Friday, September 14, 2012

‘मणिपद्मक काव्यकृतिक आलोचनात्मक अध्ययन’ पुस्तकक लोकार्पण- रिपोर्ट - अरविन्द श्रीवास्तव



- मणिपद्म मैथिली साहित्यक पहिल जासूसी उपन्यासकार रहथि
- मणिपद्म मिथिला क्षेत्रक लोकदेवताकेँ पहिल बेर साहित्यिक स्वरूप प्रदान केलनि
- मैथिलीक गंभीर कविक रूपमे सेहो स्मरण कएल जाइत छथि मणिपद्म

डा. ब्रजकिशोर वर्मा ‘मणिपद्म’ पौराणिक संस्कृतिक लोकगाथा अथवा कथाक रूपमे रचनाक संरचनामे अपन जीवनकालक अधिकांश भाग लगेलनि। परिणामस्वरूप- लोरिक मनियार, दीनाभद्री, राजा सलहेस, दुलरा दयाल, नैका बनिजारा, कुसुमा मालिन, मल्लवंश, चुहरमल इत्यादि पात्र जे अनादि कालसँ लोक कंठमे रचल-बसल रहथि, केँ साहित्यक रूप प्रदान कऽ लोक साहित्यकेँ मैथिली साहित्य सागरक द्वारा आम जन धरि पहुँचेलनि। लोक गाथा हमर पौराणिक संस्कृतिक आइक चिन्हासी छी। मैथिली साहित्य श्रृंगार तांत्रिक, आंचलिक विषयकेँ आधार मानि ओ कतेको उपन्यासक रचना केलनि। दर्जनसँ ऊपर हिनकर कथा, नाटक, एकांकी, महाकाव्य, मुक्तक काव्य आ निबंध सेहो छन्हि।
गत बुधवार १२ सितम्बर २०१२ केँ सहरसामे ‘मणिपद्मक काव्यकृतिक आलोचनात्मक अध्ययन’ विषयक पुस्तकक लोकार्पण साहित्य अकादमी सम्मानसँ पुरस्कृत साहित्यकार प्रो. मायानन्द मिश्र द्वारा भेल। कार्यकमक अध्यक्षता मैथिली साहित्यकार डा. महेन्द्र झा केलनि। मुख्य अथिति डा. राजाराम प्रसाद, विशिष्ट अतिथि डा. शैलेन्द्र कुमार झा, डा. ललितेश मिश्रा, डा. विश्वनाथ विवेका, डा. के. एस. ओझा, डा. रेणु सिंह आदि रहथि।
कार्यक्र्रमक शुभारंभ पुस्तकक लेखक डा. देवनारायण साह द्वारा आगत अतिथियक स्वागत भाषणसँ भेल आ ओ स्वयं लिखित पुस्तक ‘मणिपद्मक काव्यकृतिक आलोचनात्मक अध्ययन’ क महत्वपूर्ण बिन्दुपर प्रकाश देलनि। साहित्य अकादमी पुरस्कारसँ पुरस्कृत विद्वान प्रो. मायानन्द मिश्र कहलनि जे डा. मणिपद्म बहुविद् साहित्यकार रहथि। ओ बहुविलक्षण कथा, उपन्यास आ काव्य लिखलनि जे लोकगाथापर आधारित रहए। मैथिली आ मिथिलाक संस्कृतिक विकासक लेल संघर्षमे ओ योगदान दैत रहथि। एहेन साहित्यकारक समग्र रचनाक आलोचनत्मक अध्ययन लिखि डा. देवनारायण साह प्राध्यापक एम. एल. टी. कालेज सहरसा श्रमपूर्वक कार्य कऽ एकरा चिरस्मरणीय बनेलनि। डा.महेन्द्र झा कहलनि जे ई मात्र संयोग अछि जे साहित्य अकादमीसँ पुरस्कृत डा. मणिपद्मपर डा. देवनारायण साह द्वारा लिखित पुस्तकक लोकापर्ण सेहो साहित्य अकादमीसँ पुरस्कृत साहित्यकार प्रो. मायानन्द मिश्रक हाथसँ भेल। डा. शैलेन्द्र कुमार रचनाक गंभीरतापर प्रकाश दैत कहलनि जे आइक समएमे मैथिली लेखन कला कम भेल अछि लेकिन डा. देवनारायण साह शोधार्थी छात्रक लेल उपयोगी पुस्तक लिखि मैथिली साहित्य जगतकेँ नव आयाम देलनि अछि। डा. ललितेश मिश्र पुस्तकक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि दिस ध्यान केन्द्रित कऽ कहलनि जे मैथिलीमे जासूसी उपन्यास सर्वप्रथम मणिपद्म लिखलनि।
ऐ अवसर पर डा. राजाराम प्रसाद, डा. रामनरेश सिंह, डा. कुलानन्द झा, डा. दीपक गुप्ता, डा. एस. के. ओझा आ डा. रेणु सिंह लोकार्पित पुस्तककेँ समीचीन बतेलनि आ अपन विचार व्यक्त केलनि।



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