सुलेखा
कुमारी, (सुलेखा कुमारीकेँ विदेह
नृत्यकला सम्मान- २०१२देल गेल। बेचन ठाकुर हुनकासँ साक्षात्कार लेलनि।)
बे.ठाकुर- अहाँकेँ ऐ कार्यक प्रति रुचि केना आ कहियासँ जगल?
सुलेखा- हम चौथा क्लाशमे पढ़ैत रही। टेलीविजन देखैमे बड़ नीक लगैत रहए।
हमरा लगैए जे हम दूरदर्शनसँ प्रभावित भेलौं।
बे.ठाकुर- ऐ कार्य करबामे अहाँकेँ के प्रोत्साहित करैत अछि?
सुलेखा- ऐ काज करबामे हमर जेठ बहिन रेखा कुमारी हमरा सभसँ बेसी प्रोत्साहित
करै छथि।
बे.ठाकुर- अहाँकेँ कार्य करबामे की प्रोत्साहित करैत अछि?
सुलेखा- ऐ काज करबामे माने नृत्य करैमे जे सम्मान भेटैए वएह हमर प्रोत्साहनक
जड़ि छी।
बे.ठाकुर- पहिल
बेर कोन कृति/ काजसँ अहाँ आरम्भ केलौं आ कहियासँ?
सुलेखा- पहिल बेर, कक्षा चारिमे विद्यालय स्तरपर सांस्कृतिक कार्यक्रम
आयोजित छल तइमे हम नृत्य केने रही।
बे.ठाकुर- अहाँ
अपन काजमे १.“सोच”, २.“कोनो पुरान वा नव लीख” वा ३ “शिल्प” ऐ तीनूमे सँ केकरा प्रधानता दै छी?
सुलेखा- सभसँ पैघ मनुक्खक विचार होइए। तँए हम पहिल प्रधानता ‘सोच’केँ दै
छी।
बे.ठाकुर- अहाँ अपन काजक दिशाकेँ, रूपकेँ एक पाँतिमे कोन रूपमे वर्णन करब।
सुलेखा- जेना नृत्य सम्पूर्ण शरीरकेँ परिवर्तन करैत अछि तहिना ज्ञानी
सम्पूर्ण दुनियाकेँ परिवर्तन करैत अछि।
बे.ठाकुर- अहाँक काजक समाजमे कोन स्थान छै? की ऐसँ समाजमे परिवर्तन एतै?
सुलेखा- फिलहाल हमर ऐ कार्यक ऐ समाजमे कोनो खास महत नै अछि। मुदा हमरा
सबहक काजक आबैबला पीढ़ीपर अवस्स पड़त।
बे.ठाकुर- अहाँ
जइ विधामे लागल छी ओकर की व्यक्तिगत विशेषता छै, ई ऐ क्षेत्रमे कार्यरत दोसर लोकक काजसँ कोन अर्थे भिन्न छै?
सुलेखा- आगू अबैबला पीढ़ीमे नृत्यक विशेषता बड़ छै। आब नृत्य हरेक आदमीक
सख बनल जा रहल छै। ई काज ऐ क्षेत्रमे कार्यरत् दोसर लोकक कार्यसँ भिन्न छै। जे
दोसर लोक एकरा मनोरंजन बुझै छथि मुदा हमरा लेल ई ‘काज’ छी।
बे.ठाकुर- अहाँक विधाक क्षेत्रमे आन के सभ छथि आ ओ कोन तरहक विशिष्ट काज कऽ रहल छथि?
सुलेखा- हमर गुरुजी श्री बेचन ठाकुर जे नाटक लिखबो करै छथि आ िनर्देशन
सेहो करै छथि। सखी-सहेली-बहिनपा आदि बहुत गोटे सभ छथि।
बे.ठाकुर- की
अहाँक काज अहाँक जीवन-यापनक काजमे, घरेलू काजमे बाधा होइए वा सहायता पहुँचाबैए?
सुलेखा- हमर ई काज जीवन-यापनक काजमे कोनो बाधा नै पहुँचबैए।
बे.ठाकुर- अहाँ
अपन आन रुचिक विषयमे बताउ।
सुलेखा- गीत गौनाइ आ सुननाइमे अछि।
बे.ठाकुर- कोनो संदेश जे अहाँ देबए चाही।
सुलेखा- हमर संदेश अछि जे मैथिलीकेँ विश्व स्तरपर पहुँचबैले संघर्ष संमिति
बनाएल जाए। आ हमहूँ अपनाकेँ ओइ संघर्ष समितिक एकटा सदस्यक रूपमे देखए चाहै छी।
परिचए- सुश्री सुलेखा कुमारी, पिताक
नाओं श्री हरेराम यादव, गाम आ पत्रालय- चनौरागंज, भाया- झंझारपुर, जिला- मधुबनी
(बिहार)। १६ वर्षीय शिल्पी, श्री हरेराम यादवक द्वितीय पुत्री छथि। नवम वर्गक
छात्रा छथि। पंचायत आ प्रखण्ड स्तरपर नृत्य कलाक लेल कतेको बेर पुरस्कार भेटल
छन्हि। जे.एम.एस. कोचिंग सेन्टर, चनौरागंजक प्रांगणमे आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रममे ई
दर्शक लोकनिक मन मोहैत रहली अछि। विदेह नृत्य कला सम्मान- २०१२ सँ सम्मानित
करैत विदेह परिवार गौवान्वित महसूस करैत अछि।
No comments:
Post a Comment