Friday, August 19, 2011

सुमित आनन्द आचार्य रमानाथ झा आ प्रो. तंत्रनाथ झाक भाषणमाला-२०१०

सुमित आनन्द
आचार्य रमानाथ झा आ प्रो. तंत्रनाथ झाक भाषणमाला-२०१०


आचार्य रमानाथ झा आ प्रो. तंत्रनाथ झा भाषणमालाक आयोजन मैथिली अकादेमी पटना, द्वारा प्रायः पहिल बेर दरभंगामे भेल। आचार्य रमानाथ झा भाषणमाला २१ सितम्बर २०१० केँ आर प्रो. तंत्रनाथ झा भाषणमाला २२ सितम्बर २०१० केँ चन्द्रधारी संग्रहालयक सभागारमे मनाओल गेल जाहिमे मुख्य वक्ता छलाह क्रमशः डॉ. रमण झा, विश्वविद्यालय मैथिली विभाग, ल. ना. मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा आर डॉ. बीरेन्द्र झा प्राचार्य आ अध्यक्ष, मैथिली विभाग, पटना विश्वविद्यालय, पटना। मैथिली अकादेमी, पटनाक अध्यक्ष, श्री कमलाकांत झाजीक द्वारा अध्यक्षीय प्रभार ग्रहण कयलाक पश्चात् ई पहिल आयोजन छल जे सफलतापूर्वक सम्पन्न भेल।
पहिल दिन अर्थात् २१.०९.२०१० केँ आचार्य रमानाथ झा भाषणमालाक आयोजन २:३० बजे दिनसँ प्रारम्भ भेल। एहि कार्यक्रमक उद्घाटनकर्त्ता-सह-मुख्य अतिथि पं. चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’ अपन उद्घाटन भाषणमे कहलनि जे महान साहित्यकार लोकनिक जयंती हुनक अंग्रेजी तारीखक अनुसार नहि मनाए पंचांगक तिथिक अनुसार मनाओल जएबाक चाही। ओ कहलनि जे १९६० ई.सँ आचार्य रमानाथ झा मैथिली भाषा आ साहित्यकेँ ध्यानमे राखि रचना कयलनि। एहि अवसरपर विशिष्ट अतिथिक रूपमे विचार व्यक्त करैत विद्यापति सेवा संस्थानक महासचिव डॉ. वैद्यनाथ चौधरी ‘बैजू’ कहलनि जे आचार्य रमानाथ झा साहित्यकार, रचनाकार, कवि सहित सर्वगुण सम्पन्न छलाह।
मुख्य वक्ता डॉ. रमण झा ‘मैथिली भक्ति-काव्यमे अलङ्कार-विधान’पर अपन व्याख्यान देबाक क्रममे कहलनि जे विद्यापतिक अधिकांश श्रृंगार विषयक गीत राधा-कृष्णसँ सम्बन्ध अछि जकरा भक्तिक कोटिमे राखल जा सकैत अछि। ‘नन्दक नन्दन कदम्बक तरू तर धीरे-धीरे मुरली बजाव’ केर व्याख्या करैत ओ कहलनि जे अलङ्कार (सौन्दर्य) मनुष्ये जकाँ काव्योक हेतु आवश्यक छैक। एहिसँ काव्यमे सरसता बढ़ैत छैक। एहि क्रममे ओ शब्दालङ्कार, अथलिङ्कार, आ उभयालङ्कारक कत्तोक सुन्दर-सुन्दर उदाहरण दैत अपन कथनकेँ प्रमाणित कयलनि। उदाहरणक हेतु ओ विद्यापतिक मधुप, सुमन इत्यादिक रचनासँ सुन्दर-सुन्दर पदक उल्लेख करैत, ओकर अलङ्कारकेँ फड़िछबैत रहलाह।
कविशेखर जीक काव्यमे तऽ एक संग अनेक अलङ्कारक गुंफनकेँ सेहो सोझरबैत रहलाह। श्री ब्रह्मेन्द्र झाक संचालनमे कार्यक्रमक समापन मैथिली अकादेमीक अध्यक्ष श्री कमलाकांत झाजीक भाषणसँ भेल।
दोसर दिन अर्थात् २२.०९.२०१० केँ प्रो. तंत्रनाथ झा भाषणमालाक उद्घाटन प्रसिद्ध हृदयरोग विशेषज्ञ आ अखिल भारतीय मैथिली साहित्य परिषद, दरभंगाक महामंत्री डॉ. गणपति मिश्रक द्वारा दीप प्रज्वलित कए कएल गेल।
डॉ. मिश्र तंत्रनाथ झाक प्रसिद्ध ‘मुसरी झा’ कविताक उल्लेख करैत कहलनि जे ओ अत्यंत लोकप्रिय कवि छलाह। हुनक कथन छलनि जे ‘कीचक वध’ सन महाकाव्य लिखि ओ एकटा नव परिपाटी जन्म देलनि। यात्रीक सम्बन्धमे, जनिकापर ओहि दिनक व्याख्यान केन्द्रित छल, सेहो ओ कतेक गूढ़ गप्प कहलनि कारण जे बारह वर्ष धरि ओ यात्रीजीक चिकित्सकक रूपमे सेवा कएने छलथिन। हुनक कथन छलनि जे अस्वस्थतोक समएमे ओ सर्जनात्मक कार्यमे तल्लीन रहैत छलाह। विशिष्ट अतिथिक पदसँ बजैत मैथिली पुत्र प्रदीप प्रो. तंत्रनाथ झाक किछु स्मृतिक उल्लेख कयलनि। ओ तंत्रनाथ झाक आदेशपर हुनका गीत सुनबैत छलथिन तकर किछु पाँती श्रोता लोकनिकेँ सस्वर सुनओलथिन।

मुख्य वक्ता डॉ. बीरेन्द्र झा ‘यात्री साहित्यमे लोक जीवन ओ राजनीतिक चेतना’ विषयपर अपन व्याख्यान दैत हुनका जन कवि कहलनि। डॉ. झा यात्री चित्रासँ अनेक पाँतीक उल्लेख करैत सिद्ध कयलनि जे ओ कमजोर वर्गकेँ उपर उठयबाक हेतु ओकरा समाजक मुख्यधारामे अनबाक हेतु सतत प्रयत्नशील रहलाह। बूढ़वर, विलाप, अंतिम प्रणाम इत्यादिक उदाहरण दए ओ प्रमाणित कयलनि जे यात्री जी वस्तुतः कविताक धारा बदलि देलनि। एहि अवसरपर अध्यक्ष श्री कमलाकांत झाजी अध्यक्षीय भाषणमे घोषणा कयलनि जे ओ अकादेमीक सभ समारोहमे एकटा मैथिली सेवीकेँ पाग तौनी दए सम्मान करताह आ एहि क्रमे ओ बूढ़ा भाइक सम्मान कयलनि।

कार्यक्रमक संचालन ब्रह्मेन्द्र झा कयलनि। एहि कार्यक्रमक अवसरपर अनेक गणमान्य व्यक्ति सभ उपस्थित छलाह जाहिमे प्रमुख छलाह-

डॉ. पं. शशिनाथ झा, डॉ. भीमनाथ झा, डॉ. श्रीमति वीणा ठाकुर, डॉ. फूलचन्द्र मिश्र ‘रमण’, डॉ. विभूति आनन्द, श्री रवीन्द्र झा, श्रीमति आशा मिश्र, श्री मुरलीधर झा, श्री चन्द्रेश, ई. श्री अशोक ठाकुर ‘प्रभृति’ आ समस्त मैथिली अकादेमी पटनाक सदस्यगण उपस्थित छलाह।।(साभार विदेह www.videha.co.in)

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