साहित्यिक जौहरी छथि अकादमीक मैथिली परामर्शी
साहित्य अकादमीक महिला लेखिका सभक शीतकालीन दक्षिण भारतक मात्रा समाप्त भऽ गेल अछि। एहि यात्रा मे मैथिली साहित्यक परामर्श दात्री समिति जहि तरह महिला मैथिली लेखिका सभ चयन कयने छल एहि सॅ तऽ परामर्शदात्री सभक विद्वता पर प्रश्न चिन्ह लगायब आवश्यक बुझि पड़ैत अछि। मैथिली साहित्यक संग जाहि तरहे अपना आप केँ विद्वान कहय वाला परामर्शी मजाक कऽ रहल छथि ओहि सॅ साहित्यक गरिमा कम भऽ रहल अछि। एकर प्रभाव सभक सोझा अछि। आम मैथिल जन अपन भाषा सॅ दूर भऽ रहल छथि। आ अपना घर-परिवार मे मैथिली छोड़ि आन भाषाक बेधड़क प्रयोग करय वाला सभ साहित्य अकादमीक यात्राक आनन्द उठा रहल छथि। वर्तमान मे सम्पन्न मैथिली लेखिकाक शीत यात्रा मे जाहि तरहे मानवाधिकारक सहधर्मी केँ महिला मैथिली साहित्यकारक सहकर्मी बनाओल गेल एहि सॅ मैथिली साहित्यक परामर्शी सभक साहित्यिक दिवालियापन सोझा आबि गेल अछि। ई एहि बातक संकेत करैत अछि जे मैथिली भाषाक मे बढ़ैत अवसर मे चाटुकारिताक अवसर सेहो बढ़ि रहल अछि। प्रदेश मे महिला सशक्तिकरणक चलि रहल अभियानक क्रम मे मिथिलाक प्रतिनिधि सामाजिक सांस्कृतिक संस्था मे मैथिल महिला केँ स्थान देबाक नाम पर सक्रियता देल गेल आ आब एहि अधिकारक उपयोग मैथिल साहित्यक सहकर्मी बनैबाक लेल करब कतेक उचित अछि एकर निर्णय तऽ विद्वान साहित्यकार लोकनि करताह। एहि यात्राक क्रम मे आयोजित तीन दिवसीय संगोष्ठी मे गोटेक 30टा महिला अपन आलेख पढ़लनि। मुदा किछु एहनो मैथिल महिला साहित्यकार छलीह जे अपन परमेश्वरक कयल परिश्रमक वाचन करबा मे थकमकाइत छलीह। खैर कोनो बात नहि देशक सभ तरहक संस्था सुख-सुविधाक उपयोगक लेल बनल अछि। जँ साहित्य अकादमीक एहि सुख-विलासक अनुभव मैथिली परामर्शी किछु मैथिलीक महिला साहित्यकारक करौलनि तऽ एहि मे हर्जे कोन। आखिर किछु साहित्यकारक खुट्टा मजगूत छनि आ परामर्शी सभक परामर्शक अवधि समाप्त भेलाक बाद ई परामर्शी सभक ओहि खूटा मे बन्हि पाउज करबाक जोगार भऽ सकैत अछि। ई परामर्शी सभ कतेको जागरूक छथि एकर प्रमाण सोझा अछि। साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित पोथी विद्यापति जकर लेखक रमानाथ झा छथि। ओकर हिन्दी अनुवाद बजार मे उपलब्ध अछि जकर मुख्य पृष्ठ पर लेखकक नाम रामनाथ झा लिखल अछि। एहि विद्वान सभकेँ एहि बातक कोनो चिन्ता नहि अछि। अकादमी सँ एहि पोथीक मुख्य पृष्ठ बदलबाक लेल शायद एखन धरि कोनो प्रयास नहि कयलनि अछि। मुदा मैथिली महिला साहित्यकारक चयन ओ जौहरी जकाँ कयलनि। मुदा प्रकाशित पोथी मे गड़बड़ी भेल तऽ कोनो चिन्ताक बात नहि अछि। वर्तमान मशीनी युग मे सय प्रतिशत शुद्धताक गारंटी तऽ हॉलमार्क गहना मे सेहो नहि अछि तऽ भला साहित्यकार आ पोथीक चयन मे शुद्धताक कोन गारंटी। ओना मैथिली साहित्यकारक ई परामर्शी दल एहि सॅ पहिने मैथिली युवा साहित्यकारक यात्राक नाम पर सेहो अपन जादुगरी देखा चुकल छथि। जँ परामर्शी अपन जादू नहि देखौताह तऽ दर्शक साहित्यकारक भीड़ कोना जुटत। खैर एहि यात्राक दरमियान पुरस्कारक सीजन सेहो अंतिम चरण मे छल मुदा एक बेर फेर साहित्य अकादमी मे मैथिलीक नाम रौशन भेल। मिथिलांचलक ठंडा सॅ दूर दक्षिण प्रदेशक शीत यात्रा पर मैथिली महिला साहित्यकारक संग परामर्शी दल सेहो रहल होयत मुदा विशेषज्ञ सभक फराक फराक रायक कारण परामर्शीक चकरा गेलाह आ पुरस्कारक लॉलीपापक कवर केँ नहि खोललनि।
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