रहल छथि। ई आयोजन आब इतिहास बनबाक द्वारपर ठाढ़ अछि। पछिला चौबन वर्षसँ प्रति वर्ष आयोजित होमएवाला त्रिदिवसीय कार्यक्रम एहि वर्ष एक दिवसीय होएबाक संवाद अछि। पटनाक हार्डिंग पार्कसँ सचिवालय मैदान आ मिलर हाई स्कूल मैदान होइत ई आयोजन जखन भारत स्काउट मैदान धरि आएल ता धरि ई उम्मीद छल जे ई समारोह अपन पुरान गौरवकेँ फेरसँ प्राप्त करत मुदा जखन एहि समारोहक स्थान परिवर्तित कऽ कापरेटिव फेडरेशन परिसर आबि गेल तऽ स्पष्ट भऽ गेल जे आब आयोजक मात्र खानापूर्ति करबाक लेल एकर आयोजन करैत छथि। आ एहि बेरक सूचनापर गौर करी तऽ स्पष्ट होइत अछि जे आब एहि समारोहक आयोजन मात्र औपचारिकता रहि गेल अछि। कोसी क्षेत्रमे आएल बाढ़ि आयोजक सभकेँ एकटा बहाना बनि गेल अछि आ एहि बहाने एहि समारोहक गौरवपूर्ण इतिहासकेँ समाप्त करबापर लागल छथि।
बाढ़ि मिथिलांचलक नियति अछि। शायदे कोनो वर्ष होएत जखन कि एहि प्राकृतिक आपदाक सामना नहि होइत अछि मुदा एहि बेर कोसीमे आएल बाढ़िसँ आयोजक संस्था चेतना समितिक कर्ता धर्ताकेँ अपन गाम-घर दहाएल तँ हुनक दर्द जागि उठल आ कार्यक्रमक समय-सीमा घटा देलनि। दरभंगा, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी आदि मिथिलांचलक कतेको क्षेत्र सभ साल बाढ़िक मारि झेलैत अछि मुदा बिना रुकावट सभ साल तीन दिवसीय विद्यापति स्मृति पर्वक आयोजन होइत रहल अछि। ओहि क्षेत्र सभक चिन्ता समितिकेँ शायद नहि रहैत छल। ज्यो बाढ़िक समस्याक प्रति एतेक गंभीर छलाह तँ पूर्वमे कतेको बेर आएल बाढ़िक बाद एहि आयोजनकेँ छोट कएल जा सकैत छल से आइ धरि नहि भेल। ज्यो अहू बेर आयोजक एहि समस्याक प्रति गंभीर रहितथि तँ एहि समारोहक माध्यमसँ राजधानीक मिथिलावासीक सहयोग बाढ़ि पीड़ितक मदति लेल लऽ सकैत छलाह। एहन रचनात्मक डेग संस्था उठाएत से संस्थाक कर्ता-धर्ताक आदति नहि रहलनि अछि। एहिसँ समितिकेँ सामूहिक श्रेय भेटैत से तऽ संस्थाक महानुभाव लोकनिकेँ कतहु मंजूर नहि छलनि। ओ तँ व्यक्तिगत श्रेय लेबापर विश्वास करैत छथि।
दरअसल चेतना समितिक जुझारू पदाधिकारी सभमे आब काज करबाक चेतना नहि बचल अछि। नहि तँ ओ एहिपर जरूर चिन्तन करितथि जे एहि समारोहमे प्रतिवर्ष दर्शकक संख्या किए कम भऽ रहल अछि। जखन संस्थाक स्तरसँ दर्शककेँ जोड़बाक कोनो प्रयास नहि भऽ रहल अछि तँ एहिमे दर्शक दिससँ प्रयास होएबाक बात सोचब निरर्थक अछि। ओना आयोजक कतेको वर्षसँ एहि समारोहकेँ विराम देबाक प्रयासमे छथि। कखनो चुनावक बहाना बना तँ कखनो कानून व्यवस्थाक बहाने एहि कार्यक्रमक स्वरूपकेँ छोट क देलनि। एहि वर्ष तँ कोसीक विभीषिका तँ मानू हुनक सभक मनोनुकूल वातावरण दऽ देलक। प्रारम्भमे त्रिदिवसीय आयोजनक तैयारीक बाद एकाएक एकरा एक दिवसीय करब मात्र औपचारिकता लागि रहल अछि जाहिसँ कि जे किछु मैथिली प्रेमी छथि अगिला वर्शसँ अपनहि एहि कार्यक्रमसँ कटि जाथि आ दर्शकक अनुपस्थितिक बहाना बना कार्यक्रमकेँ बंद कऽ देल जाए। ई विडम्बना कहल जा सकैत अछि जे पटनामे शुरू भेल विद्यापति स्मृति पर्वक देखा-देखी प्रदेश आ देशक आन क्षेत्रमे वर्ष दर वर्ष पूरा उत्साहक संग आयोजित भऽ रहल अछि आ एहि ठामक आयोजनक अस्तित्वपर संकट आबि गेल अछि। वास्तवमे चेतना समिति आब किछु फोटोजेनिक चेहरा सभक अखाड़ा बनि गेल अछि जे एकर कार्यालय विद्यापति भवनकेँ अपन दलान बुझि अपनहिमे कुश्ती करैत रहैत छथि। कोसीक विभीषिकाक दर्द मठाधीश लोकनिक संग-संग सभ मिथिलावासीकेँ अछि। कोसीक बाढ़ि पीड़ितक दर्द एहि आयोजन माध्यमसँ सभ मिथिलावासीकेँ जोड़ि सामूहिक रूपेँ बाटल जा सकैत छल। ज्यो से नहि तऽ बाढ़ि पीड़ितक मदति लेल प्रदेश आ देशक कतेको क्षेत्रमे सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमक कएल गेल आयोजन व्यर्थ छल।
मिथिलाक कतेको महान विभूति सभक प्रयासँ शुरू भेल राजधानीक ई सांस्कृतिक उत्सव पूरा देशमे एकटा महत्वपूर्ण स्थान रखैत अछि। एहि आयोजनकेँ इतिहास बनेबाक प्रयास करब चिन्ताक विषय अछि। पहिने कार्यक्रमक स्थान छोट करब आ आब एकर समय सीमा घटएलासँ राजधानीक मिथिलावासी मर्माहत छथि। एकरे परिणाम अछि जे छोटे स्तरपर सही राजधानीसँ सटल दानापुर आ राजीवनगरमे किछु वर्षसँ आयोजित भऽ रहल विद्यापति पर्व आब लोकप्रिय भऽ रहल अछि। आब राजधानीक मिथिलावासी चेतना समितिक बदला एहि दुनू स्थानपर होमएवाला आयोजनक प्रतीक्षा करैत छथि। शायद अहूसँ चेतना समिति सचेत होएत आ विद्यापति स्मृति पर्वक अपन पुरान गौरवकेँ पुनर्स्थापित करबाक प्रयास करत।(साभार विदेह www.videha.co.in)

No comments:

Post a Comment