Friday, November 21, 2008

मुखीलाल चौधरी

मुखीलाल चौधरी
सुखीपुर – १, सिरहा
हाल ः बुटवल बहुमुखी क्या पस बुटवल
दिनाड्ढ २०६५ जेष्ठ २९ गते बुधदिन ।

धीरेन्द्र बाबु,
नमस्कादर
बहुत दिनक बाद अपनेक कार्यक्रम “हेलौ मिथिलामें” चिठ्ठी पठारहल छी ।
आशेटा नहि वरण विश्वा स अछि, प्रकाशित होएत ।
दिनाड्ढ २०६५ जेठ १४ गते मंगलदिन जनकपुरधाममें लोकार्पण भेल “समझौता नेपाल”क दोसर प्रस्तुटति गीति एल्व म “भोर” क गीतके संगही समझौता नेपालक निर्देशक नरेन्द्रमकुमार मिश्रजीक साक्षात्का‍र दिनाड्ढ २०६५ जेठ १८ गते शनिदिन कान्तिंपुर एफ़एम़के सर्वाधिक लोकप्रिय कार्यक्रम “हेलौ मिथिलामें” सुनबाक मौका भेटल । संघीय गणतान्त्रि क नेपालक भोरमे समझौता नेपालद्वारा प्रस्तुकत केल गेल गीति एल्बलम भोरके लेल समझौता नेपालक निर्देशन नरेन्द्रदकुमार मिश्रजीके हार्दिक बधाई एवं शुभकामना । आगामी दिनमें समझौता नेपाल मार्फत गीति यात्राके निरन्तनरततासँ गीत या संगीतके माध्यएमसँ मिथिलावासी आ मधेशी संगही सम्पूबर्ण आदिबासी थारु में जागणर लावय में सफल होवय आओर मिथिलावासी, मधेशी, आदिवासी थारु संगही सम्पूहर्ण देशवासीमें सदाशयता, सदभावना, सहिस्णुतता आ स्नेकहमें प्रगाढता बढावमें सफलता प्राप्तू होवय, एकर लेल साधुवाद ।
गीतकार सभहक गीत उत्कृरष्टह अछि, कोनो गीत वीस नहि सभटा एकाईस । एकसँ बढी कय एक । गीतकार सभहक गीतके सम्वयन्धगमें छोटमें अलग अलग किछु कहय चाहैत अछि
रुपा झाजीक गीत शिक्षा प्रति जागरुकता आ चेतानक सन्दे श द�रहल अछि । ज्ञान प्रकाश अछि आओर अज्ञान अन्धगकार । अन्धरकारसँ वचवाक लेल ज्ञान प्राप्त केनाइ आवश्यरक अछि । “केहनो भारी आफत आवौ, ज्ञानेसँ खदेड” पाति कोनो समस्याध किएक नहि विकराल होय ज्ञान आ वुद्धि सँ समाधान करल जा सकैत अछि ।
पुनम ठाकुरजीक गीत सब सन्तातन समान होइछ, बेटा—बेटीमे भेदभाव नहि होयबाक आ करबाह चाहि सन्देठश द�रहल अछि । “मुदा हो केहनो अबण्डर बेटा, कहता कुलक लाल छी ” सिर्फ एक पातिस आजुक समाजमें बेटा—बेटी प्रति केहन अवधारणा अछि, बतारहल छथि ।
मिथिलाके माटि बड पावन छै । संस्काणर आ अचार–विचार महान छै । आओर वएह माटिक सपुत साहिल अनवरजी छथि । जई माटिमें साहिल अनवरजी जकाँ मनुक्‍ख छथि ओही माटिमे सम्प्र दायिकताक काँट उगिए नहि सकैछ । उगत त मात्र सदभावना, सदाशयता, माया—ममता, स्नेकहक गाछ । जेकर गमकसँ सभकेओ आनन्दिहत रहत आ होएत ।
“जतय हिन्नुतओ राखि ताजिया, मान दिअए इसलामके
छठि परमेसरीक कवुलाकय मुल्लो जी मानथि रामके”
सँ इ नहि लागि रहल अछि ? कि मिथिलाके पावन माटिमें सहिश्णु ताक सरिता आ बसन्तेक शीतल बसात बहिरहल अछि । धन्य छी हम जे हमर जनम मिथिलाक माटिमें भेल अछि ।
धीरेन्द्रि प्रेमर्षिजीक गीत सकारात्मथकतासँ भरल अछि । समस्याे किएक नहि बडका होबय आ कोनो तरहके होय निरास नहि होयवाक चाहि आओर सदिखन धैर्य—धारणकय सकारात्मेक सोच राखिकय आगाँ बढवाक चाहि । संगहि जाहि तरहसँ माँ–बाप अपन सन्ताकनक लेल सदिखन सकारात्मकक दृष्टिँकोण राखैत छथि, वएह तरहसँ संतानक कर्तव्यत होइछ जे ओ सभ अपन वुढ माँ–बाप प्रति वहिनाइते दृष्टिककोण अपनावैत । गीतके शुरुके जे चार पाति
“संझुका सुरजक लाल किरिनिया, नहि रातिक इ निशानी छै
छिटने छल जे भोर पिरितिया, तकरे मधुर कहानी छै” ।
सकारात्मेकताक द्योतक अछि । एकर संगहि
“सोना गढीके इएह फल पौलक, अपने बनि गेल तामसन
वाह बुढवा तैओ वाजैए, हमर बेटा रामसन” इ पातिसँ मा–बापके अपन सन्तादनक प्रति प्रगाढ माया ममताक बोध करारहल अछि ।
नरेन्द्र कुमार मिश्राजीक गीत इ बतारहल अछि कि संसारमे प्रेम, स्नेबह, माया–ममता अछि तएँ संसार एतेक सुन्द र अछि । यदि प्रेम, स्नेंह, माया–ममता हटा देल जाय त संसार निरस भ�जाएत आ निरस लाग लागत । तएँ हेतु एक दोसरक प्रति प्रेम, स्नेंहक आदन–प्रादान होनाइ आवश्याक अछि ।
“आखि देखय त सदिखन सुन्द्र सृजन
ठोर अलगय त निकलय मधुरगर बचन”
पाती सँ प्रेम आ स्नेरह वर्षा भ�रहल अछि, लागि रहल अछि ।
वरिष्टँ साहित्यगकार, कवि, गीतकार द्वय डा़ राजेन्द्रो ॅविमल� जी आ चन्द्रिशेखर ॅशेखर� जीके गीत अपने अपनमे उत्कृरष्टर आ विशिष्ट अछि । हिनका सभक गीत सम्बनन्धॅमे विशेष किछु नहि कहिके हिनका सभक गीतक किछु पाति उधृत कयरहल छी, सबटा बखान कैय देत ।
डा़ राजेन्द्री विमल जीक पातिक
“जगमग ई सृष्टिृ करए, तखने दिवाली छि
प्रेम चेतना जागि पडए, तखने दिवाली छि
रामशक्ति आगुमे, रावण ने टीकि सकत
रावण जखने डरए, तखने दिवाली छि”
अपने अपनमे विशिष्टडता समाहित केने अछि ।
ओही तरहे चन्द्रषशेखर ॅशेखर� जीक गीतक निम्न। पाति अपने अपनमे विशिष्ट अछि
“साँस हरेक आश भर, फतहक विश्वा सकर
बिहुँसाले रे अधर, मुक्त हो नैराश्य‍–डर
रोक सब विनाशके, ठोक इतिहासके
दग्धसल निशाँसके, लागल देसाँसके”
हमर यानी मुखीलाल चौधरीक गीतके सम्बिन्धामे चर्चा नहि करब त कृतघ्ननता होएत । हमरद्वारा रचित गीत भोरक संगीतकार धीरेन्द्रक प्रेमर्षिद्वारा परिमार्जित आ सम्पातदित केल गेल अछि । तएँ एतेक निक रुपमे अपने सभहक आगाँ प्रस्तु त भेल अछि । हमर गीतके इएह रुपमे लाबएमे धीरेन्द्रत प्रेमर्षिजीक उदार या गहन भुमिका छैन्हआ । एकर लेल प्रेमर्षिजीके हम मुखीलाल चौधरी हार्दिक धन्यरवाद ज्ञापन करए चाहैत छी ।
सभटा गीतके संगीत कर्णप्रिय लगैत अछि । सुनैत छी त मोन होइत अछि फेर–फेर सुनी । कतबो सुनलाक वादो मोन नहि अगहाइत अछि । एतेक निक संगीतक लेल धीरेन्द्रइ प्रेमर्षिजीके हार्दिक बधाई आओर अगामी दिन सभमे एहोसँ निक संगीत दय सकैत, एकर लेल शुभकामना आ साधुबाद ।
सभ गीतकार, संगीतकार, गायक–गायिका इत्याादिक संयोजन कय बड सुन्दगर आ हृदयस्पछर्शी गीति एल्बीम “भोर ” जाहि तरहसँ हमरा सभहक आगाँ परोसने छथि, एकर लेल भोरक संयोजक रुपा झा जीके हार्दिक बधाई । अन्तनमे सभ गीतकार, संगीतकार, गायक–गायिका, संयोजक आ समझौता नेपालक निर्देशकके हादिक वधाई ।(साभार विदेह www.videha.co.in)

No comments:

Post a Comment