Thursday, September 20, 2012

यदुनन्‍दन पंडि‍त, (यदुनन्‍दन पंडि‍त केँ वि‍देह शि‍ल्‍प कला सम्मान- २०१२देल गेल। बेचन ठाकुर हुनकासँ साक्षात्कार लेलनि।)


यदुनन्‍दन पंडि‍त, (यदुनन्‍दन पंडि‍त केँ वि‍देह शि‍ल्‍प कला सम्मान- २०१२देल गेल। बेचन ठाकुर हुनकासँ साक्षात्कार लेलनि।)

बे.ठाकुर-      अहाँकेँ कार्यक प्रति रुचि केना कहियासँ जगल?
य.पंडि‍त-      हम ई काज माने मुर्ति बनेनाइ आ कुम्‍हारक जे वर्तन होइए, बच्‍चेसँ यानी कि‍ ताबए दसे बरखक रही तहि‍येसँ करै छी। ई काज हमर पि‍ताजी आ नानासँ सि‍खलौं।

बे.ठाकुर-      ऐ कार्य करबामे अहाँकेँ के प्रोत्साहित करैत अछि?
य.पंडि‍त-      ऐ कार्य करबामे हमरा ग्राहकक संतुष्‍टि‍ आ जश प्रोत्‍साहि‍त करैए।
बे.ठाकुर-      पहिल बेर कोन कृति/ काजसँ अहाँ आरम्भ केलौं कहियासँ?
य.पंडि‍त-      शुरूमे हम छोट-छोट काज जेना हाथी बनेनाइ, घोड़ा बनेनाइ शंकरजी, सरस्‍वती मूर्ति इत्‍यादि‍सँ काज शुरू केलौं यएह सभ प्रथम काजमे अछि‍ हमर। ओइ समैमे हम लगभग चौदह बर्खक रही।

बे.ठाकुर-      की अहाँक काज अहाँक जीवन-यापनक काजमे, घरेलू काजमे बाधा होइए वा सहायता पहुँचाबैए?
य.पंडि‍त-      हमर काज हमरा जीवन-यापनक काजमे सहायता पहुँचाबैए। चूकि‍ ई काज हमरा समाजक जन्‍मजात वृत्ति‍ अछि‍। ऐ काजसँ पूरा परि‍वारक भरन-पोषन होइए। ई हमर जीवि‍का छी।




परि‍चए- श्री यदुनन्‍दन पण्‍डि‍त, पि‍ताक नाओं- श्री अशर्फी पण्‍डि‍त, गाम+पोस्‍ट- बेलाराही, भाया- झंझारपुर, जि‍ला- मधुबनी (बि‍हार) केर स्‍थायी नि‍वासी छथि‍। उम्र ५० बर्ख। हि‍नका बचपनसँ कुम्हारक कार्यमे अभि‍रूचि छन्‍हि‍। माटि‍क बर्तन-बासन आदि‍क अति‍रि‍क्‍त वि‍भि‍न्न देवी-देवताक मूर्ति बनेबामे सि‍द्धस्‍त छथि‍। उक्‍त कलासँ ई इलाकामे प्रसि‍द्ध छथि‍। सरस्‍वती सनक देवीकेँ दूगो हाथ काटैबला कुम्हारकेँ कलाक संग मजाक बुझै छथि‍, मुदा अपने चारि‍ हाथवाली प्रति‍मा बना अपन क्षेत्रमे प्रसि‍द्धि‍ हासि‍ल कएने छथि‍। वि‍देह शि‍ल्‍प कला सम्मान- २०१२ सँ सम्मानि‍त कऽ वि‍देह परि‍वार हर्षित अछि‍।

No comments:

Post a Comment