बहादुर राम (बहादुर राम केँ विदेह संगीत कला सम्मान(रसनचौकी)
- २०१२ देल गेल। बेचन ठाकुर हुनकासँ साक्षात्कार लेलनि।)
- २०१२ देल गेल। बेचन ठाकुर हुनकासँ साक्षात्कार लेलनि।)
बे.ठाकुर- अहाँकेँ ऐ कार्यक प्रति रुचि केना आ कहियासँ जगल?
बहादुर राम- पिताजी सँ बाजा बजेनाइ सिखलौं रसन चौकी बजेनाइ
सिखलौं। तइघड़ी हमर उमर रहए 18 बरख।
बे.ठाकुर- ऐ कार्य करबामे अहाँकेँ के प्रोत्साहित करैत अछि?
ब.राम- रसनचौकी बजेनाइ हमर जीविका छी। पाँच
गामक लोक साटा बनबैए।
बे.ठाकुर- पहिल बेर कोन कृति/ काजसँ अहाँ आरम्भ केलौं आ कहियासँ?
ब.राम- हम 18 बर्खक रही चारि आदमी मिलि पहिल
बेर भगवानक पूजामे बजेने छेलौं।
बे.ठाकुर- अहाँक विधाक क्षेत्रमे आन के सभ छथि आ ओ कोन तरहक विशिष्ट काज कऽ रहल छथि?
ब.राम- लगभग सभ गाम लोक छथि जे ई काज करै छथि।
संगमे खेती-बाड़ी सेहो करै छथि जे विशिष्ट भेल। आ अलग महत सेहो रखैए।
बे.ठाकुर- की अहाँक काज अहाँक जीवन-यापनक काजमे, घरेलू काजमे बाधा होइए वा सहायता पहुँचाबैए?
ब.राम- कखनो-कखनो बाधा होइए।
बे.ठाकुर- अहाँ अपन आन रुचिक विषयमे बताउ।
ब.राम- सहनाई बजबैमे रूचि अछि।
बे.राम- कोनो संदेश जे अहाँ देबए चाही।
ब.राम- सहनाई, रसनचौकी आदि बजैत रहए समाजमे।
परिचए- श्री बहादुर राम, पिताक नाओं
स्व. सरजुग राम, गाम+पोस्ट- चनौरागंज, भाया- झंझारपुर, जिला- मधुबनी, बिहार केर स्थायी
निवासी छथि। हिनक उम्र ६० बर्ख छन्हि। विगत ४० बर्खसँ रसनचौकी बजबैत छथि।
समाजक सभ वर्णक लोकक मध्य हिनक उक्त कला लेल विशेष मांग रहैए। पढ़ल-लिखल तँ
नै छथि मुदा रसनचौकी कलासँ गाम-घरमे लोकप्रिय व्यक्ति छथि। आर्थिक रूपसँ निम्न
रहितो मिथिलाक सांस्कृतिक धरोरहकेँ अक्षुण्ण रखने छथि। एतदर्थ हिनका विदेह
संगीत कला सम्मान- २०१२ सँ सम्मानित कऽ विदेह परिवार हर्षित भऽ रहल अछि।
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