Friday, August 19, 2011

गंगेश गुंजन जीक विचार टिप्पणी


प्रियवर,
मैथिल, मिथिला आऽ मैथिली मानसकेँ जतेक बूझि सकल छी, ६६ वर्षक सक्रिय, सचेष्ट आऽ सम्वेदनाशील मैथिल जीवनमे ताहिमे संसद आऽ विधानसभाक समक्ष निरन्तर धरना आऽ कोनो तरहक चुनाव प्रक्रियाक विरोधसँ हमर चेतना सहमति अनुभव करैत अछि। मुदा सर्वप्रथम “शुद्ध हृदयसँ संकल्प चाही”। राजनीतिबला संकल्प नहि। शुद्ध हृदयसँ संकल्प- समय सुतारू राजनीति आब मात्र राजनीतिज्ञे तकक अवसरवादी “विशेषता” नहि, सम्भ्रान्त अधिकांश मैथिल बुद्धिजीवियो लोकनिक भऽ गेल अछि! से पूरा सक्रिय छथि- सामाजिक, साहित्यिक आऽ सांस्कृतिक, सभ क्षेत्रमे। विपत्तियोकेँ हाट-बजार बना कऽ स्व-केन्द्रित उपयोगक वस्तु बना लैत छथि। तहिना मैथिलीसँ तँ उपलब्ध अवसरक अघोषित मालिक बनि जाइत छथि।
से अपन-अपन छातीपर हाथ राखि हमरा लोकनि अपनाकेँ ताकी आऽ पूछी। बेशी काल तँ एहि प्रकारक सबदिन सामूहिक विपत्तिक कारण मनुक्खक, ओहि समाजमे अपनेमे विद्यमान रहैत छैक बन्धु! तेँ आत्म-विश्लेषण सेहो। सभजन मंगलकारक अभियान लेल एक मात्र मैथिल मन अभियान!

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