Friday, August 19, 2011

अन्तर्राष्ट्रिय मैथिली परिषदक धरणा-जितेन्द्र झा- जनकपुर

जितेन्द्र झा- जनकपुर
अन्तर्राष्ट्रिय मैथिली परिषद अपन बिभिन्न माग सहित भारतक राजधानी नयां दिल्लीस्थित जन्तर मन्तरमे धर्ना देलक अछि । सोमदिन देल गेल एहि धर्नामे भारतक विभिन्न स्थानसं आएल मैथिल आ संघ संस्थाक प्रतिनिधि सहभागी रहथि । जन्तर मन्तरमे भेल एहि धर्नामे मिथिला क्षेत्रक विकासक लेल अलग मिथिला राज्य बनाओल जाए से माग कएल गेल । अन्तर्राष्ट्रिय मैथिली परिषद एहि अवसरपर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिलके ज्ञापन पत्र सेहो बुझौलक । ज्ञापन पत्र बुझेनिहार प्रतिनिधि मण्डलमे डा भुवने•ार प्रसाद गुरमैता, डा रबिन्द्र झा, डा धनाकर ठाकुर,डा कमलाकान्त झा, चुनचुन मिश्र, भवेश नन्दनसहितके सहभागिता छल । परिषदक धर्नामे दिल्लीमे रहल विभिन्न राजनीतिक दलसं सम्बद्ध नेतालोकनि सेहो सहभागी रहथि। परिषदक नेपालक पदाधिकारी आ कार्यकर्ता सेहो धर्नामे सामेल रहथि । धर्नामे भीख़ नंहि अधिकार चाही हमरा मिथिला राज्य चाही से नारा लगाओल गेल रहए । परिषद मैथिली भाषाक आधारपर राज्य बनएबाक माग करैत आएल अछि ।
कोना बचाएब संस्कृतिक विरासत ?

मिथिलाक परम्परा आ धरोहरिके मौलिक विशिष्टता गुमिरहल कहैत विज्ञसभ चिन्ता ब्यक्त कएलनि अछि । संस्कृतिक अपन अलग स्थान बांचल रहए से डा गंगेश गुन्जक कहब छन्हि । मैथिली संस्कृतिक विभिन्न पक्षपर नयां दिल्लीमे २५ दिसम्बरक' सम्पन्न गोष्ठीमे बजैत गुन्जन मैथिली संस्कृतिक संरक्षणपर जोड देने रहथि ।

नाटककार महेन्द्र मलंगिया मिथिलाक लोकसंस्कृतिमे रहल टाना टापर, घरेलु उपचार, शकुन सहितके विषयके फ़रिछियाक' प्रस्तुत कएने रहथि । मैथिली संस्कृतिक संरक्षणलेल एहिमे समाहित गुणके उजागर करब आवश्यक रहल मलंगिया कहलनि । मिथिलामे सातो दिन सात तरहक वस्तु खाक' यात्रा गेलासं शुभ यात्रा हएबाक चलन आ एहने चलनमे रहल वैज्ञानिकता दिश ध्यान जाएब आवश्यक रहल ओ कहलनि ।

साहित्यकार देव शंकर नविन मैथिली भाषा संस्कृतिके मुल भावना विपरित होबए बला काजके अपमानित कएल जाए से कहलनि । मैथिलीक मौलिकताके लतियाक' कएल जाए बला कोनो काजके बहिष्कार कएल जाए नविनक विचार छन्हि । गायक, साहित्यकार सहित सभके मैथिली गीत संगीत, भाषा संस्कृतिके प्रतिकुल असर होब बला काज नई करबालेल ओ आग्रह कएलनि । नक्कल आ स्तरहीन प्रस्तुतिके अपमानित करबालेल नविन आग्रह कएलनि ।

मैथिली भोजपुरी एकेडमीक अध्यक्ष अनिल मिश्र मिथिलाक सांस्कृतिक विरासतके विकासक सम्भावना बढाओल जाए से कहलनि । साहित्य, लोक संस्कृतिके समॄद्ध कएल जाए से कहैत ओ मैथिली भोजपुरी एकेडमी एहिदिशसं एहिलेल काज हएबाक प्रतिबद्धता ब्यक्त कएलनि । मिथिला संस्कृति लेल कएल जाएबला काज आपसमे बांटि लेल जाए से मिश्रक सुझाव छन्हि । संस्कृतिक विरासतके रेखाङकित करैत रोड मैप बनएबापर ओ जोड देलनि । संचारमाध्यममे मैथिलीके स्थान भेटए ताहिलेल प्रयास कएल जएबाक ओ जनतब देलनि । दिल्ली प्रसारित सरकार दुरदर्शनमें मैथिलीक स्थानलेल दिल्लीक मुख्यमन्त्री शीला दीक्षितके ज्ञापन पेश कएल जएबाक आश्र्वासन देलनि । (साभार विदेह:www.videha.co.in)

1 comment:

  1. Sabse pahile ta Apnek ehi vichar aur
    e karya bilkul Sarahniye achhi.
    Ekar jatek taarif kayel jaye kam achhi,JEna suraj ke diya dekhenai ke baraba r achhi.Ehi site k padhla se ektaa ajeeb sukoon bhetait achhi.Antaraatma mein maithili ke sewa ke prati naya josh aur umang bhari jaayet achhi,e ta laagite nainy achhi je apan gaaon mein nahi chhi,jena laaget achhi je gaaon ke chopari par baisi ke sab sangturiaya gap-sap kaye rahal chhi.Ham sab maithil bhashi param pita parmeshwar se prarthana kare chhi je apnek haesha tandurust rahi aur apan e mahan vichar aa mahan kriti se laakhoon karoroon maithil premi ke mithili ke saptrangi aur navrangi rang ker chhori anekanek rang mein sarabor karet rahi.
    Subhkaamna sahit,
    Kumar Ranjeet

    Village+Post--Mehath(THAKURTOLI)
    Distt.-Madhubani(

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