साकेतानन्दजीक मृत्यु कैन्सरसँ आइ २२ दिसम्बर २०११ केँ एक बजे दिनमे पूर्णियाँ मे। श्रद्धांजलि।
साकेतानन्द 1940-2011
वरिष्ठ कथाकार, गणनायक (कथा-संग्रह) लेल साहित्य अकादेमी पुरस्कारसँ सम्मानित। प्रकाशित कृति: मैथिली कथा साहित्यमे 1962 स’ सक्रिय । गोडेक चालिस_पचास टा कथा, रिपोर्ताज. संस्मरण, यात्रा_विवरण मैथिलीमे प्रकाशित अधिकांश पत्र_पत्रिकामे छपल । पहिल मैथिली कथा “ग्लेसियर” 1962मे ‘मिथिलामिहिर’मे प्रकाशित । हिन्दियोमे दू दर्जन कथा आदि प्रकाशित । सन 99मे छपल पहिल कथा_संग्रह “गणनायक’ के ओही वर्ष ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार। पैघ बान्ध’ स’ अबैबला विपत्तिके रेखांकित करैत, पर्यावरण के कथा वस्तु बना क’ राजकमल प्रकाशन स’ प्रकाशित एवं अत्यंत चर्चित उपन्यास (‘डौकूमेंट्री फिक्शन’) “सर्वस्वांत” ।आकाशवाणीक राष्ट्रीय कार्यक्रममे प्रसारित दू टा उल्लेखनीय वृत्त रूपक_ ‘महानन्दा अभयारण्य’ पर आधारित “जंगल बोलता है” एवं झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रक ज्वलंत डाइनक समस्या पर आधारित वृत्तरूपक “ नैना जोगन “ चर्चित एवं प्रसिद्ध ।
1) लेखकीय नाम : साकेतानन्द. (2)पत्रकारिताक नाम : बृहस्पति. (2) असली नाम : साकेतानन्द सिंह (एस.एन.सिंह).
(3) पिता : स्व. श्री विजयानन्द सिंह. माता: स्व.श्रीमती राधारमा जी. (4) जन्म : 27 फरवरी 1940 क’ कुमार गंगानन्द सिंहक तत्कालीन आवास “सचिव_सदन” 5, गिरीन्द्र मोहन
रोड, दरभंगा. (प्रमाण पत्रमे_26 जनवरी 41 )मृत्यु 22 दिसम्बर 2011 पूर्णियाँमे. (5) शिक्षा: क्रमशः राज स्कूल दरभंगा/ बुनियादी स्कूल श्रीनगर, पूर्णियाँ/ विलियम्स मल्टीलेटरल स्कूल,सुपौल/
पश्चात पटना एवं मगध विश्वविद्यालय स’ अंग्रेजी औनर्स आ मैथिलीमे स्नात्कोत्तर ।
(6) व्यवसाय: आजीवन आकाशवाणीक चाकरी । आठ राज्यक नौ केन्द्रमे विभिन्न पद पर काज । लटे_पटे 40 वर्षक कार्यकाल । पटना, दरभंगा एवं भागलपुरमे बीसो साल तक मैथिली कार्यक्रमक आयोजन, प्रस्तुतिकरणमे लागल । ओतबे दिन क्रमशः आकाशवाणी पटनाक ग्रामीण कार्यक्रम ‘चौपाल’ आ
दरभंगाक ‘गामघर’ कार्यक्रमके मुख्य स्वर”जीवछभाइ’क रूपमे ख्यात। आकाशवाणी दरभंगाक
संस्थापक_स्टाफ । (7) साहित्यिक गतिविधि: मैथिली कथा साहित्यमे 1962 स’ सक्रिय । गोडेक चालिस_पचास टा कथा, रिपोर्ताज. संस्मरण, यात्रा_विवरण मैथिलीमे प्रकाशित अधिकांश पत्र_पत्रिकामे छपल । पहिल मैथिली कथा “ग्लेसियर” 1962मे ‘मिथिलामिहिर’मे प्रकाशित । हिन्दियोमे दू दर्जन कथा आदि प्रकाशित । सन 99मे छपल पहिल कथा_संग्रह “गणनायक’ के ओही वर्ष ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार। पैघ बान्ध’ स’ अबैबला विपत्तिके रेखांकित करैत, पर्यावरण के कथा वस्तु बना क’ राजकमल प्रकाशन स’ प्रकाशित एवं अत्यंत चर्चित उपन्यास (‘डौकूमेंट्री फिक्शन’) “सर्वस्वांत” 0 प्रकाशित आ 2005मे ।आकाशवाणीक विभिन्न केन्द्र लए लिखल आ प्रस्तुत कैल नाटक, डौकुमेंट्री संख्या बहुत रास। आकाशवाणीक राष्ट्रीय कार्यक्रममे प्रसारित दू टा उल्लेखनीय वृत्त रूपक_ ‘महानन्दा अभयारण्य’ पर आधारित “जंगल बोलता है” एवं झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रक ज्वलंत डाइनक
समस्या पर आधारित वृत्तरूपक “ नैना जोगन “ चर्चित एवं प्रसिद्ध ।
मैथिली नाटकक कैकटा ‘लैंडमार्क’ यथा डा.रामदेव झा विरचित दू टा नाटक ‘विद्यापति’ आ ‘हरिशचन्द्र’ ; डा. मणिपद्मक ‘चुहड मल्लक मोछ’ । सल्हेस, दीनाभद्री, विदापत आदि लोक गाथा, लोक_नृत्य सब के लोक_गायकक मध्य जा क’, मूल वस्तुक ध्वन्यंकन एवं ओकर संपादन आ प्रसारण “गणनायक” कथासंग्रह के राजस्थानी अनुवाद, राजस्थानी साहित्यक जानल_चीन्हल नाम श्री शंकरसिंह राज पुरोहित एवं हिन्दी अनुवाद, मैथिलीक ख्यातनामा अनुवादिका श्रीमती प्रतिमा पांडॆ केलनि अछि; आ दुनू के के
साहित्य अकादमिये प्रकाशित केलक ।
(8) संप्रति: सन 2001मे आकाशवाणी हज़ारीबाग स’ केन्द्र_निदेशक के पद स’ अवकाश प्राप्त केलाक बाद पूर्ण रूपेण मिटः
रूपेण मैथिली लेखन, मिथिला क्षेत्रक समस्या सब पर वृत्त__चित्र बनेबाक, मैथिलीक किछु नीक कथा सब
के फिल्म रूपांतरणक गुनान__धुनानमे लागल ।
साहित्य'क क्षेत्र मे अपूरणिय क्षती ! दिबंगत आत्मा'क चिर शान्ती'क कामना औ शोक संतप्त परिबार जन प्रति हृदय सॉ समबेदना प्रकट करैत छी !
ReplyDeleteश्रद्धांजलि...
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