१.रेल लाइनसँ जुड़त भारत आ नेपाल
२भारतीय सामाजिक व्यवस्थामे आइयो जीवन्त अछि जाति व्यवस्था- प्रो. शर्मा
३प्रदेशमे लागत चौदहटा नव उद्योग समूह, असोचैम कएलक एहि दिस पहल- मिथिलांचलमे सेहो लागत नव उद्योग
१
रेल लाइनसँ जुड़त भारत आ नेपाल
पड़ोसी देश नेपालक संग दोस्तीकेँ आर मजगूत करबाक लेल भारतीय रेल नेपालमे रेल लाइन बनाओत। एक दोसराक संग सहयोग बढ़ेबाक उद्देश्यसँ बनएबला ई रेल लाइन भारतमे मधुबनीक जयनगरसँ नेपालक बरदीवासक मध्य बनाओल जाएत। ई नव रेल लाइन सत्तरि किलोमीटरक होएत, जकर स्वीकृति रेल मंत्रालय दऽ देलक अछि। एहि नव रेल लाइन बनबऽ मे गोटेक चारि सौ सत्तरि करोड़ टाका खर्च होएबाक अनुमान अछि। एकर काज प्रारम्भ करबाक लेल मंत्रालय दस करोड़ टाका दऽ देलक अछि आ वित्तीय वर्ष २०११-१२ मे एकर काज प्रारम्भ भऽ जाएत। ई रेल लाइन दू चरणमे पूरा होएत। पहिल चरणमे जयनगर आ जनकपुरक मध्य तीस किलोमीटर छोटी लाइनक आमान परिवर्तन होएत आ दोसर चरणमे जनकपुरसँ बरदीवास धरि नव रेल लाइन बनेबाक काज प्रारम्भ होएत। नव रेल लाइनक वास्ते जमीन अधिग्रहणक काज जल्दीए प्रारम्भ होएत।
२
भारतीय सामाजिक व्यवस्थामे आइयो जीवन्त अछि जाति व्यवस्था- प्रो. शर्मा
दरभंगा स्थित ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालयमे महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह स्मारक व्याख्यानमाला सम्पन्न भेल। एहि व्याख्यानमालाक मुख्य वक्ता राजस्थानक प्रतिष्ठित नेशनल ओपन यूनिवर्सिटीक कुलपति आ जानल-मानल समाजशास्त्री प्रो. के.एल.शर्मा कहलनि जे भारतीय सामाजिक व्यवस्थामे जाति व्यवस्था नियंत्रण बल अछि। श्री शर्मा कहलनि जे सामाजिक व्यवस्थामे आइयो जाति व्यवस्था प्रत्यक्ष आ जीवन्त अछि आ एकटा व्यवस्थाक रूपमे बदलाब अनबाक प्रयास करैत अछि। ओ कहलनि जे देशक राजनीतिक व्यवस्था सेहो जाति व्यवस्थाकेँ जीवन्त रखबामे महत्वपूर्ण भूमिकाक निर्वाह कएलक अछि। वर्ष १८९१ सँ १९३१ धरि सरकारी स्तरपर जाति व्यवस्थाक श्रेणीकरणक काज कएल गेल। स्वतंत्रता प्राप्तिक बाद १९५१ जनगणनामे जातिकेँ छोड़ि देल गेल मुदा एक बेर फेर राजनीतिक उद्देश्य आकि विवशताक अन्तर्गत जाति गणना करेबापर सहमति बनल अछि। ओ कहलनि जे सामाजिक परिवर्तनक संग-संग अहूमे बदलाव आएल अछि मुदा एकर बावजूद आइयो एकर सातत्व कायम अछि। व्याख्यानमालाक अध्यक्षता भारतीय प्रशासनिक सेवाक सेवानिवृत्त अधिकारी एस.एन.सिन्हा कएलनि।
३
प्रदेशमे लागत चौदहटा नव उद्योग समूह, असोचैम कएलक एहि दिस पहल- मिथिलांचलमे सेहो लागत नव उद्योग
No comments:
Post a Comment