Saturday, December 24, 2011

कथा गोष्ठी सम्पन्न (रिपोर्ट श्री परमेश्वर कापड़ि)

श्रीरामानन्द युवा क्लव जनकपुरधामक २६म वार्षिकोत्सवक उपलक्ष्यमे प्राध्यापक परमेश्वर कापडिक संयोजकत्वमे सम्पन्न मैथिली कथाक परिवेश आ प्रवृति विमर्श विषयक एकदिवसीय कथा गोष्ठीऽ बहुते अर्थे विशिष्ट आ सब अर्थे उल्लेख्य रहल अछि । कार्यक्रम आयोजकीय प्रवाह डेडी करीनक उछलैत आहर जकाँ आरि–धूरके नङहैत तोडैत आन-आन खेतके हानि नोकसानी नहि क,सैतले सिटले,दमकलक पाइप सनके रहौकऽ जाहिस जै खेत,कियारीमे जतबे जेहन पानिक खगता–बेगरता होइक,ततबे पाइन पटौक,एहन सनके,कार्यकरमक उद्देश्य आ आयोजनक औचित्यके अनमन अनुसन्धान प्रारुपक साँचमे साँचि,एना शब्दरुप देल गेल रहए|
चित्र साभार श्री परमेश्वर कापड़ि

चित्र साभार श्री परमेश्वर कापड़ि

चित्र साभार श्री परमेश्वर कापड़ि

चित्र साभार श्री परमेश्वर कापड़ि

ऐ सन्दर्भमे श्री परमेश्वर कापड़िजीक भूतकालमे देल सुझाव:
मैथिली कथाक परिवेश आ प्रवृति विमर्श आजुक अपरिहार्य आवश्यकता अछि
— नेपालक मैथिली कथाक प्रभाव आ प्रभुत्वपर, एकर विस्तृत परिधि आ पहुँचके सन्दर्भमे, एकर परिवेश आ प्रकृतिपर जमिक’, जुटिक’ विमर्श करब । मैथिली कथाक ऐतिहासिकता आ रचनाधर्मिताक समग्र आयाम बहुत विस्तृत आ परम ऐतिहासिक रहनहुँ, एकर
— पाठकीय समस्या तथा समीक्षात्मक मूल्याँकनक संकट,
— बदलैत परिप्रेक्ष्यमे, मोह भंगक स्थितिवोध,
— आधुनिक, उत्तर–आधुनिकताक चुनौती आ मूल्य संक्रमणक स्थिति,
— युग परिवत्र्तन आ परिवत्र्तित परिप्रेक्ष्यमे मूल्य संघर्षक दिशा,
— प्रमाणिक परिवेश आ लोकसरोकारी आवाजक आवेग,
— समयसंग साक्षात्कार आ सृजनात्मक रचना प्रक्रियापर, खुलिक’ बात करब ।
 एहि कथा–गोष्ठीक उद्देश्यक आवेग महत्वाकाँक्षी रहल अछि आ बहुत किछु उपलव्धीमूलक पाबए चाहैत अछि । एहनमे बड़ नीक रहत जे मैथिली कथाक
— सामाजिक सन्दर्भ — - Social Context _
— सांस्कृतिक सन्दर्भ — -Cultural '' _
— राजनैतिक सन्दर्भ —  -Political '' _

— वैचारिक सन्दर्भ - Ideologicla '' _
— समसामयिक सन्दर्भ - Contemporaneous context _
— प्राायोगिक सन्दर्भ - Experimental context_
पर ठाठस’ ठठिक’, जमिक’ जाँघ जोड़िक’ एकठौहरी एकमुहरी भ’ एकर समग्र मुद्दा आ विषय–परिदृशयके एहन सानि–मथिक’ निष्कर्षपर पहुँची जे एकर रचनाधर्मिता आ लेखन–प्रक्रियाके समेकित ऊर्जा आ उत्साह दैक आ एकटा ठोस दिशानिर्देश ई पाबए । समकालीन मैथिली कथालेखनक अवलोकन आ पठित कथाके प्रतिक्रियात्मक टिप्पणीस’ कथाकारके रचनात्मक ऊर्जा आ विश्वास प्रदान करबाक हेतुए अपन धारणा सहित, अपन विचारात्मक निर्देशकीय भूमिकास’ उत्साहजनक स्थिति–परिस्तिथि निमार्ण करैत, गोष्ठीके ऐतिहासिकता प्रदान कएल जाय !
प्रा.परमेश्वर कापड़ि २०६८/८/०४ गोष्ठी संयोजक श्रीरामानन्द युवा क्लव, जनकपुरधाम }

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