नवेन्दु कुमार झा
.प्रदेशमे नहि थमि रहल जातीय हिंसाक दौर
प्रदेशमे एक बेर फेर जातीय हिंसाक विभत्सा रूप सोझा आयल। एक अक्टू बर दू हजार नौ के खगडि़या जिलाक अमौसी गाम मे जमीनक विवाद मे सोलह गोटेक भेल सामुहिक हत्याक बाद पुरा क्षेत्र मे डर पसरि गेल। प्रदेश मे जातीय हिंसाक कोनो ई पहिल घटना नहि छल आ ई अंतिम घटना होयत सेहो कहब उचित नहि होयत। आजादीक बाद सँ एखन धरि प्रदेश मे छोट–पैघ गोटेक एक सौ सँ बेसी घटना भऽ चूकल अछि जकर शिकार छोट किसान आ मजूर बनल छथि। बाईस नवम्बलर उन्नैकस सौ एकहत्तर मे पूर्णियाँ जिलाक रूपसपुर–चंदवा सँ प्रारंभ भेल हत्याक ई सिलसिला गोटेक चारि दशक सँ चलि रहल अछि आ शासक वर्ग लहास क दाम लगा (मोआबजाक घोषणा) अपन काज समाप्तक बुझैत अछि। जतय हिंसाक घटना होईत अछि ओतय सुरक्षाक नाम पर सरकार पैघ-पैघ घोषणा होईत अछि। एहि घोषणा पर किछु दिन अमल सेहो होईत अछि मुदा समय बितलाक संगहि ओ कमजोर पडि़ जाइत अछि आ समयक प्रतिक्षा मे लागल समाज विरोधी तत्वा जमीनक बहाने जातीय हत्याक एकटा आर घटना के मूर्त रूप दऽ प्रशासनिक व्यलवस्थातक पोल खोलि दैत छथि।
मध्य बिहारक एकटा पैघ क्षेत्रमे किछु दिन पहिने धरि जमीनक विवाद क लऽ कऽ संघर्ष होयबाक संवाद भेटैत रहल अछि। दरअसल एहि क्षेत्रमे जमीन किछु लोकक मध्यम अछि। ई पैघ जोतदार अपन बाहुबलक सहारा लऽ मजूर सँ काज करबैत छलाह। समय बितलाक संगहि मजूर वर्ग मे आयल चेतनाक बाद जमीन मालिक आ मजूर क मध्य संघर्ष प्रारंभ भेल। एकर परिणाम स्वगरूप जमीन मालिक आ मजूर क मध्यज एहि संघर्ष के लड़बाक लेल अघोषित सेना अस्तित्वक मे आयल। रणवीर सेना, लोरिक सेना, ब्रह्मर्षि सेना, सनलाइट सेना, भूमि संघर्ष समिति, एम सी सी आदि कतेको मजूर आ जमीन मालिकक समर्थन बाला सेना आपस मे टकरायल। सत्त तऽ ई अछि जे एहि टकराहटक शिकार बनल छोट किसान आ रोज-रोज खेत मे काज कऽ अपन पेट पालऽ बाला मजूर आ कतेको जान गेल, कतेको स्त्री क सेनूर धोआ गेल, कतेको नेना अनाथ भऽ गेल। तथापि समाज विरोधी असामाजिक तत्वो क हृदय पाथरि नहि पिघलल आ ओ खून सऽ लाल होईत घरती आ जमीन पर पड़ल लहास के देखि अपन बहादूरी बुझैत छथि।
हिंसा कोनो सभ्य समाजक लेल नीक चीज नहि अछि आ एहि सँ कोनो समस्याहक समाधान सेहो नहि भऽ सकैत अछि। ई हिंसा जमीन मालिक दिस सँ हो कि मजूर दिस सँ एकर जतेक निन्दाय कयल जा कम होयत। दुर्भाग्य तऽ ई अछि जे सामूहिक हत्याू सन घटना क बाद एकरा राजनीतिक चश्माय सँ देखल जाईत अछि। हत्यागक बाद जमीन पर बहल खून चाहे ओ जमीन क मालिक क हो कि मजूर के एकर रंग लाल रहैत अछि मुदा राजनीतिक चश्मा मे एकर रंग अलग-अलग रहैत अछि। जाहि जातिक हत्या होईत अछि ओहि जातिक नेता अथवा जे राजनीतिक दल एकरा अपन समर्थक मानैत अछि ओहि घटना स्थ ल पर जा ऐना नोड़ चुअबैत छथि जेना कि घटना स्थएल पयर्टन स्थअल हो। शासक वर्ग हो कि विपक्ष एहि तरहक घटना के अपन चश्मात सँ एक रंग देखि इमानदारी सँ प्रयास करथि तऽ संभव अछि जे प्रदेश मे चलि रहल जातीय हिंसाक दौर समाप्तज भऽ सकैत अछि। सरकार चाहे जाहि दल अथवा जातिक हो हत्या करय बालाके हत्या रा बुझि ओकरा सजा देयबाक प्रयास करय अन्यिथा एहि तरह घटना पर रोक लगायब सपना मात्र होयत।
प्रमुख नरसंहार पर एक नजरि –
वर्ष स्था न मृतकक संख्याब
1971- रूपसपुर–चंदवा (पूर्णियाँ) -14
1975- डेरभरथा (नालन्दा ) -24
1976- अकोढ़ी -03
1977- बेलछी (नालन्दा ) -14
1980- पिपरा कल्यााण चक (पटना) -14
1981- पारस बिगहा -11
1984- दनबार बिहटा (भोजपुर) -22
1986- गैनी (औंरगाबाद) -24
1986- अरवल -24
1986- डरमैन (औंरगाबाद) -11
1986- कंसारा (जहानाबाद) -11
1986- दरसमिया (औंरगाबाद) -11
1987- दलेल चक बघौरा (औंरगाबाद) -56
1988- नोनही नगवां (जहानाबाद) -18
1989- माली बिगहा–खिंदपुरा (जहानाबाद) -10
1989- दनबार बिहटा (भोजपुर) -27
1991- देव सहियारा (भोजपुर) -14
1991- तिसखोरा (पटना) -15
1992- बारा (गया) -39
1996- बथानी टोला (भोजपुर) -22
1997- लक्ष्मणपुर बाथे (जहानाबाद) -58
1998- नगरी -10
1999- सुजातपुर (बक्स र) -16
1999- शंकर बिगहा (जहानाबाद) -23
1999- सेनारी (जहानाबाद) -35
1999- सेन्दा नी -12
2000- जढ़पुर (बक्स र) -16
2000- लखीसराय -11
2000- मियांपुर (औरंगाबाद) -35
2007- ढेलफोरबा (वैशाली) -10
2007- मणिपुर (शेखपुरा) -09
2009- अमौसी (खगडि़या) -16
२.राजगीरमे सम्प न्नी भेल संघ क तीन दिवसीय बैसक गामे-गामे सक्रिय होयत संघ
राष्ट्रनवादी सांस्कृ तिक संगठन राष्ट्री य स्वययंसेवक संघक अखिल भारतीय कार्यकारी मंडलक तीन दिवसीय बैसक देशक वर्तमान परिस्थिति पर चर्चाक संगहि संगठनात्मयक स्थिति पर चर्चा कयल गेल। एहि बैसक मे संघ अपन काजक विस्तािर करैत पर्यावरण के अपन कार्य क्षेत्र मे सम्मिलित कयला संघक सर संघ चालक मोहन भागवतक उपस्थिति मे संघक वरिष्ठय नेता तीन दिन धरि चिन्त न मनन कयलनि आ चारि टा प्रस्ताोव सेहो पारित कयल गेल। एहि अवसर पर संघ अपन राजनौतिक इकाई भारतीय जनता पार्टीक दशा- दिशा पर विचार कयलक आ पी एम इन वेटिंग लाल कृष्णत आडवाणी आ वर्तमान राष्ट्रीचय अध्यीक्ष राजनाथ सिंह के भविष्यपक अएना सेहो देखा देलनि। दूनू नेताक भविष्यकक लऽ कऽ चलि रहल चर्चा क संदर्भ मे निर्णय जल्दीरए अयबाक संभावना अछि। बैसकमे संघक सभ अनुषांगिक संगठनक प्रमुख नेता सर संघचालक अपन उपलब्धि रिपोर्टकोर्ड रखलनि आ भविष्य क योजनाक जनतब देलनि।
बिहारक पर्यटन स्थधल राजगृह (राजगीर) मे संघक राष्ट्री य स्तारक ई पहिल आयोजन प्रदेशमे भेल छल। एहि बैसकमे संघ महत्वथपूर्ण निर्णय लैत गाम दिस अपन डेग बढौलक अछि आ गो-रक्षा अभियानक माध्यहम सँ जन जन धरि अपन पकड़ बनैबाक लेल ध्यानन केन्द्रित करबाक संकेत देलक। एहि वास्ते रोजगारक अवसर आ खेतीक विकास मे योगदान देबय बाला सक्रिय संगठन सभके मददि करबाक रणनीति से हो संघ बनौलक अछि।
कौग्रेसक युवा चेहरा राजीव गाँघी द्वारा राष्ट्रीसय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रमक माध्यलम सँ ग्राम मे भेल सक्रियता क जबाब देबाक लेल संघ विश्वर मंगल गो ग्राम यात्रा सेहो प्रांरभ कयलक अछि। पहिल चरण मे एहि यात्राक लेल एक सौ पचास गाम के चूनल गेल अछि। एहि माध्यरम सँ संघ काँग्रेसक अपन वैचारिक लड़ाई गाम सँ लड़ब प्रारंभ कऽ देलक अछि।
संघ आ काँग्रेस वैचारिक रूप सँ दू ध्रूव पर अछि। तथापि गामक विकासक मामिला संघ राहुल गाँघीक बाट पर चलबाक जे निर्णय लेलक अछि देशक भविष्यछ लेल नीक संकेत अछि। देशक पैघ आबादी एखनो गाम मे अछि जकरा विकासक रोशनीक आवश्येकता अछि। श्री गाँधीक गाममे सक्रियता पर संघक प्रचार प्रमुख मनमोहन वैघ क प्रतिक्रिया ‘जे केओ गामक बात करय नीक बात अछि’ स्वारगत योग्यग अछि। वैचारिक रूप सँ एक दोसरक विरोधी राजनीतिक क्षेत्र मे सक्रिय राहुल गाँघी आ सामाजिक क्षेत्र मे सक्रिय राष्ट्री य स्वरयं सेवक संघक इमानदारी सँ गाम दिस अपन ध्याआन देलनि तऽ संभव अछि जे ग्रामीण क्षेत्र मे विकास क नव रोशनी पसरत आ गामे-गामे खुशहाली पसरत। अपन भविष्या क चिन्तां आ पेटक आगि के शांत करबाक लेल महानगर दिस अपन डेग बढ़ा रहल ग्रामीण जनता गामे मे रखि अपन भविष्यन क खोज करत। (साभार विदेह www.videha.co.in)
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