कौशिकी महारानीक २००८ ई.क प्रकोप ओहि दुष्प्रचारकेँ खतम कए पाओत आकि नहि से नहि जानि !
पहिने हमरा सभ ई देखी जे कोशी आ गंडकपर जे दू टा बैराज नेपालमे अछि ओकर नियन्त्रण ककरा लग अछि। ई नियन्त्रण अछि बिहार सरकारक जल संसाधन विभागक लग आ एतए बिहार सरकारक अभियन्तागणक नियन्त्रण छन्हि। पानि छोड़बाक निर्णय बिहार सरकारक जल संसाधन विभागक हाथमे अछि। नेपालक हाथमे पानि छोड़बाक अधिकार तखन अएत जखन ओतुक्का आन धार पर बान्ह/ छहर बनत, मुदा से ५० सालसँ ऊपर भेलाक बादो दुनू देशक बीचमे कोनो सहमतिक अछैत सम्भव नहि भए सकल। किएक?
सामयिक घटनाक्रम- कोशीपर भीमनगर बैरेज, कुशहा, नेपालमे अछि। १९५८ मे बनल एहि छहरक जीवन ३० बरख निर्धारित छल, जे १९८८ मे बीति गेल। दुनू देशक बीचमे कोनो सहमति किएक नहि बनि पाओल ? छहरक बीचमे जे रेत जमा भए जाइत अछि, तकरा सभ साल हटाओल जाइत अछि। कारण ई नहि कएलासँ ओकर बीचमे ऊंचाई बढ़ैत जएत, तखन सभ साल बान्हक ऊँचाई बढ़ाबए पड़त। एहि साल ई कार्य समयसँ किएक नहि शुरू भेल? फेर शुरू भेल बरखा, १८ अगस्तकेँ कोशी बान्हमे २ मीटर दरारि आबि गेल। १९८७ ई.क बाढ़ि हम आँखिसँ देखने छी। झंझारपुर बान्ह लग पानि झझा देलक, ओवरफ्लो भए गेल एक ठामसँ, आ आँखिक सोझाँ हम देखलहुँ जे कोना तकर बाद १ मीटरक कटाव किलोमीटरमे बदलि जाइत अछि। २७-२८ अगस्त २००८ धरि भीमनगर बैरेजक ई कटाव २ किलोमीटर भए चुकल छल। आ ई कारण भेल कोशीक अपन मुख्य धारसँ हटि कए एकटा नव धार पकड़बाक आ नेपालक मिथिलांचलक संग बिहारक मिथिलांचलकेँ तहस नहस करबाक। नासाक ८ अगस्त २००८ आ २४ अगस्त २००८ केर चित्र कौशिकीक नव आ पुरान धारक बीच २०० किलोमीटरक दूरी देखा रहल छल। भीमनगर बैरेज आब कोशीक एकटा सहायक धारक ऊपर बनल बैरेज बनि गेल रहए।
राष्ट्रीय आपदा: जाहि राज्यमे आपदा अबैत अछि, से केन्द्रसँ सहायताक आग्रह करैत अछि। केन्द्रीय मंत्रीक टीम ओहि राज्यक दौड़ा करैत अछि आ अपन रिपोर्ट दैत अछि जाहिपर केन्द्रीय मंत्रीक एकटा दोसर टीम निर्णय करैत अछि, आ ओ टीम निर्णय करैत अछि जे ई आपदा राष्ट्रीय आपदा अछि वा नहि। बिहारक राजनीतिज्ञ अपन पचास सालक विफलता बिसरि जखन एक दोसराक ऊपर आक्षेपमे लागल छलाह, मनमोहन सिंह मंत्रीक प्रधानक रूपमे दौड़ा कए एकरा राष्ट्रीय आपदा घोषित कएलन्हि। कारण ई लेवल-३ केर आपदा अछि आ ई सम्बन्धित राज्यक लेल असगरे - नहि तँ वित्तक लिहाजसँ आ नहिए राहतक व्यवस्थाक सक्षमताक हिसाबसँ- पार पाएब संभव नहि अछि। आब राष्ट्रीय आकस्मिक आपदा कोषसँ सहायता देल जा रहल अछि, किसानक ऋण-माफी सेहो सम्भव अछि।
उपाय की होअए ? कुशेश्वर स्थानक आपदा सभ-साल अबैछ, से सभ ओकरा बिसरिए जेकाँ गेलाह। मुदा आब की होअए ? दामोदर घाटीक आ मयूरक्षी परियोजना जेकाँ कार्य कोशी, कमला, भुतही बलान, गंडक, बूढ़ी गंडक आ बागमतीपर किएक सम्भव नहि भेल ? विश्वेश्वरैय्याक वृन्दावन डैम किएक सफल अछि ? नेपाल सरकारपर दोषारोपण कए हमरा सभ कहिया धरि जनताकेँ ठकैत रहब ? एकर एकमात्र उपाए अछि बड़का यंत्रसँ कमला-बलान आदिक ऊपर जे माटिक बान्ह बान्हल गेल अछि तकरा तोड़ि कए हटाएब आ कच्चा नहरिक बदला पक्का नहरिक निर्माण। नेपाल सरकारसँ वार्ता आ त्वरित समाधन। आ जा धरि ई नहि होइत अछि तावत जे अल्पकालिक उपाय अछि से करब, जेना बरखा आबएसँ पहिने बान्हक बीचक रेतकेँ हटाएब, बरखाक अएबाक बाट तकबाक बदला किछु पहिनहि बान्हक मरम्मतिक कार्य करब, आ एहि सभमे राजनीतिक महत्वाकांक्षाकेँ दूर राखब। कोशीकेँ पुरान पथपर अनबाक हेतु कैकटा बान्ह बनाबए पड़त आ ओ सभ एकर समाधान कहिओ नहि बनि सकत।
कमला धार
नहरिसँ लाभ हानि- एक तँ कच्ची नहरि आ ताहूपर मूलभूत डिजाइनक समस्या, एकटा उदाहरण पर्याप्त होएत जेना-तेना बनाओल परियोजना सभक। कमलाक धारसँ निकालल पछबारी कातक मुख्य नहरि जयनगरसँ उमराँव- पूर्वसँ पछबारी दिशामे अछि। मुदा ओतए धरतीक ढ़लान उत्तरसँ दक्षिण दिशामे अछि। बरखाक समयमे एकर परिणाम की होएत आकि की होइत अछि ? ई बान्ह बनि जाइत अछि आ एकर उत्तरमे पानि थकमका जाइत अछि। सभ साल एहि नहर रूपी बान्हसँ पटौनी होअए वा नहि एकर उतरबरिया कातक फसिल निश्चित रूपेण डुमबे टा करैत अछि। फलना बाबूक जमीन नहरिमे नञि चलि जाए, से नहरिक दिशा बदलि देल जाइत अछि !
कमला नदीपर १९६० ई. मे जयनगरसँ झंझारपुर धरि छहरक निर्माण भेल आ एहिसँ सम्पूर्ण क्षेत्रक विनाशलीलाक प्रारम्भ सेहो भए गेल। झंझारपुरसँ आगाँक क्षेत्रक की हाल भेल से तँ हम कुशेश्वरक वर्णन कए दए चुकल छी। मधेपुर, घनश्यामपुर, सिंघिया एहि सभक खिस्सा कुशेश्वरसँ भिन्न नहि अछि। कमला-बलानक दुनू छहरक बीच जेना-जेना रेत भरैत गेल, ताहि कारणेँ एहि तटबन्धक निर्माणक बीस सालक भीतर सभ किछु तहस-नहस भए गेल। कमला धार जे बलानमे –पिपराघाट लग १९५४ मे- मिलि गेलीह, हिमालयसँ बहि कए कोनो पैघ लक्कड़क अवरोधक कारण। आब हाल ई अछि जे दस घण्टामे पानिक जलस्तर एहि धारमे २ मीटरसँ बेशी धरि बढ़ि जाइत अछि। १९६५ ई.सँ बान्ह/ छहरक बीचमे रेत एतेक भरि गेल जे एकर ऊँचाइ बढ़ेबाक आवश्यकता भए गेल आ ई माँग शुरू भए गेल जे बान्ह/ छहरकेँ तोड़ि देल जाए !
कोशी: कोशीक पानि माउन्ट एवेरेस्ट, कंचनजंघा आ गौरी-शंकर शिखर आ मकालू पर्वतश्रृंखलासँ अबैत अछि। नेपालमे सप्तकोशीमे, जाहिमे इन्द्रावती, सुनकोसी (भोट कोसी), तांबा कोसी, लिक्षु कोसी, दूध कोसी, अरुण कोसी आ तामर कोसी सम्मिलित अछि।
एहिमे इन्द्रावती, सुनकोसी, तांबा कोसी, लिक्षु कोसी आ दूध कोसी मिलि कए सुनकोसीक निर्माण करैत अछि आ ई मोटा-मोटी पच्छिमसँ पूर्व दिशामे बहैत अछि, एकर शाखा सभ मोटा-मोटी उत्तरसँ दक्षिण दिशामे बहैत अछि। ई पाँचू धार गौरी शंकर शिखर आ मकालू पर्वतश्रृंखलाक पानि अनैत अछि।
अरुणकोसी माउन्ट एवेरेस्ट (सगरमाथा) क्षेत्रसँ पानि ग्रहण करैत अछि। ई धार मोटा-मोटी उत्तर-दक्षिण दिशामे बहैत अछि।
तामर कोसी मोटा-मोटी पूबसँ पच्छिम दिशामे बहैत अछि आ अपन पानि कंचनजंघा पर्वत श्रृंखलासँ पबैत अछि।
आब ई तीनू शाखा सुनकोसी, अरुणकोसी आ तामरकोसी धनकुट्टा जिल्लाक त्रिवेणी स्थानपर मिलि सप्तकोसी बनि जाइत छथि। एतएसँ १० किलोमीटर बाद चतरा स्थान अबैत अछि जतए महाकोसी, सप्तकोसी वा कोसी मैदानी धरातलपर अबैत छथि। आब उत्तर दक्षिणमे चलैत प्रायः ५० किलोमीटर नेपालमे रहला उत्तर कोसी हनुमाननगर- भीमनगर लग भारतमे प्रवेश करैत छथि आ कनेक दक्षिण-पच्छिम रुखि केलाक बाद दक्षिण-पूर्व आ पच्छिम-पूर्व दिशा लैत अछि आ भारतमे लगभग १३० किमी. चललाक बाद कुरसेला लग गंगामे मिलि जाइत छथि। कोसीमे बागमती आ कमलाक धार सेहो सहरसा- दरभंगा- पूर्णिया जिलाक संगमपर मिलि जाइत अछि।
कोसीपर पहिल बान्ह १२म शताब्दीमे लक्ष्मण द्वितीय द्वारा बनाओल वीर-बाँध छल जकर अवशेष भीमनगरक दक्षिणमे एखनो अछि।
भीमनगर लग बैराजक निर्माणक संगे पूर्वी कोसी तटबन्ध सेहो बनि गेल आ पूर्वी कोसी नहरि सेहो।
कुँअर सेन आयोग १९६६ ई. मे कोसी नियन्त्रणक लेल भीमनगरसँ २३ किमी. नीचाँ डगमारा बैराजक योजनाक प्रस्ताव देलक जे वाद-विवाद आ राजनीतिमे ओझरा गेल। एहि बैराजसँ दू फायदा छल। एक तँ भीमनगर बैरेजक जीवन-कालावधि समाप्त भेलापर ई बैरेज काज अबितए, दोसर एहिसँ उत्तर-प्रदेशसँ असम धरि जल परिवहन विकसित भऽ जाइत जाहिसँ उत्तर बिहारकेँ बड़ फाएदा होइतए। मुदा एहि बैरेज निर्माण लेल पाइ आवंटन केन्द्रीय सिंचाई मंत्री डॉ के.एल.राव नहि देलखिन्ह। पश्चिमी कोसी नहरि एकर विकल्प रूपमे जेना तेना मन्थर गति सँ शुरू भेल मुदा एखनो धरि ओहिमे काज भइये रहल अछि।
कोसी लेल किछु नहि भऽ सकल। विचार आएल तँ योजना अस्वीकृत भए गेल। जतेक दिनमे कार्य पूरा हेबाक छल ततेक दिन विवाद होइत रहल, डगमारा बैराजक योजनाक बदलामे सस्ता योजनाकेँ स्वीकृति भेटल मुदा सेहो पूर्ण हेबाक बाटे ताकि रहल अछि !
विश्वेश्वरैय्या पड़ैत छथि मोन : हैदराबादसँ ८२ माइल दूर मूसी आ ईसी धारपर बान्ह बनाओल गेल आ नगरसँ ६.५ माइलक दूरीपर मूसी धारक उपधारा बनाओल गेल। संगहि धारक दुनू दिस नगरमे तटबन्ध बनाओल गेल। कृष्णराज सागर बान्ह, हुनकर प्रस्तावित १३० फुट ऊँच बनेबाक योजना मैसूर राज्य द्वारा अंग्रेजकेँ पठाओल गेल तँ वायसराय हार्डिंज ओकरा घटा कए ८० फीट कए देलन्हि। विश्वेश्वरैय्या निचुलका भागक चौड़ाई बढ़ा कए ई कमी पूरा कए लेलन्हि। बीचेमे बाढ़ि आबि गेल तँ अतिरिक्त मजदूर लगा कए आ मलेरियाग्रस्त आ आन रोगग्रस्त मजदूरक इलाज लए डॉक्टर बहाली कए, रातिमे वाशिंगटन लैम्प लगा कए आ व्यक्तिगत निगरानी द्वारा समयक क्षतिपूर्ति केलन्हि। देशभक्त तेहन छलाह जे सीमेन्ट आयात नहि केलन्हि वरन् बालु, कैल्सियम, पाथर आ पाकल ईटाक बुकनी मिला कए निर्मित सुरखीसँ , एहि बान्हक निर्माण कएलन्हि। बान्ह निर्माणसँ पहिनहि द्विस्तरीय नहरिक निर्माण कए लेल गेल।
दिल्ली अछि दूर एखनो ! : प्रधानमंत्री आपदा कोष आ मुख्यमंत्री आपदा कोषक अतिरिक्त स्वयंसेवी संगठन सभक कोषमे सेहो दिल्लीवासी अपन अनुदान दए सकैत छथि।
मुदा दीर्घ सूत्री काज होएत, निम्न बिन्दुपर दिल्लीमे केन्द्र सरकारपर दवाब बनाएब।
१. स्कूल कॉलेजमे गर्मी तातिलक बदलामे बाढ़िक समए छुट्टी देबामे कोन हर्ज अछि, ई निर्णय कोन तरहेँ कठिन अछि? सी.बी एस.ई आ आइ.सी.एस.ई. तँ छोड़ू बिहार बोर्ड धरि ई नहि कए सकल अछि। दिल्लीवासी सी.बी एस.ई आ आइ.सी.एस.ई.सँ एहि तरहक कार्यान्वयन कराबथि तँ लाजे बिहार बोर्ड ओकरा लागू कए देत।
२. भारतमे डगमारा बैराजक योजनाक प्रारम्भ कएल जाए, कारण भीमनगर बैरेज अपन जीवन-कालावधि पूर्ण कए लेने अछि। एहिमे फन्ड, रेलवे आ सड़क दुनू मंत्रालयसँ लेल जाए कारण एहिपर रेल आ सड़क सेहो बनि सकैछ/ आ बनबाक चाही।
३. बैरेज बनबाक कालवधियेमे पक्की नहरि धरातलक स्लोपक अनुसारे बनाओल जाए।
४. कच्ची बान्ह सभकेँ तोड़ि कए हटा देल जाए आ पक्की बान्हकेँ मोटोरेबल बनाओल जाए, बान्हक दुनू कात पर्याप्त गाछ-वृक्ष लगाओल जाए।
५. बिहारमे सड़क परियोजना जेना स्वप्नक सत्य होअए जेना देखा पड़ि रहल अछि, तहिना सभ विघ्न-बाधा हटा कए, युद्ध-स्तरपर एहि सभपर काज शुरू कएल जाए।
उपरोक्त बिन्दु सभपर दिल्लीमे लॉबी बना कए केन्द्र सरकारपर/ मंत्रालयपर दवाब बनाएब तखने बिहार अपन नव छवि बना सकत। १२म शताब्दीमे शुरू कएल बान्ह तखने पूर्ण होएत आ धारसभ मनुक्खक सेविका बनि सकत।
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