Thursday, September 20, 2012

पनक लाल मण्डल (पनक लाल मण्ड‍लकेँ वि‍देह चि‍त्रकला सम्मान- २०१२ देल गेल। राम वि‍लास साहु हुनकासँ साक्षात्कार लेलनि।)


पनक लाल मण्‍डल
(पनक लाल मण्‍डलकेँ वि‍देह चि‍त्रकला सम्‍मान- २०१२ देल गेल। राम वि‍लास साहु हुनकासँ साक्षात्कार लेलनि।)


रा.वि‍.सा-       अहाँकेँ कार्यक प्रति रुचि केना कहियासँ जगल?
प.ला.मं.- ऐ कार्यक प्रति‍ लूड़ि‍ हमर बड़-भाय श्री रामदेव मण्‍डलसँ मि‍लल। हुनके संगे 1984ई.सँ कार्य केनाइ शुरू केलौं।

रा.वि‍.सा-       ऐ कार्य करबामे अहाँकेँ के प्रोत्साहित करैत अछि?
प.ला.मं- ऐ कार्यकेँ करबामे हमर आत्‍मबल आ अपन वि‍श्वास अछि‍।

रा. वि‍. सा-     अहाँकेँ कार्य करबामे की प्रोत्साहित करैत अछि?
प.ला.मं- हमरा ऐ कार्यक प्रोत्‍साहनमे हमर नीक-काज माने स्‍तरीय ि‍चत्रक योगदान अछि‍।

रा. वि‍. सा-     पहिल बेर कोन कृति/ काजसँ अहाँ आरम्भ केलौं कहियासँ?
प.ला.मं- 1989 ई.मे हम इण्टर परीक्षा दइले दरभंगा गेल छलौं। ओहीठाम एक पेंटरकेँ तुम मेरे हो फि‍ल्‍मक पोस्‍टर-वैनर बनबैत देखलौं। तही दि‍नसँ हमरोमे इच्‍छा जगल।
 
रा.वि‍.सा-       अहाँ अपन काजमे .“सोच”, .“कोनो पुरान वा नव लीखवा शिल्पऐ तीनूमे सँ केकरा प्रधानता दै छी?
प.ला.मं- हम अपन काजमे शि‍ल्‍पक प्रधानता दइ छी। हमरा बुझने, शि‍ल्‍पक जौंआ-भाए छि‍ऐ पेंटि‍ंग।

रा.वि‍.सा-       अहाँ अपन काजक दिशाकेँ, रूपकेँ एक पाँतिमे कोन रूपमे वर्णन करब।
प.ला.मं- हमर जे पेंटि‍ंग कलाक काज अछि‍ तइमे हम साफ देखि‍ रहल छी जे बहुत पैघ रोजगारक अवसर छै ऐ फि‍ल्‍डमे। ई कला सभ दि‍नसँ छै आ आगूओ रहत।

रा.वि‍.सा-       अहाँक काजक समाजमे कोन स्थान छै? की ऐसँ समाजमे परिवर्तन एतै?
प.ला.मं- हमर पेंटि‍ंगक स्‍थान समाजमे नीक अछि‍। हमरा कखनो छुट्टी नै होइए। तइसँ बुझै छी जे अर्जनक बढ़ि‍या संभावना छै। जखने अर्जन हेतै तँ समाजमे बदलाब हेबे करत।
  
रा.वि‍.सा-       अहाँ जइ विधामे लागल छी ओकर की व्यक्तिगत विशेषता छै, क्षेत्रमे कार्यरत दोसर लोकक काजसँ कोन अर्थे भिन्न छै?
प.ला.मं- हम जइ वि‍धामे लागल छी ओकर वि‍शेषता ई छै जे ऐ काजक हुनर सभकेँ नै होइ छै कला इश्वरीय देन होइ छै तँए ई काज सभ नै कऽ सकै छै। ऐ लेल ई काज दोसर लोकक काजसँ भि‍न्न छै। आन-आन काज सभ दि‍न नै होइ छै मुदा हमर ई काज करबाक मौका सभ दि‍न भेटै छै। आन काेनो काजमे जे मजदूरी आ सम्मान भेटै छै ओइसँ बेसी मजदूरी आ मान-सम्‍मान ऐ काजमे भेटै छै।

रा.वि‍.सा-       अहाँक विधाक क्षेत्रमे आन के सभ छथि कोन तरहक विशिष्ट काज कऽ रहल छथि?
प.ला.मं- हमरा वि‍धामे माने चि‍त्रकलामे सभ जाति‍ धर्मक लोक जुड़ल छथि‍। कि‍एक तँ ई वि‍धा कोनो खास जाि‍त वा धर्मक खरि‍दल नै छि‍ऐ। ई काज करैबलामे एक वि‍शि‍ष्‍ट गुण होइ छै। महीनसँ-महीन चि‍त्रकेँ सुन्‍दर आकर्षक आ नम्‍हर चि‍त्रमे सेहो भूमि‍का करए पड़ै छै। ऐ क्षेत्रमे हम एक-सँ-एक सराहणीय आ वि‍शि‍ष्‍ट काज कऽ रहल छी।

राम.वि‍.सा-      की अहाँक काज अहाँक जीवन-यापनक काजमे, घरेलू काजमे बाधा होइए वा सहायता पहुँचाबैए?
प.ला.मं- हमर काज हमरा जीवन-यापनक काजमे कोनो बाधा नै, सहायक होइए।

राम.वि‍.सा-      अहाँ अपन आन रुचिक विषयमे बताउ।
प.ला.मं- हमर अपन आन रूचि‍ पढ़नाइ, संगीत सुननाइ आ समाजक दसनामा काजमे अछि‍।

राम.वि‍.सा-      कोनो संदेश जे अहाँ देबए चाही।
प.ला.मं- हम तँ ओइ योग्‍य नै छी मुदा ई जरूर कहब जे ऐ क्षेत्रमे वि‍भि‍न्न तरहक अवसर छै, तँए धैय आ बि‍सवास राखि‍ आगू मुँहे समैकेँ परेखि‍-परेखि‍ चलैक चाही।


परि‍चए- श्री पनक लाल मण्‍डल, पि‍ताक नाओं स्‍व. सुन्‍दर मण्‍डल, गाम एवं पत्रालय- छजना, भाया- नरहि‍या, जि‍ला- मधुबनी (बि‍हार), बेवसाय- चित्रकला। जन्‍म ति‍थि‍- ०५/ ०९/ १९६७, शि‍क्षा- बी.ए. (१९९३-९५), चि‍त्रकलासँ इलाकामे प्रसि‍द्ध छथि‍। वि‍द्यालय, महावि‍द्यालय, अनुमण्‍डल कार्यालय इत्‍यादि‍मे अनेको चि‍त्र बना अपन पहि‍चान एकटा नीक चि‍त्रकारक रूपमे बनौनो छथि‍।
वि‍देह चि‍त्रकला सम्‍मान- २०१२ सँ सम्‍मानि‍त करैत वि‍देह परि‍वार प्रसन्नता महसूस कएलक अछि‍।


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