Thursday, September 20, 2012

झमेली मुखि‍या-( झमेली मुखि‍या केँ वि‍देह वस्‍तुकला सम्मान- २०१२ देल गेल। राम वि‍लास साहु हुनकासँ साक्षात्कार लेलनि।)


झमेली मुखि‍या-( झमेली मुखि‍या केँ वि‍देह वस्‍तुकला सम्मान- २०१२ देल गेल। राम वि‍लास साहु हुनकासँ साक्षात्कार लेलनि।)

रा.वि‍.सा- अहाँकेँ कार्यक प्रति रुचि केना कहियासँ जगल?
झमेली मु- हम भूमि‍ हीन छलौं। आने-आन खेत सभमे खेतीक-बाड़ीक काज करै छलौं। कोनो कारणे काज छुटलापर बैसारी भऽ जाइ छलए। गामेमे हमर पड़ोसि‍ये बरही छथि‍। जि‍नका सभकेँ देखि‍ लकड़ी काज सि‍खलौं। बादमे अपने कारबार करै छी। आइ तीस बरखसँ ई काज हम कऽ रहल छी।
 
रा.वि‍.सा- ऐ कार्य करबामे अहाँकेँ के प्रोत्साहित करैत अछि?
झमेली मु- ऐ काज करैमे हम आत्‍मनि‍र्भर छी, केकरो ऐसी-तैसीमे नै रहए पड़ैए। जे हमरा प्रोत्‍साहि‍त करैए।
रा.वि‍.सा- अहाँकेँ कार्य करबामे की प्रोत्साहित करैत अछि?
झमेली मु- हमरा काज करबामे हमर हुनर आ आत्‍मबल प्रोत्‍साहि‍त करैत रहल। हमरा आपना काजपर वि‍श्वास अछि‍ जे ई काज सभ दि‍न चलैत रहत आ कहि‍यो भूखमरी नै रहैए आ ने रहत।

रा.वि‍.सा- पहिल बेर कोन कृति/ काजसँ अहाँ आरम्भ केलौं कहियासँ?
झमेली मु- पहि‍ल बेर हम चौकी, चौकैठ, केबाड़, कुर्सी-टेबुल आ काठक बक्‍सा बनेनाइ शुरू केलौं। हम पढ़ल-लि‍खल नै छी। तँए दि‍न-तारीख नै बता सकै छी, लगभग तीस बरखसँ ई काज करै छी।

रा.वि‍.सा- अहाँ अपन काजमे .“सोच”, .“कोनो पुरान वा नव लीखवा शिल्पऐ तीनूमे सँ केकरा प्रधानता दै छी?
झमेली मु- हमरा अपन काजमे हम अपन सोचकेँ प्रधानता दै छी।
रा.वि‍.सा- अहाँ अपन काजक दिशाकेँ, रूपकेँ एक पाँतिमे कोन रूपमे वर्णन करब।
झमेली मु- लकड़ी काजमे रोजगारक सभ दि‍न अवसर रहै छै। पहिलैयो छल आ बादमे रहत।

रा.वि‍.सा- अहाँक काजक समाजमे कोन स्थान छै? की ऐसँ समाजमे परिवर्तन एतै?
झमेली मु. हमर काजक, बरहीगीरीक स्‍थान समाजमे मुख्‍य छै। समाजमे रहैबला सबहक घरमे लकड़ीसँ बनल समानक जरूरत पड़ै छै। जइले लकड़ी मि‍स्‍त्रीक जरूरत छै। ऐ काजमे बेसी रोजगार भेटै छै तँए समाजमे परि‍वर्तन अवस्‍स हेतै।
रा.वि‍.सा- अहाँ जइ विधामे लागल छी ओकर की व्यक्तिगत विशेषता छै, क्षेत्रमे कार्यरत दोसर लोकक काजसँ कोन अर्थे भिन्न छै?
झमेली मु- हम जइ वि‍धामे लागल छी ओकर व्‍यक्‍ति‍गत वि‍शेषता छै। जे ई काज मेहनति‍या होइ छै। मुदा काजमे कहि‍यो रौदी-दाही नै होइ छै। रख मजदूरी चोखा काम। दोसर वि‍शेषता छै जे काज करैमे ने रौदक आ ने बर्खाक समस्‍या छै। घर बैठल काज होइ छै। ई काज सभ नै करै छै तँए दोसर लोकक काजसँ भि‍न्न छै।
रा.वि‍.सा- अहाँक विधाक क्षेत्रमे आन के सभ छथि कोन तरहक विशिष्ट काज कऽ रहल छथि?
झमेली मु- ओना तँ ऐ वि‍धामे बरही जाति‍क लोक काज करै छथि‍ मुदा हम तँ मलाह छी। हम सभ जाति‍क लोककेँ ऐ काज लेल प्रोत्‍साहि‍त करै छि‍यनि‍ आ जे मौका देलक ओकर काजक लूरि‍ सि‍खेबो करै छी। हम अपन चारू बेटाकेँ सेहो इएह काजक लूरि‍ सि‍खौने छी, ई खूम नीक मि‍सतिरि‍आइ करैए, रूपैया सेहो कमाइए।

रा.वि‍.सा- की अहाँक काज अहाँक जीवन-यापनक काजमे, घरेलू काजमे बाधा होइए वा सहायता पहुँचाबैए?
झमेली मु- हमर काज जीवन-यापनक काजमे सहायता पहुँचाबैए। घरेलू काजमे बाधा कि‍अए हएत। कोनो बाधा नै।
रा.वि‍.सा- अहाँ अपन आन रुचिक विषयमे बताउ।
झमेली मु- हमर अपन आन रूची गाए-भैंस पोसनाइ अछि‍। जइसँ परि‍वारमे दूध, दही, घी आ गोइठा-करसीक भरपाइ भऽ जाइए।

रा.वि‍.सा- कोनो संदेश जे अहाँ देबए चाही।
झमेली मु- हम एहन संदेश दइले चाहै छी जे कमो पूंजीमे लोक अपन काज ठाढ़ कऽ अपने काज करए।






परि‍चए- श्री झमेली मुखि‍या, पि‍ताक नाओं- स्‍व. मुंगालाल मुखि‍या, गाम+पोस्‍ट- छजना, भाया- नरहि‍या, जि‍ला- मधुबनी (बि‍हार)
जन्‍म– लगभग १९५०, शि‍क्षा- नि‍रक्षर, बेवसाय- बरहीगि‍री, मुखि‍याजी वाल्‍यकालहि‍सँ शि‍ल्‍पी (वस्‍तुकला)क कार्य कऽ परि‍वारक भरन-पोषण करैत रहला अछि‍। ऐ लेल सामाजि‍क संघर्ष सेहो करए पड़लनि‍‍। मुदा आब एक तरहसँ अनुकरणीय व्‍यक्‍ति‍क रूपमे समाजमे जानल-मानल जाइ छथि‍। वि‍देह वस्‍तुकला सम्मान- २०१२ सँ सम्मानि‍त कऽ वि‍देह परि‍वार गौरव महसूस कऽ रहल अछि‍।

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