विदेह ई-पत्रिकाक ७७म अंक जे नारी विशेषांक छल, अपनामे एकटा अध्याय छल, ओइ अंकसँ किछु रचना आ चर्चा साभार दऽ रहल छी: ......
ज्योति सुनीत चौधरी
उजागर भविष्य :
कतेक उत्साह सऽ अहिभफ्फर बनाओल आ बॉंटल गेल छल भरिगाम।एक सऽ एक अमीर आ प््राभावशाली परिवारक घटक आयल छलैन मुदा मिसराइनजी अपन एकलौता बेटा के विवाह एक मध्यम वर्गीय परिवारक शिक्षित बेटी के पुतहु बनाकऽ अनली आ सब बिध बड्ड मोन सऽ पुरौली।पुतहु के स्नेह सऽ ‘सुकृती’ नामकरण सेहो केली। ओना तऽ एकटा भट्ठी आ कै टा छोट मोट व्यापार छलैन परिवार के जाहि लऽ कऽ सम्पन्न परिवार मे गिनती छलैन। मुदा मोन छलैन जे गरीब परिवारक बेटी आनब तऽ सहमिलु होयत आ बेसी नीक सऽ संयुक्त परिवारमे मिल कऽ रहत।शुरूआतमे तऽ ठीके बड्ड प््रासन्न छलीह मुदा पाइक गौरब सऽ बेसी खतरनाक ज्ञानक गरमी होयत छहि से मिसराइन सहित पूरा परिवार के बड्ड जल्दी बुझा गेलैन जखन पोर्तापोती के आगमन भेलैन।
पोता के प््राति सबहक व्यवहार बेसीतर पुतहुक अनुकूले छलैन मुदा पोती के मैट्रिक पास करेलाक बाद जैने सब घरक काज दिस झोंकय चाहलखिन त पुतहु विद्रोह कय देलखिन।ननदि सब मिडिल स्कूले तक पढ़ने छली से सब कहलखिन जे अहि सऽ बेसी पढ़क कोनो प््रायोजन नहिं। मुदा सुकृतीजी में सबसऽ विद्रोह कय असगर अपन विचार पर अडिग रहय के साहस कतय सऽ आयल छलैन ताहिपर सबके क्षोभ छलैन।पति सऽ मात्र आर्थिक सहारा चाही छलैन से अतेक दिनक नीष्ठाक बदले भेट गेलैन।
सुकृतीजी भूत जकॉं सब काज अपने कय बेटी के पाहुन जकॉं भोजन हाथ कय दय कॉलेज विदा करैत छलीह। घरक बूर्ढ़ बुजुर्गक विरूद्ध काज केनाई आसान तऽ भऽ नहिं सकैत छलैन। बेटी कुनो असाधारण प््रातिभा के धनी नहिं छलैन।ओ एक सामान्य छात्रा छलैन ईहो बात ककरो सऽ नुकायल नहिं छल।एहेनमे घरक लोक सब खूब चुटकी लय रहल छलैन। दियाद सबमे हहारो मचल छल। बेटीके रिक्सा पर कॉलेज जायत आबैत काल भरि ऑंगनक कनिया सब घोघ तानि ताना मारैत छलैर्न नहिं जानि कोन कलक्टर बनतैन बेर्टी जकर माय एहेन अनुशासनहीन आ एकढ़बा अछि तकर बेटी केहेन होयत. आदि आदि।मुदा सुकृतीजीके शिक्षाक महत्ता पर अतेक विश्वास छलैन जे ओ अहि सबलेल बहिर भऽ गेल छली आ अपन बेटी के कॉलेज जायर्त आबैत देखि हुन्का स्त्रीवर्गक एक उजागर भविष्यके दर्शन होएत छलैन।
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