Friday, August 19, 2011

1.काठमाण्डूमेँ कोहबर घर : वर ने कनिञा तैइयो बढिञा 2.परम्पराके निरन्तरतामेँ प्रवास बाधक नहि-जितेन्द्र झा

जितेन्द्र झा
1.काठमाण्डूमेँ कोहबर घर : वर ने कनिञा तैइयो बढिञा 2.परम्पराके निरन्तरतामेँ प्रवास बाधक नहि
1.काठमाण्डूमेँ कोहबर घर : वर ने कनिञा तैइयो बढिञा

केवाडमेँ स्वागतम् । घरके भितमे वर कनिञाक चित्र, हाथीपर चढिकऽ गौर
पुजैत नवविवाहिता, डोली कहार सेहो ।
कोहबर घर मैथिली सँस्कृतिके एकटा अनुपम नमुना, गवाह नव दाम्पत्यक । वर
कनिञाक मिलनके साक्षी सेहो । ई कोहबर घर कोनो बर कनिञालेल नहि अछि, ई अछि
मिथिलासँस्कृतिक जीवैत नमुना । मैथिलीक समृद्ध परम्परा आ संस्कारके
चिनारी बनल अछि ई कोहबर घर ।

काठमाण्डूक कुपण्डोलस्थित महागुठी आर्ट ग्यालरीमेँ सजाओल कोहबर घर मैथिली
सँस्कृतिके बखान करैत अछि । एहि कोहबरमेँ रहल पाग, डोपटा, वियनि, डोला
कहार, गुआ—माला जेहन चीजसभ आओर आकर्षक बना देने अछि । तहिना वियाहक विध सिन्दुरदान, मुँहदेखाइ, विदाइ के पेन्टिंगसभ सेहो कोहबर घर देखनिहारके
अपना दिस खिचैत अछि ।

हस्तकलाक समान उपलब्ध होबऽबला ई दोकान मेँ कोहबर घरके मिथिला पेन्टिंगके
उजागर करबाक प्रयास कएल गेल अछि । विवाहमेँ विधके क्रममे काज लागऽबला आ
मैथिली घरके प्रतीक उखरि—समाठ, कोठी जेहन वस्तु सेहो गमैया लुक दैत अछि
एहि कोहबर घरके ।

एत्तऽ एलासँ लगैत अछि जे कोनो मिथिलासंग्रहालयमेँ चलि एलहँु । मैथिली
सँस्कृतिके संरक्षणक नामपर बडका बडका भाषण केनिहारसभके एहि कोहबर घरसँ
किछु ज्ञान भेटि सकैत अछि ।
मिथिला पेन्टिंगके लोकप्रियता आ मैथिली सँस्कृतिके मौलिकता कारण ई
कृत्रिम कोहबर घर देश विदेशक कला प्रेमीके मोन मोहि लैत अछि ।
मिथिला पेन्टिंगके वाहक मात्र नहि समग्र संस्कृतिके परिचायक ई नमुना
कोहबर घर काठमाण्डूसँ देश विदेशक लोकके मैथिली संस्कृति दिस आकर्षित करैत
अछि ।
2.परम्पराके निरन्तरतामेँ प्रवास बाधक नहि

गामसँ कोशोदूर रहितोअपन परम्परा आ सँस्कारके बचाकऽ राखऽमें मैथिल महिलाक
बडका योगदान अछि । ग्रामीण परिवेशमेँ सहज रुपेँ पाबनि तिहार केनिहारि
महिलाक अपेक्षा शहर आ दूर देशमेँ रहल मैथिल महिलाके पाबनिक ओरिआओनपातीमेँ
दिक्कति त होइते छन्हि मुदा पाबनिपर एकर कोनो प्रभाव नहि परैत अछि ।

काठमाण्डूमेँ बरसाइत पाबनि केनिहारि अर्चना झाक कहब मानी त काठमाण्डूमेँ
रहियोकऽ कोनो दिक्कति नहि होइछन्हि एहि पाबनिमेँ । गाममेँ सभ महिला बडका
बरक गाछ तर जम्मा भऽ बरक पुजा करैत छथि त शहरमेँ गमलामेँ बरक गाछ राखिकऽ
बेगरता पुरा कएल जाइत अछि । बटसावित्री अर्थात बरसाइतमेँ अहिवात महिला
अपन पतिक लम्बा आयुक कामना करैत छथि, नव कनियाँकलेल इ पाबनि बेशी महत्व
रखैत अछि । नवकनियाँ सभकेँ प्रोढ महिला वरसाइतक विध विधान सिखाकऽ पुजामेँ
सहयोग कएल करैत छथिन्ह । काठमाण्डूमेँ महिला सभ सामुहिक रुपेँ एहन पाबनि
पुजल करैत छथि । सामाजिक सदभाव आ एकदोसराके बुझबालेल सेहो शहरवासी मैथिल
महिलाक लेल एहन पाबनि निक अवसर भऽ गेल अछि । शरिर कतउ रहए मोनमें अपन
परम्परा आ सँस्कारप्रति श्रद्धा होएबाक चाही, अपन सँस्कृति आ परम्पराके
निरन्तरता देबामेँ प्रवास बाधक नहि होइत अछि । (साभार विदेह: www.videha.co.in)

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