लक्ष्मी दास (श्री
लक्ष्मी दासकेँ “किसानी
आत्म निर्भर संस्कृति”
लेल विदेह सम्मान २०१२ देल गेल। बेचन ठाकुर हुनकासँ साक्षात्कार लेलनि।)
बे.ठाकुर- अहाँकेँ ऐ कार्यक प्रति रुचि केना आ कहियासँ जगल?
लक्ष्मी दास- शुरुएसँ, बेरमामे कथा गोष्ठीसँ ऐपर लोकक ध्यान गेलै।
बे.ठाकुर- ऐ कार्य करबामे अहाँकेँ के प्रोत्साहित करैत अछि?
लक्ष्मी दास- बेरमामे
साहित्यिक प्रेमी बहुत गोटे छथि जेना श्री जगदीश प्रसाद मण्डल, श्री कपिलेश्वर
राउत आदि। हुनके सबहक संग हमरो जिज्ञासा जागल।
बे.ठाकुर- अहाँकेँ कार्य करबामे की प्रोत्साहित करैत अछि?
लक्ष्मी दास- वामपंथी विचार।
बे.ठाकुर- पहिल बेर कोन काजसँ अहाँ आरम्भ केलौं आ कहियासँ?
लक्ष्मी दास- कट्ठा भरि खेतमे
खेती शुरू केलौं आ नव विधिसँ ई सम्भव भऽ सकल।
बे.ठाकुर- अहाँ अपन काजमे १.“सोच”, २.“कोनो पुरान वा नव लीख” वा ३ “शिल्प” ऐ तीनूमे सँ केकरा प्रधानता दै छी?
लक्ष्मी दास- बामपंथी
सोच आ नव विचार।
बे.ठाकुर- अहाँ अपन काजक दिशाकेँ, रूपकेँ एक पाँतिमे कोन रूपमे वर्णन करब।
लक्ष्मी दास- श्रमिक
छी श्रमिकक प्रति प्रेम रहैत अछि, ओही दिशामे काज करैत छी।
बे.ठाकुर- अहाँक काजक समाजमे कोन स्थान छै? की ऐसँ समाजमे परिवर्तन एतै?
लक्ष्मी दास- मजदूर
वर्गकेँ लाभ होइत छै, ओकरे ऊपर छाप छै।
बे.ठाकुर- अहाँ जइ विधामे लागल छी ओकर की व्यक्तिगत विशेषता छै, ई ऐ क्षेत्रमे कार्यरत दोसर लोकक काजसँ कोन अर्थे भिन्न छै?
लक्ष्मी दास- कम
पढ़ल लिखल रहने दोसर विधामे असुविधा भऽ रहल अछि लेकिन अपन विचार व्यक्त
करै दुआरे ऐ विधामे कार्यरत छी।
बे.ठाकुर- अहाँक विधाक क्षेत्रमे आन के सभ छथि आ ओ कोन तरहक विशिष्ट काज कऽ रहल छथि?
लक्ष्मी दास- ऐ
क्षेत्रमे श्री जगदीश प्रसाद मण्डल, श्री कपिलेश्वर राउत, श्री उमेश मण्डल,
श्री शिव कुमार मिश्र और बहुत गोटे बहुत तरहक काज कऽ रहल छथि।
बे.ठाकुर- की अहाँक काज अहाँक जीवन-यापनक काजमे, घरेलू काजमे बाधा होइए वा सहायता पहुँचाबैए?
लक्ष्मी दास- परिवारक
कार्यसँ जे समए बचैए तइमे काज करै छी, तँए कोनो बाधा नै बुझै छी। जहाँ तक किछु
लाभे होइए।
बे.ठाकुर- अहाँ अपन आन रुचिक विषयमे बताउ।
लक्ष्मी दास- विहनि
कथासँ शुरू केलौं आ पहिल कथा छल ‘झुटका’। पढ़ैक रूचि तँ सभमे अछि, मुदा लिखै
छी अहीटामे।
बे.ठाकुर- कोनो संदेश जे अहाँ देबए चाही।
लक्ष्मी दास- संदेश
यएह देबए चाहै छी जे पढ़ै-लिखैक रूचि सभ गोटे जगबथि।
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