Saturday, November 5, 2011

महाकवि‍ लालदासक जयन्ती समारोहमे काव्यपाठ

मधुबनी जि‍लाक खरौआ गाममे +2 उच्च वि‍द्यालय परि‍सरमे 02 नभम्वार 2011केँ महाकवि‍ पण्डित‍ लालदास जे रमेश्वर रचि‍त मि‍थि‍ला रामायणक परि‍नेता छलाह। हुनक 155म जयन्ती समारोह सुसम्पन्न भेल।

ऐ अवसरपर जयन्ती समारोह, काव्यपाठ, महाकवि‍ परि‍चर्चा आ संस्कृति‍क कार्यक्रम वर्णित क्रमश: चारि‍ सत्रमे ‍सामापन कएल गेल। दि‍नमे 3 बजेसँ अधरति‍या धरि‍ ग्रामीण लोकनि‍ आ खरौआसँ बाहरोक लोक भाग लेलनि‍। आयोजन कमि‍टि‍क उद्घोषक समीर कुमार ‘समा’केँ समारोह सत्रक संचालन करबाक हेतु, आ एच.वी. लालकेँ अध्यक्षता हेतु, हरि‍ नारायण झाकेँ मुख्यि अति‍थि‍ रूपमे आ जनक कि‍शोर लाल दास, लक्ष्मण झा, रंगनाथ चौधरी, कुमार रामेश्वरम्, रमानन्द झा ‘रमण’, जगदीश प्रसाद मण्डल, रधुवीर मोची आदि‍क नाओं वि‍शि‍ष्ठ अति‍थि‍ रूपमे मंचपर वि‍राजमान हेबाक घोषणा आयोजक कमि‍टि‍ केलनि। सभ कि‍यो मंचासीन भेलाह। ‍उप वि‍कास आयुक्त ओम प्रकाश राय दीप प्रज्जवलि‍त कऽ समारोह सभाक उद्घाटन केलनि‍। “महाकवि‍ पण्डित लालदास अपन कर्मसँ पण्डित छलाह। ब्राह्मण जाति‍मे नै रहलाक बादो हुनका राजदरवारमे पण्डितक उपाधि‍ भेटबाक ऐ बातक सूचक थि‍क।” ई बात समारोह सभाक अधयक्ष कहलनि‍। ओम प्रकाश राय खरौआ गामक संग मधुबनीये मात्र नै अपि‍तु सम्पूर्ण मि‍थि‍लामे एक-सँ-एक वि‍द्वान हेबाक सुयोग्या कहलनि‍। ओ इहो कहलनि‍ जे मि‍थि‍लावासी लेल ई गौरवक बात थि‍क, जैठाम मनुष्य नै अपि‍तु मनुष्यक कर्म महान होइए। अपन टि‍प्पणीकेँ पुष्टि करैत कहलनि‍- “महाकवि‍ पण्डित लालदासकेँ पण्डितक उपाधि‍ केना भेटलनि‍। जेकर उल्लेख अखने अध्यक्ष महोदय सुनौलनि‍ अछि‍।” अही परि‍पेक्ष्यमे आगाँ कहलनि‍- 'सभ मनुष्य जन्मसँ शुद्र होइए आ कर्मसँ ब्राह्मण। ऐमे जाति‍क कोनो महत्व‍ नै। ब्रह्म की थि‍क अहु संदर्भमे ओ अपन सुन्दर वि‍चार रखलनि‍। अंतमे अपन एक गोट ‘शेर’ सुनेलखि‍न‍‍। दर्शक-दीर्घापर नीक प्रभाव देखल गेल। थपड़ीक गड़गराहटि ऐ बातक सूचक बुझाएल। उप वि‍कास आयुक्त ओम प्रकाश राय जीक वाचन हि‍न्दी भाषामे छल, अपरोक्त संदर्भित बात हि‍न्दीसँ मैथि‍लीमे कएल भावानुवाद छी। राय जीक नम्ह‍र आ सुन्दर टि‍प्पणीसँ श्रोता जगतमे शान्तिक सुन्दर दर्शन सेहो भेल। बाद एकर, एक आध गोट वि‍शि‍ष्ठ अति‍थि‍क टि‍प्पणीक पछाति‍ दोसर सत्रक माने काव्यगोष्ठी केर घोषणा करैत कहल गेल जे उचयचन्द्र झा ‘वि‍नोद’ गोष्ठीक अध्यक्षता करताह आ फूलचन्द्र झा ‘प्रवीण’ संचालन। संग-संग परि‍सरमे उपस्थित कवि‍ लोकनि‍केँ मंचपर शीघ्र आबए लेल आग्रह कएल गेलनि‍। ऐ शीघ्र आग्रहक आग्रह ओम प्रकाश राय जीक सेहो रहनि‍। अशोक कुमार मेहता, नन्द‍ वि‍लास राय, उमेश पासवान, वि‍द्याधर मि‍श्र, बुचरू पासवान, मो. गुल हसन, रामवि‍लास साहु, हरि‍श्चन्द्र हरि‍त, जगदीश प्रसाद मण्डल, चन्द्रेश, जनक कि‍शोर लालदास, राम सेवक ठाकुर, रामदेव प्रसाद मण्डल ‘झारूदार’, शशि‍कान्त झा, मनोज कुमार मण्डल, शि‍वकुमार मि‍श्र, लक्ष्मी दास, कपि‍लेश्वर राउत, अखि‍लेश कुमार मण्डल, उमेश मण्डल, कल्पकवि उमेश नारायण कर्ण आदि‍क संग गोष्ठीक अध्यक्ष आ संचालक मंचपर उपस्थित भऽ गेलाह।

काव्यगोष्ठीक श्रीगणेश अशोक कुमार मेहताक कवि‍ता- ‘कने अपनो कहु आ कने हमरो सुनू’सँ भेल पश्चात् वि‍द्याधर मि‍श्र- ‘गेले घर छी’, बुचरू पासवान- ‘मि‍थि‍ला राज मंगै छी यौ’, हरि‍श्चन्द हरि‍त- गाम हेरा गेल, जगदीश प्रसाद मण्डल- ‘साँझ’, तेकर बाद रामदेव प्रसाद मण्डल, मो. गुल हसन, शशि‍कान्त झा, शि‍वकुमार मि‍श्र, रामसेवक ठाकुर, जनक कि‍शोर लालदास, चन्द्रेश, रामदेव प्रसाद मण्डल ‘झारूदार’ आ एक-आध-टा आओर कवि‍ जीक कवि‍ता पाठ भेल। आयोजक दि‍ससँ अगि‍ला सत्रक कार्यक्रम माने परि‍चर्चा लेल आब ऐ गोष्ठीकेँ समापनक घोषणा जल्दिये करथि‍। से आग्रह संचालक आ अध्यक्षसँ कएल गेल। अध्यक्ष उदयचन्द्र झा ‘वि‍नोद’ इशारामे संचालककेँ सहमति‍ देलखि‍न, संचालक फूलचन्द्र झा ‘प्रवीण’ अशोक कुमार मेहताक हाथमे मैक दैत कहलखि‍न जे ओ हुनकर नाओंक घोषणा कऽ देथि‍न। अशोक कुमार मेहता मैक हाथमे लैत कहलखि‍न- “आब अहाँ सबहक बीच ऐ गोष्ठीक संचालक डॉ. फूलचन्द्र झा ‘प्रवीण’ अपन एकगोट लयात्मक गीत सुनौताह।” बहुत सुन्दर ढंगे लाय आ रागसँ पूर्ण गीतक गायन आराम-आरामसँ बहुत नीक सूरमे केलनि‍‍। गीत सम्पन्न भेलाक बाद संचालक रूपमे आबि‍ लगले-सूरे घोषणा केलखि‍न‍- “आब अध्यक्ष महोदय डॉ. उदयचन्द्र झा ‘वि‍नोद’ जि‍नका अपने सभ नीकसँ जनैत हएब....।” इत्यादि‍ कहैत आ वि‍स्तृत परि‍चए दैत, हुनका आग्रह कएल गेलनि‍। उपस्थित भऽ अध्य‍क्ष महोदय अपन कवि‍ताक पाठ सुन्दर ढगे केलनि‍, सहजता आ असथि‍रतासँ पूर्ण पाठ, बहुत नीक शैलीमे केलनि‍। ई कवि‍ता गोष्ठीक अंति‍म कवि‍ता छल। कवि‍ताक समापन होइतहि‍ अध्यक्ष रूपमे आबि लगले-सूरमे बजलाह- “आब काव्यगोष्ठीक समापनक घोषणा कएल जाइत अछि‍।” मंचपर उपस्थित- उमेश पासवान, रामवि‍लास साहु, नन्द वि‍लास राय, बेचन ठाकुर, कपि‍लेश्वर राउत, मनोज कुमार मंडल, लक्ष्मीदास, अखि‍लेश कुमार मंडल आदि‍ कवि‍ सुगबुगाए लगलाह। मैकपर आयोजकक उद्घोषक घोषणा केरैत कहलनि‍- “मंचपर उपस्थित कवि‍मे जि‍नकर कवि‍ताक पाठ भ' सकल ओ कृपया मंचासीन रहथि‍, हुनका सभकेँ सम्मानि‍त कएल जाएत। वॉकी कविकेँ‍ मंच खाली करबाक आग्रह करै छि‍यनि‍।” सएह भेल। कमि‍टि‍ दि‍ससँ कवि‍ लोकनि‍केँ (जि‍नकर-जि‍नकर कवि‍ता पाठ भऽ सकलनि‍..) एक-हक गोट चादरि‍सँ सम्मानि‍त कएल गेलनि‍। तेकर बाद तेसर सत्रक प्रारम्भ भेल जइमे महाकवि‍ लालदास परि‍चर्चा भेल। कमलेश झा, फूलचन्द्र मि‍श्र ‘रमण’ रमानन्द झा ‘रमण’ कुमार रमेश्वरम्, आदि‍ वि‍द्वान भाग लेलनि‍।










ऐ अवसरपर महाकवि‍ लालदास कृत ‘महेश्वर वि‍नोद’ पोथीक लोकार्पण समारोह सभामे मंचासीन सभ गोटे द्वारा कएल गेल आ ‘वि‍देह’ द्वारा आयोजि‍त 15म मैथि‍ली पोथीक भव्य प्रदर्शनी सेहो छल। अंत सांस्कृति‍क कार्यक्रमक पछाति‍ भेल। ‍

उमेश मण्‍डल 04/11/2011

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