जितेन्द्र झा- जनकपुर
अन्तर्राष्ट्रिय मैथिली परिषद अपन बिभिन्न माग सहित भारतक राजधानी नयां दिल्लीस्थित जन्तर मन्तरमे धर्ना देलक अछि । सोमदिन देल गेल एहि धर्नामे भारतक विभिन्न स्थानसं आएल मैथिल आ संघ संस्थाक प्रतिनिधि सहभागी रहथि । जन्तर मन्तरमे भेल एहि धर्नामे मिथिला क्षेत्रक विकासक लेल अलग मिथिला राज्य बनाओल जाए से माग कएल गेल । अन्तर्राष्ट्रिय मैथिली परिषद एहि अवसरपर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिलके ज्ञापन पत्र सेहो बुझौलक । ज्ञापन पत्र बुझेनिहार प्रतिनिधि मण्डलमे डा भुवने•ार प्रसाद गुरमैता, डा रबिन्द्र झा, डा धनाकर ठाकुर,डा कमलाकान्त झा, चुनचुन मिश्र, भवेश नन्दनसहितके सहभागिता छल । परिषदक धर्नामे दिल्लीमे रहल विभिन्न राजनीतिक दलसं सम्बद्ध नेतालोकनि सेहो सहभागी रहथि। परिषदक नेपालक पदाधिकारी आ कार्यकर्ता सेहो धर्नामे सामेल रहथि । धर्नामे भीख़ नंहि अधिकार चाही हमरा मिथिला राज्य चाही से नारा लगाओल गेल रहए । परिषद मैथिली भाषाक आधारपर राज्य बनएबाक माग करैत आएल अछि ।
कोना बचाएब संस्कृतिक विरासत ?
मिथिलाक परम्परा आ धरोहरिके मौलिक विशिष्टता गुमिरहल कहैत विज्ञसभ चिन्ता ब्यक्त कएलनि अछि । संस्कृतिक अपन अलग स्थान बांचल रहए से डा गंगेश गुन्जक कहब छन्हि । मैथिली संस्कृतिक विभिन्न पक्षपर नयां दिल्लीमे २५ दिसम्बरक' सम्पन्न गोष्ठीमे बजैत गुन्जन मैथिली संस्कृतिक संरक्षणपर जोड देने रहथि ।
नाटककार महेन्द्र मलंगिया मिथिलाक लोकसंस्कृतिमे रहल टाना टापर, घरेलु उपचार, शकुन सहितके विषयके फ़रिछियाक' प्रस्तुत कएने रहथि । मैथिली संस्कृतिक संरक्षणलेल एहिमे समाहित गुणके उजागर करब आवश्यक रहल मलंगिया कहलनि । मिथिलामे सातो दिन सात तरहक वस्तु खाक' यात्रा गेलासं शुभ यात्रा हएबाक चलन आ एहने चलनमे रहल वैज्ञानिकता दिश ध्यान जाएब आवश्यक रहल ओ कहलनि ।
साहित्यकार देव शंकर नविन मैथिली भाषा संस्कृतिके मुल भावना विपरित होबए बला काजके अपमानित कएल जाए से कहलनि । मैथिलीक मौलिकताके लतियाक' कएल जाए बला कोनो काजके बहिष्कार कएल जाए नविनक विचार छन्हि । गायक, साहित्यकार सहित सभके मैथिली गीत संगीत, भाषा संस्कृतिके प्रतिकुल असर होब बला काज नई करबालेल ओ आग्रह कएलनि । नक्कल आ स्तरहीन प्रस्तुतिके अपमानित करबालेल नविन आग्रह कएलनि ।
मैथिली भोजपुरी एकेडमीक अध्यक्ष अनिल मिश्र मिथिलाक सांस्कृतिक विरासतके विकासक सम्भावना बढाओल जाए से कहलनि । साहित्य, लोक संस्कृतिके समॄद्ध कएल जाए से कहैत ओ मैथिली भोजपुरी एकेडमी एहिदिशसं एहिलेल काज हएबाक प्रतिबद्धता ब्यक्त कएलनि । मिथिला संस्कृति लेल कएल जाएबला काज आपसमे बांटि लेल जाए से मिश्रक सुझाव छन्हि । संस्कृतिक विरासतके रेखाङकित करैत रोड मैप बनएबापर ओ जोड देलनि । संचारमाध्यममे मैथिलीके स्थान भेटए ताहिलेल प्रयास कएल जएबाक ओ जनतब देलनि । दिल्ली प्रसारित सरकार दुरदर्शनमें मैथिलीक स्थानलेल दिल्लीक मुख्यमन्त्री शीला दीक्षितके ज्ञापन पेश कएल जएबाक आश्र्वासन देलनि ।
सुभाषचन्द्र यादव एकमात्र वक्ता रहथि जे अपन विचार पहिनहिये सँ लिखि क' देने रहथि से एतए प्रस्तुत अछि।-
मैथिली लोक-कथा
सुभष चंद्र यादव
मैथिली मे लोक-कथा पर बड़ कम काज भेल अछि। लोक-कथाक किहुए संकलन उपलब्ध अछि आ से स्मृतिक आधार पर लिपिबद्ध् कयल गेल अछि, फील्ड वर्कक आधार पर नहि । लोक-साहित्यक कोनो इकाइ हो, ओकर एक सँ अधिक रूप विद्यमान रहैत छैक , जे फील्ड वर्क कयले सँ प्राप्त भऽ सकैत अछि । स्मृति मे ओकर मात्र एकटा रूप रहैत छैक, जकरा सर्वोत्तम रूप मानि लेब आनक भऽ सकैत अछि । लोक-कथा क जतेक संकलन अखनधरि भेल अछि, से अपूर्ण अछि ।
मैथिली मे लोक-गीत, लोक – गाथा आ लोक – देवता क लेल तऽ किछु फील्ड वर्क कयलो गेल, लोक – कथाक लेल भरिसक्के कोनो फील्ड वर्क भेल अछि । आब जखन एक युश्त सँ दोसर पुश्त मे लोक – साहित्यक अंतरण दिनोदिन संकटग्रस्त भेल जा रहल अछि, तैं एकर संश्क्षण जरूरी अछि ।
लोक – साहित्यक संश्क्षण मात्र एहि लेल जरूरी नहि अछि जे ओ अतीतक एकटा वस्तु थिक; ओ अपन समयक विमर्श आ आत्मवाचन सेहो होइत अछि आ एकटा प्रतिमान उपस्थित करैत अछि । ओकर रूपक, प्रतीक , भाव आ शिल्पक उपयोग लिखित साहित्य मे हम सभ अपन-अपन ढंग सँ करैत रहैत छी । तहिना लिखित साहित्य सेहो लोक-साहित्य केँ प्रभावित करैत रहैत अछि ।
लोक-साहित्य संबंधी अध्ययन मुख्यत: स्थान आ कालक निर्धारण पर केन्द्रित रहल अछि । ओकर कार्य, अभिप्राय आ अर्थ सँ संबंधित प्रश्न अखनो उपेक्षित अछि । मैथिली मे तऽ लोक-साहित्य संबंधी अध्ययन अखन ठीक सँ शुरुओ नहि भेल अछि । जे पोथी अछि, ताहि मे लोक-साहित्यक परिभाषा आ सूची उअपस्थित कयल गेल अछि ।
लोक-कथाक उपलब्ध संकलन सभ मे ओहन कथाक संख्या बेसी अछि जे देशांतरणक कारणेँ मैथिली मे आयल अछि। मैथिलीक अपन लोक – कथा, जकरा खाँटी मैथिल कहि सकैत छिऐक , से कम आयल अछि ।
रामलोचन ठाकुर द्वारा संकलित मैथिली लोक-कथा, जकरा हम अपन एहि अत्यंत संक्षिप्त अध्ययनक आधार बनौने छी, ताहू मे खाँटी मैथिली लोक-कथा कम्मे अछि । लोक-कथाक अभिप्राय आ अर्थ संबंधी अपन बात कहबाक लेल जाहि दूटा कथाक चयन हम कयने छी, से अछि — ‘एकटा बुढ़िया रहय ‘ आ ‘ एकटा चिनता खेलिऐ रओ भैया ‘।
एहि दुनू कथाक वातावरण विशुद्ध मैथिल अछि । दुनू क विमर्श , आत्मवाचन आ प्रतिमान मैथिल-मानसक अनुरूप अछि । दुनू कथाक विमर्श न्याय पर केंद्रित अछि ।
पहिल कथाक बुढ़िया दालिक एकटा फाँक लेल बरही, राजा , रानी , आगि, पानि आ हाथी केँ न्याय पयबाक खातिर ललकारैत अछि, किएक तऽ खुट्टी ओकर दालि नुका लेने छैक आ दऽ नहि रहल छैक ।
कथाक विमर्श पद्यात्मक रूप मे एना व्यक्त भेल अछि – हाथी – हाथी – हाथी ! समुद्र सोखू समुद्र । समुद्र ने अगिन मिझाबय , अगिन । अगिन ने रानी डेराबय , रानी । रानी ने राजा बुझाबथि , राजा । राजा ने बरही डाँड़थि , बरही । बरही ने खुट्टी चीड़य , खुट्टी। खुट्टी ने दालि डिअय , दालि । की खाउ , की पीबू , की लऽ परदेस जाउ।
जाइत अछि । चुट्टी तैयार भऽ जाइत छैक । फेर तऽ चुट्टीक डरँ हाथी , हाथीक डरँ समुद्र , समुद्रक डरँ आगि , आगिक डरँ रानी , रानीक डरँ राजा , राजाक डरँ बरही न्याय करक लेल तैयार भऽ जाइत छैक आ खुट्टी बुढ़िया केँ दालि दऽ दैत छैक ।
ई कथा रामलोचन अपन माय सँ सुनन छलाह । ओ कहलनि जे माय वला वृत्तांत मे बुढ़िया हाथिए लग सँ घूरि जाइत छैक । लिपिबद्ध करैत काल ओ एकर पुनर्सृजन कयलनि । हुनक लिपिबद्ध कयल वृत्तांत मे बुढ़िया हाथियो सँ आगू चुट्टी धरि जाइत अछि । बुढ़िया केँ चुट्टी धरि लऽ गेनाइ कथाक व्यंजना मे विस्तार अनैत छैक । लेकिन लोक – कथाक एहन प्रलेखन कतेक उचित अछि ?
एहि कथाक आत्म वाचन बुढ़ियाक माध्यमे प्रकट भेल अछि । अपन स्थितिक प्रति बुढ़िया जे प्रतिक्रिया करैत अछि , सएह एहि कथाक आत्म – वाचन थिक । एकटा दालिक बल पर बुढ़िया परदेस जेबाक नेयार करैत अछि । राजा- रानीक सेर भरि दालि देबाक प्रस्ताव केँ तिरस्कृत करैत अछि । समुद्र सँ हीरा – मोतीक दान नहि लैत अछि । दालि पर अपन अधिकार लेल लड़ैत रहैत अछि । तात्पर्य ई जे सपना देखबाक चाही । भीख आ दयाक पात्र नहि हेबाक चाही । दान लेब नीक नहि । स्वाभिमानी हेबाक चाही आ अपन हक लेल लड़बाक चाही ।
कथा ई प्रतिमान उपस्थित करैत अछि जे न्याय संघर्षे कयला सँ भेटैत छैक ।
’एकटा चिनमा खेलिऐ रओ भइया ’ न्यायक विवेकशीलता पर विमर्श करैत अछि । मुनिया (चिड़ै) केँ एकटा चीन खेबाक अपराध मे प्राणदंड भेटै वला छैक । ई विमर्श पद्यात्मक रूपमे चलैत छैक , जाहि मे ओकर दारुण अवस्था सेहो चित्रित भेल छैक ।
बरदवला भाइ !
परबत पहाड़ पर खोता रे खोंता
भुखै मरै छै बच्चा
एकटा चिनमा खेलिऐ रओ भइया
तइलएपकड़ने जाइए ।
फेर घोड़ावला अबै छै , हाथीवला अबै छै , खुद्दी-वला अबै छै । मुनिया सभ सँ मिनती करैत अछि ।ओहो सभ खेतवला केँ पोल्हबैत छैक;=छोड़बाक बदला मे बरद , घोड़ा , हाथी देबऽ लेल तैयार छैक ,लेकिन खेतवला टस सँ मस नहि होइत अछि । जखन भूखे-प्यासे जान जाय लगै छैक , तखन खुद्दीक बदला मे मुनिया केँ छोड़ि दैत अछि ।
मुनिया करुणा आ मानवीयताक आवाहन करैत अछि । मनुस्मृति मे कहल गेल छैक जे चुपचाप ककरो फूल तोड़ि लेब चोरि नहि होइत छैक ; तहिना ककरो एकटा चीन खा लेब कोनो अपराध नहि भेल । इएह कथाक आत्मवाचन थिक ।
कथा ई प्रतिमान उप़स्थित करैत अछि जे सभक जीवक मोल बराबर होइत छैक । असहाय आ निर्धनो केँ जीबाक अधिकार छैक । एहि संसार मे ओकरो लेल एकटा स्पेस (जगह) हेबाक चाही।
श्याम भद्र मैथिली भाषाक अपन संचारमाध्यम हुअए से माग कएलनि । एहिलेल संगठित प्रयास करबालेल ओ कार्यक्रममे आग्रह कएलनि । बिहारमे अतिरिक्त भाषाके श्रेणीमे मैथिलीके राखल गेल कहैत भद्र रोष प्रकट कएलनि । मातृभाषाक श्रेणीमे मैथिली नई भेलासं विद्यार्थी मैथिली नई पढि रहल हुनक दाबी छन्हि ।
रंगकर्मी प्रमिला झा मेमोरियल ट्रष्ट घोंघौरक ट्रष्टी श्रीनारायण झा मैथिलमे प्रतिबद्धताक कमी हएबाक विचार व्यक्त कएलनि । हिन्दीमे लिखनिहार मैथिल स्रष्टा अपन मैथिली भाषामे किया नईं लिखैया नारायणक प्रतिप्रश्न रहनि । मैथिलीके समांग आ समान दुनु रहैत स्थिति सन्तोषजनक नइ रहल ओ कहलनि । अष्ट्म अनुसूचिमे मैथिली आबि गेलाक बाद आब सहज रुपे भाषा संस्कृतिक काज आगु बढए नारायण कहलनि ।
गोष्ठीमे मैथिलीलेल काज कएनिहार संस्थाक वर्तमान भूत भविष्यपर सेहो वक्तासभ बाजल रहथि । मैथिलीमे रंगकर्मक विकासके बात होइतो एहिमे काज कएनिहारके प्रोत्साहनलेल कोनो पक्षसं ध्यान नई देल गेल कहल गेल । प्रमिला झा नाटयवृति शुरु भेलाक बादो एक्कोटा नव पुरस्कार/वृत्तिक शुरुवात नई भ' सकल मैलोरंगक प्रकाश झा कहलनि । तहिना झा एकगोट मैथिल दोसर मैथिल पर विश्र्वास करए त सभ तरहक समस्या समाधान हएत कहलनि । मैथिलबीचके आपसी विश्र्वासके ओ विकासक मूलमन्त्रके संज्ञा देलनि ।
अन्तर्राष्ट्रिय मैथिली परिषदक कृपानन्द झा सरकारी स्तरपर मैथिलीके संरक्षण नई भेट रहल कहैत रोष प्रकट कएलनि । मैथिलीक संरक्षण लेल मिथिला राज्य स्थापना हुअए - झा कहलनि । मैथिली भाषा संस्कृतिदिश लागल संस्था आर्थिक संकटसं ग्रस्त रहल कहैत ओ गोष्ठीमे सहभागीके ध्यानाकर्षण करौने रहथि ।
विद्यापति संगीत संरक्षणलेल योजनाबद्ध काज हएब आवश्यक रहल गायिका अंशुमालाक विचार छन्हि । दिल्ली युनिवर्सिटीमे संगीतसं एम फ़िल क' रहल अंशुमाला विद्यापति संगीतले स्थापित करबालेल व्याकरणक आवश्यकता पर जोड देलनि । मैथिलीमे लोकसंगीत आ युवाबीचके दुरी बढब चिन्ताक विषय रहल ओ कहलनि । 'लोकसंगीत नई बुझनिहार लडकीसं वियाह नई करब एहन चलन हएबाक चाही' मैथिली संस्कृति संरक्षणलेल अंशुमाला सुझाव दैत बजलिह ।
गोष्ठीमे सहभागी रंगकर्मी अपन कथा ब्यथा सेहो सुनौने रहथि । दिल्लीमे रहिक' रंगकर्म क' संघर्षरत कलाकार बाध्यताबश गुणस्तरहीन काज क' रहल मैलोरंगक दीपक झा कहलनि । एहिद्वारे कलाकारके अपमानित करबाक काज कियो नई करए दिपकके आग्रह छन्हि ।
संस्कृति बचएबाक अभियान
मिथिलाक सांस्कृतिक विरासतके संरक्षण सम्बर्द्धनक लेल योजनाबद्ध काज करबा पर जोड देल गेल अछि । मिथिलाक सांस्कृतिक विरासत : संरक्षण आ विकासक सम्भावना विषयपर बजैत वक्तासभ एहन विचार रखलनि अछि ।
मैथिली लोक रंग दिल्लीक आयोजनमे २५ दिसम्बरक' सम्पन्न मैथिलोत्सवमे बजैत वक्तासभ मैथिली संस्कृति रक्षाक लेल ठोस कार्ययोजना बनाओल जाए से कहलनि । मैथिलोत्वसमे भेल संगोष्ठीमे लोक नाटय, खानपान, हस्तशिल्प, लोक नॄत्य, लोक विश्र्वास, पुरातात्विक संरक्षण, चित्रकला, पाण्डूलिपि, पावनि तिहार, देवी देवता, रीति रिवाज, मठ-मन्दिर, पहिरन-ओढन, लोकसाहित्य, लोकवाद्य, शिष्टाचार,मेला सहितक विषयपर वक्तासभ बाजल रहथि ।
गोष्ठीमे कथाकार अशोक, कमलमोहन चुन्नु, नाटककार महेन्द्र मलंगिया, मोहन भारद्वाज, सीयाराम झा सरस, सुभाष चन्द्र यादव, गंगेश गुन्जन, मैथिली भोजपुरी एकेडमीक उपाध्यक्ष प्रो अनिल मिश्र, डा अनिल चौधरी, देवशंकर नविन सहित वक्तासभ मिथिलाक सांस्कृतिक विरासतक विभिन्न विषयपर बाजल रहथि ।
भारतीय भाषा संस्थान मैसुरक सहयोगमे मैलोरंग नयां दिल्लीक राष्ट्रिय नाटय विद्यालयमे कार्यक्रम आयोजन कएने छल।
मैथिलोत्वसमे मैलोरंग रंगकर्मी प्रमीला झा नाटयवृत्ति सेहो वितरण कएलक । एहिबेरक नाटयवृत्तिक पओनिहारिमे पहिल मधुबनीक मधुमिता श्रीवास्तव, द्वितीय कोलकाताक वन्दना ठाकुर आ तृतीय दिल्लीक नेहा वर्मा छथि।
रंगकर्मी प्रमीला झा नाटयवृत्तिक स्थापना प्रथम महिला बाल नाटय निर्देशक प्रमीला झाक स्मृतिमे भेल अछि । प्रमीलाक स्मृतिमे स्थापित प्रमीला मेमोरियल ट्रष्ट,घोंघौर एहि नाटयवृतिक स्थापना कएने अछि ।
मैथिलोत्वसमे संगोष्ठी, वृति वितरणक बाद सांगीतिक कार्यक्रम आयोजन कएल गेल छल । सांगीतिक कार्यक्रममे सुन्दरम, घनश्याम, दिवाकर, प्रभाकर, गुन्जन, अंशुमाला, कल्पना मिश्रा, राखी दास,रीतेस सहितक कलाकार दर्शकके मनोरन्जन करौने रहथि । (साभार विदेह www.videha.co.in)
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