रमेश कुमार भारती (रमेश कुमार भारतीकेँ विदेह चित्रकला सम्मान- २०१२ देल गेल। बेचन ठाकुर हुनकासँ साक्षात्कार
लेलनि।)
बे.ठाकुर- अहाँकेँ ऐ कार्यक प्रति रुचि केना आ कहियासँ जगल?
रमेश- बच्चेसँ ऐ काजक प्रति रूचि अछि। खेत-खरिहान
अादिक दृश्य देखि कागजक पन्नापर बनबैत फोटोकेँ देखि कएक गोटे धन्यवाद दैत
छलाह। हमर रूचि बढ़ैत गेल।
बे.ठाकुर- ऐ कार्य करबामे अहाँकेँ के प्रोत्साहित करैत अछि?
रमेश- ओना तँ समाजोक लोक मुदा मुख्य रूपसँ हमर गुरु
श्री सुमन ठाकुर जिनक घर रैयाम छियनि। हमरापर ओ बहुत धियान रखैत छथि।
जखन-कखनो हुनका लग जाइ छी तँ प्रोत्साहित करैत रहै छथि।
बे.ठाकुर- अहाँकेँ कार्य करबामे की प्रोत्साहित करैत अछि?
रमेश- नीक करबाक भावनासँ उपजल एकाग्रता।
बे.ठाकुर- पहिल बेर कोन कृति/ काजसँ अहाँ आरम्भ केलौं आ कहियासँ?
रमेश- पहिल बेर हम पेन्सिल आ सादा कागजपर स्क्रेचिंग
केलौं जखन हम छठा वर्गमे पढ़ैत रही।
बे.ठाकुर- अहाँ अपन काजमे १.“सोच”, २.“कोनो पुरान वा नव लीख” वा ३ “शिल्प” ऐ तीनूमे सँ केकरा प्रधानता दै छी?
रमेश- हम अपन पेंटिंग कार्यमे सभसँ पहिल सोचकेँ
प्रधानता दइ छी।
बे.ठाकुर- अहाँक काजक समाजमे कोन स्थान छै? की ऐसँ समाजमे परिवर्तन एतै?
रमेश- कलाक अर्थ अछि सुन्दरता जे कोनो चीज देखबामे
नीक लगै वा सुन्दर लगै ओ कला छी। व्यवसायक क्षेत्रमे बहुत मायने रखैत अछि,
एक-दोसरकेँ दिसा बतबैत अछि, देशक कोन-कोनमे एक दोसराकेँ सही समानक पहिचान
कराबैत अछि जइसँ समाजमे परिवर्तन होइत अछि।
बे.ठाकुर- की अहाँक काज अहाँक जीवन-यापनक काजमे, घरेलू काजमे बाधा होइए वा सहायता पहुँचाबैए?
रमेश- कोना बाधा नै, सहायता पहुँचबैए।
बे.ठाकुर- अहाँ अपन आन रुचिक विषयमे बताउ।
रमेश- हमर दोसर रूचि अमानत कार्य आ कम्प्यूटर
अछि।
बे.ठाकुर- कोनो संदेश जे अहाँ देबए चाही।
रमेश- सम्बन्धित क्षेत्रक कलाकारसँ आग्रह अछि जे ओ
अपना क्षेत्रमे रोजगार लेल मांग करथि, तत्पर होथि। जाधरि रोजगारक अवसर नै औत, मिथिलोक
स्कूल-काॅलेजमे पेंटिंग-पढ़ाइक बेवस्था नै हेतै, ताधरि समुचित विकास केना
हेतै। मुदा तइले संघर्षक जरूरत अछि।
परिचए- श्री रमेश कुमार भारती, पिताक नाओं- श्री
मोती मण्डल, जन्म तिथि- १० मार्च १९८६, शिक्षा- अन्तर स्नातक, गाम+पोस्ट- बेरमा, भाया- तमुरिया जिला- मधुबनी
(बिहार), पिन- ८४७४१०
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