Thursday, September 20, 2012

बहादुर राम (बहादुर राम केँ वि‍देह संगीत कला सम्‍मान(रसनचौकी) - २०१२ देल गेल। बेचन ठाकुर हुनकासँ साक्षात्कार लेलनि।)


बहादुर राम (बहादुर राम केँ वि‍देह संगीत कला सम्‍मान(रसनचौकी)
 - २०१२  देल गेल। बेचन ठाकुर हुनकासँ साक्षात्कार लेलनि।)


बे.ठाकुर-    अहाँकेँ कार्यक प्रति रुचि केना कहियासँ जगल?
बहादुर राम- पि‍ताजी सँ बाजा बजेनाइ सि‍खलौं रसन चौकी बजेनाइ सि‍खलौं। तइघड़ी हमर उमर रहए 18 बरख।

बे.ठाकुर-    ऐ कार्य करबामे अहाँकेँ के प्रोत्साहित करैत अछि?
ब.राम-           रसनचौकी बजेनाइ हमर जीवि‍का छी। पाँच गामक लोक साटा बनबैए।

बे.ठाकुर-    पहिल बेर कोन कृति/ काजसँ अहाँ आरम्भ केलौं कहियासँ?
ब.राम-           हम 18 बर्खक रही चारि‍ आदमी मि‍लि‍ पहि‍ल बेर भगवानक पूजामे बजेने छेलौं।
बे.ठाकुर-    अहाँक विधाक क्षेत्रमे आन के सभ छथि कोन तरहक विशिष्ट काज कऽ रहल छथि?
ब.राम-     लगभग सभ गाम लोक छथि‍ जे ई काज करै छथि‍। संगमे खेती-बाड़ी सेहो करै छथि‍ जे वि‍शि‍ष्‍ट भेल। आ अलग महत सेहो रखैए।

बे.ठाकुर-    की अहाँक काज अहाँक जीवन-यापनक काजमे, घरेलू काजमे बाधा होइए वा सहायता पहुँचाबैए?
ब.राम-           कखनो-कखनो बाधा होइए।
बे.ठाकुर-    अहाँ अपन आन रुचिक विषयमे बताउ।
ब.राम-           सहनाई बजबैमे रूचि‍ अछि‍।
बे.राम-           कोनो संदेश जे अहाँ देबए चाही।
ब.राम-           सहनाई, रसनचौकी आदि‍ बजैत रहए समाजमे।


परि‍चए- श्री बहादुर राम, पि‍ताक नाओं स्‍व. सरजुग राम, गाम+पोस्‍ट- चनौरागंज, भाया- झंझारपुर, जि‍ला- मधुबनी, बि‍हार केर स्‍थायी नि‍वासी छथि‍। हि‍नक उम्र ६० बर्ख छन्‍हि‍। विगत ४० बर्खसँ रसनचौकी बजबैत छथि‍। समाजक सभ वर्णक लोकक मध्‍य हि‍नक उक्‍त कला लेल वि‍शेष मांग रहैए। पढ़ल-लि‍खल तँ नै छथि‍ मुदा रसनचौकी कलासँ गाम-घरमे लोकप्रि‍य व्‍यक्‍ति‍ छथि‍। आर्थिक रूपसँ नि‍म्न रहि‍तो मि‍थि‍लाक सांस्‍कृति‍क धरोरहकेँ अक्षुण्ण रखने छथि‍। एतदर्थ हि‍नका वि‍देह संगीत कला सम्‍मान- २०१२ सँ सम्‍मानि‍त कऽ वि‍देह परि‍वार हर्षित भऽ रहल अछि‍।

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