Saturday, November 19, 2011

बृषेश चन्द्र लालजी सँ मुन्नाजी पुछैत छथि ढेर रास गप

हम पुछैत छी- बृषेश चन्द्र लालजी सँ मुन्नाजी पुछैत छथि ढेर रास गप



१.अपने अपन साहित्यिक यात्रा मादेँ कही जे एकर शुरुआत कतऽसँ आ कोना भेल ?

हम अपनाकेँ साहित्यकार नहि मानैत छी । कारण, हमरा ज्ञानेँ साहित्यकारक औसत पंक्तिमे ठाढ़ हुअएवास्ते भाषा आ साहित्यक औपचारिक नहि तँ किछु अनिवार्य अध्ययन अवश्य हएबाक चाही जे हमरामे नहि अछि । हँ, हमरा अपन मातृभाषामे लिखएमे मोन लगैत अछि । एकर कएटा कारण छैक —प्रथमतः, हमरा लगैत अछि जे हम मैथिलीमे सहजतासँ अपन अभिव्यक्ति कऽ सकैत छी आ एहिलेल कोनो अनुवादक अभ्यास नहि करए पड़ैत अछि । दोसर, हम जीवनभरि आत्मसम्मान, व्यक्तिक स्वतन्त्रता, सभक अपन खास परिचय सहितक सम्मानित विविधता आ बहुलवादी समाजक निर्माणहेतु लड़ैत अएलहुँ । मैथिलीमे लिखैत काल हमरा लगैछ जेना हम ओही लड़ाईकेँ आगाँ बढ़ारहल छी । तेसर, इहो जे लोक लिखैत अछि लोककेँ सुनाबए–बुझाबएलेल आ भाषा वएह प्रयोग कएल जाइत छैक जे एहि कार्यलेल सभसँ उपयुक्त होइक ।
 ओना हम जहिआ आठ कक्षामे पढ़ैत रही, मैथिलीक कक्षादिस छात्र–छात्राक ठहक्का सुनि कऽ आकर्षित भेलहुँ । पं. सच्चिदानन्द झा मैथिली पढ़बथिन्ह । हुनक शिक्षणक शैली एतेक रोचक आ हँसीठट्ठाबला रहन्हि जे विद्यार्थीसभ सोझहिं आकर्षित भऽ जााइक । दोसर कक्षाक विद्यार्थीसभ सेहो आबिकए बैसि रहैक हुनकर गप्प सुनएलेल । हमरो बड्ड नीक लागल । रोचक, जानकारीमूलक, मनोरंजक आ सहजेँ बुझएमे आबएबला विषय के नहि चुनत ? हमहुँ मैथिली विषय लऽ लेलहुँ । ओ मिथिला मिहिरक चर्च बरोबरि करथिन्ह । हमर अग्रज गरिश चन्द्र लाल आ शिबेन्द्र लालजी मिथिला मिहिरक प्रेमी, तैँ हमरा ओतए मिथिला मिहिर नियमित अबैक । बस पढ़ए लगलहुँ । नेनाभुटका स्तम्भ हमरा बेस आकषर््िात कएलक आ इच्छा भेल जे हमहुँ लिखतहुँ । मुदा साहस नहि हुअए । कहुना कऽ बतहु मामापर एक गोट कथा लिखलहुँ आ डेराइत–डेराइत गुरुजीकेँ ( पं. सच्चिदानन्द झा) देलिअन्हि । ओ पढ़लखिन्ह, नीक लगलन्हि आ बड्ड खुश भेलाह । मैथिलीक कक्षामे हमर खूब प्रशंसा कएलन्हि आ ओ अपनेसँ मिथिला मिहिरमे पठा देलखिन्ह ।
एना, हमर पहिल रचना आईसँ ४३ वर्ष पहिने प्रकाशित भेल छल । लेखनक शुरुआत एतहिंसँ बुझू । तकरबाद हमर आत्मविश्वास बढ़ि गेल । हमरासभक स्कूलमे (श्री सरस्वती बहुउद्देश्यीय माध्यमिक विद्यालय, जनकपुर) प्रत्येक शुक्रदिन १ घण्टा सांस्कृतिक कार्यक्रम होइक । ओहिमे जरुर भाग लिऐक हमसभ । कहियो कविता तँ कहियो प्रहसन लऽ कऽ । हम आ परमेश्वर कापड़ि जे एखन मैथिली विभागक प्राध्यापक छथि जनकपुरमे, लेखनक काज करिऐक । हम खास कऽ हास्य–व्यङ्गक कविता प्रहसन तैयार करी । परमेश्वर बेसी रचनात्मक रहए ।

२. अहाँ एकटा राजनेता सेहो छी तँ कहू जे साहित्य आ राजनीति मध्य की समानता वा विषमता देखाइए ?
बहुत मुश्किल प्रश्न अछि । एहिमादेँ हम कहियो सोचबे नहि कएलहुँ । हमरा लगैत अछि राजनीतिसँ साहित्य अलगो नहि भऽ सकैत अछि आ दुनू एकदम अलग सेहो अछि । वास्तवमे कही तँ ई सोचपर निर्भर करैत छैक । यदि साहित्य समाजक झरोखा अछि तँ ई राजनीतिसँ कोना पृथक रहि सकत ? राजनीति समाजक एकटा अङ्ग छैक ने ! फेर अहाँ झरोखासँ जे देखैत छी सएह अभिव्यक्त करैत छी । कोनो राजनैतिक उद्देश्यसँ परिचालित वा पूर्वाग्रही नहि छी तँ तखन निश्चय ओ रचनासभ राजनीतिक उद्देश्यसँ अलग भऽ जाइत छैक । ओना कही तँ हमरा जनिते समाजमे गुणात्मक परिवत्र्तनवास्ते यदि राजनीतिक उद्देश्योसँ अभिप्रेरित भऽ रचना रचित होइत अछि तँ ओ स्वागतयोग्य अछि । आखिर साहित्यमे प्रगतिशीलता एकरे ने कहतैक ! बहुतो महानुभावसभ निरन्तर घोषित करैत रहैत छथि जे हुनक साहित्य राजनीतिसँ अलग छनि मुदा तरेतर वएह पूर्वाग्रही रहैत छथि, कोनो स्वार्थसँ परिचालित रहैत छथि । एहन अवस्थामे साहित्यक स्वतन्त्रताप्रति बलात्कार होइत छैक । एहिसँ नीक जे ओ अपन राजनीतिक उद्देश्यकेँ घोषित करथि आ फेर रचैथ । एहिसँ आम जनताकेँ आ पाठककेँ मूल्याङ्कन करएमे आ रचनाक भीतरतक जाएमे सुगम हएतैक ।




३. राजनीतिक रुपेँ अपनाकेँ कतेक सफल बुझैत छी वा राजनीतिमे अपनाकेँ कतऽ पबैत छी ?

हम फेर कहब जे सफलताक सम्बन्धमे सेहो अपन–अपन दृष्टिकोण होइत छैक । बहुतो राजनीतिमे सफलताकेँ पद प्राप्तिसँ जोड़ि कऽ देखैत छथि । ताहि हिसाबेँ हम एहि क्षेत्रमे अपनाकेँ ओतेक सफल नहि बुझैत छी । हमरासभ जहिआ राजनीतिमे अएलहुँ तहिआ पदक बारेमे कोनो सोच नहि रहैत छलैक । हमसभ राजाशाहीक अन्त्य आ लोकतन्त्रकक स्थापनाक लेल राजनीतिमे कूदल रही । हमसभ राजनीति शब्दो नहि बुझिऐक । संघर्ष, बलिदान आ त्यागक मात्र गप्प–सप्प होइक । एहि क्षेत्रमे प्रवेशक अर्थ रहैक कखन मारल जाएब वा कखन पकड़ाकए जेलमे जाएब से अनिश्चित मुदा पूर्ण सम्भावनायुक्त । पूर्ण रुपसँ अनुशासित रहए पड़ैक । हमर शिक्षा सेहो नेपालेमे भेल । स्नातक आ स्नातकोत्तर हम जेलसँ कएलहुँ तैँ भारतमेक लोकतन्त्रक सियासी जोड़तोड़सँ सेहो परिचय नहि भेल । किछु मित्रसभ एहि मामिलामे अनुभवी छलाह तैँ जोड़तोड़मे हम सभ दिन पाछाँ रहलहुँ । बेसी परिवत्र्तनकामी आ मुहँफट भेलाक कारणेँ सेहो बहुतो सहए पड़ल । मुदा, हम सन्तुष्ट छी । लोकतन्त्रलेल लड़ल आ एखन नेपालमे लोकतन्त्र छैक । ज्ञानेन्द्रक समयमे लोकतन्त्रपर ग्रहण लागि गेल छलैक । हम प्रतिगमनक विरुद्ध सेहो वएह लगनसँ लड़लहुँ । हमरासभक कतेक मित्र काठमाण्डूक रत्नपार्कमे दिन देखारे हमरासभकेँ छोड़ि कऽ ज्ञानेन्द्रक (तत्कालिन राजा) कित्तामे चलि गेलाह मुदा हम कहिओ सम्झौता नहि करएबलामे समूहमे रहलहुँ । तैँ राजनीतिमे हमरा कहिओ हीन भावना वा पश्चाताप नहि भेल । हम जे कऽ रहल छी ताहिमे हमरा नीक लगैत अछि । तैँ करैत छी । एहि दृष्टिकोणेँ हम राजनीतिमे पूर्ण सफल छी ।

४. प्रश्न ः लोकतन्त्रक हेतु संघर्षमे कतेक दिन जेल रहलहुँ । कतेक यातना भोगए पड़ल ?


हम लोकतन्त्रक लडाईमे १७ बेर गिरपm्तार भेल छी । बहुतबेर दिन वा महीनामे जेलमे रहलहुँ । ५ बेर नाम अवधि तक किछु वर्षकलेल । लगभग ८ वर्ष जेलजीवन बिताबए पड़ल अछि । १९७३–१९९० धरि बेसी काल जेलमे बीतल । फेर ज्ञानेन्द्रक समयमे ।
........ जेल जेलेसन होइत छैक । हरीसमे ठोकि दैक । चित्त सुतए पड़ल । करोट नहि फेर सकैत छी । किछु बजलिऐक कि सटकासँ मारि–मारि सोझ कऽ दैक । पेशाप लागल तँ लोटामे करु । उड़िस आ कीराक प्रकोप अलगे । भेँट नहि करए देत परिवार वा मित्रजनसँ । वर्षातमे चुअएबला घरमे कोंचि दैक । कतेक कहू । हमरा तँ जेलेसँ दू बेर हत्या करक योजना बनल । १९७५मे हमरा, बिमलेन्द्र निधि, महेन्द्र मिश्र आ रामप्रसाद गिरिकेँ काठमाण्डूक केन्द्रिय कारागारसँ मारकलेल निकालल गेल मुदा पता नहि फेर की भेलैक घुमाकए नखुजेलमे पहुँचा देल गेल । साँझमे गोकर्ण, ठगी सहित ४ गोटेक नखुक कातमे हत्या कऽ देलकैक । दोसर बेर हमरा, रामचन्द्र तिवारी, स्मृतिनारायण आ युवराज खातीकेँ जलेश्वर जेलसँ सिन्धुली लऽ जा कऽ मुदा हत्याकलेल पुलिसकेँ अनुकूलता नहि भेलैक । हत्यासँ पहिने भारतीय दैनिक आजमे समाचार छपि गेलैक  आ फेर आन्दोलन लगले सफल सेहोभऽ गेलैक । सिन्धुलीसँ हमरासभकेँ रिहा कएल गेल ।  ........ बहुतोकेँ अहूसँ विकट–विकट यातना भोगए पड़ल छन्हि ।

५. साहित्य लेखन आ राजनीति, पहिल शुरुआत अहाँकेँ कै सँ भेल आ दोसर दिस कोना उन्मुख भेलहुँ ?

ओना सालक गणना करी ता लेखनक शुरुआत पहिने भेल । मुदा राजनीतिमे संलग्नता अपनेआप होइत गेलैक । वस्तुतः हाइस्कूलेसँ हम राजनीतिमे लागि गेलहुँ मुदा प्रत्यक्ष आ पूर्ण संलग्नता ३९ वर्ष पहिने भेल । हम काठमाण्डूक अमृत साइन्स कलेजमे छात्र यूनियनक चुनाव लड़ल रही । हम तहिआ नेपाली काँग्रेसक नेता बोधप्रसाद उपाध्याय, सरोजप्रसाद कोइराला आ महन्थ ठाकुरक निर्देशनमे काज करी । बादमे वीपी कोईराला, कृष्णप्रसाद भट्टराई, गिरिजाप्रसाद कोईराला, महेन्द्रनारायण निधि, महेश्वर प्रसाद सिंह आदिक प्रत्यक्ष सम्पर्क आ संगे काज कएलहुँ ।
लेखन निरन्तर चलैत रहल । हमर बहुतो रचना संग्रहित नहि अछि । वास्तवमे कही तँ हम एहिदिस ओतेक गम्भीर नहि रही । लिखी सुना दिएैक, हँसि ली मुदा प्रयोगक बाद ओकर संरक्षण नहि होइक । ई हमर जीवनक बहुत बड़का कमजोरी रहल । बहुत संगी एखन स्मरण करबैत छथि — स्कूलिया जीवनक रचनासभ, जेलक गीत, प्रहसन, व्यङ्ग आदि ।
हम वास्तवमे एकटा छोड़ि दोसरदिस उन्मुख नहि भेलौं । हमरा कनेको समय भेटैत अछि वा असगर रहैत छी तँ लिखए लगैत छी । बड्ड आनन्द अबैत अछि । हम पूर्णतः अपन आनन्दलेल लिखि लैत छी । हमर रचनासभक कहिओ कोनो उल्लेख्य समीक्षा नहि भेल । हम एहिलेल कहिओ प्रयत्नशील सेहो नहि रहलहुँ । हमरा बस आनन्द अबैत अछि । मुदा एकटा गप्प कहब, मैथिलीमे साहित्यकारलोकनि एको अहं के रोगसँ ग्रसित छथि । एकरा एकटा समूहक जातिक धरोहर बुझैत छथिन । अपनेसभमे समीक्षा करब, अपनेसभक चर्च करब, अपनेसभ पुरस्कार लऽ लेब — एकटा प्रवृति छैक । हम अपन आदतिसँ मजबूर छी मित्रगण क्रोधित भऽ जएताह । तैया,े हम एखनतक नहि बुझए सकलिएैक जे एहिसँ लाभमे के रहैत छथि ? साहित्यकेँ तँ पूरा हानि होइत छैक ने ! ई मानसिकता जे हटि जएतैक तँ मैथिलीक विकास अत्यन्त दु्रत गतिसँ होइतैक । नव पीढ़ीमे एहि मादेँ किछु परिवत्र्तन देखएमे आएल अछि । ..... कतेक बेर तँ इहो देखएमे अबैत अछि जे नव साहित्यकार किछु दिनतक एहन मानसिकतासँ मुक्त रहैत छथि मुदा जेनाजेना स्थापित होइत जाइत छथि वएह भायरससँ संक्रमित भऽ जाइत छथि ।

६. अहाँँक पार्टीक मुख्य ध्येय की अछि ? ई पार्टी जनहितमे कतेक निकटतम देखाइए ?

एखन हम तराई–मधेश लोकतान्त्रिक पार्टीमे छी । हम एकर प्रथम ९ संस्थापक सदस्यमेसँ एक छी । हमर राजनीति नेपाली काँग्रेससँ प्रारम्भ भेल । लोकतन्त्रलेल लडैत अएलहुँ । दिर्घ संघर्षक बाद लोकतन्त्रक स्थापना सेहो भेलैक आ अभ्यास सेहो । मुदा हमसभ महशूस कएलिऐक जे लोकतन्त्र यदि समावेशी नहि अछि , विविधताक सम्मानमे विश्वास नहि करैत अछि तँ ओहन लोकतन्त्र किछु लोकक लोकतन्त्र भऽ जाइत छेक । एहिसँ पिछड़ल, विभेदमे पड़ल लोक आ समुदायक कल्याण सम्भव नहि छैक । नेपालमे मधेशीक प्रति राज्य प्रायोजित विभेद होइत आएल छैक । तराई–मधेश लोकतान्त्रिक पार्टी एकर समाधान चाहैत अछि । संघीयताक अभ्यास सँ सभ प्रकारक विभेदक अन्त्य चाहैत अछि । हमर पार्टी संघीयतामे अपन क्षेत्रमे स्वशासन आ फेर केन्द्रमे सहशासनलेल प्रतिवद्ध अछि । हमरा लगैत अछि मधेशमे विभेद अन्त्य करक यएह एक गोट उपयुक्त उपाय छैक ।

७. की अपन विचारक विस्तार वास्ते साहित्यक उपयोग करैत छी ?

से हमरा नहि बुझल अछि भऽ सकैछ जे हमर लेखनमे एकर प्रभाव होइक मुदा हमर ध्येय से नहि रहैत अछि । हमरा जे लगैत अछि हम लिखए चाहैत छी । हम पहिनहिं कहलहुँ जे हम एकदम अपना सुखलेल लिखैत छी आ हमरा अपना जे महशूस भेल रहैत अछि लिखएमे आनन्द अबैत अछि । हमर कथा संग्रह माल्होमे बेसी कथा राजनीतिक आसपड़ोसक छैक । एकर कारण कएटा — १. हम राजनैतिक व्यक्तिसभक समुदायसभक पीड़ा उगलए चाहलहुँ, २. हमरा अही क्षेत्रक बेसी अनुभव अछि जे हम व्यक्त करए चाहलहुँ ३ं राजनीति सेहो समाजेक अङ्ग छैक एकरा अछूत किआ मानी । ...... हमर किछु कवितासभ गुणात्मक परिवत्र्तनवास्ते, समाजकेँ सचेत करकलेल राजनीतिक उद्देश्यसँ प्रेरित सेहो अछि । ई कोनो अपराध नहि थिकैक ।
मैथिलीमे सभ किछु रहौक सेहो चाहना रहैत अछि । तैँ कहिओ मैथिलीक डिस्को तैयार करैत छी तँ कहिओ अन्य किछु । कहिओ बालगीत आदि आदि । ई हमर अपन शौख अछि । हमरा नीक लगैत अछि ।

८. नेपालमे मैथिली साहित्य आ अन्यान्य रानेताबीच अपनाकेँ कतऽ ठाढ पबैत छी ?

हम पहिनहिं कहलहुँ जे हम अपनाकेँ साहित्यकार नहि बुझैत छी । साहित्यकार हुअएलेल किछु जानकारी आवशयक छैक । साहित्यकलेल प्रतिवद्ध रहब सेहो जरुरी मानैत छी हम । साहित्य जिविकोपार्जनक सहयोगी हएब आपत्तिजनक नहि मुदा साहित्यककेँ वा अपनासभक सन्दर्भमे कहू तँ मैथिलीप्रतिक अनुरागकेँ अपन नफाक हेतु दोकानदारीमे प्रयोग करब हम नीक नहि मानैत छी । बहुतोकेँ देखैत छिअनि जे ओ एना करैत छथि । साहित्यमे माफियाक निर्माण करएमे रुचि रखैत छथि । दोसर केओ उभरि ने जाओ ताहिसँ डेराएत छथि । लगैत छन्हि जे केओ दोसरो दोकान थापि लेत तँ हमर बिक्री कमि जाएत । ....... ठीक एहिना राजनीतिमे सेहो होइत छैक तैँ हम दुनू ठाम अपनाकेँ एकहि ठाम पबैत छी । हमरा अपन स्थानसँ पूरा संतुष्टि अछि ।
लेखन हम आत्मतुष्टिलेल करैत छी , कोनो दोसर आकांक्षा नहि अछि तैँ संतुष्ट छी । राजनीति अपन विचारलेल करैत छी जाहिसँ कहियो सम्झौता नहि कएलहुँ , तैँ संतुष्ट छी ।

९. अपनेक एहि कथ्यसँ जे राजनीति आ साहित्य दुनू एकटा समूह विशेषमे बन्हल अछि , हमहुँ सहमत छी । अहाँ दुनूमे अपनाकेँ कतेक नफा÷नोक्सान होइत पबैत छी ?

व्यक्तिगत नफा नोक्सानक सवाल नहि छैक । एहिसँ समाज आ साहित्य नोक्सानमे अछि । क्रान्तिकारिता अथवा प्रगतिशीलता जे कहिऔक, अपने मुहेँ मियाँ मिट्ठूसँ सम्भव नहि हएत । एहिलेल गुणात्मक परिवत्र्तनक निरन्तरता जरुरी छैक । क्रान्तिकारी वा प्रगतिशील वएह जे गुणात्मक परिवत्र्तनलेल प्रतिवद्ध होथि । राजनीति वा साहित्यकेँ समूह विशेषमे बान्हएमे जे जिममेवार होथि ओ समाज आ साहित्यक विकाशक बाटमे अवरोधक आ प्रतिगामी छथि । नव प्रतिभासभकेँ छेकक कार्य करैत छथि ।

१०. अहाँक पार्टी सत्तामे आबि  जाएत तँ मैथिली साहित्यकेँ कतेक फायदा पहुँचा सकत ?

तराई–मधेश लोकतान्त्रिक पार्टी व्यक्ति–समुदायक परिचय, स्वाभिमान आ आत्मसम्मानक प्रतिष्ठापन चाहैत अछि । विविधताक सम्मान अर्थात् असली बहुलवादक समर्थक अछि ई पार्टी । कहिओ मैथिली नेपालमे राजभाषाक रुपमे सम्मानित छल । काठमाण्डू उपत्यकाक राजामहाराजा मैथिलीमे साहित्यिक रचना कऽ अपनाकेँ धन्य बुझैत छलाह । तेहन स्थिति छल । जौँ हमरासभक पार्टी प्रभावकारी ढंगसँ सत्तामे आओत तँ निश्चिते मैथिली भाषा आ साहित्यकेँ सम्मान भेटतैक । एखनो संविधानसभामे बहुतो मैथिलीमे शपथ ग्रहण कएलनि । अन्तर्राष्ट्रिय मैथिली सम्मेलनक आयोजनमे हमर पार्टीक लोकसभक प्रत्यक्ष आ खुला सहभागिता छल । ..... राज्यक यदि सहयोग रहैक तँ भाषा आ साहित्यक प्रभाव बढैत छेक । छोट उदाहरण अछि — १९ वर्ष पहिने जखन हम जनकपुर नगरपालिकाक प्रमुख पदपर विजयी भेल रही तँ मैथिलीक सम्मान आ प्रतिष्ठा बढाबएलेल बहुत किछु कएल गेल रहैक । नगरपालिका अपन सभ प्रमुख अपील मैथिलीमे सेहो छापय । तिरहुत रनिंग शिल्ड प्रतियोगिताक आयोजन प्रारमभ भेल रहैक । प्रत्येक वर्ष मैथिलीमे गीत रचना, गायन, संगीत आदि विधापर नगरपालिका पुरस्कार दैक । रश्मि, सुनील मल्लिक, अशोक दत्त आदि एहिसँ नीक परिचय प्राप्त कएलनि । होरीसँ १५ दिन पहिनेसँ आयोजन आ प्रस्तुतिक क्रम जारी रहैत छलैक । ... तँ असर तँ पड़िते छैक ने ।

११.  एखन अपने बालकविता÷गीतपर बेसी ध्यान देने छिऐक ?

हँ, एखन हमरा बालगीत आकर्षित कएने अछि । हमर मित्र परमेश्वर हमरा एम्हर घुमाबक बरोबरि प्रयत्न कएलाह अछि आ तकरे प्रभाव थीक । बालगीतक रचनामे वृद्धि हएबाक चाही । नेनभुटकाक गीतसभकेँ संगीतवद्ध सेहो करबाक चाही जाहिसँ बच्चासभकेँ ई नहि लगैक जे ओकर अपन मातृभाषामे एकर आभाव छैक । ..... हम एहि दिशामे प्रयत्नशील छी । हमरासभद्वारा सञ्चालित जानकी एफ.एम.क स्टूडियो नीक छैक । शिघ्र एकगोट बालगीतक एल्बम निकालक योजनापर काज भऽ रहल छैक ।

१२. एखनतक अपनेक कएगोट पोथी प्रकाशित भेल अछि ?

        ह्मर एकगोट छोटछिन कविता संग्रह आन्दोलन, वीपी कोइरालाक प्रसिद्ध उपन्यासिका मोदिआइन जे महाभारतपर मिथिलाञ्चलक परिवेशमे लिखल अछि तकर मैथिली रुपान्तरण, माल्हो कथा संग्रह, संघीयताक सम्बन्धमे स्वीस विद्वान डा.निकोल टपरविनक लेखसभक मैथिली अनुवाद — एतेक मैथिलीमे । ट्रेड यूनियनः एक परिचय, संघीय स्वशासनतिर नेपालीमे । सभ मिलाकए छ टा ।



धन्यवाद ! अपन बहुमूल्य समय दऽ उतारा देबएलेल ।
साभार विदेह www.videha.co.in

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