-जगदीश प्रसाद मण्डलक रचनाक केलक चोरि-
चोरिक लिंक नीचाँ देल जा रहल अछि:
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/rikshaavala.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/jivika.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_7993.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_9212.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_4646.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_691.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_88.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_7693.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_4876.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_31.html
ई धूर्त रोशन कुमार झा ई सभ रचना जगदीश प्रसाद मण्डलक " गामक जिनगी" सँ चोरा कऽ अपन ई-पत्रिकामे छपने अछि जेकर लिंक ऊपर देल गेल अछि। गामक जिनकीकेँ मैथिलीक पहिल टैगोर पुरस्कार भेटल छै।
पहिनहियो एकर संगी रण्जीत चौधरी मुन्नाजीक रचनाक लगातार चोरिमे पकड़ाएल अछि, जे अजित आजादक मिथिलाक अबाज पर अखनो अछि। अजित आजाद मुन्नाजीकेँ कहने रहथिन्ह जे ओ रण्जीत चौधरीकेँ बैन करताह आ चोरिक रचनाकेँ डिलीट करताह, मुदा हुनकर कार्यालसँ से अखन धरि से नै भेल तावत ओही कार्यालयसँ ई नबका चोर रोशन कुमार झा आबि गेल।
ऐ चोरक संरक्षक अमलेन्दुशेखर पाठक (जिनकर पिता आकाशवाणी दरभंगा खोलने छथिन्ह, जे रोशन झाक निचुक्का ब्लैकमेल पत्रसँ सिद्ध होइत अछि, कारण ओ जकरा चाहता तकरा अमरसँ रोशन झा धरिकेँ आकाशवाणीमे कार्यक्रम देता आ गौहाटीक विद्यापति पर्वक आयोजक ककरा कहियाक टिकट पठबै छथि से ओ हिनके आ बैजू सँ पुछि कऽ आगाँसँ पठेथिन्ह!!), शंकरदेव झा आदि छथि जकरा संगे मिलि कऽ ई ब्लॉग (ई-पत्रिका) चलबैत अछि।
-ऐ संगठित चोरिमे रोशन कुमार झा, रणजीत चौधरी आदि प्यादा अछि, मुख्य खिलाड़ी यएह सभ छै।
चोरिक लिंक नीचाँ देल जा रहल अछि:
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/rikshaavala.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/jivika.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_7993.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_9212.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_4646.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_691.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_88.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_7693.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_4876.html
http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_31.html
ई धूर्त रोशन कुमार झा ई सभ रचना जगदीश प्रसाद मण्डलक " गामक जिनगी" सँ चोरा कऽ अपन ई-पत्रिकामे छपने अछि जेकर लिंक ऊपर देल गेल अछि। गामक जिनकीकेँ मैथिलीक पहिल टैगोर पुरस्कार भेटल छै।
पहिनहियो एकर संगी रण्जीत चौधरी मुन्नाजीक रचनाक लगातार चोरिमे पकड़ाएल अछि, जे अजित आजादक मिथिलाक अबाज पर अखनो अछि। अजित आजाद मुन्नाजीकेँ कहने रहथिन्ह जे ओ रण्जीत चौधरीकेँ बैन करताह आ चोरिक रचनाकेँ डिलीट करताह, मुदा हुनकर कार्यालसँ से अखन धरि से नै भेल तावत ओही कार्यालयसँ ई नबका चोर रोशन कुमार झा आबि गेल।
ऐ चोरक संरक्षक अमलेन्दुशेखर पाठक (जिनकर पिता आकाशवाणी दरभंगा खोलने छथिन्ह, जे रोशन झाक निचुक्का ब्लैकमेल पत्रसँ सिद्ध होइत अछि, कारण ओ जकरा चाहता तकरा अमरसँ रोशन झा धरिकेँ आकाशवाणीमे कार्यक्रम देता आ गौहाटीक विद्यापति पर्वक आयोजक ककरा कहियाक टिकट पठबै छथि से ओ हिनके आ बैजू सँ पुछि कऽ आगाँसँ पठेथिन्ह!!), शंकरदेव झा आदि छथि जकरा संगे मिलि कऽ ई ब्लॉग (ई-पत्रिका) चलबैत अछि।
-ऐ संगठित चोरिमे रोशन कुमार झा, रणजीत चौधरी आदि प्यादा अछि, मुख्य खिलाड़ी यएह सभ छै।
रोशन कुमार झा जे रचना चोरि केलक तकर सरगना सभक चिट्ठी/ किरदानी आदि नीचाँमे अछि |
मातृभाषा: मैथिलि पाक्षिक ई-पत्रिका(!!)
जे की दरभंगास प्रकाशित पहिल ई-पत्रिका अछि . एकर पहिल अंक छपी चुकल अछि . जेना की सर्वविदित अछि जे अहि स पहिने विदेह ई-पत्रिका सेहो निकली रहल अछि . विदेह साहित्य लेल काज त कैरते अछि मुदा एक टा काज ओ बखूबी क रहल अछि आ दिन प्रतिदिन क रहल अछि . ओ काज अछि जातिवादिताक नाम पर झगरा केनाइ साहित्यकार सभ केर खुलेआम फसबूक आ ब्लोगक माध्यम स गारि पढ्नाई .
मातृभाषा ई-पत्रिकाक अंक देखैत देरी नहीं जानी किया गजेन्द्र ठाकुरअक देह में आगि किअक लागी गेलें आ ओ अपन चेला चपाटीकेर पुनः मैदान में लड़बाक लेल उतारी देलैन . हुनक एक टा चेला जिनकर नाम उमेश् मंडल छियैन ओ अपन घरवाली केर ब्लॉग ईसमदिया पर एक टा पोस्ट केलें जे फल फल आदमी मिलि ब्लाच्क्मैलिंग करबाक उद्देश्य स अहि पत्रिकाक शुरुआत केलक अछि . विदेह फसबूक ग्रुपअक एक टा पोस्ट पर माननीय आशीष अनचिन्हार आ उमेश मंडल जी कमेन्ट देला जे मा
तृभाषा ई-पत्रिकाक सम्पादक महान ब्रह्मण वादी अमलेंदु शेखर पाठक छैथ .
अमलेंदु शेखर पाठक मैथिलिक साहित्यकार , दरभंगा रेडिओ स्टेशनअक उद्घोषक आ वरिस्थ पत्र्रकार छैथ . आब सवाल उठैत अछि जे एहन आदमी पर उमेश मंडल जी ब्रह्मण वादी हेबाक आरोप किअक लगा रहल छैथ .
अहि सवालक जवाब लेल किछु समय पाछू घुर पडत . रेडिओ स्टेशन स एक दिन पाठक जी उमेश मंडल केर फ़ोन केल्थिन जे अपनेक पोस्टल एड्रेस की अछि ? उमेशक पुछला पर पाठक जी कहलें जे आहाक रेडिओ में कथा पढबा हेतु छित्ती पता रहल छि . उमेशक काटन छल जे हमरा बदला ज हमर पिताजिकर अवसर देब त हमरा नीक लागत . पाठक जी कहलें जे आहा चिंता जुनी करू हम दुनु गोटेक अवसर देब . ओही दिन स पाठक जी ओही उमेश लेल भगवान् छल आ बहूत दिन रहबो केला . तखन उमेश आ हुनका किअक गाडिया रहल छैन .
पछिला बरख गुवाहाटी में अंतर रास्ट्रीय मैथिलि सम्मलेन भेल छल ओही थाम २ दिवसीय कार्यक्रमअक आयोजन छल . पहिल दिन कवि घोस्थी आ दोसर दिन विद्यापति समारोह . उमेश मंडल आ हुनक पिताजी केर दोसर दिनक आयोजनक लेल आमंत्रित कैल गेल छल , मुदा महा साहित्यकार उमेश मंडल एक दिन पहिने गुवाहाटी पहुँच गेला . उमेश पाठकजी स आग्रह केलें जे हाम्रो पिताजी केर कविता पढबा लेल बजेबैं अपनेक आभारी रहब . मुदा समय कम रहबाक आ कवि बेसी हेबाक कारण उमेशक आग्रह पाठक जी नहीं पूरा का सकला अहि कारने जे आदमी हुनका नजरी में आई धरी भगवान् छल से आबी ब्राह्मण वादी बनी गेल छल .
विदेह केर एहो कास्ट छैन जे दोसर ई-पत्रिका किअक निकली रहल अछि . कारण साफ़ अछि जाहि पत्रिकाक सम्पादक मंडली लोकनि अपन समय झगरा आ गारि पढबा में बितेता टा निक रचना कतय स छपता .
"राड़केँ सुख बलाय" केर लेखक रोशन कुमार झा रामदेव झाक बेटा, विद्यानाथ झा विदितक जमाए आ चन्द्रनाथ मिश्र "अमरक" नैत शंकरदेव झा-विजयदेव झाक संग मिलि कऽ एकटा ब्लैकमेलिंग ब्लॉग ई-पत्रिका (!!) मातृभाषा शुरू केलक अछि।(रिपोर्ट पूनम मण्डल)
राड़केँ सुख बलाय" केर लेखक रोशन कुमार झा रामदेव झाक बेटा, विद्यानाथ झा विदितक जमाए आ चन्द्रनाथ मिश्र "अमरक" नैत शंकरदेव झा-विजयदेव झाक संग मिलि कऽ एकटा ब्लैकमेलिंग ब्लॉग ई-पत्रिका मातृभाषा शुरू केलक अछि।
धूर्त रोशन कुमार झा:राअर के सुख बले :
मिथिलाक गाम घर :
राअर के सुख बले :
पढुआ काका किछु काज स दरभंगा आयल छलाह . जखन सव काज भ गेलैन त बस पकर्बाक लेल बस स्टैंड गेलाह , मुदा गामक बस छुट्टी गेलैन .
पधुआ काका हमरा फ़ोन केलैने ? रोशन कतय छ: ? हम आकाशवाणी लग ठाढ़ छि ? हाउ हम तोहर घरे बिसरी गेलिय . तो आबी क हमरा ल जा .
जखन हम पढुआ काका क ल के घर पर आय्लाहू त घर पर लाइन छल .चुकी गर्मी काफी छल ताहि कारने पंखा चला हुनका लग बैसी गेलहु आ हुनका अपन कंप्यूटर पर फसबूक के खोली हुनका देखाबय लाग्लाहू ?
अचानक ललका पाग केर देखैत देरी हुनक मन गडद-गडद भ गेलैने . ओ कह्लैने जे की " इ थिक मिथिला वासी केर पहचान , आ पाग पहिर्ला स बाढ़ी जाइत अछि मान "
हम कहलियैक , काका किछू लोक केर कथन अछि जे की पाग मात्र उपनयन , विवाह में पहिरे वाला एक टा परिधान अछि जे की बाभन आ लाला सब मे पहिरल जाइत अछि ?
ओ कह्लैने हौ जे इ गप करैत अछि ओ पागल हेताह ?
हम कहलियैक , कका ओ सब पढ़ल लिखल आ पैघ-पैघ साहित्यकार छैथ आ विदेह सनक पत्रिका सेहो निकालैत छैथ ?
किछु काल केर उपरान्त पढुआ कका कह्लैने जे की एकटा , दूटा ओही महानुभाव केर नाम त कहक जे सब पाग केर मिथिला केर मान नहीं बुझैत अछि आ मात्र ओकरा जातिगत स जोरी रहल अछि ?
हम कहलियैक आशीष अनचिन्हार , उमेश मंडल , पूनम मंडल प्रियंका झा आ विदेह केर सम्पादक गजेन्द्र ठाकुर .
कका कह्लैने हौ अहि मे त कोनो पैघ साहित्य कार लोकनि केर नाम कहा अछि ?
कका आजुक समय केर इ सब करता धर्ता छैथ साहित्य जगत के .
हौ यदि आजुक साहित्य केर करता एहन छैथ त नहीं जानी की होयत भविष्य मे ?
हमरा सब केर समर में हरिमोहन झा , नागार्जुन , दिनकर सब सनक महान रचना कार लोकिन छलाह . से इ सब कोनो हुनका स पैघ छैथ जखन ओ लोकिन पाग पहिर अपना केर गौरवान्वित बुझैत छलाह तखन आजुक नौसिखुआ सब के की औकात ?
ओ कह्लैने हौ बाऊ ब्रह्मण एकर विरोध किअक क रहल अछि से नहीं जानी मुदा जिनकर बाप दादा कहियो पहिर्बे नहीं केने हैथ हुनका त अवस्य ने असोहाथ बुझेतैन .
ओहुना मिथिलाक गाम घर मे कहल जाइत अछि जे की " राअर केर सुख बले " .
राड़केँ सुख बलाय" केर लेखक रोशन कुमार झा रामदेव झाक बेटा, विद्यानाथ झा विदितक जमाए आ चन्द्रनाथ मिश्र "अमरक" नैत शंकरदेव झा-विजयदेव झाक संग मिलि कऽ एकटा ब्लैकमेलिंग ब्लॉग ई-पत्रिका मातृभाषा शुरू केलक अछि।
धूर्त रोशन कुमार झा:राअर के सुख बले :
मिथिलाक गाम घर :
राअर के सुख बले :
पढुआ काका किछु काज स दरभंगा आयल छलाह . जखन सव काज भ गेलैन त बस पकर्बाक लेल बस स्टैंड गेलाह , मुदा गामक बस छुट्टी गेलैन .
पधुआ काका हमरा फ़ोन केलैने ? रोशन कतय छ: ? हम आकाशवाणी लग ठाढ़ छि ? हाउ हम तोहर घरे बिसरी गेलिय . तो आबी क हमरा ल जा .
जखन हम पढुआ काका क ल के घर पर आय्लाहू त घर पर लाइन छल .चुकी गर्मी काफी छल ताहि कारने पंखा चला हुनका लग बैसी गेलहु आ हुनका अपन कंप्यूटर पर फसबूक के खोली हुनका देखाबय लाग्लाहू ?
अचानक ललका पाग केर देखैत देरी हुनक मन गडद-गडद भ गेलैने . ओ कह्लैने जे की " इ थिक मिथिला वासी केर पहचान , आ पाग पहिर्ला स बाढ़ी जाइत अछि मान "
हम कहलियैक , काका किछू लोक केर कथन अछि जे की पाग मात्र उपनयन , विवाह में पहिरे वाला एक टा परिधान अछि जे की बाभन आ लाला सब मे पहिरल जाइत अछि ?
ओ कह्लैने हौ जे इ गप करैत अछि ओ पागल हेताह ?
हम कहलियैक , कका ओ सब पढ़ल लिखल आ पैघ-पैघ साहित्यकार छैथ आ विदेह सनक पत्रिका सेहो निकालैत छैथ ?
किछु काल केर उपरान्त पढुआ कका कह्लैने जे की एकटा , दूटा ओही महानुभाव केर नाम त कहक जे सब पाग केर मिथिला केर मान नहीं बुझैत अछि आ मात्र ओकरा जातिगत स जोरी रहल अछि ?
हम कहलियैक आशीष अनचिन्हार , उमेश मंडल , पूनम मंडल प्रियंका झा आ विदेह केर सम्पादक गजेन्द्र ठाकुर .
कका कह्लैने हौ अहि मे त कोनो पैघ साहित्य कार लोकनि केर नाम कहा अछि ?
कका आजुक समय केर इ सब करता धर्ता छैथ साहित्य जगत के .
हौ यदि आजुक साहित्य केर करता एहन छैथ त नहीं जानी की होयत भविष्य मे ?
हमरा सब केर समर में हरिमोहन झा , नागार्जुन , दिनकर सब सनक महान रचना कार लोकिन छलाह . से इ सब कोनो हुनका स पैघ छैथ जखन ओ लोकिन पाग पहिर अपना केर गौरवान्वित बुझैत छलाह तखन आजुक नौसिखुआ सब के की औकात ?
ओ कह्लैने हौ बाऊ ब्रह्मण एकर विरोध किअक क रहल अछि से नहीं जानी मुदा जिनकर बाप दादा कहियो पहिर्बे नहीं केने हैथ हुनका त अवस्य ने असोहाथ बुझेतैन .
ओहुना मिथिलाक गाम घर मे कहल जाइत अछि जे की " राअर केर सुख बले " .
- 9 minutes ago · · 1
Umesh Mandal जगदीश प्रसाद मण्डल जीकेँ गौहाटी विद्यापति समारोहमे मुख्य अतिथि बनाओल गेलापर वैद्यनाथ बैजू आ अमलेन्दु शेखर पाठक आदि हंगामा केने रहथि, अमलेन्दु शेखर पाठक कहि रहल रहथि "सपनोमे नै सोचने हेतै", एकर वीडियो देखू www.purvottarmaithil.org पर
No comments:
Post a Comment